शुक्रवार को विदेशी मुद्रा समापन का समय

रुपया 22 पैसे की मजबूती के साथ 79.02 प्रति डॉलर पर बंद
मुंबई, एक अगस्त (भाषा) अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया सोमवार को 22 पैसे की जोरदार बढ़त के साथ 79.02 (अस्थायी) के भाव पर बंद हुआ। निवेशकों के जोखिम लेने की धारणा में सुधार, कच्चे तेल की कीमत में गिरावट और डॉलर में कमजोरी आने के बीच रुपये की विनिमय दर में मजबूती आई।
अंतर-बैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया मजबूती के साथ 79.16 के स्तर पर खुला। शेयर बाजार में बढ़त का रुख रहने और कच्चे तेल में आई नरमी से रुपये को समर्थन मिला।
कारोबार के दौरान एक समय रुपया 79.00 के उच्च स्तर और 79.22 के निचले स्तर पर भी रहा। लेकिन कारोबार के अंत में रुपया 79.02 प्रति डॉलर के अस्थायी भाव पर बंद हुआ।
इस तरह रुपये में पिछले कारोबारी दिवस की तुलना में 22 पैसे की तगड़ी बढ़त दर्ज की गई। शुक्रवार को रुपया 79.24 रुपये प्रति डॉलर के भाव पर बंद हुआ था।
इस बीच दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं के समक्ष डॉलर की मजबूती को आंकने वाला डॉलर सूचकांक 0.52 प्रतिशत गिरकर 105.34 शुक्रवार को विदेशी मुद्रा समापन का समय पर आ गया। इससे वैश्विक बाजार में डॉलर की मजबूती को थोड़ा झटका लगा।
अंतरराष्ट्रीय तेल मानक ब्रेंट क्रूड भी 1.21 प्रतिशत गिरकर 102.71 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर आ गया।
बीएनपी परिबा में शोध विश्लेषक अनुज चौधरी ने कहा कि शुक्रवार को विदेशी मुद्रा समापन का समय निवेशकों के जोखिम लेने की धारणा में सुधार, कच्चे तेल की कीमत में गिरावट और डॉलर में कमजोरी आने के बीच रुपये की विनिमय दर में मजबूती आई।
उन्होंने कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि रुपये में मिला-जुला रुख रहेगा। विदेशी पूंजी की आवक बढ़ने और कच्चे तेल में गिरावट आने से भी रुपये को समर्थन मिलेगा। हालांकि वैश्विक मंदी और मुद्रास्फीति से जुड़ी आशंकाएं इस मजबूती पर लगाम लगा सकती हैं।’
विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) भारतीय बाजार में फिर से पूंजी लगाने लगे हैं। उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी निवेशकों ने शुक्रवार को 1,046.32 करोड़ रुपये मूल्य के शेयरों की खरीद की।
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.
शुक्रवार को विदेशी मुद्रा समापन का समय
-इस हफ्ते विदेशी मुद्रा भंडार में 89.7 करोड़ डॉलर की रही गिरावट
नई दिल्ली, 12 अगस्त (हि.स)। आर्थिक र्मोचे पर सरकार को झटका लगने वाली खबर है। देश का विदेशी मुद्रा भंडार 5 अगस्त को समाप्त हफ्ते में 89.शुक्रवार को विदेशी मुद्रा समापन का समय शुक्रवार को विदेशी मुद्रा समापन का समय 7 करोड़ डॉलर घटकर 572.978 अरब डॉलर रह गया। इससे पहले 29 जुलाई को समाप्त हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार 2.315 अरब डॉलर बढ़कर 573.875 अरब डॉलर रहा था। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने शुक्रवार को जारी आंकड़ों में यह जानकारी दी।
आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक 5 अगस्त को समाप्त हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार में 89.7 करोड़ डॉलर की गिरावट का मुख्य कारण विदेशी मुद्रा आस्तियों (एफसीए) का घटना है, जो कुल मुद्रा भंडार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। आंकड़ों के मुताबिक समीक्षाधीन हफ्ते में एफसीए 1.611 अरब डॉलर घटकर 509.646 अरब डॉलर रह गई। हालांकि, इस शुक्रवार को विदेशी मुद्रा समापन का समय दौरान स्वर्ण भंडार का मूल्य 67.1 करोड़ डॉलर बढ़कर 40.313 अरब डॉलर हो गया।
रिजर्व बैंक के मुताबिक समीक्षाधीन हफ्ते में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पास जमा विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 4.6 करोड़ डॉलर बढ़कर 18.031 अरब डॉलर हो गया जबकि आईएमएफ में रखे देश का मुद्रा भंडार 30 लाख डॉलर घटकर 4.987 अरब डॉलर रह गया। दरअसल, डॉलर में अभिव्यक्त विदेशी मुद्रा भंडार में रखे जाने वाली विदेशी मुद्रा आस्तियों में यूरो, पौंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं के मूल्यवृद्धि अथवा मूल्यह्रास के प्रभावों को शामिल किया जाता है।
हिन्दुस्थान समाचार/प्रजेश शंकर
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श्रीलंका पर टूटा आर्थिक संकट का पहाड़, देश का हाल बद से बदतर, मदद की लगाई गुहार
श्रीलंका, दुनिया। किसी भी देश को चलाने के लिए उसका आर्थिक रूप से मजबूत होना बहुत जरूरी होता है और देश को मजबूत बनाने के लिए किसी भी देश के लिए विदेशी मुद्रा (Foreign Currency) का बहुत बड़ा योगदान होता है और विदेशी मुद्रा के लिए किसी भी देश को अन्य देशों पर निर्भर रहना पड़ता है, लेकिन यदि कोई देश आर्थिक रूप से मदद करना बंद कर दें या अपने द्वारा दी गई विदेशी मुद्रा वापस ले ले तो वह देश गंभीर विदेशी मुद्रा संकट का शिकार हो जाएगा और इन दिनों ऐसी ही परिस्थितयों से गुजर रहा है 'श्रीलंका'। जी हां, इन दिनों श्रीलंका में आर्थिक शुक्रवार को विदेशी मुद्रा समापन का समय संकट के बादल बुरी तरह छाए हुए हैं।
क्या है मामला ?
दरअसल, वर्तमान समय में श्रीलंका गंभीर विदेशी मुद्रा संकट से गुजर रहा है। क्योंकि, चीन ने अचानक अपने द्वारा दी गई संपूर्ण विदेशी मुद्रा वापस ले ली है। जिसके बाद यह कहना शुक्रवार को विदेशी मुद्रा समापन का समय गलत नहीं होगा कि, श्रीलंका इन दिनों सड़क पर आ गया है। इसी कारण यहाँ बहुत ही तेजी से महंगाई आसमान छूती नजर आने लगी है। चीज़ों की कीमतें अचानक की बहुत ज्यादा बढ़ रही है। जिससे देश की आर्थिक हालत और भी खराब होती जा रही है। इसकी एक मुख्य वजह यह भी है कि, बीते दो सालों से श्रीलंका का सेंट्रल बैंक 'लचीली नीति' के तहत नोटों की छपाई कर रहा है। इन सब के चलते ही अब देश का हाल बद से बदतर होता जा रहा है। लोग सड़कों पर आकर हिंसाक प्रदर्शन कर रहे हैं।
भारत से लगाई मदद की गुहार :
बताते चलें, इन दिनों श्रीलंका पर छाए आर्थिक संकट के चलते उसे भारत से मदद की गुहार लगानी पड़ रही है। इस मामले में मदद मांगते हुए श्रीलंका में विपक्ष के नेता साजिथ प्रेमदासा (Sajith Premadasa) ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) से आग्रह किया है कि, 'संकट के इस समय में श्रीलंका का साथ दें। कृपया कोशिश करें और श्रीलंका की यथासंभव मदद करें। यह हमारी मातृभूमि है, हमें अपनी मातृभूमि को बचाने की जरूरत है।'
वाणिज्य दूतावास किये बंद :
इस गंभीर आर्थिक संकट के चलते श्रीलंका को बड़े बड़े फैसले लेने पर मजबूर होना पड़ रहा है। इस फैसले के तहत श्रीलंका ने दो देशों नॉर्वे और इराक में अपने दूतावास बंद करने का फैसला लिया है। इसके अलावा 30 अप्रैल से श्रीलंका ने ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में वाणिज्य दूतावास को बंद करने जैसा कदम उठाया है। हालांकि, फिलहाल इन्हें अस्थाई रूप से बंद किया गया है। लगातार हो रहे इस प्रदर्शन को लेकर शेफ्स गिल्ड ऑफ श्रीलंका के चेयरमैन ने कहा कि, 'हम यहां पर्यटन उद्योग में कई हितधारकों का प्रतिनिधित्व करने के लिए हैं जो प्रभावित हुए हैं। हमें देश में पर्यटन उद्योग को बचाने की जरूरत है।'
भारत आया मदद के लिए आगे :
श्रीलंका में इन दिनों बने हालत के चलते महंगाई बहुत तेजी से बढ़ गई है। लोगों का जीवन जीना मुश्किल सा होता नजर आरहा है। देश की जनता में सरकार के प्रति गुस्सा और आक्रोश साफ़ तौर पर देखने को मिल रहा है। इसी का नतीजा है कि, लोग जगह-जगह हिंसक प्रदर्शन कर रहे हैं। जगह-जगह आगजनी कर रहे हैं। इतना ही नहीं गुस्साए मंत्रिमंडल के 26 सदस्यों ने तो अपने पद से इस्तीफा तक दे दिया है। हालांकि, भारत ने एक बार फिर इस संकट काल में श्रीलंका की मदद के लिए आगे आया है। बिगड़ती अर्थव्यवस्था के बीच श्रीलंका की मदद के लिए पुराना दोस्त भारत आगे आया है। भारत ने श्रीलंका को न सिर्फ डीजल और अन्य पेट्रोलियम पदार्थ उपलब्ध कराए, बल्कि चावल और अन्य खाद्य सामग्री भी भेज कर देश की मदद की है। इतना ही नहीं श्रीलंका को दो चरणों में एक अरब डॉलर और 1.5 अरब डॉलर देकर आर्थिक तौर पर मदद की है।
राष्ट्रपति के इस्तीफे की मांग :
जारी आर्थिक संकट के बीच राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के खिलाफ लोगों का विरोध प्रदर्शन इस कदर बढ़ता नजर जा रहा है कि, स्थानीय लोगों ने श्रीलंका सरकार के खिलाफ इंडिपेंडेंस स्क्वायर पर विरोध किया साथ ही इन प्रदर्शनकारीयों ने राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफे की मांग कर कर डाली है। जगह-जगह कर्फ्यू लगा दिया शुक्रवार को विदेशी मुद्रा समापन का समय गया है, इसके बाद भी कोलंबो में व्यापक स्तर पर प्रदर्शन जारी हैं। इस बारे में श्रीलंका के संसद में नेता विपक्ष सजिथ प्रेमदासा ने बताया कि, 'श्रीलंका के दो मुख्य विपक्षी दलों, एसजेबी और जेवीपी ने राष्ट्रपति के सर्वदलीय अंतरिम सरकार बनाने के अनुरोध को खारिज कर दिया। इनकी मांग थी कि राष्ट्रपति को इस्तीफा दे देना चाहिए। '
इस हाल में कैसे पंहुचा 'श्रीलंका' ?
सभी देशों की तरह ही श्रीलंका के लोगों के लिए भी टूरिज्म आय का बड़ा जरिया है। ऐसा इसलिए शुक्रवार को विदेशी मुद्रा समापन का समय क्योंकि, यहां के लगभग 5 लाख श्रीलंकाई लोग टूरिज्म पर ही निर्भर हैं। इतना ही नहीं 20 लाख अप्रत्यक्ष रूप से इससे जुड़े हैं। टूरिज्म का श्रीलंका की GDP में योगदान देखा जाए तो 10% से ज्यादा है। इतना ही नहीं श्रीलंका को टूरिज्म से सालाना करीब 5 अरब डॉलर (करीब 37 हजार करोड़ रुपए) फॉरेन करेंसी मिलती है। श्रीलंका के लिए टूरिज्म को फॉरेन करेंसी का तीसरा बड़ा सोर्स माना जाता है। अब कोरोना के चलते तीसरा साधन काफी समय तक ठप रहा। इसके अलावा ज्यादा सरकारी खर्च और टैक्स कटौती के चलते रेवेन्यू में भी कमी आई है। इन सब कारणों के चलते ही आज श्रीलंका इन हालातों से गुजर रहा है।
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शुक्रवार को विदेशी मुद्रा समापन का समय
7-8 साल पहले जीडीपी का आकार 1.1 लाख करोड़ था, अब यह 2.32 लाख करोड़ रुपए है : निर्मला सीतारमण
सीतारमण ने राज्यसभा में अपने समापन संबोधन में आगे कहा कि 7-8 साल पहले देश में एफडीआई प्रवाह 36 अरब अमेरिकी डॉलर था, अब यह 80 अरब अमेरिकी डॉलर है।
नई दिल्ली। संसद के बजट सत्र की समाप्ति पर आज शुक्रवार 11 फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में अपना समापन संबोधन दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि 7-8 साल पहले जीडीपी का आकार 1.1 लाख करोड़ रुपए था। अब यह 2.32 लाख करोड़ रुपए है। 2013-14 में निर्यात 2.85 लाख करोड़ रुपए था, आज यह 4.7 लाख करोड़ रुपए है। 2013-14 में विदेशी मुद्रा 275 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी, अब यह 630 बिलियन अमेरिकी डॉलर है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में अपने समापन संबोधन में आगे कहा कि 7-8 साल पहले देश में एफडीआई प्रवाह 36 अरब अमेरिकी डॉलर था, अब यह 80 अरब अमेरिकी डॉलर है।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में अपने समापन संबोधन में कहा कि उस समय (बीजेपी से पहले UPA सरकार में) में केवल 2.12 लाख करोड़ रुपए की कमी के कारण सीपीआई मुद्रास्फीति 9.1% थी। वैश्विक वित्तीय संकट ने हम पर प्रहार किया। फिर कोरोना महामारी ने हमपे प्रहार किया। लेकिन इस बार जब महामारी ने हम पर प्रहार किया, तो सकल घरेलू उत्पाद का नुकसान 9.57% था और मुद्रास्फीति का हमारा प्रबंधन ऐसा था कि यह केवल 6.2% था।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज अपनी सरकार के बजट से संबंधित प्रश्नों के उत्तर में कहा कि भारत की कृषि में सुधार और आधुनिकीकरण के लिए एक उपकरण के रूप में या एक बहुत ही प्रभावी उपकरण के रूप में ड्रोन लाना। जब आप ड्रोन लाते हैं, तो उसके कई रूपांतर होते हैं। ड्रोन लाकर, हम उर्वरकों, कीटनाशकों के उपयोग में दक्षता लाने में सक्षम हैं और फसल घनत्व का एक अच्छा प्रौद्योगिकी-संचालित मूल्यांकन भी कर सकते हैं और संभवतः उत्पादन के आकार की भविष्यवाणी भी कर सकते हैं।
राज्यसभा में एफएम निर्मला सीतारमण ने आगे कहा कि आने वाले 25 साल भारत के लिए अहम होने वाले हैं। कोई आश्चर्य नहीं कि हम इसे अमृत काल कह रहे हैं। यदि हमारे पास 100 पर भारत के लिए कोई विजन नहीं है, तो हम पहले 70 वर्षों की तरह ही भुगतेंगे, जब 65 वर्ष कांग्रेस के साथ थे, जिसमें एक परिवार को समर्थन, निर्माण और लाभ के अलावा कोई दृष्टि नहीं थी।
उन्होंने आगे कहा कि विकास प्राप्त करने के लिए, हम एक आधुनिक भारत के लिए बुनियादी ढांचे के निर्माण में सार्वजनिक व्यय करना चाहते थे। हमने आगामी 25 वर्षों में निर्मित होने वाले बुनियादी ढांचे के सहकार्यात्मक परिणाम को अधिकतम करने के बारे में सोचा।
राज्यसभा में एफएम निर्मला सीतारमण ने विपक्षी कांग्रेस सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि मनरेगा उनकी (कांग्रेस) की वजह से एक अधिनियम था, लेकिन मनरेगा का दुरुपयोग भी उनके कारण हुआ; यह भूत खातों (फेक अकाउंट) से प्रभावित था। मनरेगा के दुरुपयोग का पूरा श्रेय ले लो। हम इस योजना का पारदर्शी और सही तरीके से उपयोग करते हैं। ज्ञात हो कि एफएम निर्मला सीतारमण से पूर्व भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संसद के संबोधन में कांग्रेस पार्टी पर हमला किया था।
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