शेयर बाजार में लाभ के टोटके

कमोडिटी मार्केट क्या है?

कमोडिटी मार्केट क्या है?

शादियों के सीजन में सोने-चांदी की कीमतों ने तोड़े रिकॉर्ड, आज ही खरीद लें, अभी और महंगे होंगे

भारत में शादियों का सीजन शुरू हो चुका है। लोग विवाह में लेन-देन के लिए जमकर सोना-चांदी खरीद रहे हैं। ऐसे में तेजी से बढ़ती खरीदारी के चलते सोने-चांदी के दाम एकदम से तेजी पर पहुंच गए हैं। सोना अपने ऑल टाईम हाई प्राइस के बहुत पास आ चुका है। इसी तरह चांदी में भी 1470 रुपए से अधिक की तेजी आ गई है।

यह है आज सोने के भाव

24 कैरेट सोना आज 55219 रुपए (जीएसटी सहित) प्रति दस ग्राम बिक रहा है। इसी कमोडिटी मार्केट क्या है? तरह 23 कैरेट सोने की कीमत जीएसटी सहित 54997 रुपए प्रति दस ग्राम तक पहुंच गई है। यदि 22 कैरेट सोने की कीमत देखें तो यह 49108 रुपए प्रति दस ग्राम बिक रहा है। इस कीमत में जीएसटी शामिल नहीं है। कमोडिटी मार्केट क्या है? इसी तरह 18 कैरेट गोल्ड का भाव 40208 रुपए प्रति दस ग्राम हो गई है।

क्या है आज चांदी का भाव

चांदी का आज औसतन भाव 64686 रुपए प्रति किलोग्राम है जो कि चांदी के ऑल टाइम हाई प्राइस 76008 रुपए प्रति किलोग्राम से 11,322 रुपए सस्ता है। यदि दोनों धातुओं में यही तेजी बनी रही तो जल्दी ही गोल्ड और सिल्वर कमोडिटी मार्केट क्या है? की कीमतें अपने ऑल टाइम हाईऐस्ट प्राइस से भी काफी आगे निकल जाएंगी।

क्यों बढ़ रही हैं सोने-चांदी की कीमतें

वर्तमान में कई कारणों के चलते सोने और चांदी की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। भारत में अभी शादियों का सीजन चल रहा है जिसकी वजह से लोग जमकर खरीदारी कर रहे हैं। इसी तरह अन्तरराष्ट्रीय मार्केट में आने वाली मंदी के चलते भी लोग धातुओं में पैसा निवेश कर रहे हैं। कमोडिटी मार्केट की बढ़ती अनिश्चितता को देखते हुए भी लोग इनमें पैसा लगा रहे हैं। इसी वजह से सोने और चांदी की कीमतें जबरदस्त रूप से बढ़ रही हैं।

कमोडिटी मार्केट के बारे में जानकारी


आज हम बात करेंगे इंडियन कमोडिटी मार्केट के विषय में कमोडिटी मार्केट का अर्थ भारतीय वस्तु बाजार या भारतीय वायदा बाजार होता है! दोस्तों यह पोस्ट उन लोगों के लिए जो कमोडिटी मार्केट में नए निवेशक है या जो कमोडिटी मार्केट में निवेश करने की इच्छा रखते हैं

दोस्तों जैसे शेयर बाजार में शेयर की खरीदी और बिकवाली होती है उसी प्रकार कमोडिटी बाजार में भी खरीद और बिक्री होती लेकिन कमोडिटी बाजार में शेयर की खरीदी या बिकवाली नहीं होती कमोडिटी मार्केट में प्राथमिक अर्थव्यवस्था की वस्तुएं खरीदी और बेंची जाती है जैसे कि गेंहू, सोयाबीन, मक्का, जैसे कृषि उत्पाद और खनन से प्राप्त वस्तुएं जैसे सोना, चांदी, कच्चा तेल, गैस आदि का व्यापार होता है .

भारत में कमोडिटी की सॉफ्टवेयर बेस्ट ट्रेडिंग की शुरुआत MCX में नवंबर 2003 और NCDX 15 दिसंबर 2003 में हुई थी दोस्तों MCX में खनन से उत्पन्न वस्तुओं का व्यापार होता है इसमें मुख्य रूप से शामिल हैं सोना, चांदी, कोपर, कच्चा तेल और नेचुरल गैस और NCDX में कृषि उत्पादों का व्यापार होता है जैसे कि सोयाबीन, मक्का, गेहूं, चना, चीनी सोयाबीन तेल, सरसों, जीरा आदि

अभी जो 2021 में MCX का जो मार्केट ट्रेडिंग टाइम सोमवार से शुक्रवार सुबह 9:00 बजे से रात 11:30 से 11:55 तक का टोटल 14:30 से 15:00 घंटे और NCDX का ट्रेडिंग है सोमवार से शुक्रवार सुबह 9:00 बजे से शाम 5:00 बजे का टोटल 8 घंटे MCX और NCDX में एक समानता है कि यह दोनों फ्यूचर मार्केट है इसमें ज्यादातर ट्रेडिंग कुछ प्रतिशत के मार्जिन पर की जाती है यदि कमोडिटी मार्केट के बारे में अनुभव हैं तो इस मार्केट से भी कमाई की जा सकती हैं

जैसे कि आपको सोना खरीदना है जो सोने का कॉन्ट्रैक्ट है छोटे वाला वह 10 ग्राम का उदाहरण के तौर पर मान लेते हैं कि सोना 30,000 पर ट्रेड कर रहा है और आज का मार्जिन 15% तो आपको अपने अकाउंट में ट्रेड लेने से ट्रेड क्लोज करने तक कम से कम 4500 रुपए रखने होंगे

जहां इक्विटी में हम शेयर बाजार में लिस्टेड बड़ी-बड़ी कंपनियों में ट्रेड करते हैं मुख्य रूप से यहां दो बड़े स्टॉक एक्सचेंज हैं एनएससी और बीएससी जिसे सेबी रेगुलेट करती है। इक्विटी बाजार में किसी भी कंपनी का 1 शेयर या उससे अधिक शेयर खरीदा और बेचा जाता है वही शेयर का ऑप्शन और फ्यूचर की खरीदारी और बिकवाली होती है!

वहीं दूसरी तरफ कमोडिटी बाजार में दो बड़े एक्सचेंज उपलब्ध है MCX और NCDX यहां पर हम प्राथमिक अर्थव्यवस्था की वस्तुएं खरीदारी और बिकवाली करते है जैसे कि गेंहू, सोयाबीन, मक्का, जैसे कृषि उत्पाद और खनन से प्राप्त वस्तुएं जैसे सोना, चांदी, कच्चा तेल, गैस आदि का व्यापार होता है।

कमोडिटी ट्रेडिंग की दुनिया में कूदने से पहले जान लें इसके फायदे और नुकसान, फ‍िर कभी नहीं होंगे असफल

COMMODITY TRADING: वस्तुओं और सेवाओं की मांग बढ़ती है, वैसे कच्चे माल यानी कमोडिटी की लागत बढ़ने से कीमत में वृद्धि होती है.

  • Vijay Parmar
  • Publish Date - June 29, 2021 / 09:11 PM IST

कमोडिटी ट्रेडिंग की दुनिया में कूदने से पहले जान लें इसके फायदे और नुकसान, फ‍िर कभी नहीं होंगे असफल

Trading In Commodity: कमोडिटी में ट्रेडिंग एक आकर्षक निवेश विकल्प है जो आपको अपना धन बढ़ाने में मदद कर सकता है.

कमोडिटी ट्रेडिंग आपको अपने लाभ का फायदा उठाने का विकल्प देती है लेकिन यदि आप कुछ सावधानियां नहीं बरतते हैं तो नुकसान भी उठाना पड़ सकता है.

मुद्रास्फीति के दौरान शेयरों की कीमतें गिरती हैं

जैसे-जैसे वस्तुओं और सेवाओं की मांग बढ़ती है, वैसे-वैसे कच्चे माल यानी कमोडिटी की लागत बढ़ने से वस्तुओं और सेवाओं की कीमत में वृद्धि होती है.

ऐसे महंगाई के माहौल में ब्याज दरों में वृद्धि होती है, जो उधार लेने की लागत को बढ़ाती है और कंपनी की शुद्ध आय को कम करती है.

कंपनी की आय गिरने से कमोडिटी मार्केट क्या है? शेयरधारकों के साथ साझा किए गए मुनाफे पर भी असर पड़ता है. इसलिए, मुद्रास्फीति के दौरान, शेयरों की कीमतें गिरती हैं.

वहीं इसके विपरीत, बढ़ती मांग के कारण तैयार माल के निर्माण में आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में काफी वृद्धि होती हैं. इसलिए, निवेशक अपनी पूंजी को मुद्रास्फीति के प्रभाव से बचाने और अपने मूल्य को बनाए रखने के लिए कमोडिटी फ्यूचर्स को अपनाते हैं.

जोखिम भरी भू-राजनीतिक घटनाओं से बचाव

संघर्ष, दंगे और युद्ध जैसी भू-राजनीतिक घटनाओं के कारण कच्चे माल कमोडिटी मार्केट क्या है? का कमोडिटी मार्केट क्या है? परिवहन करना मुश्किल हो जाता है. ऐसी घटनाएं सप्लाई चेन को तोड़ देती है, जिससे संसाधनों की कमी हो जाती है और कच्चे माल की आपूर्ति प्रभावित हो जाती है.

जिसके परिणामस्वरूप सप्लाई-डिमांड का बैलेंस बिगड़ता है, जिससे वस्तुओं की कीमतों में तेजी से वृद्धि होती है. ऐसी घटनाओं के दौरान बाजार के सेंटीमेंट खराब होते हैं.

जिससे शेयर की कमोडिटी मार्केट क्या है? कीमतों कमोडिटी मार्केट क्या है? में भारी गिरावट आती है. इसलिए, कमोडिटीज में निवेश करने से नुकसान को कम करने में मदद मिल सकती है.कमोडिटी मार्केट क्या है?

उच्च लीवरेज का फायदा

फ्यूचर्स और ऑप्‍शंस जैसे कमोडिटी डेरिवेटिव एक असाधारण उच्च स्तर का लीवरेज प्रदान करते हैं. इसके जरिए आप कान्ट्रेक्‍ट वैल्यू का केवल 5% से 10% अपफ्रंट मार्जिन चुका कर एक बड़ी पोजिशन ले सकते हैं.

वस्तुओं की कीमतों में किसी भी तरह का असाधारण मूवमेंट होने से बहुत लाभ हो सकता है. इसलिए, कमोडिटी ट्रेडिंग आपको लीवरेज का उपयोग करके अच्‍छा रिटर्न कमाने का मौका देता है.

कमोडिटी ट्रेडिंग के नुकसान

लीवरेज से जितना फायदा होता है उतना ही नुकसान होता है. लीवरेज से आप छोटी पूंजी चुका कर बड़ी पोजिशन ले सकते हैं, लेकिन, कान्ट्रैक्ट की कीमत में थोड़ा सा भी बदलाव आपको भारी नुकसान करा सकता है.

क्योंकि लॉट साइज 100 है और आप 1,000 कान्ट्रैक्‍ट खरीदे जा रहे हैं. कम मार्जिन की वजह से जोखिम बढ़ जाता हैं, जो आपके पूरे निवेश को जोखिम में डाल सकता हैं.

वोलेटिलिटी का जोखिम

वस्तुओं की कीमतें काफी वोलेटाइल हैं और सप्लाई-डिमांड पर निर्भर करती है. पेट्रोल या डीजल से चलने वाले वाहनों को घटाकर इलेक्ट्रिक वाहनों की ओर जाना आसान नहीं है.

कोयले से चलने वाली बिजली जैसे ऊर्जा स्रोतों से सौर ऊर्जा जैसे स्रोतों की ओर मुड़ने में काफी समय लगता है.

इसलिए संचयी बेलोचदार मांग और बेलोचदार आपूर्ति ऐसी स्थिति की ओर ले जाती है जहां बाजार की बुनियादी बातों में मामूली बदलाव कीमतों में बड़े उतार-चढ़ाव पैदा कर सकता है.

विविधीकरण के अनुकूल नही

जब स्टॉक की कीमतें गिर रही होती हैं, तो कमोडिटी की कीमतें आसमान की ओर बढ़ती हैं. वर्ष 2008 के वित्तीय संकट में, वस्तुओं की कुल मांग में गिरावट आई.

जिसके परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर बेरोजगारी हुई, जिसने उत्पादन को और रोक दिया. इसका मतलब है कि कैश ने कम अस्थिरता वाली वस्तुओं की तुलना में बेहतर रिटर्न प्रदान किया है.

इसलिए, कमोडिटीज प्रमुख रूप से इक्विटी वाले पोर्टफोलियो के विविधीकरण के लिए आदर्श उम्मीदवार नहीं हो सकते हैं.

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वायदा बाजार : जोखिम कम मुनाफा ज्यादा, लेकिन रखें ये ध्यान!

👉🏻कमोडिटी यानी वायदा बाजार ग्लोबल बाजार सिस्टम की नींव में से एक है. शेयर मार्केट की तरह कमोडिटी बाजार में भी खरीद-फरोख्त की जाती है, लेकिन कुछ अलग तरीके से. शेयर बाजार में हम किसी कंपनी के अंश खरीदकर उसके नफा-नुकसान में हिस्सेदार बनते हैं, लेकिन कमोडिटी बाजार में कच्चे माल की खरीद-फरोख्त की जाती है. जिन चीजों की इस्तेमाल एक इंसान रोजमर्रा के जीवन में करता है, कमोडिटी में वे सभी चीजें आती हैं, जैसे दाल, चावल, मसाले, रुई, सोना, चांदी, लोहा आदि. इस बाजार में ज्यादातर कृषि उत्पादों को शामिल किया गया है। वस्तुओं के भावों पर होते हैं सौदे:- 👉🏻इस्तेमाल में लाई जाने वाली हर वस्‍तु कमोडिटी में आती है. कमोडिटी मार्केट में सामान के पुराने तथा नए भावों के आधार पर भविष्य के भावों में सौदे किए जाते हैं. यहां लाभ के लिए शेयर बाजार की तरह लंबा इंतजार नहीं करना पड़ता. डिमांड के हिसाब से वस्तुओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव होता है. यहां कारोबारी किसी भी चीज के दाम आसमान पर चढ़ा देते हैं और किसी के उतार देते हैं. देश में खाने-पीने की चीजों में एकाएक महंगाई के पीछे कहीं हद तक वायदा बाजार का हाथ होता है. इसलिए जब भी किसी वस्तु के दाम अचानक आसमान छूने लगते हैं तो सरकार को मजूबरन उस वस्तु के वायदा बाजार पर रोक लगानी पड़ती है. इस बाजार में कीमतें मांग और सप्लाई के नियम से तय होती हैं। क्या है वायदा बाजार:- 👉🏻अगर आप कमोडिटी की थोड़ी बहुत भी जानकारी रखते हैं तो थोड़े बहुत निवेश में अच्छा-खासा मुनाफा कमा सकते हैं. जैसे कि भारतीय मसालों की इंटरनेशनल मार्केट में बहुत मांग होती है, इसलिए मसालों के सौदे करके आप अच्छा मुनाफा हासिल कर सकते हैं. कमोडिटी मार्केट में एक तय तारीख तक के लिए सौदे किए जाते हैं. हर महीने के आखिरी गुरूवार को सौदों का निपटारा होता है. अगर आप चाहें तो अपने सौदे को अगले महीने से भी आगे बढ़ा सकते हैं. वायदा कारोबार कमोडिटी एक्सचेंज में होता है. देश में एमसीएक्स, एनसीडीईएक्स, एनएमसीई और आईसीईएक्स प्रमुख कमोडिटी एक्सचेंज हैं. वर्तमान में वायदा लेन-देन के लिए राष्‍ट्रीय स्‍तर के पांच केंद्र हैं, इनमें 113 जिंसों की वायदा खरीद-बिक्री होती है. इसके अलावा 16 ऐसे केन्‍द्र हैं, जहां पर वायदा बाजार कमीशन द्वारा जिंसों में ही सौदे होते हैं. वायदा बाजार आयोग (कमोडिटी मार्केट क्या है? एफएमसी) का मुख्‍यालय मुंबई में है। बॉम्बे में कॉटन से शुरू हुई कमोडिटी मार्केट की शुरूआत:- 👉🏻कमोडिटी बाजार की शुरूआत 1875 में बॉम्‍बे कॉटन ट्रेड एसोशिएशन के साथ हुई थी. यहां पर केवल कॉटन के सौदे होते थे. इसके बाद 1900 में गुजराती व्‍यापारी मंडली ने बादाम, बीज और कपास के व्‍यापार के सौदे करने शुरू किए. 2007 में अभिषेक बच्चन की फिल्म 'गुरु' वायदा बाजार के खेल पर ही आधारित थी। इन बातों का रखें ध्यान:- 👉🏻अगर आप कृषि जिंसों का कारोबार करना चाहते हैं तो उस जिंस का उत्‍पादन, मांग और सप्‍लाई की जानकारी होनी चाहिए. फसल मौसम में उसकी आवक, मौसम की जानकारी और आने वाले समय में फसल कैसी होगी, कितनी फसल बाजार में आएगी, उसका कमोडिटी मार्केट क्या है? क्या भाव रहेगा आदि की जानकारी होनी चाहिए.अगर आप धातु में सौदा करना चाहते हैं तो उसके उत्पादन, आयात निर्यात और उद्योग जगत में उस धातु के इस्तेमाल की जानकारी का गहराई से अध्‍ययन करना चाहिए। दो तरह से होता है व्यापार:- 👉🏻वायदा बाजार में दो तरह से सौदे होते हैं एक तो फ्यूचर क्या है फ्यूचर और ऑप्शन के आधार पर. इसमें अगर सौदों की खरीद-फरोख्त के लिए वस्तु के वास्तिक मूल्य की जरूरत नहीं होती है, केवल मार्जिन मनी पर ही सारा खेल चलता है. फ्यूचर ट्रेडिंग के लिए कम निवेश की जरूरत होती है. यहां रोजाना नफा-नुकसान का हिसाब होता है. नुकसान होने पर ट्रेडर को उसकी भरपाई ब्रोकर को करनी होती है। स्त्रोत:- Zee Business, 👉🏻प्रिय किसान भाइयों दी गयी उपयोगी जानकारी को लाइक 👍 करें एवं अपने अन्य किसान मित्रों के साथ शेयर करें धन्यवाद!

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