शेयर बाजार में लाभ के टोटके

ट्रेडिंग में रिस्क मैनेजमेंट कर सफल ट्रेडर बने

ट्रेडिंग में रिस्क मैनेजमेंट कर सफल ट्रेडर बने
धीरे-धीरे इन टिप्स से आप अपनी ट्रेडिंग स्किल्स को बेहतर कर सकते हैं.

ट्रेडिंग में रिस्क मैनेजमेंट कर सफल ट्रेडर बने

दोस्तों अधिकतर नये लोग स्टॉक मार्केट में इंवेस्टिंग की बजाय ट्रेडिंग से ही शुरुआत करते है और वे ट्रेंडिंग भी फ्यूचर एंड ऑप्शन जैसे हाई रिस्की सेगमेंट से ही शुरुआत करते है। बिना स्टॉक मार्केट की बेसिक नॉलेज से ट्रेडिंग करेंगे तो नुकसान होने की संभावना भी अधिक होगी। आपने…

इलियट वेव थ्योरी (Elliott Wave Theory) क्या है?

दोस्तों ऐसा माना जाता है कि मार्केट की चाल इलियट वेव थ्योरी (Elliott Wave Theory) के हिसाब से चलता है यानी मार्केट का ऊपर या नीचे जाने को इस थ्योरी के द्वारा आसानी से प्रेडिक्ट किया जा सकता है। हालांकि इलियट वेव एक इंडिकेटर के रूप में वर्गीकृत नहीं है…

फिबोनाची रीट्रेसमेंट्स (Fibonacci Retracement) क्या है? स्टॉक मार्केट में इसका उपयोग कैसे करे?

दोस्तों फिबोनाची रीट्रेसमेंट्स (Fibonacci Retracement) स्टॉक मार्केट में एक टेक्निकल टूल है, जिसका उपयोग ज्यादातर सपोर्ट और रेजिस्टेंस देखने के लिए किया जाता है। फिबोनाची रीट्रेसमेंट्स की अवधारणा को पूरी तरह से समझने के लिए आपको फिबोनाची सीरीज (Fibonacci Series) को समझना होगा। फिबोनाची सीरीज की खोज 12वीं सदी के…

72 का नियम (Rule of 72)

मुख्यपृष्ठMoney Management 72 का नियम (Rule of 72) byArt Of Investing•अगस्त 09, 2022 0 दोस्तों जब निवेश और रिटर्न की बात आती है तो लोगों के मन बहुत सारे सवाल आते है। सबसे अधिक पूछा जाने वाला सवाल यह है कि मेरे पैसे को दोगुना, तिगुना या चौगुना होने में कितना समय लगेगा? या उनका इन्वेस्टमेंट…

Editor's Take: नए ट्रेडर्स के लिए रिस्क मैनेजमेंट क्यों जरूरी, अनिल सिंघवी ने बताया कैसे बने सफल ट्रेडर

Editor's Take: अनिल सिंघवी ने बताया कि नए ट्रेडर्स के लिए रिस्क मैनेजमेंट लेना क्यों जरूरी है और शेयर बाजार में ट्रेडिंग करने वाला कोई भी शख्स सफल ट्रेडर कैसे बन सकता है.

Editor's Take: मंगलवार के ट्रेडिंग सेशन के दौरान शेयर बाजार में तीन दिनों से हो रही लगातार गिरावट पर ब्रेक लगा था. ये बड़ी बात इसलिए है क्योंकि कल के ट्रेडिंग सेशन में ग्लोबल बाजारों में अच्छी खासी गिरावट देखने को मिली थी. ग्लोबल बाजार एक से डेढ़ फीसदी तक फिसले थे लेकिन उसके बाद भी भारतीय शेयर बाजार (Indian Share Market) में अच्छी क्लोजिंग देखने को मिली. इस मामले पर ज़ी बिजनेस के मैनेजिंग एडिटर अनिल सिंघवी ने कहा कि कल के ट्रेडिंग सेशन में भारतीय बाजारों की चाल और ग्लोबल बाजारों में गिरावट की वजह से कंफ्यूजन पैदा हो रहा था कि ट्रेडर्स को आखिर क्या करना चाहिए. अनिल सिंघवी ने कहा कि शेयर बाजार में ट्रेडिंग करते समय कई बार इस पर कॉल लेनी पड़ती है कि आप कितना रिस्क ले सकते हो. ऐसे में अनिल सिंघवी ने बताया कि शेयर बाजार में नए ट्रेडर्स को किन खास बातों का ध्यान रखना चाहिए.

R2R फैक्टर पर जोर दें

अनिल सिंघवी ने बताया कि शेयर बाजार में R2R फैक्टर काफी अहम है और ट्रेडर्स के लिए इसकी अलग-अलग परिभाषा है. R2R यानी कि रिस्क टू रिवॉर्ड या रिवॉर्ड टू रिस्क, ये दोनों तरीकों से ही इस्तेमाल किया जा सकता है.

किन बातों का ख्याल रखने से आप बनेंगे सफल #Trader ?🔥

🎯नए ट्रेडर्स को क्यों जरूर सीखना चाहिए रिस्क मैनेजमेंट?

ओवर नाइट पोजीशन में रिस्क मैनेजमेंट करना कितना अहम?

रिस्क मैनेजमेंट है जरूरी

अनिल सिंघवी ने कहा कि नए निवेशकों को रिस्क और रिवॉर्ड पर खास ध्यान देना चाहिए. अनिल सिंघवी ने कहा कि मान लीजिए कि बाजार में तेजी को देखते हुए ट्रेडर ने मुनाफा वसूल कर लिया है लेकिन अगले दिन मार्केट फिर तेजी के साथ खुला तो इस पर दुख होता है लेकिन कॉल यहां ये लेनी है कि अगर बाजार में तेजी के साथ ना खुलकर गिरावट के साथ खुलता तो इस स्थिति में ओवरनाइट पोजीशन कितनी रखनी है और रिस्क को मैनेज करना है तो कितना करना है.

ट्रेडिंग के समय अनुशासन रखे बरकरार

अनिल सिंघवी ने कहा कि पिछले 2 दिनों बाजार में तेजी देखने को मिली तो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लोगों के बीच हाहाकार मच गया. लेकिन बाजार में ट्रेडिंग की है तो 30 दिनों में से एक या दो दिन ऐसे आएंगे, जहां ट्रेडिंग आपके विपरीत होगी.

अनिल सिंघवी ने कहा कि पिछले 1-1.5 साल में जितने लोगों ने ट्रेडिंग शुरू की है और जो ओवरनाइट पोजीशन ले रहे हैं, उन्हें पहले रिस्क मैनेजमेंट सीखना चाहिए. रिस्क मैनेजमेंट सीखने का एक ही तरीका है कि अगर मेरे मार्केटिंग स्ट्रैटेजी के विपरीत बाजार में काम करता है तो आपको क्या करना है. ट्रेडर के तौर पर कितनी पोजीशन होनी चाहिए.

ओवर नाइट रिस्क लेते हैं ट्रेडर्स

अनिल सिंघवी ने कहा कि कई मामलों में देखा गया है कि ट्रेडर्स ओवरनाइट रिस्क लेते हैं. लेकिन इंट्राडे में मौका मिलने पर रिस्क नहीं लेते. अनिल सिंघवी ने कहा कि अगर आपको सफल ट्रेडर बनना है तो आपको पता होना चाहिए कि आपको कहां रिस्क लेना है और कितना लेना है.

intraday trading success formula हिन्दी |risk management हिन्दी

intaraday-trading-success-ormula in hindi

वर्ष 2021 में आप Intraday Trading Success Formula तलाश कर रहे हैं। तो इसके लिए Risk Management को समझना जरूरी है।

क्योंकि intraday trading कर के बहुत कम समय में ज्यादा पैसा बनाया भी जा सकता है। और पैसा गंवाया भी जा सकता है ।

यदि आप भी Intraday Trading करना चाहते हैं या कर रहे हैं, किन्तु पैसा बनाने की जगह पैसा गंवा रहे हैं, तो ये लेख आपकी काफी मदद कर सकता है।

आप Stock Market में आये हैं तो आपने यह भी अवश्य सुना या पढ़ा होगा कि यहाँ अधिकतर लगभग 95 प्रतिशत लोग केवल और केवल पैसा बर्बाद ही करते हैं।

केवल 5 प्रतिशत ही ऐसे लोग होते हैं जो 95 प्रतिशत लोगों के पैसे से अपनी झोली भर कर ले जाते हैं।

इसका कारण ये है कि ज्यादातर लोगों की बस इतनी सोच होती है ‘ कि अपना एक डीमैट खाता खुलवाओ उसमें पैसे डालो और ट्रेडिंग शुरू कर दो। ‘

पर दोस्तों ऐसा होता नही है। आप ही सोचिये कि अगर Trading इतनी ही आसान होती तो दुनिया के सभी लोग अपना व्यापार या जॉब छोड़कर Trading ही करने लग जाते और घर बैठे ही आराम से ढेर सारा पैसा कमा कर मौज से ज़िन्दगी गुजारते। क्या जरूरत थी सुबह से शाम तक इतनी हाड़तोड़ मेहनत करने की।

लेकिन दोस्तों यहाँ मैं ये भी कहना चाहूंगा कि Trading इतना कठिन भी नहीं है जितना लोग इसे बना लेते हैं।

हमलोग खुद ही Trading को जटिल बना लेते हैं।

जहाँ तक मेरा अनुभव है कि जो लोग Trading में पैसा गँवा रहे हैं उसका सबसे बड़ा कारण ये है कि अधिकांश ट्रेडर Intraday Trading Tips और Strategy पीछे ही भाग रहें हैं।

मैं बार – बार कहता हूँ कि किसी और की टिप्स या स्ट्रैटेजी से आप कभी भी पैसा नहीं बना सकते हैं फिर चाहे वो Paid Tips या Free की हो।

Intraday Trading Success Formula in Hindi –

यहाँ Intraday Trading का जो Success Formula जा रहा है वो कोई ऐसा जादुई Jackpot Formula नहीं है कि आप रातों रात अमीर बन जाएंगे। शायद ऐसा कोई Formula होता भी नहीं होगा।

लेकिन यकीन मानिये कि Intraday Trading में कामयाबी पाने का ये ऐसा एकमात्र Formula है जो आपको एक सफल Trader की लाईन में जरूर खड़ा कर देगा।

और ये तरीका है रिस्क मैनेजमेंट ( Risk Management) आप में से जो नए Trader है वो शायद इसे जानते भी नही होंगे और जो जानते हैं वो इसे मानते नही होंगे।

intraday-trading-risk-management

लेकिन जो Trader इसे जानते और मानते दोनों है वो कभी भी Intraday Trading में असफल नहीं होते हैं।

चलिए अब समझते हैं कि रिस्क मैनेजमेंट ( Risk Management) होता क्या है ?

Risk Management क्या है –

दोस्तों Risk Management कोई बहुत टेक्निकल या रॉकेट साइंस जैसी चीज नही है ये सिर्फ अपने ऊपर नियंत्रण रखना मात्र है।

नियंत्रण से मतलब ये है कि Trading से पहले आप जो अपनी ट्रेडिंग योजना बना रहे हैं Trading के दौरान आप उसका कड़ाई के साथ पालन करें।

रिस्क लेने की क्षमता भी आपकी ट्रेडिंग योजना का हिस्सा होनी चाहिए।

यह कैसे होना चाहिए इसको समझाता हूँ –

मान लिया आपके खाते में 50,000 रुपये हैं, तो आपको एक दिन की Trading में अपनी पूंजी से सिर्फ 3 प्रतिशत का ही रिस्क लेना है। इससे ज्यादा का नहीं लेना है।

लेकिन ये Risk लेना कैसे है ये महत्वपूर्ण है इसलिए इसको ध्यान से समझने की कोशिश कीजिए।

Risk Management ही Intraday Trading Success Formula होता है।

Risk कैसे लेना है –

Intraday Trading Success Formula मे Risk कैसे लेना है ये समझना भी बहुत महत्वपूर्ण है।

आपको अपने 50,000 रु. को 17 – 17 हजार के तीन भागों में बांट लेना है। अब आज के दिन आपको सिर्फ 17 हजार पर 3 प्रतिशत Risk लेना है।

मतलब आज आप केवल 500 रु. का ही जोखिम लेंगे।

और मान लिया कि आपने अपना जो पहला ट्रेड लिया उसमें 300 रु. का प्रॉफिट हो गया।

तो अब आपको इस प्रॉफिट का आधा लगभग 150 रु. हर हाल में घर ले जाना है।

बहुत से लोग ये समझते हैं कि 500 का रिस्क तो लेना ही था अब 300 प्रॉफिट हो गया तो अब 800 तक का रिस्क ले सकते हैं।

पर ऐसा नही करना है यदि 300 का प्रॉफिट आ गया है तो अब हम अपने कैपिटल पर रिस्क नहीं लेंगे, बल्कि प्रॉफिट पर ही 150 का रिस्क लेंगे।

क्योंकि आज जो मेरे पास प्रॉफिट आ गया है, तो कम से कम आधा तो लेकर जाएंगे ही।

अब आज के दूसरे ट्रेड में यदि 200 का प्रॉफिट और आ गया तो आज का हमारा कुल प्रॉफिट हो गया 500 रु.।

अब इसके बाद आज हम जो भी ट्रेड लेंगे तो मात्र 100 रु. का ही रिस्क करेंगे । और जब भी 100 का नुकसान हो जाएगा तो वही से आज के दिन की ट्रेडिंग समाप्त कर के हम अपने दूसरे कामों में लग जाएंगे।

इससे फायदा ये होगा कि अब अगर हमें नुकसान होगा तो सिर्फ 100 रु. का ही, जबकि 400 के फायदे में तो मैं पहले से ही हूँ।

और ये भी हो सकता है कि इसके बाद भी मेरे 4 से 5 या और ज्यादा ट्रेड सही चल जाये तो हमारा प्रॉफिट तो बढ़ता ही जायेगा जबकि नुकसान मेरा जब भी होगा तो सिर्फ 100 रु. का ही होगा। मतलब हम फायदे में ही रहेंगे।

ये तो था आज का प्लान, अब कल क्या करना है ? कल की Trading करनी है ?

कल आपको आज के प्रॉफिट का जो कि मैं 500 रु. ही मान के चल रहा हूं, उसमें से सिर्फ 200 का रिस्क लेना है मतलब आधे से भी कम का रिस्क लेना है।

और जैसे ही किसी भी ट्रेड में प्रॉफिट आये तो उसका पचास प्रतिशत तो आज भी घर लेकर जाना ही जाना है।

इसी तरह हर दिन आपको अपने रिस्क की सीमा तय करते जाना है और एकदम कड़ाई के साथ उसका पालन करते रहना है।

ये तो बात थी प्रॉफिट के ट्रेड की, कि प्रॉफिट होने पर ऐसे ट्रेड करना है। अब नुकसान होने पर कैसे ट्रेडिंग करनी है ये जान लेते है।

मान लिया आपको आज अपने कैपिटल का 3 प्रतिशत यानी 500 रु. का रिस्क लेना है। और पहले ट्रेड में ही आपको 200 रु. का लॉस हो ट्रेडिंग में रिस्क मैनेजमेंट कर सफल ट्रेडर बने गया तो अगले ट्रेड में फिर 200 का जोखिम उठाना है।

यदि अगला ट्रेड भी नुकसान में चला गया तो या तो आप अपनी आज की ट्रेडिंग बंद कर दीजिए या बचे हुए 100 रु. का रिस्क लेकर एक और ट्रेड ले सकते हैं।

लेकिन याद रखिये एक दिन में 500 रु. से ज्यादा मार्केट को नहीं देना है।

वैसे दोस्तों, ऐसा बहुत कम होता है कि आपके सारे ट्रेड हमेशा नुकसान में ही जाएं। आप कभी भी अपना कॉन्ट्रैक्ट नोट निकाल कर चेक कीजियेगा 100 में से 60 – 65 ट्रेड प्रॉफिट में ही होंगे।

आप नुकसान इसलिए करते हो कि आप रिस्क मैनेजमेंट या तो जानते ही नहीं हो या फिर मानते नहीं हो।

आप एक महीने इस तरीके से ट्रेडिंग कर के देखिए आप महीने के अंत तक अच्छा खासा प्रॉफिट बना चुके होंगे।

ये बात हमेशा याद रखिये कि भले ही प्रॉफिट न हो कोई बात नही, लेकिन नुकसान बिल्कुल भी नहीं लेना है।

जब आप ज्यादा नुकसान ले लेते हैं तो फिर आप प्रॉफिट के लिए ट्रेडिंग न करके अपने नुकसान की भरपाई के लिए ट्रेडिंग करने लगते हैं जो कि कभी भी नही हो पाता बल्कि भरपाई के चक्कर मे नुकसान बढ़ता चला जाता है।

कुछ अन्य बातें भी हैं जिन्हें आपको समझना है जैसे ट्रेडिंग नियम , ट्रेडिंग मनोविज्ञान , मनी मैनेजमेंट , और अनुशासन। इन सब विषयों पर भी आगे अलग – अलग लेख में प्रकाशित करता रहूंगा।

निष्कर्ष – ( The Conclusion )

मुझे लगता है अब आपको इस सवाल का जवाब मिल गया होगा कि Intraday Trading Success Formula में सफलता पाने का असली फार्मूला क्या है।

क्योंकि ट्रेडर ज्यादातर स्ट्रेटेजी और ट्रेडिंग में रिस्क मैनेजमेंट कर सफल ट्रेडर बने टिप्स के पीछे ही परेशान रहते हैं। जिसस उन्हें कोई विशेष फायदा नहीं मिलता है।

इसलिए नए ट्रेडर Risk Management को अच्छे से समझ कर अपनी ट्रेडिंग में लागू करें। धीरे – धीरे आपकी ट्रेडिंग में निखार आता चला जायेगा।

दोस्तों यदि आप जोखिम प्रबंधन पर अभ्यास करेंगे तभी आप मार्केट में बने रहेंगे और सबसे पहले तो यही कोशिश होनी चाहिए कि मार्केट में बनें रहें। यदि मार्केट में बनें रहेंगे तो पैसा तो बनेगा ही धीरे – धीरे अनुभव बढ़ने के साथ – साथ ढेर सारा पैसा भी बनेगा।

आपको ये लेख कैसा लगा हमें कमेंट के माध्यम से अवगत कराएं।

इसके अलावा यदि रिस्क मैनेजमेंट से संबंधित आपके पास भी कोई महत्वपूर्ण जानकारी हो जिससे पाठकों को लाभ हो तो मेरे साथ जरूर साझा करें।

स्टॉक मार्केट में करने जा रहे हैं ट्रेडिंग, ये 5 टिप्स आएंगे काम

घाटे को मैनेज करने के लिए सबसे पहले यह अपनाना जरूरी है कि घाटे से बचा नहीं जा सकता है, वो होगा. लेकिन जब घाटा हो तब उससे निपटने के लिए आपके पास प्लान होना चाहिए.

स्टॉक मार्केट में करने जा रहे हैं ट्रेडिंग, ये 5 टिप्स आएंगे काम

धीरे-धीरे इन टिप्स से आप अपनी ट्रेडिंग स्किल्स को बेहतर कर सकते हैं.

Stock Market Investment tips: शेयर मार्केट में ट्रेडिंग करने के लिए उसकी समझ होना बहुत जरूरी है. अगर आपको ट्रेडिंग के नियम नहीं पता तो आपको काफी मुश्किल आ सकती है. हालांकि कामयाब बनने के लिए टेक्निकल चीजें पता होना जरूरी हैं लेकिन इसके बावजूद मात्र 1 फीसदी ट्रेडर्स ही लंबे समय में प्रॉफिट कमा पाते हैं. अगर सिर्फ जानकारी होना ही काफी होता तो ये नंबर कई ज्यादा होता. दरअसल बहुत से ट्रेडर्स यह नहीं समझते हैं कि कामयाब ट्रेडर बनने के लिए उन्हें जानकारी के साथ मनोवैज्ञानिक स्किल भी चाहिए. इन 5 टिप्स से आप एक कामयाब ट्रेडर बनने की शुरुआत कर सकते हैं.

ट्रेड को प्लान करें

सफल ट्रेडिंग एक सोच समझकर प्लान करने वाली रणनीति है जिस पर लगातार काम होता है. एक अच्छा ट्रेडिंग प्लान बताता है कि आप बाजार में क्या करते हैं और कैसे – ट्रेडिंग रूट बनाने में मदद करना , गलतियों से बचना, और अपने आप को बेहतर मैनेज करना.

प्रो टिप: अपना ट्रेडिंग प्लान लिखें. अपने ट्रेडिंग गोल्स, बाजार मापदंडों, कब निकलना है कब रहना है, रिस्क मैनेजमेंट स्ट्रैटिजी के आधार पर एक लिस्ट बनाएं. जिन्हें आप ट्रैक करना चाहते हैं उन पर्फॉरमेंस और प्रक्रिया मेट्रिक्स को तय करें और नियमित रूप से एक डायरी में रिकॉर्ड करे. अपने ट्रेड का मूल्यांकन करके, आप अपनी स्किल्स को बेहतर कर पाएंगे.

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अनुशासन

कोई प्लान तभी मदद करेगा जब आप अनुशासन के साथ उस पर टिक पाएंगे. किसी एक ट्रेड के लिए अपनी योजना / चेकलिस्ट को न बदलें. प्रदर्शन डेटा को इस्तेमाल कर ट्रेडिंग बिजनेस में ना होने के वक्त परिवर्तन सबसे अच्छा होता है.

प्रो टिप: उन परिस्थितियों से निपटने के लिए एक नियम-आधारित अप्रोच का इस्तेमाल करें जहां अनुशासित होना एक चुनौती है. उदाहरण के लिए, हम में से कुछ अपने स्टॉप-लॉस ट्रेडिंग में रिस्क मैनेजमेंट कर सफल ट्रेडर बने को नीचे ले जाते हैं, जब कोई व्यापार अच्छी तरह से नहीं होता है – इस उम्मीद में कि वह वापस आ जाएगा लेकिन इससे और ज्यादा फंड्स गंवा दिए जाते हैं. इस स्थिति के लिए एक नियम हो सकता है – “मैं अपने स्टॉप-लॉस को कुछ बहुत एक्सट्रीम कंडिशन के अलावा नीचे नहीं ले जाऊंगा.” इन स्थितियों को पहले से ही तय करें.

ध्यान केंद्रित करने की अपनी क्षमता को बढ़ावा दें

लंबे समय तक ट्रेडिंग स्क्रीन को देखने पर ध्यान केंद्रित करना मुश्किल हो सकता है जो अक्सर खराब निर्णय या महंगी गलतियों की ओर जाता है.
प्रो टिप: 1980 के दशक में फ्रांसेस्को सिरिलो द्वारा विकसित – पोमोडोरो तकनीक का इस्तेमाल करके अपनी ध्यान क्षमता को बढ़ाएं. 25 मिनट के फोकस पीरियड और 5 मिनट के मेंटल ब्रेक के बीच अपना ध्यान विभाजित करें. नियमित रूप से इस तकनीक का अभ्यास करके, आप धीरे-धीरे अपना फोकस पीरियड एक घंटे तक बढ़ा सकते हैं.

इमोशन्स का बेहतर इस्तेमाल करें

अधिकांश व्यापारियों का मानना ​​है कि वे बेहतर व्यापार कर पाएंगे अगर वो भावनाहीन हो पाते. हालाँकि, भावनाएं मैससेंजर की तरह होती हैं जो आपको परिस्थितियों का एहसास कराने में मदद करती हैं. साथ ही, बाजार में अच्छी तरह से काम करने के लिए, डर, लालच, चिंता और यहां तक ​​कि तनाव जैसी नकारात्मक भावनाओं पर भी नजर रखना जरूरी है. दरअसल आपको अपने इमोशन को कंट्रोल करना सीखना है, इसलिए आप ट्रेंडिंग से जुड़े बेहतर निर्णय ले सकते हैं.

प्रो टिप: जब भावनाएं कंट्रोल ना हो पाएं तो समय निकालें. स्क्रीन से दूर हो जाओ और कुछ ताजा हवा लो. आप बेहतर महसूस करने के लिए पांच मिनट के लिए एक लंबी गहरी साँस लेने की एक्सरसाइज भी कर सकते हैं.

नुकसान को संभालना

ट्रेडिंग जोखिम से भरा है – यहां तक ​​कि सबसे अनुभवी व्यापारी को नुकसान और असफलताओं का सामना करना पड़ेगा. सबसे अच्छे व्यापारी नुकसान से बचने के बजाय अपनी गलतियों के सीख लेते हैं. इस लिए, घाटे को मैनेज करने के लिए सबसे पहले यह अपनाना जरूरी है कि घाटे से बचा नहीं जा सकता है, वो होगा. लेकिन जब घाटा हो तब उससे निपटने के लिए आपके पास प्लान होना चाहिए.

प्रो टिप: भारी नुकसान या असफलताओं के समय में, प्रमुख ट्रैडिंग मनोवैज्ञानिक स्टीव वार्ड तीन चीजों पर फोकस करने की सलाह देते हैं: आपकी ताकत (वे क्या हैं और आप उन्हें इस स्थिति में कैसे उपयोग कर सकते हैं?), सकारात्मक (अब आपके जीवन में क्या अच्छा हो रहा है?), और नियंत्रण (वे चीजें क्या हैं जो जो आप बाकी चीजों को बेहतर बनाने के लिए कर सकते हैं?)

सबसे जरूरी है इन बातों को अमल में लाना. धीरे-धीरे इन टिप्स से आप अपनी ट्रेडिंग स्किल्स को बेहतर कर सकते हैं.

Story By: Dr Amit Malik, Hounder of InnerHour, Psychological health platform

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Money management in share trading. मनी मैनेजमेंट इन शेयर ट्रेडिंग

Money management in share trading. मनी मैनेजमेंट इन शेयर ट्रेडिंग

पैसा बनाने के लिए शेयर मार्केट में इंट्राडे ट्रेडिंग बहुत लाभदायक हो सकती है। यहां शेयर में इन्वेस्टमेंट की तरह आपका पैसा नहीं फंसता। डे ट्रेडर मार्केट बंद होने के पहले अपनी पोजीशन को square off कर देते हैं। जिससे रात भर चैन से रहते हैं, क्योंकि अगले दिन सुबह मार्केट के gap up या gap down खुलने से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता।

डे ट्रेडर्स, ट्रेडिंग ऑवर के दौरान पिनपॉइंट सटीकता के साथ ट्रेडों में एंट्री करने और बाहर निकलने में सक्षम होते हैं। ये सक्षमता धीरे धीरे काफी अनुभव के बाद आती है।

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इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए मिलने वाले मार्जिन (लीवरेज) का लाभ लेकर कम पूँजी से बड़ा ट्रेड करके कुछ घंटे या कभी कभी मिनटों में अच्छा प्रॉफिट बना लेते हैं। हालांकि, अधिकतर डे ट्रेडर पैसे के खराब धन प्रबंधन ( money management) के चलते अपनी रकम खो देते हैं।

कुछ समय तक ट्रेडिंग करने के बाद मार्केट का अनुभव उन्हें जरूर मिल जाता है पर तब तक अपनी पूँजी गवां कर मार्केट से बाहर होना पड़ता है। इसलिए नए ट्रेडर को इंट्राडे ट्रेडिंग से बचने को कहा जाता है।

यहां आपका पैसा ही पैसा कमा सकता है अगर पैसा चला गया तो ट्रेड नहीं हो सकता। ट्रेड नहीं होगा तो कमाई कैसे होगी। इसलिए शेयर मार्केट में ट्रेड करने के लिए अपनी रकम को "मनी मैनेजमेंट" के साथ उपयोग में लाएं तभी यहां टिक सकेंगे और टिकेंगे तभी मुनाफा कमा पाएंगे।

डे ट्रेडिंग में मनी मैनेजमेंट कैसे करें

1.आपको कितना जोखिम उठाना चाहिए

आपकी ट्रेडिंग पोजीशन का आकार, आपके अकाउंट में उपलब्ध रकम पर निर्भर करेगा। डे ट्रेडिंग की सफलता की कुंजी बड़े लॉस से बचने में है। किसी एक ट्रेड में आपको अपनी रकम का 2% से अधिक रिस्क नहीं उठाना चाहिए।

मान लीजिये आपके अकाउंट में 1 लाख रूपये हैं तो किसी भी ट्रेड में आप 2000/- रिस्क ले सकते हैं। इस हिसाब से देखा जाए तो यदि आपके 5 ट्रेड गलत पड़े तो आपका नुकसान होगा -2000 x 5 =10000/- अब आपके पास बचे 100000 -10000 =90000/- इसका अर्थ हुआ अब सिर्फ 90 हजार रूपये से ही ट्रेडिंग कर पाएंगे।

कम रकम से ट्रेड करके लॉस की भरपाई करना मुश्किल होगा। अगर मार्केट में इंट्राडे ट्रेडर बनना है तो जब भी आप ट्रेड करने उतरे तो एक निश्चित रकम (trade size) के साथ उतरना जरूरी होता है। अगर ऐसा नहीं करते हैं तो मुनाफा कमाना तो दूर की बात होगी जल्दी ही अपनी पूरी रकम से हाथ धो बैठेंगे। इससे बचने के लिए अपनी कुल रकम में से केवल आधी रकम से ट्रेड कीजिये।

इसका मतलब है 1 लाख में से 50 हजार रूपये को सुरक्षित रखना है और शेष 50 हजार में मार्जिन सुविधा लेते हुए ट्रेड करना है। अगर आपने 4 गुना इंट्राडे मार्जिन लिया तो 2 लाख का ट्रेड कर पाएंगे। इसमें 1% का लॉस हुआ तो 2000/- का लॉस होगा।

इस तरह अपनी रिज़र्व रकम के बल पर 25 सौदे तक अपनी पूरी ताकत के साथ गेम में बने रह पाएंगे (यह एक बुरी से बुरी परिस्थिति हुई ,ऐसा नहीं होगा कि लगातार 25 गेम गलत पड़े).

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2. प्रॉफिट छोटा और लॉस बड़ा लेना -

डे ट्रेडर से होने वाली ये सबसे कॉमन मिस्टेक है। जो ट्रेडर के धन को बहुत तेजी से नष्ट करती है। इसे एक उदाहरण से समझते हैं - एक ट्रेडर ने दिन भर में 8 ट्रेड किये जिसमें प्रॉफिट वाले 6 ट्रेड रहे, जिसमें उसे मुनाफा हुआ 1000 +300 +400 +300 +400 +200 =2600. उसके 2 ट्रेड गलत पड़े मतलब उल्टी दिशा में चले। जिनसे जल्दी निकलने बजाय उसने वेट किया और लॉस बढ़ते बढ़ते 6000 +7000 =13000 हो गया।

इस तरह 8 में से 6 ट्रेड सही होने पर भी घाटा उठाना पड़ा। यहां प्रॉफिट कमाने के लिए, ये जरूरी नहीं कि हर बार आपका ट्रेड सही पड़े। ज्यादा जरूरी है, सौदा गलत पड़ने पर कितने कम से कम लॉस में ट्रेड से बाहर निकले।

नए ट्रेडर की विडंबना यही है वो प्रॉफिट तो छोटा बुक करके निकल जाता है, परन्तु लॉस होने पर इंतज़ार (wait) करता है। उसे लगता है अभी ये स्टॉक मेरी दिशा में चलने लगेगा। कभी कभी स्टॉक घूम भी जाता है पर ऐसा मौका बहुत कम आता है। यही इस मार्केट की अदा है।

ऐसे में वो ट्रेडर भगवान से मिन्नतें करता है कि शेयर का प्राइस मेरी चाही गई दिशा में आ जाए। दोस्तों से पूछता है, सबकुछ करने को तैयार होता है पर सौदा काटने को तैयार नहीं होता जब तक कि लॉस उसकी बर्दाश्त के बाहर न हो जाए या ब्रोकर मार्जिन के चलते उसे बाहर न करे। इस तरह 2 हजार का लॉस बढ़कर 6 -8 हजार का हो जाता है।

3. स्टॉप लॉस मैनेजमेंट -

हर एक्सपर्ट आपको स्टॉप लॉस राशि निर्धारित करने की सलाह देते हैं। एक सामान्य नियम की तरह बताया जाता है कि मुनाफा 2% रखते हैं तो स्टॉपलॉस 1% का रखिये।

पर अगर आपको कुछ महीनों का ट्रेड अनुभव होगा तो आप जानते हैं की mostly टारगेट की जगह स्टॉपलॉस हिट होता है। आप अक्सर देखते हैं कि पहले आपका स्टॉपलॉस हिट किया और बाद में वो स्टॉक आपके डायरेक्शन में चला।

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इससे आपको लगने लगता है कि कोई मेरे स्टॉपलॉस को देखकर जान बूझ के हिट कराता है। दरअसल स्टॉक मार्केट में सामान्य नियम काम नहीं करते। जो स्टॉक हाई वोलेटाइल होगा वो 1% का स्टॉपलॉस easily हिट करेगा क्योंकि उसका वाइब्रेशन रेंज अधिक होता है।

इसलिए स्टॉपलॉस फिक्स रखने का नियम सही प्रतीत नहीं होता है। वैसे आपको हर ट्रेड के लिए स्टॉप लॉस ऑर्डर की आवश्यकता जरूर है, लेकिन यह सभी शेयर के लिए एक फिक्स परसेंटेज में नहीं रखा जा सकता।

4 . गलत ट्रेड से जल्दी निकलें -

मान लीजिये हमने 2% स्टॉप लॉस के आधार पर कोई ट्रेड लिया। ट्रेड लेने के बाद वो स्टॉक आपके दिशा के विपरीत धीरे धीरे चलना शुरू कर देता है। आपको क्या लगता है कि हर लॉस वाले ट्रेड को अपने स्टॉपलॉस तक आने देना चाहिए? मेरे हिसाब से बिलकुल नहीं।

जिस मिनट आप देखते हैं कि ट्रेड गलत है, छोटे हिट के साथ बाहर निकलें। 2% स्टॉपलॉस को हिट करवाने का तब कोई अर्थ नहीं है, जब स्टॉक ने अपनी चाल बदल ली है। यहां 0.25% या 0.5% नुकसान लेकर निकल जाना ठीक है, जबकि आपके प्रॉफिट वाले स्टॉक 1% -3% की रेंज में हैं। इस तरह आप गेम जीतेंगे।

यहां याद दिला दूँ कि 2% स्टॉप लॉस, हाई वोलेटाइल स्टॉक या मार्केट की अप्रत्याशित चाल के लिए है, और स्टॉप लॉस हिट होना आपका लक्ष्य नहीं है। यदि आप गलत दिशा में बैठे हैं, तो आपमें स्टॉपलॉस को हिट होने से पहले निकलने की हिम्मत होना चाहिए।

इस लेख " मनी मैनेजमेंट इन शेयर ट्रेडिंग " द्वारा आपने जाना कि इन टिप्स के जरिये कैसे हम ट्रेडिंग करके लाभ कमा सकते हैं और अपने धन को तेजी से बढ़ा सकते हैं।

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