पूंजी बाजार

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डेयरी फार्मिंग में महिलाओं के लिए देशव्यापी प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रम शुरू
राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने डेयरी फार्मिंग में महिलाओं के लिए देशव्यापी प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण पूंजी बाजार कार्यक्रम शुरू किया है? यह प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करने के लिए, राष्ट्रीय महिला आयोग भा. Read more
PayU भुगतान समाधान प्रदाता ने भारत में व्यापारियों के लिए टोकन भुगतान प्रवाह शुरू करने के लिए ‘गूगल पे’ के साथ सहयोग किया
PayU ने Google पे के साथ मिलकर भारतीय व्यापारियों के लिए टोकन भुगतान सेवा की शुरुआत की है। डिजिटल टोकन के साथ जुड़ी फोन और कार्ड की जानकारी से Google पे उपयोगकर्ता बार-बार सीमलेस और सुरक्षित. Read more
NPCI ने वॉट्सऐप (WhatsApp) को UPI पर लाइव जाने की इजाजत दी
नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने वॉट्सऐप (WhatsApp) को UPI पर लाइव जाने की इजाजत दे दी है। अब दूसरे बैंकिग ऐप के तरह ही वॉट्सऐप पर भी बैंकिंग सर्विस से जुड़े काम किए जा (Whatsapp. Read more
भारत में मुद्रा, बैंकिंग एवं पूंजी बाजार
भारतीय रिजर्व बैंक को 'बैंकों का बैंक' कहा जाता है। भारतीय रिजर्व बैंक भारत का केंद्रीय बैंक है। इसकी स्थापना 1926 में गठित हिल्टन आयोग के सिफारिश पर 1934 में आरबीआई अधिनियम पर वायसराय वेलिंगटन ने हस्ताक्षर कर किया गया और 1 अप्रैल 1935 से RBI कार्य कर रही है। आरबीआई का पहला गवर्नर सर ओसबोर्न स्मिथ (1935-37), दूसरा गवर्नर जेम्स ट्रेलर थे। आरबीआई के वर्तमान (2018) गवर्नर उर्जित पटेल हैं। आरबीआई की स्थापना के समय राशि 5 करोड़ थी। शेयर होल्डरों की संख्या 5 लाख थी। प्रत्येक शेयरहोल्डर का अंश ₹100 था। हजारी समिति के सिफारिश पर 1 जनवरी 1949 को आरबीआई का राष्ट्रीयकरण किया गया। RBI का प्रधान मुख्यालय मुंबई है और चार पूंजी बाजार स्थानीय कार्यालय हैं - दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई।
RBI का प्रबंधन 20 सदस्यों द्वारा होता है : एक गवर्नर, 4 डिप्टी गवर्नर, एक वित्त मंत्रालय का अधिकारी, 10 भारत सरकार द्वारा नियुक्त आर्थिक विशेषज्ञ और चार स्थानीय बोर्ड के लिए नामित किए जाते हैं।
आरबीआई अधिनियम की धारा 22 के तहत ₹1 के नोट और सिक्कों को छोड़कर (जिसे वित्त मंत्रालय निर्गत करता है) सभी नोट RBI जारी करती है। 1957 के बाद स्वर्ण मुद्रा और ऋण के रूप में 200 करोड़ से कम की रकम नहीं रहनी चाहिए। इसमें कम से कम 115 करोड़ का सोना होना चाहिए। आरबीआई के अधिनियम 24 के तहत वाणिज्यिक बैंकों को 25 - 30% तक मुद्रा अपने पास रखना पड़ता है।
आरबीआई बैंक का एजेंट परामर्शदाता और सलाहकार के रूप में कार्य करती है, ऋण की व्यवस्था भी करती है और सरकार के लिए 90 दिन के लिए अग्रिम भुगतान भी करती है।
विदेशी निवेशकों ने पूंजी बाजार में किया 91 करोड़ का निवेश
अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों में बढ़ोतरी शुरू करने को लेकर बनी अनिश्चितता के बीच बीते सप्ताह विदेशी संस्थागत निवेशकों/विदेशी पोर्टफोलिया निवेशकों ने पूंजी बाजार में 90.87 करोड़ रुपए का निवेश पूंजी बाजार किया।
अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के ब्याज दरों में बढ़ोतरी शुरू करने को लेकर बनी अनिश्चितता के बीच बीते सप्ताह विदेशी संस्थागत निवेशकों/विदेशी पोर्टफोलिया निवेशकों ने पूंजी बाजार में 90.87 करोड़ रुपए का निवेश किया।
सेंट्रल डिपॉजिट्री सिर्वेसेज (इंडिया) लिमिटेड (सीडीएसआईएल) के आंकड़ों के मुताबिक 28 सितंबर से 01 अक्टूबर के बीच पूंजी बाजार में एफआईआई/एफपीआई निवेशकों ने कुल 623.48 करोड़ रुपए की लिवाली की, जबकि इस पूंजी बाजार दौरान वह 532.61 करोड़ रुपए के बिकवाल रहे। इस प्रकार उनका शुद्ध निवेश 90.87 करोड़ रुपए रहा।
मोदी सरकार के आर्थिक सुधारों के प्रयास और देश में कारोबार को आसान बनाने के लिए किए उपायों की बदौलत वर्ष 2015 में अबतक पूंजी बाजार में एफआईआई/एफपीआई ने कुल 60455.44 करोड़ रुपए का निवेश किया है, जिसमें इक्विटी में 21269.67 करोड़ रुपए और ऋण बाजार में 39185.77 पूंजी बाजार करोड़ रुपए का निवेश शामिल है।
सरकार ने विदेशी निवेशकों से न्यूनतम वैकल्पिक कर (मैट) वसूली नोटिस से मचे घमासान के बाद इसके समाधान के लिए गठित शाह समिति की पूर्वतिथि से कर नहीं वसूले पूंजी बाजार जाने की सिफारिश को मान लेने से पूंजी बाजार के प्रति विदेशी निवेशकों की निवेशधारणा मजबूत हुई है।
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2014 में विदेशी निवेशकों ने कुल 256211.85 करोड़ रुपए का निवेश किया था। इसमें से इक्विटी में वह 97055.55 करोड़ रुपए और ऋण में 159156.30 करोड़ रुपए के लिवाल रहे थे।
विदेशी निवेशकों ने पूंजी बाजार की प्रोफिट बुकिंग: जुलाई के पहले 8 सत्रों में एफपीआई ने भारतीय पूंजी बाजार से 2,867 करोड़ रुपए निकाले
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) पूंजी बाजार ने जुलाई में अब तक के आठ सत्रों में भारतीय पूंजी बाजार (शेयर व डेट बाजार) से 2,867 करोड़ रुपए निकाल लिए। भारतीय बाजार में हाल में आई तेजी के बाद प्रोफिट बुकिंग करने के लिए वेदशी निवेशकों ने भारतीय शेयर व बांड की बिक्री की है।
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक विदेशी निवेशकों ने 1-10 जुलाई के बीच शेयर बाजार से शुद्ध 2,210 करोड़ रुपए और डेट बाजार से शुद्ध 657 करोड़ रुपए खींचे। इस तरह से उन्होंने भारतीय शेयर व डेट बाजार से शुद्ध 2,867 करोड़ रुपए खींच लिए। जून में एफपीआई ने घरेलू पूंजी बाजार में 24,053 करोड़ रुपए का शुद्ध निवेश किया था।
बाजार में हाल की तेजी और कंपनियों के खराब वित्तीय नतीजे के कारण शेयर काफी महंगे हो गए थे
कोटक सिक्युरिटीज के एक्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट और फंडामेंटल रिसर्च के प्रमुख रुस्मिक ओझा ने कहा कि जून तिमाही में एफपीआई भारतीय पूंजी बाजार में शुद्ध निवेशक रहे। इस दौरान बाजार में भारी तेजी और पिछले कारोबार साल की चौथी तिमाही के लिए कंपनियों के खराब वित्तीय नतीजे के कारण शेयर काफी महंगे हो गए थे। मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट डायरेक्टर-मैनेजर रिसर्च हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि जून में खरीदार बने रहने के बाद एफपीआई ने जुलाई में प्रोफिट बुकिंग पूंजी बाजार की है।
वैश्विक बाजार की नकदी उभरते बाजारों में पहुंचेगी, जिसका लाभ भारत को भी मिलेगा
श्रीवास्तव ने कहा कि लंबे समय के निवेश के पूंजी बाजार लिए भारतीय शेयर अच्छे विकल्प हो सकते हैं। वैश्विक बाजार में नकदी काफी बढ़ गई है। यह उभरते बाजारों में पहुंच सकती है। इसका लाभ भारत को भी मिलेगा। ग्रो के सह-संस्थापक और सीओओ हर्ष जैन ने कहा कि लंबे समय में विदेशी निवेशक भारतीय शेयरों में निवेश करते रहेंगे। बात जब लंबे समय की आती है तो तात्कालिक उतार-चढ़ाव और अनिश्चितता का महत्व अधिक नहीं रहता। लंबे समय में मजबूत फंडामेंटल और विकास की संभावना अधिक महत्वपूर्ण समझी जाती है।