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राशि जमा कराओ

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बिजली के बिलों में समायोजित होगी बिल भुगतान प्रोत्साहन योजना की राशि

बिजली निगमों में टेक्निकल हैल्पर पद के लिए पंजीकरण की समय सीमा बढ़ाई

जयपुर डिस्कॉम में दस को अनुकम्पा नियुक्ति, एक माह में कार्यग्रहण के निर्देश

आईटीआई तकनीकी कर्मचारियों को स्केल-3 पर सैद्धान्तिक सहमति

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सथूर, दबलाना एवं अलोद के लोगों की समस्याओं का होगा समाधान : बहेड़िया

बकाया राशि एकमुश्त जमा कराओ और ब्याज व पेनल्टी में 100 प्रतिशत छूट पाओ

जयपुर डिस्कॉम ने वीसीआर निस्तारण विशेष योजना की अवधि एक माह बढ़ाई

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सोमवार को नही होगी बिजली उपभोक्ताओं की सुनवाई

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राशि जमा कराओ

भोपाल
प्रदेश के कई जिलों में गैर सरकारी व्यक्तियों द्वारा खनिज परिवहन करने वाले वाहनों की जांच करने और उन्हें धमकाने का काम किया जा रहा है। खनिज साधन विभाग ने इस स्थिति पर रोक लगाने के लिए कलेक्टरों को चिट्ठी लिखी है और कहा है कि यह काम सरकारी सेवकों से ही कराया जाए। इतना ही नहीं कई जिलों में निर्माण विभागों द्वारा ठेकेदारों से गौण खनिज की रायल्टी का पैसा वसूलकर अपने खाते में जमा करा लिया गया है। राशि जमा कराओ यह स्थिति ठीक नहीं है। ऐसे विभागों को निर्देश दें कि माइनिंग का पैसा माइनिंग विभाग के हेड में जमा करने का काम करें।

खनिज साधन विभाग ने कलेक्टरों व पुलिस अधीक्षकों को लिखे पत्र में कहा है कि रेत खनिज के अवैध उत्खनन, परिवहन व भंडारण के मामले में सख्त कार्यवाही के निर्देश सीएम शिवराज सिंह चौहान द्वारा कलेक्टर-कमिश्नर कांफ्रेंस में दिए गए हैं। इसके लिए जिलों में खनिज परिवहन करने वाले वाहनों की जांच की जा रही है पर कई जिलों में यह शिकायत आई है कि अनधिकृत व्यक्तियों का उपयोग जांच केंद्रों में किया जा रहा है। यह बात भी सामने आई है कि ऐसे अनधिकृत लोगों द्वारा वैधानिक परिवहन कर्ता को परेशान किया जा रहा है। इसलिए जांच कार्य में अशासकीय लोगों की तैनाती न की जाए और सिर्फ शासकीय अधिकारी कर्मचारी ही जांच के लिए तैनात किए जाएं। जो परिवहनकर्ता वैधानिक परिवहन कर रहे हैं, उन्हें अनावश्यक परेशान नहीं किया जाए।

एक अन्य पत्र कलेक्टरों को निर्माण विभागों से निर्माण कार्यों में उपयोग किए जाने वाले गौण खनिज की रायल्टी राशि वसूली को लेकर भी भेजा गया है। इसमें कहा गया है कि जिलों में गौण खनिज का उपयोग बहुतायत में होता है। ठेकेदारों तथा विभागों द्वारा उपयोग किए गए गौण खनिज की रायल्टी की राशि का भुगतान करने के लिए राज्य शासन ने निर्देश जारी कर रखे हैं। शासन के राशि जमा कराओ संज्ञान में यह बात आई है कि ठेकेदारोंं के देयक से रायल्टी की राशि कटौती करके रख ली जाती है। यह राशि खनिज विभाग के खाते में जमा नहीं कराई जाती है। इसलिए कलेक्टर अपने जिलों में यह व्यवस्था तय करें कि गौण खनिज कटौती के मिलने वाली रायल्टी की रपाशि माइनिंग शीर्ष में जमा हो ताकि चालू वित्त वर्ष के पहले विभाग को साफ हो सके कि खनिज महकमे का राजस्व कितना बढ़ा है।

अस्पतालों से कहा, जुर्माने की कुछ रकम जमा कराओ फिर होगी सुनवाई

आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से ताल्लुक रखने वाले मरीजों को आरक्षित कोटे के तहत इलाज मुहैया कराने में नाकामी के लिए करोड़ों के जुर्माने से शहर के चार .

प्रस, नई दिल्ली : आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग से ताल्लुक रखने वाले मरीजों को आरक्षित कोटे के तहत इलाज मुहैया कराने में नाकामी के लिए करोड़ों के जुर्माने से शहर के चार बड़े अस्पतालों को हाई कोर्ट ने फिलहाल राहत नहीं दी। कोर्ट ने उनकी याचिका पर सुनवाई के लिए शर्त रखी कि वे पहले 1 से राशि जमा कराओ 5 करोड़ रुपये जुर्माने की रकम के तौर पर हाईकोर्ट रजिस्ट्री के पास जमा करवाएं। हालांकि जुर्माने की रकम वसूले जाने के लिए फिलहाल इन अस्पतालों के लिए खिलाफ कड़ी कार्रवाई पर रोक लगा दी गई है।

जस्टिस विभू बाखरू की बेंच ने धर्मशिला हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर और देवकी देवी फाउंडेशन को 2-2 करोड़, एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टिट्यूट एंड रिसर्च सेंटर लिमिटेड को 5 करोड़ और पुष्पावती सिंघानिया रिसर्च इंस्टिट्यूट फॉर लिवर, रीनल एंड डाइजेस्टिव डिजिज को 1 करोड़ रुपये जमा कराने का आदेश दिया। इन चारों ने ईडब्ल्यूएस मरीजों को रिजर्व कोटे के तहत मुफ्त इलाज मुहैया कराने में नाकामी के लिए लगाए गए करोड़ों के जुर्माने के खिलाफ हाई कोर्ट का रुख किया है। हाई कोर्ट ने साल 2007 में सोशल ज्यूरिस्ट नाम की एनजीओ की याचिका पर फैसला सुनाते हुए इस संबंध में एक स्पेशल कमिटी का गठन किया था, जिसने पाया कि ये चारों अस्पताल इस कोटे के तहत एलिजिबल मरीजों को पूरी तरह मुफ्त में इलाज मुहैया नहीं करा रहे हैं। इसके लिए उन्होंने अस्पतालों पर करोड़ों रुपये का जुर्माना लगाया, जिसे इन अस्पतालों ने हाई कोर्ट में चुनौती दी है। लेकिन हाई कोर्ट ने इन सभी अस्पतालों से कहा कि अगर वे चाहते है कि कोर्ट उनकी याचिका को सुने तो पहले उन्हें जुर्माने की कुल राशि की 10 फीसदी यहां जमा करानी होगी। ये मामला साल 2002 से हाई कोर्ट में चल रहा है।

दूसरे दिन भी हुई शिक्षकों की सुनवाई, 40 लाख जमा करेंगे

गुना। सहरिया मातृ प्रोत्साहन योजना में घोटाले को लेकर एडीएम नियाज अहमद खाँन ने शिक्षकों की सुनवाई आज दूसरे दिन भी की। दो दिन में 284 शिक्षकों की सुनवाई पूरी हो चुकी है जिसमें 40 लाख की राशि जमा कराने की बात शिक्षकों ने कही है। इसके लिए शिक्षकों से शपथ पत्र लिए गए है। दो दिन की सुनवाई में शिक्षकों की बात पर यकीन करें तो उनके हिस्से में काफी कम राशि आई है पर भुगतान उन्हे ही पड़ रहा है। कई शिक्षकों ने एडीएम के समक्ष कसम खाई की वह अब कभी बेईमानी नहीं करेंगे।

अधिकारियों से मांगेंगे राशि
सुनवाई के दौरान शिक्षकों ने बताया कि वह घोटाले की पाई-पाई जमा करेंगे। चूंकि सारी मिल बांटकर डकारी गई है, इसलिए अधिकारियों के पास भी मंागने जाएंगे। दरअसल मामले में राशि जमा कराओ एडीएम ने जिम्मेदारी शिक्षकों की मानी है और उनसे पैसा जमा कराने को कहा है, अन्यथा कार्रवाई की चेतावनी दी है। शिक्षकों की सुनवाई एडीएम के अलावा आदिम जाति कल्याण विभाग के अधिकारियो ने भी की। पहले दिन शिक्षकों ने २५ लाख जमा कराने को कहा था, दूसरे दिन १५ लाख रुपए जमा कराने की मोहलत शिक्षकों ने मांगी है।

४० लाख का माना था गबन
योजना के तहत सहरिया माताओं को तीन करोड़ राशि बांटनी थी। इसमें से ६७ लाख राशि जमा कराओ रुपए राशि छात्राओं की माता की जगह पिता को दे दी और कई मामलों में राशि भील, भिलाला जाति के लोगों को भी दे दी गई। जांच के दौरान हितग्राहियों के खाता नंबर मंगाकर भी राशि का मिलान किया गया है। इसमें चेक द्वारा वितरण सही पाया गया है। इस राशि में से ४० लाख रुपए नकद बांट दिए, जिसे प्रशासन ने गबन माना है। इसी राशि की वसूली की जा रही है। एडीएम खान ने बताया कि एक सप्ताह में अगर राशि जमा नहीं की गई तो जांच प्रतिवेदन भेज दिया जाएगा। इसके बाद वसूली और अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

हमें कुछ नहीं मिला और फंस गए
दूसरे दिन भी कहीं शिक्षकों ने कहा कि उन्हे कुछ मिला नहीं और फंस गए है। एक शिक्षक ने कहा कि ३० प्रतिशत राशि बांटी थ, ७० प्रतिशत सीएसी, बीएसी और हम सबने मिलकर बांट ली, लेकिन उन्हे बहुत कम राशि मिली। अब पूरी राशि भी उन्हे ही चुकाना होगी। एक अन्य शिक्षक नेबताया कि ६६ हजार रुपए राशि बांटने के लिए आई थी, मैं १५ हजार रुपए ही बांट सका। सीएसी और बीएसी ने कमीशन के नाम पर पूरी राशि ले ली उन्हे सिर्फ 200 रुपए ही मिले।

हितग्राही को लेकर आए शिक्षक
दूसरे दिन कई शिक्षक हितग्राहियों को भी अपने साथ लेकर आए थे। उनका कहना था कि नगद ही सही, किन्तु हितग्राहियों को राशि वितरीत की गई है, किन्तु एडीएम ने शिक्षकों के इस तर्के के नकार दिया। उन्होने कहा कि राशि चेक से वितरित होना थी, नगद बांटना ही गबन है। अगर हितग्राही को भी दी है तो उससे भी लेकर जमा कराओ। अन्यथा कार्रवाई की जाएगी।

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