ताज़ा ख़बर

विदेशी मुद्रा खरीदने का सबसे सस्ता तरीका क्या है

विदेशी मुद्रा खरीदने का सबसे सस्ता तरीका क्या है
Photo:FILE

Sovereign Gold Bond Scheme: आज सस्ता सोना खरीदने का आखिरी मौका! 10 ग्राम सोने की खरीद पर मिलेगा 2,186 रुपये का फायदा

SGB Scheme: अगर आप डिजिटल पेमेंट से गोल्ड बॉन्ड खरीदते हैं तो आपको 51,470 रुपये का भुगतान करना पड़ेगा. वहीं कल के गोल्ड रेट के हिसाब से बात की जाए तो आपको 52,094 रुपये की जगह 51,470 रुपये देना होगा.

By: ABP Live | Updated at : 26 Aug 2022 10:04 AM (IST)

सॉवरेन गोल्‍ड बॉन्‍ड

RBI Sovereign Gold Bond: भारत में आज भी लोग सोने में निवेश (Gold Investment) करना बहुत पसंद करते हैं. अगर आप भी सोने में निवेश करके बेहतर रिटर्न (Gold Investment Returns) प्राप्त करना चाहते हैं तो आपके लिए आप सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (Sovereign Gold Bond) स्कीम के तहत सोना खरीदने का आखिरी मौका है. आरबीआई ने सॉवरेन गोल्‍ड बॉन्‍ड (RBI विदेशी मुद्रा खरीदने का सबसे सस्ता तरीका क्या है Sovereign Gold Bond) खरीदने के लिए 22 से 26 अगस्त 2022 तक का मौका दिया है. ऐसे में आज इस गोल्ड बॉन्ड (Gold Bond) खरीदने की आखिरी तारीख है. अगर आपने अभी तक नहीं खरीदा है तो जल्द से जल्द आज इसे खरीदे.

मिलेगी 50 रुपये की छूट
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (Sovereign Gold Bond) खरीदने के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके के ऑप्शन्स दिए हैं. बता दें कि कल यानी गुरुवार को सोना 52,094 को सोना बंद हुआ है. वहीं सॉवरेन गोल्‍ड बॉन्‍ड प्रति 10 ग्राम 51,970 रुपये में बिक रहा है. वहीं अगर आप इस बॉन्ड को ऑनलाइन खरीदते हैं तो आपको एक्स्ट्रा 50 रुपये की छूट मिलेगी. ऐसे में आप विदेशी मुद्रा खरीदने का सबसे सस्ता तरीका क्या है डिजिटल पेमेंट (Digital Payment) के जरिए आप इस 50 रुपये का लाभ प्राप्त करें.

गोल्ड बॉन्ड पर मिलेगा 2,186 का लाभ
अगर आप डिजिटल पेमेंट के जरिए गोल्ड बॉन्ड खरीदते हैं तो आपको 51,470 रुपये का भुगतान करना पड़ेगा. वहीं कल के गोल्ड रेट (Gold Price) के हिसाब से बात की जाए तो आपको 52,094 रुपये की जगह 51,470 रुपये देना होगा. ऐसे में आपको 624 रुपये देना होगा. वहीं मार्केट से गोल्ड खरीदने 3% GST भी नहीं देना होगा. ऐसे में आप कुल 1,562 रुपये की बचत होगा. ऐसे में कुल मिलाकर आपको 2,186 रुपये प्रति 19 ग्राम का लाभ मिलेगा.

गोल्ड बॉन्ड खरीदने का नियम और फायदे
आपको बता दें कि रिजर्व बैंक ने इस साल दूसरी बार सॉवरेन गोल्‍ड बॉन्‍ड लॉन्च किया है. एक अकेला व्यक्ति 1 ग्राम से लेकर 4 किलो ग्राम तक गोल्ड खरीद सकता है. वहीं न्यासों, विश्वविद्यालयों और धर्म संस्थाएं जैसे ग्रुप 20 किलोग्राम तक सोना खरीद सकते हैं. इस गोल्ड पर आपको कम से कम 2.5% ब्याज मिलेगा. इसके साथ ही इस निवेश पर आपको गोल्ड लोन की सुविधा भी मिलती है. ऐसे में अगर आपने अभी विदेशी मुद्रा खरीदने का सबसे सस्ता तरीका क्या है तक इसमें निवेश नहीं किया है तो जल्द से जल्द इसमें निवेश करें.

News Reels

ये भी पढ़ें-

Published at : 26 Aug 2022 10:04 AM (IST) Tags: Reserve Bank of India gold bond Sovereign gold bond RBI हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi

विदेशी मुद्रा भंडार मामले में पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका मिलकर भी नही कर पा रहें भारत का मुकाबला

भारत के मुकाबले पाकिस्तान, बांग्लदेश, नेपाल और श्रीलंका इन चारों देशों के विदेशी मुद्रा भंडार को जोड़कर भी लिया जाए तो भी भारत का मुद्रा भंडार के सामने यह देश बोने नजर आते है।

Edited by: India TV Paisa Desk
Updated on: February 26, 2021 23:46 IST

विदेशी मुद्रा भंडार मामले में पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका मिलकर भी नही कर पा रहें भारत - India TV Hindi

Photo:FILE

विदेशी मुद्रा भंडार मामले में पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका मिलकर भी नही कर पा रहें भारत का मुकाबला

नई दिल्ली: भारत के मुकाबले पाकिस्तान, बांग्लदेश, नेपाल और श्रीलंका इन चारों देशों के विदेशी मुद्रा भंडार को जोड़कर भी लिया जाए तो भी भारत का मुद्रा भंडार के सामने यह देश बोने नजर विदेशी मुद्रा खरीदने का सबसे सस्ता तरीका क्या है आते है। शुक्रवार को भारत के विदेशी मुद्रा भंडार के ताजा आंकड़े आज जारी किए गए है। जारी आंकड़ों के मुताबिक हमारा विदेशी मुद्रा विदेशी मुद्रा खरीदने का सबसे सस्ता तरीका क्या है भंडार 16.9 करोड़ डॉलर बढ़कर 583.865 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया है। 12 फरवरी को समाप्त पिछले सप्ताह हमारा मुद्रा भंडार 249 मिलियन अमरीकी डॉलर घटकर 583. 697 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया था। इस साल 29 जनवरी को खत्म हुए सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंड़ार 590 अमेरिकी डॉलर की रिकॉर्ड ऊंचाई तक पहुंच गया था।

पाकिस्‍तान का विदेशी मुद्रा भंडार

अगर हमारे पड़ोसी देशों की बात करें तो स्‍टेट बैंक ऑफ पाकिस्‍तान के मुताबिक पाकिस्‍तान के पास विदेशी मुद्रा भंडार 8 जनवरी तक 13.4 अरब डॉलर था। पाकिस्‍तान का विदेशी मुद्रा भंडार भारत के आगे कुछ भी नहीं है। पाकिस्‍तान के पास 64.64 टन सोने का भंडार है, जो भारत के गोल्‍ड रिजर्व के आगे कुछ भी नहीं है। वर्ल्‍ड गोल्‍ड काउंसिल के मुताबिक 2020 की तीसरी तिमाही में पाकिस्‍तान के पास 64.64 टन गोल्‍ड रिजर्व है, जबकि इससे पहले दूसरी तिमाही में भी पाकिस्‍तान के पास इतना ही सोना था। इसमें कोई वृद्धि नहीं हुई है।

बांग्लादेश का विदेशी मुद्रा भंडार

बांग्लादेश के विदेशी मुद्रा भंडार ने 44.02 अरब डॉलर है। इसमें हाल ही में बढ़ोत्तरी देखी गई है। बांग्लादेश में बढ़ते विदेशी मुद्रा भंडार का कारण औपचारिक ट्रांसमिशन को प्रोत्साहन देने और मोबाइल वित्तीय सेवाओं और एजेंट बैंकिंग सहित डिजिटल भुगतान प्रणाली में बहुत सुधार है, जिसके कारण विप्रेषण में तेजी देखने को मिला है। महामारी ने विदेशी मुद्रा के बाहरी प्रवाह को भी कम कर दिया है, क्योंकि अब कम संख्या में लोग विदेश जा रहे हैं।

श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार

श्रीलंका के पास जनवरी 2021 तक के आंकड़ों के अनुसार 4.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर का विदेशी मुंद्रा भंडार है। इसे बढ़ावा देने के लिए प्रयास चल रहे है। दिसंबर 2020 के अंत तक श्रीलंका ने 5,665.1 मिलियन डॉलर के विदेशी भंडार की सूचना थी। श्रीलंका के केंद्रीय बैंक के गवर्नर का नाम डब्ल्यू डी लक्ष्मण है।

नेपाल का विदेशी मुद्रा भंडार

नेपाल रास्ट्र बैंक (NRB) के आंकड़ो के अनुसार नेपाल का सकल विदेशी मुद्रा भंडार नवंबर के मध्य में 8.6 फीसदी बढ़कर USD 12.65 बिलियन अमरीकी डॉलर है। इन सभी देशों के विदेशी मुद्रा भंड़ार को जोड़कर 74.87 आता है। ऐसे में यह भारत के 583.865 बिलियन अमरीकी डॉलर के मुद्रा भंडार के मामले में बहुत कम है। भारत के पास विदेशी पूंजी का अथाह पैसा है।

एक डॉलर की कीमत 80 रुपये पर पहुंची, जानें- क्यों कमजोर होता जा रहा है रुपया, अभी और कितनी गिरावट बाकी?

Rupee Vs Dollar: एक डॉलर की कीमत 80 रुपये पर पहुंच गई है. संसद में सवालों के जवाब में केंद्र सरकार की तरफ से जवाब दिया गया है कि 2014 के बाद से डॉलर के मुकाबले रुपये में अभी तक 25 फीसदी की गिरावट दर्ज की गयी है.

Updated: July 19, 2022 12:44 PM IST

Dollar Vs Rupee

Rupee Vs Dollar: मंगलवार को शुरुआती कारोबार में भारतीय रुपया मनोवैज्ञानिक रूप से महत्वपूर्ण विनिमय दर के स्तर डॉलर के मुकाबले विदेशी मुद्रा खरीदने का सबसे सस्ता तरीका क्या है 80 रुपये के स्तर से नीचे चला गया. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, रुपया घटकर 80.06 प्रति डॉलर पर आ गया.

Also Read:

रुपया विनिमय दर क्या है?

अमेरिकी डॉलर की तुलना में रुपये की विनिमय दर अनिवार्य रूप से एक अमेरिकी डॉलर को खरीदने के लिए आवश्यक रुपये की संख्या है. यह न केवल अमेरिकी सामान खरीदने के लिए बल्कि अन्य वस्तुओं और सेवाओं (जैसे कच्चा तेल) की पूरी मेजबानी के लिए एक महत्वपूर्ण मीट्रिक है, जिसके लिए भारतीय नागरिकों और कंपनियों को डॉलर की आवश्यकता होती है.

जब रुपये का अवमूल्यन होता विदेशी मुद्रा खरीदने का सबसे सस्ता तरीका क्या है है, तो भारत के बाहर से कुछ खरीदना (आयात करना) महंगा हो जाता है. इसी तर्क से, यदि कोई शेष विश्व (विशेषकर अमेरिका) को माल और सेवाओं को बेचने (निर्यात) करने की कोशिश कर रहा है, तो गिरता हुआ रुपया भारत के उत्पादों को और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाता है, क्योंकि रुपये का अवमूल्य विदेशियों के लिए भारतीय उत्पादों को खरीदना सस्ता बनाता है.

डॉलर के मुकाबले रुपया क्यों कमजोर हो रहा है?

सीधे शब्दों में कहें तो डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर हो रहा है, क्योंकि बाजार में रुपये की तुलना में डॉलर की मांग ज्यादा है. रुपये की तुलना में डॉलर की बढ़ी हुई मांग, दो कारकों के कारण बढ़ रही है.

पहला यह कि भारतीय जितना निर्यात करते हैं, उससे अधिक वस्तुओं और सेवाओं का आयात करते हैं. इसे ही करेंट अकाउंट डेफिसिट (CAD) कहा जाता है. जब किसी देश के पास यह होता है, तो इसका तात्पर्य है कि जो आ रहा है उससे अधिक विदेशी मुद्रा (विशेषकर डॉलर) भारत से बाहर निकल रही है.

2022 की शुरुआत के बाद से, जैसा कि यूक्रेन में युद्ध के मद्देनजर कच्चे तेल और अन्य कमोडिटीज की कीमतों में बढ़ोतरी होने लगी है, जिसकी वजह से भारत का सीएडी तेजी से बढ़ा है. इसने रुपये में अवमूल्यन यानी डॉलर के मुकाबले मूल्य कम करने का विदेशी मुद्रा खरीदने का सबसे सस्ता तरीका क्या है दबाव डाला है. देश के बाहर से सामान आयात करने के लिए भारतीय ज्यादा डॉलर की मांग कर रहे हैं.

दूसरा, भारतीय अर्थव्यवस्था में निवेश में गिरावट दर्ज की गयी है. ऐतिहासिक रूप से, भारत के साथ-साथ अधिकांश विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में CAD की प्रवृत्ति होती है. लेकिन भारत के मामले में, यह घाटा देश में निवेश करने के लिए जल्दबाजी करने वाले विदेशी निवेशकों द्वारा पूरा नहीं किया गया था; इसे कैपिटल अकाउंट सरप्लस भी कहा जाता है. इस अधिशेष ने अरबों डॉलर लाए और यह सुनिश्चित किया कि रुपये (डॉलर के सापेक्ष) की मांग मजबूत बनी रहे.

लेकिन 2022 की शुरुआत के बाद से, अधिक से अधिक विदेशी निवेशक भारतीय बाजारों से पैसा निकाल रहे हैं. ऐसा इसलिए हुआ है क्योंकि भारत की तुलना में अमेरिका में ब्याज दरें बहुत तेजी से बढ़ रही हैं. अमेरिका में ऐतिहासिक रूप से उच्च मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए अमेरिकी केंद्रीय बैंक आक्रामक रूप से ब्याज दरों में वृद्धि कर रहा है. निवेश में इस गिरावट ने भारतीय शेयर बाजारों में निवेश करने के इच्छुक निवेशकों के बीच भारतीय रुपये की मांग में तेजी से कमी की है.

इन दोनों प्रवृत्तियों का परिणाम यह है कि डॉलर के सापेक्ष रुपये की मांग में तेजी से गिरावट दर्ज की गयी है. यही वजह है कि डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर हो रहा है.

क्या डॉलर के मुकाबले केवल रुपये में ही आई है गिरावट?

यूरो और जापानी येन समेत सभी मुद्राओं के मुकाबले डॉलर मजबूत हो रहा है. दरअसल, यूरो जैसी कई मुद्राओं के मुकाबले रुपये में तेजी आयी है.

क्या रुपया सुरक्षित क्षेत्र में है?

रुपये की विनिमय दर को “प्रबंधित” करने में आरबीआई की भूमिका को समझना महत्वपूर्ण है. यदि विनिमय दर पूरी तरह से बाजार द्वारा निर्धारित की जाती है, तो इसमें तेजी से उतार-चढ़ाव होता है – जब रुपया मजबूत होता है और रुपये का अवमूल्यन होता है.

लेकिन आरबीआई रुपये की विनिमय दर में तेज उतार-चढ़ाव की अनुमति नहीं देता है. यह गिरावट को कम करने या वृद्धि को सीमित करने विदेशी मुद्रा खरीदने का सबसे सस्ता तरीका क्या है के लिए हस्तक्षेप करता है. यह बाजार में डॉलर बेचकर गिरावट को रोकने की कोशिश करता है. यह एक ऐसा कदम है जो डॉलर की तुलना में रुपये की मांग के बीच के अंतर को कम करता है. जिससे भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आती है. जब आरबीआई रुपये को मजबूत होने से रोकना चाहता है तो वह बाजार से अतिरिक्त डॉलर निकाल लेता है, जिससे भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी होती है.

एक डॉलर की कीमत 80 रुपये से ज्यादा होने के बाद यह कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या रुपये में और गिरावट आनी बाकी है? जानकारों का मानना है कि 80 रुपये का स्तर एक मनोवैज्ञानिक स्तर था. अब इससे नीचे आने के बाद यह 82 डॉलर तक पहुंच सकता है.

ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज अपडेट के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें. India.Com पर विस्तार से पढ़ें की और अन्य ताजा-तरीन खबरें

RBI News: डॉलर नहीं कर पाएगा रुपए को प्रभावित, ₹ में होगा विदेशी व्यापार; जानिए RBI की इस योजना के बारे में

RBI News: डॉलर नहीं कर पाएगा रुपए को प्रभावित, ₹ में होगा विदेशी व्यापार; जानिए RBI की इस योजना के बारे में

रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के साथ ही भारतीय मुद्रा पर अमेरिकी डॉलर विदेशी मुद्रा खरीदने का सबसे सस्ता तरीका क्या है का दबाव भी बढ़ने लगा. ग्‍लोबल मार्केट में तमाम प्रतिबंधों के बाद हालात ये बन गए कि डॉलर के मुकाबले रुपया रिकॉर्ड निचले स्‍तर पर चला गया. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) इस समस्‍या से निपटने के लिए नया सिस्‍टम विकसित कर रहा है.

आरबीआई ने बताया है कि अंतरराष्‍ट्रीय व्‍यापार भी रुपये में करने के लिए नया सिस्‍टम बनाया जा रहा है. डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा में लगातार आ रही गिरावट और दुनिया की रुपये में बढ़ती दिलचस्‍पी को देखते हुए नया सिस्‍टम विकसित किया जा रहा है. इसके बाद भारत अपने आयात-निर्यात का सेटलमेंट रुपये में कर सकेगा और ग्‍लोबल ट्रेडिंग सिस्‍टम में डॉलर व अमेरिका का दबाव खत्‍म हो जाएगा.

अब नहीं होगा प्रतिबंधों का असर
आरबीआई का नया सिस्‍टम शुरू होने के बाद भारत पर अमेरिका सहित अन्‍य पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों का असर खत्‍म हो जाएगा. ऐसा कई बार हुआ है जब अमेरिका ने किसी देश पर प्रतिबंध लगाया है और भारत को उसका खामियाजा भुगतना पड़ा है. ईरान से तनातनी के बीच जब अमेरिका ने उस पर प्रतिबंध लगाया तो भारत को इरान से कच्‍चा तेल खरीदने में काफी मुश्किल आई. इसी तरह, रूस-यूक्रेन के हालिया युद्ध की वजह से जब अमेरिका, यूरोप ने रूस पर प्रतिबंध लगाए तो भारतीय कंपनियां भी रूस के उत्‍पाद खरीदने में नाकाम रहीं.

इन प्रतिबंधों का भारत पर असर इसलिए ज्‍यादा होता था, क्‍योंकि ग्‍लोबल मार्केट में डॉलर में ही व्‍यापार का लेनदेन किया जाता है और प्रतिबंधों के कारण अमेरिकी डॉलर में लेनदेन भी बंद हो जाता है. इन परेशानियों से निजात पाने के लिए ही आरबीआई ग्‍लोबल मार्केट में सीधे रुपये में ट्रेडिंग का सिस्‍टम तैयार कर रहा है.फॉरेक्‍स मार्केट से तय होगी दर
आरबीआई ने कहा है कि नया सिस्‍टम फॉरेन एक्‍सचेंज मैनेजमेंट एक्‍ट (FEMA) के तहत बनाया जा रहा है. इससे विदेश में होने वाले आयात और निर्यात के सभी सेटलमेंट रुपये में किए जा सकेंगे. रुपये की कीमत संबंधित देश की मुद्रा के ग्‍लोबल फॉरेक्‍स मार्केट में चल रहे भाव के आधार की तय की जाएगी विदेशी मुद्रा खरीदने का सबसे सस्ता तरीका क्या है और सौदे का सेटलमेंट भारतीय मुद्रा में ही किया जाएगा.

खोले जाएंगे विशेष खाते
रिजर्व बैंक के अनुसार, नया सिस्‍टम लागू करने के लिए भारत में अधिकृत बैंकों को वॉस्‍ट्रो खाते खोलने की इजाजत दी गई है. अब भारत का अधिकृत बैंक व्‍यापार से जुड़े देश के बैंक के साथ मिलकर रुपये का वॉस्‍ट्रो खाता खोल सकेगा. इससे भारतीय आयातकों और विदेशी सप्‍लायर्स का सेटलमेंट रुपये में हो सकेगा. इसी तरह, भारतीय निर्यात

रेटिंग: 4.33
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 848
उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा| अपेक्षित स्थानों को रेखांकित कर दिया गया है *