अमेरिकन एक्सचेंज

अमेरिकन एक्सचेंज
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पूंजी बाजार में, व्यापारिक उपक .
सरकार और निगम तरल निगम वाद्य निगम निर्माण निगम
Solution : उच्च संगठित पूंजी बाजार के उदाहरण न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज, अमेरिकन स्टॉक एक्सचेंज, एलएसई आदि हैं
American Option- अमेरिकन ऑप्शन की परिभाषा
अमेरिकी विकल्प यानी अमेरिकन ऑप्शन की परिभाषा
अमेरिकन ऑप्शन (American Option) डेरिवेटिव अनुबंध होते हैं, जिनमें ऑप्शन के जीवनकाल में अनुबंध को भुनाने का विकल्प होता है। आसान भाषा में समझें तो अमेरिकन ऑप्शन में ऑप्शन खरीदने वाले के पास अपने ऑप्शन को कभी भी एक्सरसाइज करने का अधिकार होता है। इस ऑप्शन में सेटलमेंट उस समय की अमेरिकन एक्सचेंज कीमत के आधार पर होता है, जब खरीदने वाले ने ऑप्शन को एक्सरसाइज किया, न कि उस कीमत पर जो एक्सपायरी के दिन होती है। यह यूरोपीय विकल्प के विपरीत है। यूरोपियन ऑप्शन में खरीदार को अपना ऑप्शन एक्सरसाइज करने के लिए नियमित रूप से ऑप्शन की एक्सपायरी तक इंतजार करना पड़ता है।
विवरण:
किसी कॉन्ट्रैक्ट को उसकी मैच्योरिटी से पहले या मैच्योरिटी के दिन भुनाने की अनूठी विशेषता इसे अमेरिकन एक्सचेंज ट्रेडिबिलिटी का अतिरिक्त फायदा देती है। इस खास फीचर के कारण यह ट्रेड एक्सचेंज पर सबसे अधिक कारोबार किया जाने वाला विकल्प है। यह प्रकृति में अत्यधिक तरल है। आपको बता दें कि इस ऑप्शन के नाम में अमेरिकन होने से इसका लेनादेना किसी खास भौगोलिक क्षेत्र या किसी भौगोलिक नाम से नहीं है।
अमेरिकन और विक्रम के छात्रों का होगा एकेडमिक एक्सचेंज
जल्द ही अमेरिकन विद्यार्थी विक्रम यूनिवर्सिटी में और विक्रम के विद्यार्थी अमेरिका की एक यूनिवर्सिटी में रिसर्च और पढ़ाई के तरीकों सहित एकेडमिक कार्य करते दिखाई देंगे। अमेरिका की तीन यूनिवर्सिटी में विशेष व्याख्यान के लिए गए कुलपति प्रो. जवाहरलाल कौल ने अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ सेंटथॉमस मिनेसोता से एमओयू (मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टेंटिंग) अमेरिकन एक्सचेंज साइन किया है। जिसे अब अंतिम मंजूरी के लिए शासन के पास भेजा जाएगा। इसके अलावा अमेरिका की ही दो अन्य यूनिवर्सिटी से भी एकेडमिक और कल्चरल एक्सचेंज के लिए भी विक्रम विवि की ओर से चर्चा की जा रही है।
कुलपति प्रो. कौल अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ सेंटथॉमस के अलावा यूनिवर्सिटी ऑफ कैनसॉस और यूनिवर्सिटी ऑफ यूटा में लीगल एजुकेशन एंड फॉरेन इंवेस्टमेंट लॉ विषय पर विशेष व्याख्यान के लिए 9 मई को अमेरिका रवाना हुए थे। यात्रा के बाद वे सोमवार को उज्जैन पहुंचे। कुलपति प्रो. कौल ने बताया यात्रा के दौरान अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ सेंटथॉमस से विद्यार्थियों के एकेडमिक एक्सचेंज का एमओयू साइन किया गया है।
कौल का व्याख्यान आज
सुमन मानविकी भवन स्थित अर्थशास्त्र विभाग में हाल ही में शुरू की गई प्रतियोगी परीक्षा की नि:शुल्क कक्षाओं में आने वाले विद्यार्थियों के लिए मंगलवार सुबह 10.30 बजे से कुलपति प्रो. कौल का विशेष व्याख्यान होगा।
अमेरिकी शेयर बाजार में बिकवाली का बवंडर, निवेशकों के बीच बढ़ा मंदी का डर
निवेशकों के बीच अमेरिका के अमेरिकन एक्सचेंज सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व के हालिया फैसले और भविष्य को लेकर कई तरह की आशंकाएं हैं। अमेरिका के सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में लगातार तीसरी बार बढ़ोतरी की है।
भारत के बाद अमेरिकी शेयर बाजार में भी बिकवाली का बवंडर हावी हो गया है। यूएस बाजार में ट्रेडिंग के दौरान इंडेक्स- डाउ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज 700 अंक या 2.5% से ज्यादा गिरकर 29,500 अंक से नीचे अमेरिकन एक्सचेंज आ गया। यह डाउ जोन्स का 2 साल का निचला स्तर है। वहीं, दूसरे इंडेक्स- एसएंडपी 500 और नैस्डैक कंपोजिट में 2% से ज्यादा की गिरावट आई। यह लगातार चौथा दिन है जब अमेरिकी शेयर बाजार रेंगते नजर आ रहे हैं। इस बिकवाली अमेरिकन एक्सचेंज के माहौल की वजह से मंदी के डर को और अधिक हवा मिल गई है। आपको बता दें कि शुक्रवार को भारतीय बाजार भी पस्त नजर आए थे।
गिरावट की वजह क्या है: दरअसल, निवेशकों के बीच फेडरल रिजर्व के हालिया फैसले और भविष्य को लेकर कई तरह की आशंकाएं हैं। अमेरिका के सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में लगातार तीसरी बार बढ़ोतरी की है। वहीं, आगे भी बढ़ोतरी जारी रखने के मजबूत संकेत दिए जा रहे हैं।
क्यों ब्याज दर बढ़ाने पर जोर: फेड रिजर्व का लक्ष्य महंगाई को 2 फीसदी से नीचे रखना है। इसके लिए ब्याज दरों में अग्रेसिव बढ़ोतरी की जा सकती है। फेड रिजर्व के इस फैसले से महंगाई तो कंट्रोल हो सकती है लेकिन अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मंदी की चपेट में आने का अमेरिकन एक्सचेंज डर बढ़ गया है। अगर मंदी आती है तो स्टॉक मार्केट क्रैश होंगे, जीडीपी में सिकुड़न आएगी और बड़े पैमाने पर बेरोजगारी बढ़ सकती है।
अर्थशास्त्री की रिपोर्ट ने बढ़ाई टेंशन: अमेरिकी बाजार में गिरावट की एक वजह अर्थशास्त्री नूरील रूबिनी के ताजा बयान को बताया जा रहा है। दरअसल, अर्थशास्त्री नूरील रूबिनी ने कहा है कि अमेरिका समेत दुनिया भर में मंदी का सबसे लंबा और बुरा दौर आने वाला है। रूबिनी ने अमेरिकी शेयर बाजार के अहम सूचकांक- स्टैंडर्ड एंड पुअर्स 500 (S&P 500) में 30 से 40% तक गिरावट की आशंका जता रहे हैं।
आपको बता दें कि नूरील रूबिनी ने साल 2008 के आर्थिक संकट की सही भविष्यवाणी की थी। इस मंदी के बाद दुनिया भर के शेयर बाजार क्रैश हो गए थे और बड़े पैमाने पर नौकरियां जाने लगी थीं।
शुक्रवार को सेंसेक्स-निफ्टी: तीस शेयरों पर आधारित सेंसेक्स 1,020.80 अंक यानी 1.73 प्रतिशत की गिरावट के साथ 58,098.92 अंक पर बंद हुआ। वहीं, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 302.45 अंक यानी 1.72 प्रतिशत की गिरावट के साथ 17,327.35 अंक पर ठहरा।