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वैकल्पिक निवेश

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महाराष्ट्र के पुणे में ईपीएफओ दफ्तर के बाहर लगी पेंशनभोगियों की भारी भीड़। (एक्सप्रेस आर्काइव फोटोः अतुल हराइजन)

सेबी ने नारायण मूर्ति को बनाया स्टार्टअप पैनल का अध्यक्ष

सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने शुक्रवार को देश में वैकल्पिक निवेश और स्टार्टअप के लिए बने नए पैनल के प्रमुख पद पर इंफोसिस के फाउंडर एनआर नारायण मूर्ति को नियुक्त कर दिया है. यह पैनल देश से शुरु हो रहे स्टार्टअप को फंड मुहैया कराने के नियमों को तय करेगा.

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 22 मई 2015,
  • (अपडेटेड 22 मई 2015, 5:35 PM IST)

सिक्योरिटीज एंड वैकल्पिक निवेश एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने शुक्रवार को देश में वैकल्पिक निवेश और स्टार्टअप के लिए बने नए पैनल के प्रमुख पद पर इंफोसिस के फाउंडर एनआर नारायण मूर्ति को नियुक्त कर दिया है. यह पैनल देश से शुरु हो रहे स्टार्टअप को फंड मुहैया कराने के नियमों को तय करेगा.

गौरतलब है कि बाजार नियामक SEBI ने मार्च में तेजी वैकल्पिक निवेश से पनप रहे इंटरनेट स्टार्टअप में निवेश के जरिए फंडिंग की घोषणा करते हुए इन स्टार्टअप को देश में रजिस्टर होने के लिए प्रोत्साहित किया था.

SEBI ने अपनी वेबसाइट पर इस पैनल के गठन और कामकाज की जानकारी में बताया है कि नारायण मूर्ति की अध्यक्षता वाली ऑलटरनेटिव इंवेस्टमेंट पॉलिसी एडवाइजरी कमेटी (AIPAC) इन स्टार्टअप के लिए नीति और नियमों का निर्धारण ठीक उसी तरह से करेगी जैसे ईक्विटी मार्केट की नीतियों को SEBI निर्धारित करता है. SEBI की वेबसाइट पर इस पैनल के टर्म ऑफ रेफरेंस भी प्रकाशित कर दिए गए हैं.

AIPAC में सेबी, आरबीआई और वित्त मंत्रालय के वैकल्पिक निवेश अधिकारियों के अलावा उद्योग, निजी इक्विटी कंपनियों और स्टार्ट-अप कंपनियों के प्रतिनिधि शामिल किए गए हैं.

मूर्ति की नियुक्ति के अलावा सेबी ने संजय नायर (इंडियन प्राइवेट इक्विटी और वेंचर कैपिटल एसोसिएशन के चेयरमैन और केकेआर के सीईओ), सौरभ श्रीवास्ताव (इंडियन ऐंजल नेटवर्क), अजय पीरामल (पीरामल समूह), देविनजीत सिंह (कार्लाइल ग्रुप) और मनीष चोखानी (टीपीजी ग्रोथ इंडिया) को मेम्बर नियुक्त किया गया है.

गौरतलब है कि देश में स्टार्टअप की लिस्टिंग के कड़े नियमों के चलते ज्यादातर कंपनियां भारत के बाहर रजिस्टर होती है. इसके चलते SEBI काफी समय से देश में लिस्टिंग के नियमों को सरल करने की कोशिशों में लगा है. SEBI का यह कदम ऐसे समय में आया है जब यहां कि ई-कॉमर्स की प्रमुख कंपनी फ्लिपकार्ट अमेरिकी शेयर मार्केट में लिस्ट होने के लिए आईपीओ की तैयारी कर रही है.

EPFO से सितंबर में जुड़े 15.41 लाख ग्राहक, प्राइवेट बॉन्ड्स में करेगा निवेश

इसी बीच, सेवानिवृत्ति कोष निकाय ने शनिवार को कहा कि उसने इनविट जैसे नए परिसंपत्ति वर्ग में निवेश पर निर्णय लेने के लिए अपने सलाहकार निकाय वित्तीय निवेश एवं लेखा समिति (एफआईएसी) को सक्षम बनाया है।

EPFO से सितंबर में जुड़े 15.41 लाख ग्राहक, प्राइवेट बॉन्ड्स में करेगा निवेश

महाराष्ट्र के पुणे में ईपीएफओ दफ्तर के बाहर लगी पेंशनभोगियों की भारी भीड़। (एक्सप्रेस आर्काइव फोटोः अतुल हराइजन)

सेवानिवृत्ति कोष का प्रबंधन करने वाले कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) में सितंबर 2021 में 15.41 लाख नए ग्राहक जुड़े, जो महामारी की दूसरी लहर के बाद शुद्ध पेरोल में वृद्धि की प्रवृत्ति को दर्शाता है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने शनिवार को एक बयान में कहा, ‘‘आज जारी ईपीएफओ के अस्थायी पेरोल आंकड़ों से पता चलता है कि ईपीएफओ ने 2021 के सितंबर महीने में लगभग 15.41 लाख शुद्ध ग्राहक जोड़े हैं।’’

सितंबर महीने में जुड़ने वाले नए ग्राहकों की संख्या में अगस्त की तुलना में 1.81 लाख (या 13 प्रतिशत से अधिक) की वृद्धि हुई है। अगस्त में यह संख्या 13.60 लाख थी। यह आंकड़ा चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में शुद्ध पेरोल में बढ़ती प्रवृत्ति को दर्शाता है।

इसी बीच, ईपीएफओ के केंद्रीय न्यासी बोर्ड ने शनिवार को सरकार के उस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी, जिसमें सेवानिवृत्ति कोष निकाय वैकल्पिक निवेश को अपनी वार्षिक जमा राशि का पांच प्रतिशत तक वैकल्पिक निवेश कोषों में निवेश करने की अनुमति दी गई थी। इसमें बुनियादी ढांचा निवेश ट्रस्ट (InvITs) शामिल हैं। वैसे, यह मामला-दर-मामला आधार पर और वित्त निवेश और लेखा परीक्षा समिति के अनुमोदन पर होगा।

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सेवानिवृत्ति कोष निकाय ने शनिवार को कहा कि उसने इनविट जैसे नए परिसंपत्ति वर्ग में निवेश पर निर्णय लेने के लिए अपने सलाहकार निकाय वित्तीय निवेश एवं लेखा समिति (एफआईएसी) को सक्षम बनाया है। इस समय वैकल्पिक निवेश भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) और पावर ग्रिड कॉरपोरेशन (पीजीसीआईएल) ने सार्वजनिक क्षेत्र के अवसंरचना निवेश ट्रस्ट (इनविट) की पेशकश की है। ईपीएफओ सार्वजनिक क्षेत्र के बॉन्ड में भी निवेश करेगा।

केंद्रीय श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव की अध्यक्षता में ईपीएफओ की निर्णय लेने वाली शीर्ष संस्था- सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज (सीबीटी) की 229वीं बैठक में यह निर्णय लिया गया। बैठक के बाद यादव ने यह पूछने पर कि क्या ईपीएफओ निजी क्षेत्र के इनविट में निवेश करेगा, संवाददाताओं से कहा, ‘‘इस समय हमने सिर्फ नए सरकारी इंस्ट्रूमेंट (बॉन्ड और इनविट) में निवेश करने का फैसला किया है। इसके लिए कोई प्रतिशत नहीं है। यह एफआईएसी द्वारा प्रत्येक मामले के आधार पर तय किया जाएगा।’’

एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि बोर्ड ने एफआईएसी को प्रत्येक मामले के आधार पर निवेश विकल्पों पर निर्णय लेने के लिए सशक्त बनाने का निर्णय लिया। फैसले के बारे में समझाते हुए श्रम सचिव सुनील बर्थवाल ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘अगर हम उच्च ब्याज दर देना चाहते हैं, तो हमें वित्त मंत्रालय के दिशानिर्देशों का पालन करना होगा। कुछ इंस्ट्रूमेंट (नियमों में निर्धारित) हैं, जहां हम विभिन्न कारणों से वैकल्पिक निवेश निवेश करने में सक्षम नहीं थे। अब हम उन इंस्ट्रूमेंट में निवेश कर सकेंगे।’’ सरकार ने हाल में पेंशन फंड के लिए निवेश के साधनों में इनविट जैसे नए इंस्ट्रूमेंट जोड़े हैं।

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सेबी ने एआईएफ, वीसीएफ के विदेशी निवेश के लिए जारी किए नए दिशा-निर्देश

सेबी ने एआईएफ, वीसीएफ के विदेशी निवेश के लिए जारी किए नए दिशा-निर्देश

विदेशी निवेश के लिए कंपनी के भारतीय संपर्क की जरूरत खत्म

नई दिल्ली, 18 अगस्त (हि.स)। निवेश को बढ़ावा देने के लिए भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। बाजार नियामक सेबी वैकल्पिक निवेश ने विदेशी निवेश के लिए कंपनी के भारतीय संपर्क की जरूरत को खत्म कर दिया है।

सेबी ने गुरुवार को एक परिपत्र जारी करके वैकल्पिक निवेश कोषों (एआईएफ) और उद्यम पूंजी कोषों (वीसीएफ) के लिए विदेश में निवेश संबंधी नए दिशा-निर्देश जारी किये हैं। बाजार नियामक सेबी ने विदेशी निवेश के लिए कंपनी के भारतीय संपर्क की जरूरत को खत्म कर दिया है। इन दिशा-निर्देशों के तहत विदेश में निवेश करने वाली फर्म के लिए भारतीय संबंध की जरूरत नहीं होगी। नए निर्देशों के मुताबिक एआईएफ भारत के बाहर गठित कंपनियों की प्रतिभूतियों में निवेश कर सकते हैं।

इसके अलावा सेबी ने वीसीएफ को कुछ शर्तों के तहत विदेश में उद्यम पूंजी उपक्रम में निवेश करने की अनुमति दी है। इससे पहले इस तरह के विदेशी निवेश की अनुमति सिर्फ उन्हीं कंपनियों को दी गई थी, जिनका भारतीय संबंध था। इसमें यदि कंपनी का विदेश में कार्यालय है, तो भारत में भी कामकाज में समर्थन देने के लिए उसका दफ्तर होना जरूरी था।

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पीएमइंडिया

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने स्टार्टप्स के लिए निधि स्थापित करने को मंजूरी दी

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने स्टार्टप्स के लिए निधि स्थापित करने के लिए निम्नलिखित प्रस्तावों को अनुमति प्रदान कर दी है। इसे पिछले साल जून में 1,000 करोड़ रुपये के साथ स्थापित किया गया था।

गजट अधिसूचना जी एस आर 180 17-02-2016 के मुताबिक स्टार्टप्स निधि द्वारा सहायता प्राप्त वैकल्पिक निवेश निधि(एआईएफ) को कम से कम दो बार निवेश किया जा सकेगा। अगर स्टार्ट-अप समाप्त होने से पहले पूरी तरह से स्टार्ट-अप के लिए प्रतिबद्ध राशि को जारी नहीं किया गया है तो शेष राशि उसके बाद जारी रह सकती है।
यह भी निर्णय लिया गया कि एआईएफ और बकाया के लिए किए गए प्रतिबद्धताओं के 0.50% की सीमा तक एफईएस से ली जाएगी जिससे वेंचर कैपिटल इनवेस्टमेंट कमेटी की बैठक का आयोजन, कानूनी और तकनीकी मूल्यांकन के लिए परिचालन व्यय आदि की पूर्ति होगी। प्रत्येक आधे वर्ष की शुरुआत में (एक अप्रैल और एक अक्टूबर को) इसे फंड में निकासी की जाएगी।

पृष्टभूमिः

केंद्रीय कैबिननेट की 22-06-2016 को हुई बैठक में स्टार्टअप्स के लिए निधि स्थापित करने का फैसला लिया था जिसके लिए 10000 करोड़ रुपये की धनराशि निर्धारित की गई थी। यह योगदान 14वें और 15वें वित्त आयोग के धनराशि की चक्रीय उपलब्धता और कार्यान्वयन की प्रगति के लिहाज से किया गया था। बैठक में एफएफएस वैकल्पिक निवेश निधि(एआईएफ) के लिए धन प्रदान करने का फैसला लिया गया।

एफएफएस का प्रबंधन भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक(सिडबी) की देखरेख में होता है। सेबी में पंजीकृत वैकल्पिक निवेश निधि(एआईएफ) में एफएफएस योगदान करता है। यह योगदान अधिकतम 35 प्रतिशत से अधिक तक हो सकता है।

उसी बैठक में कैबिनेट ने फैसला किया कि एआईएफ द्वारा जुटाया गया फंड पूरे स्टार्टप्स में निवेश किया जाएगा। विभिन्न हितधारकों के साथ अपनी बातचीत के दौरान यह विभाग को सूचित किया गया है कि एआईएफ में निवेशकों को प्राथमिकता दी जाएगी जिससे एआईएफ का पोर्टफोलियो निवेश के जोखिम को उचित रूप से प्रबंधित करने के लिए पर्याप्त रूप से विविध है और अगर एआईएफ के संपूर्ण धन को स्टार्ट-अप में निवेश किया जाता है तो यह ऐसे एआईएफ के निवेशकों के लिए अस्वीकार्य जोखिम बना हुआ है।

जिन अन्य मुद्दों को लेकर हितधारकों ने चिंता जाहिर की उनमें एआईएफ द्वारा स्टार्ट-अप के वित्तपोषण की प्रक्रिया लंबे समय से तैयार की गई है जो एआईएफ द्वारा शुरूआती प्रतिबद्धता से शुरू होती है और फिर वैकल्पिक निवेश फंड्स में फंड जारी करता है, शामिल है। इस प्रकार यह संभव है कि अंतिम किस्त के जारी किए जाने से पहले स्टार्ट-अप का कारोबार 25 करोड़ रुपये हो लेकिन इसकी अभी भी अपनी विकास आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए धन की आवश्यकता है। इसके अलावा, स्टार्ट अप को अपने जीवन चक्र के विभिन्न चरणों के माध्यम से धन जुटाने की आवश्यकता होती है, अर्थात प्रारंभिक चरण, बीज स्तर और विकास मंच पर।

सिडबी द्वारा विभाग को भी बताया गया कि वर्तमान प्रावधान एआईएफ को स्वीकृति के बाद की गई गतिविधियों के लिए सिडबी को मुआवजा देने के लिए अधिकार प्रदान नहीं करते हैं।

ईपीएफओ इनविट्स और वैकल्पिक फंड्स में भी कर सकेगा निवेश, बोर्ड ने दी मंजूरी

नई दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के द्वारा निवेश की जाने वाली रकम के लिये विकल्पों की संख्या और बढ़ गयी है। आज सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की बैठक में निवेश से जुड़े अहम फैसले लिये गये, जिसमें ईपीएफओ को पब्लिक सेक्टर के बुनियादी ढांचा निवेश ट्रस्ट यानि इनविट्स सहित वैकल्पिक फंड्स में निवेश की अनुमति दी गयी है। इसके अलावा बोर्ड ने 4 उप समिति के गठन को भी मंजूरी दे दी है जो सामाजिक सुरक्षा से जुड़े मुद्दे देखेगी। बोर्ड की आज की बैठक 7 महीने बाद हुई है। बोर्ड के द्वारा लिये गये फैसलों के मुताबिक वैकल्पिक फंड्स जिसमें इनविट्स भी शामिल है, में ईपीएफओ अपने सालाना जमा का 5 प्रतिशत तक निवेश कर सकता है।

हालांकि सीमा के अंदर भी कितना निवेश होगा ये हर मामले में अलग अलग होगा और इसका फैसला वित्त निवेश और लेखा परीक्षा समिति द्वारा किया जायेगा। बोर्ड के इस फैसले के बाद ईपीएफओ को निवेश के लिये नये विकल्प मिलेंगे। दरअसल सरकार ने अल्टरेनिटिव इनवेस्टमेंट फंड्स में निवेश को इसी साल मंजूरी दी है। फैसले के नोटिफिकेशन के बाद बोर्ड की ये पहली बैठक है। माना जा रहा है कि ईपीएफओ के पास जमा बढ़ रही है और लोगों को उनके जमा पर बेहतर रिटर्न देने के लिये सरकार ज्यादा रिटर्न देने वाले निवेश विकल्पों पर ध्यान दे रही है। फिलहाल इपीएफओ जमा का 45-50 प्रतिशत तक सरकारी सिक्योरिटी में 35-45 प्रतिशत तक डेट इंस्ट्रूमेंट्स में, 5 से 15 प्रतिशत तक इक्विटी में और कुछ हिस्सा शॉर्ट टर्म डेट इंस्ट्रूमेंट्स में रखती है। इसके साथ ही अब 5 प्रतिशत हिस्सा अल्टरनेटिव इनवेस्टमेंट फंड्स, रियल एस्टेट इनवेस्टमेंट ट्रस्ट और इनविट्स में निवेश किया जा सकेगा।

अल्टनेटिव इन्वेस्टमेंट फंड्स जिसमें इनविट्स शामिल हैं, म्युचुअल फंड्स की तरह होते हैं। ये फंड्स निवेशकों से धन जुटाकर पहले से तय निवेश नीति के अनुसार निवेश करते हैं। इसमें वेंचर कैपिटल फंड, इंफ्रा फंड, रियल एस्टेट फंड आदि शामिल होंते हैं।

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