शेयर बाजार में लाभ के टोटके

बाजार तरलता क्या है

बाजार तरलता क्या है
Key Points

अंतर्राष्ट्रीय तरलता क्या है?

इसे सुनेंरोकेंअंतर्राष्ट्रीय तरलता का महत्व उन साधनों को प्रदान करने में निहित है जिनके द्वारा अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में भाग लेने वाले विभिन्न देशों के बीओपी में असमानता का निपटान हो जाता है, इस प्रकार, यह अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के सुगम प्रवाह में भुगतान के अंतर्राष्ट्रीय साधनों की उपलब्धता को सुगम बनाने में मदद करता है।

अन्तर्राष्ट्रीय तरलता की समस्या का मूल कारण क्या है?

इसे सुनेंरोकेंAnswer: वैश्विक मंदी के दबाव में भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट और रिजर्व बैंक के द्वारा नकद आरक्षित अनुपात में 1 प्रतिशत की कमी करने के बाद वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि बाजार में गिरावट का मुख्य कारण तरलता की कमी है। उन्होंने वादा किया कि इसकी कमी बाजार को नहीं होने दी जाएगी।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का प्रमुख उद्देश्य क्या है?

इसे सुनेंरोकेंअंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय वित्तीय एवं मौद्रिक स्थिरता को बनाये रखने के उपाय करना तथा अंतरराष्ट्रीय व्यापार के विस्तार एवं पुनरुत्थान हेतु वित्तीय आधार उपलब्ध कराना, आर्थिक प्रगति को बढ़ावा देना, गरीबी कम करना, रोजगार को बढ़ावा देना और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार सुविधाजनक बनाना है।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की स्थापना कब हुई?

जुलाई 1944, ब्रेटन वुड्स, न्यू हैम्पशायर, संयुक्त राज्य अमेरिकाअन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष / स्थापना की तारीख और जगह

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की स्थापना क्यों की गई?

इसे सुनेंरोकेंअंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) एक अंतरसरकारी संगठन है। इसकी स्थापना अंतरराष्ट्रीय व्यापार में विनिमय दर को स्थिर करने के लिए की गई थी। यह सदस्य देशों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में पर्याप्त तरलता के माध्यम से उनके भुगतान संतुलन (बीओपी) में सुधार में सहायता करता है, वैश्विक मौद्रिक सहयोग में बढ़ोतरी को बढ़ावा देता है।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के वर्तमान अध्यक्ष कौन है?

इसे सुनेंरोकेंक्रिस्टालिना जॉर्जिएवा है।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अध्यक्ष कौन है?

इसे सुनेंरोकेंIMF की स्थापना जुलाई 1944 में बाजार तरलता क्या है संयुक्त राज्य अमेरिका के न्यू हैंपशायर में संयुक्त राष्ट्र ब्रेटन वुड्स सम्मेलन में हुई थी। क्रिस्टालिना इवानोवा जॉर्जीवा 2019 से अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक के रूप में सेवारत बुल्गारियाई अर्थशास्त्री हैं।

आईएमएफ का वर्तमान अध्यक्ष कौन है?

भारत अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का सदस्य कब बना?

इसे सुनेंरोकेंआईएमएफ की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, जुलाई 1944 में ब्रेटन वुड्स, न्यू हैम्पशायर, अमेरिका समेत कई देशों ने संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में आईएमएफ बनाने की बात कही थी और 27 दिसंबर, 1945 को भारत समेत 29 देशों ने मिलकर औपचारिक रूप से आईएमएफ का गठन किया था।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के प्रमुख उद्देश्य क्या है?

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष कब स्थापित हुआ?

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बाजार में तरलता बढ़ाने के लिए RBI देगी 12500 करोड़ रुपये

वित्तीय सेक्टर चार महीनों से तरलता संकट से जूझ रहा है, जब इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फायनेंशियल सर्विसिस लिमिटेड (आईएलएंडएफएस) ने अपने भुगतान दायित्यों में दिवालिया बोल दिया.

बाजार में तरलता बढ़ाने के लिए RBI देगी 12500 करोड़ रुपये

Updated on: Mar 06, 2019 | 10:38 AM

पिछले चार महीनों से वित्तीय सेक्टर में तरलता के संकट के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने राहत की ख़बर दी है. नए फ़ैसले के मुताबिक़ आरबीआई बाज़ार में 12,500 करोड़ रुपये देने वाली है.

आरबीआई ने मंगलवार को कहा कि तरलता चिंताओं को दूर करने के लिए मुक्त बाजार संचालन (ओएमओ) के जरिए सात मार्च को 12,500 करोड़ रुपये डालेगी.

आरबीआई ने एक बयान में कहा, “मौजूदा तरलता हालात के आकलन के आधार पर और टिकाऊं तरलता की जरूरतें बढ़ने के कारण रिजर्व बैंक ने मुक्त बाजार संचालन के तहत 125 अरब रुपये राशि की सरकारी प्रतिभूतियों को मल्टी प्राइज मेथड का इस्तेमाल करते हुए मल्टी सिक्युरिटी ऑक्शन के जरिए सात मार्च, 2019 को खरीदने का निर्णय लिया है.”

बयान में कहा गया है, ‘सभी प्रतिभूतियों को एकसाथ रखने के लिए 125 अरब रुपये राशि की एक सकल सीमा निर्धारित है.’

उल्लेखनीय है कि वित्तीय सेक्टर चार महीनों से तरलता संकट से जूझ रहा है, जब इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फायनेंशियल सर्विसिस लिमिटेड (आईएलएंडएफएस) ने अपने भुगतान दायित्वों में दिवालिया बोल दिया.

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा बैंक दर को कम करना _______की ओर जाता है

Key Points

  • बैंक दर
    • ब्याज दर जिस पर एक देश का केंद्रीय बैंक घरेलू बैंकों को पैसा अक्सर बहुत अल्पकालिक ऋण के रूप में उधार देता है।
    • जब कोई बैंक फंड की कमी को झेलता है, तो वह सेवाओं को जारी रखने के लिए RBI से पैसे उधार ले सकता है।
    • जब केंद्रीय बैंक द्वारा बैंक दर में वृद्धि की जाती है, तो एक वाणिज्यिक बैंक की उधार लेने की लागत बढ़ जाती है, जिससे बाजार में पैसे की आपूर्ति कम हो जाती है।
    • पॉलिसी रेपो दर: 5.90%
    • रिवर्स रेपो दर: 3.35%
    • सीमांत स्थायी सुविधा दर: 6.15 %
    • बैंक दर: 5.6 5%
    • सीआरआर: 4 .50%
    • एसएलआर: 18.00%

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    Last updated on Sep 21, 2022

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    Reverse Repo Rate में कटौती से बढ़ेगी बाजार में नकदी की तरलता, यह है RBI का समय पर उठाया गया एक आवश्यक कदम

    Reverse Repo Rate में कटौती से बढ़ेगी बाजार में नकदी की तरलता, यह है RBI का समय पर उठाया गया एक आवश्यक कदम

    नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने शुक्रवार को अपनी प्रेस कांफ्रेंस में कई बड़ी घोषणाएं की है। इसमें रिवर्स रेपो रेट में 0.25 फीसद की कटौती की घोषणा, सिस्टम में एलटीआरओ 2.0 के जरिए 50,000 करोड़ रुपये डालने से शुरुआत करने की घोषणा, बैंक क्रेडिट फ्लो में छूट के लिए नए प्रस्ताव पर विचार करने की घोषणा, एनपीए की 90 दिन की अवधि में मोरेटोरियम की अवधि शामिल नहीं करने की घोषणा, बैंकों का लिक्विडिटी कवरेज रेश्यो (LCR) 100 से घटाकर 80 करने की घोषणा और बैंकों को वित्त वर्ष 2020 के लिए डिवीडेंट का ऐलान नहीं करने देने की घोषणाएं मुख्य हैं।

    आरबीआई ने शुक्रवार को बड़ा फैसला रिवर्स रेपो रेट को लेकर किया है। केंद्रीय बैंक ने रिवर्स रेपो रेट में 25 आधार अंक यानी 0.25 फीसद की कटौती की है। इससे अब यह घटकर 3.75 फीसद पर आ गई है। पहले रिवर्स रेपो रेट चार फीसद थी। आरबीआई की इस घोषणा से बाजार में लिक्विडिटी बढ़ाने में मदद मिलेगी।

    जानिए क्या होता है रिवर्स रेपो

    रिवर्स रपो रेट, रेपो रेट के ठीक उल्टा होता है। यह वह दर होती है, जिस पर बैंकों को उनकी और से आरबीआई में जमा धन पर ब्याज मिलता है। रिवर्स रेपो रेट मार्केट में नकदी की तरलता को कंट्रोल करने में काम आती है। जब भी बाजार में बहुत ज्यादा नकदी होती है, तो भारतीय रिज़र्व बैंक रिवर्स रेपो रेट में बढ़ोत्तरी कर देता है। वहीं, जब बाजार में नकदी की कमी होती है, तो आरबीआई रिवर्स रेपो रेट को घटा देता है। इससे बाजार में लिक्विडिटी बढ़ जाती है।

    रिवर्स रेपो रेट में कटौती का यह होता फायदा

    रिवर्स रेपो रेट घटने से अब बैंकों को आरबीआई में जमा अपने धन पर कम ब्याज प्राप्त होगा। ब्याज में कमी से बचने के लिए बैंक अपनी रकम को आरबीआई से निकाल सकते हैं और बाजार में निवेश कर सकते हैं। इसका सीधा-सीधा अर्थ यह है कि रिवर्स रेपो रेट घटने से बाजार में नकदी की तरलता बढ़ेगी। बाजार में नकदी की कमी को दूर करनें में इससे काफी मदद मिल सकती है। अर्थव्यवस्था में भारी सुस्ती की संभावनों को देखते हुए यह आरबीआई द्वारा समय पर उठाया गया एक आवश्यक कदम है।

    रिजर्व बैंक के तरलता, वृद्धि को समर्थन के उपाय महामारी की दूसरी लहर के बीच बेहद जरूरी : विशेषज्ञ

    नयी दिल्ली, चार जून (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक ने मौद्रिक नीति समीक्षा में तरलता को कायम रखने तथा आर्थिक वृद्धि को समर्थन के लिए ब्याज दरों को निचले स्तर पर बरकरार रखा है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड-19 महामारी के बीच अर्थव्यवस्था के पुनरुद्धार की दृष्टि से ये उपाय बेहद जरूरी है। रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को चालू वित्त वर्ष के लिए अपनी दूसरी मौद्रिक समीक्षा में रेपो दर को चार प्रतिशत पर कायम रखा है। हालांकि, केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए वृद्धि दर के अनुमान को 10.5 से घटाकर 9.5 प्रतिशत कर दिया है।

    रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को चालू वित्त वर्ष के लिए अपनी दूसरी मौद्रिक समीक्षा में रेपो दर को चार प्रतिशत पर कायम रखा है। हालांकि, केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए वृद्धि दर के अनुमान को 10.5 से घटाकर 9.5 प्रतिशत कर दिया है।

    वृहदअर्थव्यवस्था में इक्रियर आरबीआई चेयर प्रोफेसर आलोक शील ने कहा कि रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने नीतिगत दरों को यथावत रखते हुए वित्तीय बाजारों में और तरलता डालने की मंशा जताई है।

    वित्तीय आसूचना कंपनी मूडीज एनालिटिक्स ने कहा कि कोविड-19 महामारी से संबंधित अंकुश धीरे-धीरे हटेंगे। घरेलू मांग में कमी से जून तिमाही से आगे पुनरुद्धार कमजोर होगा।

    इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि एमपीसी का धन वृद्धि में टिकाऊ पुनरुद्धार पर है। नायर ने कहा कि एमपीसी ने चालू वित्त वर्ष में वृद्धि दर 9.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। यह हमारे अनुमान 8-9.5 प्रतिशत के ऊपरी दायरे में है। वैक्सीन की तेजी से उपलब्धता इस अनुमान को हासिल करने की दृष्टि से महत्वपूर्ण होगी।

    एस्सार कैपिटल के वरिष्ठ प्रबंध निदेशक संजय पाल्वे ने कहा कि रिजर्व बैंक के इस कदम से सरकार द्वारा आर्थिक पुनरुद्धार के लिए उठाए गए कदमों को प्रोत्साहन मिलेगा।

    एचडीएफसी बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री अभीक बरुआ ने कहा कि संपर्क-गहन क्षेत्रों को तरलता समर्थन से इन क्षेत्रों को ऋण का प्रवाह बढ़ेगा।

    एमकी ग्लोबल की प्रमुख अर्थशास्त्री माधवी अरोड़ा ने कहा, ‘ हमें दिख रहा है कि आगे रिजर्व बैंक और अधिक उदार तथा सक्रिय रुख अपनाएगा। हमारा अनुमान है कि बांड पर निवेश प्रतिफल धीरे-धीरे और व्यवस्थित तरीके से बढेगा फिर भी रिजर्व बैंक बाजार में प्रतिभूतियों की खरीद फरोख्त (ओएमओ) तथा सरकारी प्रतिभूतियों के नीलमाी कार्यक्रम (जी-सैप) से इस प्रतिफल में असंतुलन को कम कर इसे इसके ग्राफ को सपाट रखने का प्रयास करेगा । उनका अनुमान है कि ओएमओ और जी-सैप से रिजर्व बैक चालू वित्त वर्ष में 4500 से 5000 अरब डालर की प्रतिभूतियों की शुद्ध खरीद कर सकता है।

    मिलवुड केन इंटरनेशलन के संस्थापक सीईओ नीश भट्ट ने उम्मीद जताई कि आरबीआई ‘अभी आने वाले समय में अपनी वर्तमान नीतिगत राह पर ही बना रहेगा।’

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