बाजार सूत्रों के पदों

- सरसों तिलहन - 5,900 - 5,950 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये।
- मूंगफली दाना - 5,475- बाजार सूत्रों के पदों 5,525 रुपये।
- मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात)- 13,750 रुपये।
- मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल 2,120 - 2,180 रुपये प्रति टिन।
- सरसों तेल दादरी- 12,000 रुपये प्रति क्विंटल।
- सरसों पक्की घानी- 1,815 - 1,965 रुपये प्रति टिन।
- सरसों कच्ची घानी- 1,935 - 2,045 रुपये प्रति टिन।
- तिल मिल डिलिवरी तेल- 11,000 - 15,000 रुपये।
- सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 10,500 रुपये।
- सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 10,200 रुपये।
- सोयाबीन तेल डीगम- 9,320 रुपये।
- सीपीओ एक्स-कांडला- 8,100 रुपये।
- बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 9,280 रुपये।
- पामोलीन आरबीडी दिल्ली- 9,500 रुपये।
- पामोलीन कांडला- 8,700 रुपये (बिना जीएसटी के)।
- सोयाबीन तिलहन मिल डिलिवरी भाव 4,300 - 4,325 लूज में 4,170 -- 4,200 रुपये।
- मक्का खल (सरिस्का) - 3,500 रुपये
विदेशी बाजारों में तेजी से तेल-तिलहन कीमतों में मामूली सुधार
नयी दिल्ली, 29 नवंबर (भाषा) विदेशी बाजारों में तेजी के रुख के बीच दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में मंगलवार को सरसों तेल-तिलहन, मूंगफली तेल, सोयाबीन तेल, कच्चा पामतेल और पामोलीन तेल कीमतों में सुधार आया। दूसरी ओर बिनौला तेल कीमतों में गिरावट देखने को मिली। मूंगफली और सोयाबीन तिलहन सहित अन्य तेल-तिलहनों के दाम पूर्वस्तर पर बंद हुए।
बाजार सूत्रों ने बताया कि मलेशिया एक्सचेंज में दो प्रतिशत की तेजी है जबकि शिकॉगो एक्सचेंज फिलहाल 0.6 प्रतिशत मजबूत है।
सूत्रों ने कहा कि सरसों, मूंगफली और बिनौला की तेल मिलों के समक्ष ‘आगे कुंआ और पीछे खाई’ जैसी स्थिति है यानी यदि ये मिले चलें तो नुकसान आधा है और अगर बंद कर दी जायें तो नुकसान पूरा का पूरा है। इन तेल मिलों को पेराई के बाद जो लागत बैठती है वह बेहद सस्ते आयातित तेल के सामने टिक नहीं पा रही है। यानी तेल मिलों को बंद रखा जाये तो किराया, बिजली खर्च, कर्मचारियों की तनख्वाह और छोटे-मोटे तमाम खर्च हैं। अगर बंद रखा जाये तो पूरा का पूरा नुकसान है। ऐसी स्थिति में कोई करे तो क्या करे। आयातित सूरजमुखी तेल के दाम पहले से काफी कम हुए हैं।
सूत्रों ने कहा कि इसके साथ ही सरकार को तेल-तिलहन मामले में विदेशों पर निर्भरता को खत्म करने के लिए देशी तेल-तिलहन उत्पादन को बढ़ाने पर जोर देना चाहिये जिससे तेल के साथ साथ मवेशियों के लिए डीओसी और खल का भी उत्पादन होता है।
सूत्रों ने कहा कि जब आयातित सूरजमुखी तेल का दाम आधे से भी कम रह गया है, ऐसे में देश में सूरजमुखी का उत्पादन कैसे बढ़ेगा, क्योंकि जिस कदर भाव टूटकर 112 रुपये किलो रह गया है, उसके मुकाबले देश में सूरजमुखी तेल की लागत कहीं अधिक बैठने से इनका बाजार में टिकना मुश्किल होगा। इसलिए सूरजमुखी तेल की कोटा व्यवस्था बाजार सूत्रों के पदों को खत्म करते हुए आयातित तेलों पर अधिकतम आयात शुल्क लगाने की आवश्यकता है, तभी हमारे किसान सूरजमुखी उत्पादन करने को प्रोत्साहित हो सकते हैं।
सोमवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन – 7,200-7,250 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली – 6,410-6,470 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 14,850 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल 2,400-2,665 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 14,550 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 2,195-2,325 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 2,255-2,380 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 14,100 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 13,750 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 12,600 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 9,000 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 12,100 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 10,400 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 9,550 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना – 5,550-5,650 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज 5,360-5,410 रुपये प्रति क्विंटल।
मक्का खल (सरिस्का) 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।
भाषा राजेश राजेश अजय
(इस खबर को IBC24 टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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विदेशों में गिरावट के बीच खाद्य तेल-तिलहनों के भाव टूटे
नयी दिल्ली, 30 अगस्त (भाषा) विदेशी बाजारों में गिरावट के रुख के बीच दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में मंगलवार को सरसों, मूंगफली तेल-तिलहन, सोयाबीन तेल, सीपीओ, पामोलीन और बिनौला तेल कीमतों में गिरावट आई जबकि सोयाबीन के डीआयल्ड केक की मांग होने से सोयाबीन तिलहन (सीयाबीन दाना एवं लूज तिलहन) के भाव सुधार दर्शाते बंद हुए। बाजार सूत्रों ने कहा कि मलेशिया एक्सचेंज में एक प्रतिशत की गिरावट आई है जबकि शिकॉगो एक्सचेंज 1.5 प्रतिशत कमजोर है। विदेशी बाजारों की इस मंदी के कारण स्थानीय खाद्य तेल तिलहनों के भाव में भी गिरावट देखने को मिली। जबकि सोयाबीन के डीआयल्ड केक (डीओसी)
बाजार सूत्रों ने कहा कि मलेशिया एक्सचेंज में एक प्रतिशत की गिरावट आई है जबकि शिकॉगो एक्सचेंज 1.5 प्रतिशत कमजोर है। विदेशी बाजारों की इस मंदी के कारण स्थानीय खाद्य तेल तिलहनों के भाव में भी गिरावट देखने को मिली। जबकि सोयाबीन के डीआयल्ड केक (डीओसी) की मांग निकलने से सोयाबीन तिलहन के भाव सुधार दर्शाते बंद हुए।
सूत्रों ने कहा कि गत लगभग एक सप्ताह में पामोलीन के भाव में 8-10 रुपये प्रति लीटर की कमी आई है लेकिन अभी तक इन तेलों के अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) जस के तस बने हुए हैं। वैश्विक खाद्य तेलों में आई गिरावट का लाभ आम उपभोक्ताओं को दिलाने के लिए अब सरकार को कमर कसनी होगी क्योंकि इन खाद्य तेलों की कीमतों के टूटने के बावजूद इन तेलों के एमआरपी जस के तस बने हुए हैं। यह एमआरपी पहले ही 40-50 रुपये लीटर अधिक रखा गया है।
सूत्रों ने कहा कि अगले महीने खरीफ (मूंगफली, सोयाबीन, बिनौला) की फसल आने वाली है और आयातित तेल विशेषकर पामोलीन के भाव टूटने से तेल-तिलहन कीमतों पर दबाव बना हुआ है। बाजार में गिरावट के आम रुख के बीच देशी तेल-तिलहनों के लिवाल कौन होंगे, यह सवाल खड़ा होता है। देश में तिलहन उत्पादन को बढ़ाने और इस मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार को स्थानीय तिलहन उत्पादक किसानों के हितों की रक्षा के लिए समुचित कदम उठाने होंगे।
उन्होंने कहा कि सरकार को इस बात पर भी गौर करना होगा कि जिस मात्रा में आयात शुल्क में छूट दी गई है उसका समुचित लाभ जब उपभोक्ताओं को नहीं मिल रहा है तो यह लाभ किसको जा रहा है।
मंगलवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन - 7,025-7,075 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली - 7145-7270 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 16,700 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली सॉल्वेंट रिफाइंड तेल 2,780 - 2,970 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 14,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 2,215-2,305 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 2,245-2,360 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी - 17,000-18,500 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,050 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 12,850 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 11,400 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 9,750 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 12,800 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 11,500 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 10,300 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना - 5,600-5,700 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज 5,500- 5,600 रुपये प्रति क्विंटल।
मक्का खल (सरिस्का) 4,010 रुपये प्रति क्विंटल।
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आज का मंडी भाव: बाजार सूत्रों के पदों त्योहारी मांग से सरसों, मूंगफली सहित सभी तेल तिलहन की कीमतों में तेजी
त्योहारी मांग के साथ साथ निर्यात मांग बढ़ने के बाजार सूत्रों के पदों बीच दिल्ली तेल तिलहन बाजार में शनिवार को लगभग सभी तेल तिलहनों में तेजी दिखी। बाजार सूत्रों ने कहा कि विदेशी बाजारों में मूंगफली दाना के साथ.
त्योहारी मांग के साथ साथ निर्यात मांग बढ़ने के बीच दिल्ली तेल तिलहन बाजार में शनिवार को लगभग सभी तेल तिलहनों में तेजी दिखी। बाजार सूत्रों ने कहा कि विदेशी बाजारों में मूंगफली दाना के साथ साथ मूंगफली तेलों की भारी मांग है और ' नंबर एक गुणवत्ता वाले मूंगफली दाने की निर्यात के लिए मांग में भारी वृद्धि होने के कारण मूंगफली तेल तिलहन कीमतों में पर्याप्त सुधार आया।
सूत्रों ने कहा कि पूरे विश्व में हल्के तेलों की भारी मांग है। हल्के तेलों में सबसे सस्ता होने के कारण भी सोयाबीन की खपत में पिछले साल के मुकाबले 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। सूरजमुखी फसल के कम उत्पादन होने, सरसों जैसे हल्के तेल में 'ब्लेंडिंग की मांग बढ़ने तथा उत्तर भारत के मौसम की वजह से सोयाबीन तेल मांग के बढ़ने से इसके तेल कीमतों में तेजी आई है।
उन्होंने कहा कि सरसों दाना की जम्मू-कश्मीर की मांग बढ़ी है जहां हरियाणा से 6,250 रुपये क्विन्टल के भाव सरसों दाना की बिक्री की गई है। जयपुर की मंडी में सरसों का हाजिर भाव 6,000 रुपये प्रति क्विन्टल चल रहा है। इस मांग के साथ साथ खासकर उत्तर भारत में त्यौहारी मांग के कारण सरसों तेल तिलहन के भाव में पर्याप्त लाभ दर्ज हुआ। बेपड़ता कारोबार के कारण सीपीओ और पामोलीन के भाव में भी सुधार दर्ज किया गया।
तेल तिलहन बाजार में थोक भाव इस प्रकार रहे- (भाव- रुपये प्रति क्विंटल)
- सरसों तिलहन - 5,900 - 5,950 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये।
- मूंगफली दाना - 5,475- 5,525 रुपये।
- मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात)- 13,750 रुपये।
- मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल 2,120 - 2,180 रुपये प्रति टिन।
- सरसों तेल दादरी- 12,000 रुपये प्रति क्विंटल।
- सरसों पक्की घानी- 1,815 - 1,965 रुपये प्रति टिन।
- सरसों कच्ची घानी- 1,935 - 2,045 रुपये प्रति टिन।
- तिल मिल डिलिवरी तेल- 11,000 - 15,000 रुपये।
- सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 10,500 रुपये।
- सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 10,200 रुपये।
- सोयाबीन तेल डीगम- 9,320 रुपये।
- सीपीओ एक्स-कांडला- 8,100 रुपये।
- बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 9,280 रुपये।
- पामोलीन बाजार सूत्रों के पदों आरबीडी दिल्ली- 9,500 रुपये।
- पामोलीन कांडला- 8,700 रुपये (बिना जीएसटी के)।
- सोयाबीन तिलहन मिल डिलिवरी भाव 4,300 - 4,325 लूज में 4,170 -- 4,200 रुपये।
- मक्का खल (सरिस्का) - 3,500 रुपये
इंदौर मंडी का भाव
दलहन
- चना (कांटा) 5150 से 5175,
- मसूर 5400 से 5450,
- मूंग 7500 से 7800, मूंग हल्की 5800 से 6800,
- तुअर निमाड़ी (अरहर) 6300 से 7000, महाराष्ट्र तुअर सफेद (अरहर) 7500 से 7700,
- उड़द 7200 से 7600, हल्की 5700 से 6800 रुपये प्रति क्विंटल।
दाल
- तुअर (अरहर) दाल सवा नंबर 10000 से 10100,
- तुअर दाल फूल 10200 से 10400,
- तुअर दाल बोल्ड 10600 से 10800,
- चना दाल 6500 से 7000,
- मसूर दाल 6700 से 7100,
- मूंग दाल 8700 से 9000,
- मूंग मोगर 9900 से 10400,
- उड़द दाल 9700 से 10000,
- उड़द मोगर 10200 से 11000 रुपये प्रति क्विंटल।
चावल
- बासमती (921) 8100 से 9500,
- तिबार 7000 से 8000,
- दुबार 6000 से 7000,
- मिनी दुबार 5500 से 6000,
- मोगरा 3500 से 5500,
- बासमती सैला 4700 से 7000,
- कालीमूंछ 6900 से 7000,
- राजभोग 5900 से 6000,
- दूबराज 3500 से 4000,
- परमल 2400 से 2800,
- हंसा सैला 2500 से 2700,
- हंसा सफेद 2300 से 2500,
- पोहा 3500 से 4000 रुपये प्रति क्विंटल।
सूत्रों ने कहा कि सूरजमुखी का भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य के हिसाब से 150 रुपये किलो बैठता है जबकि एमएसपी के हिसाब से मूंगफली तेल का भाव भी 150 रुपये किलो बैठता है और सरसों तेल एमएसपी के हिसाब से लगभग 120-125 रुपये प्रति किलो बैठता है। दूसरी ओर विदेशों से आयात होने सीपीओ का भाव नगभग 81 रुपये किलो और आयात होने वाले सोयाबीन डीगम का भाव 93.20 रुपये किलो बैठता है।
उन्होंने कहा कि जब सीपीओ और सोयाबीन डीगम जैसे आयातित तेलों का भाव घ्ररेलू तेलों के मुकाबले काफी सस्ता बैठे तो फिर आत्मनिर्भरता के बारे में सोचना भी नहीं चाहिए। आत्मनिर्भरता के लिए सरकार को सस्ते आयात को घरेलू तेलों के मुकाबले प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए कदम उठाना चाहिये और साथ ही घरेलू तेल तिलहनों के बाजार विकसित करने की ओर ध्यान देना चाहिये। यह काम सस्ते आयात को हतोत्साहित करने, तिलहनों का स्टॉक निर्मित करने से ही होगा। इस ओर ध्यान न दिये जाने के कारण ही आज लगभग 70 प्रतिशत तेल मिलें बंद होने की कगार पर हैं।