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ट्रेडर्स के स्टॉक पर लगाम के निर्देश

ट्रेडर्स के स्टॉक पर लगाम के निर्देश

अरहर, उड़द व मूंग की दाल के भाव को काबू में करने के लिए सरकार का अहम कदम, जानें कब तक घटेंगे दाम

राज्य एजेंसियों को आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत दालों के स्टॉक की जांच करने की हिदायत दी गई है।

सरकार ने तत्काल प्रभाव से तीन प्रमुख दालों के शुल्क मुक्त आयात की इजाजत दे दी है। इनमें अहरर मूंग व उड़द शामिल हैं। मांग व आपूर्ति में बढ़ रहे अंतर और महंगी होती दालों को देख सरकार ने यह फैसला किया है।

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सरकार ने तत्काल प्रभाव से तीन प्रमुख दालों के शुल्क मुक्त आयात की इजाजत दे दी है। इनमें अहरर, मूंग व उड़द शामिल हैं। मांग व आपूर्ति में बढ़ रहे अंतर और महंगी होती दालों को देख सरकार ने यह फैसला किया है। दालों के आयात का यह फैसला तीन वर्षों बाद लिया गया है। दालों की आयात नीति में संशोधन करते हुए अरहर, मूंग और उड़द को प्रतिबंधित सूची से मुक्त सूची में रख दिया गया है। इससे घरेलू बाजार ट्रेडर्स के स्टॉक पर लगाम के निर्देश में दालों की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगेगी। कोरोना संक्रमण के दौरान प्रोटीन के सबसे सस्ते स्रोत दालों की मांग में भारी इजाफा हुआ है। इनकी आपूर्ति बढ़ाने को लेकर केंद्रीय उपभेक्ता मामले मंत्रालय ने सभी राज्य सरकारों व केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र लिखकर दालों के व्यापारी, मिल मालिकों और आयातकों का स्टॉक घोषित करने का निर्देश दिया है।

राज्य एजेंसियों को आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत दालों के स्टॉक की जांच करने की हिदायत दी गई है ताकि कालाबाजारी और जमाखोरी पर शिकंजा कसा जा सके। दालों की आपूर्ति घटने और कीमतों में अचानक आई तेजी को लेकर सरकार ने सतर्कता बरतते हुए यह फैसला लिया है। किसानों को नुकसान से बचाने के लिए सरकार ने दालों के आयात का यह फैसला उस समय लिया है, जब किसानों ने अपनी पूरी उपज बाजार में बेच दी है।

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अधिसूचना में आयातित दालों के घरेलू बाजारों में पहुंचने का भी समय निर्धारित किया गया है। वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक दाल आयात में दी गई यह रियायत 31 अक्टूबर, 2021 तक ही मान्य है। आयात सौदे हर हाल में इससे पहले पूरे कर लिए जाने चाहिए। घरेलू बंदरगाहों पर इन दालों की आमद 30 नवंबर, 2021 से पहले हो जानी चाहिए। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि आगामी खरीफ की फसल को दलहन उपज को मिलने वाले दाम के नुकसान से बचाया जा सके।

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सरकार के इस फैसले को इंडियन पल्स एंड ग्रेन्स ट्रेडर्स एसोसिएशन ने समय पर उठाया गया सराहनीय कदम बताया है। एसोसिएशन के अनुसार इससे बाजार में जहां उपभोक्ताओं को रियायती व उचित दर पर दालें मिलेंगी। एसोसिएशन को उम्मीद है कि फौरी तौर पर 2.5 लाख टन अरहर (तूर), 1.5 लाख टन मूंग और 50-75 हजार टन उड़द आयात का अऩुमान है। दलहनी फसलों की पैदावार को लेकर सचिवों की अंतर मंत्रालयी बैठक में मतभेद था। पैदावार के ताजा अनुमान को लेकर संदेह व्यक्त किया जा रहा था। दालों का सरकारी बफर स्टॉक न्यूनतम स्तर 12 लाख टन पर आ गया है। इसमें अरहर का स्टॉक 3.35 लाख टन है, जिसमें चालू खरीद सीजन की अरहर दाल नहीं है। अधिकतम बफर स्टॉक 40 लाख टन तक रह चुका है।

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अधिकतर दालों की खरीद एमएसपी से अधिक पर

घरेलू बाजार में दलहनी फसलों के मूल्य न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के मुकाबले अधिक बोले जा रहे हैं। बाजार में चना दाल को छोड़ ट्रेडर्स के स्टॉक पर लगाम के निर्देश बाकी सभी दालों के मूल्य 100 रुपये प्रति किलो से ऊपर हैं। चना की एमएसपी 5,100 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि यह बाजार में 5,700 रुपये ट्रेडर्स के स्टॉक पर लगाम के निर्देश तक बिका। अरहर अपने समर्थन मूल्य 6,000 रुपये प्रति क्विंटल के मुकाबले 7,000 रुपये पर बिका है। उड़द का भाव 6,000 रुपये एमएसपी के मुकाबले 7,200 रुपये तक हो चुका है। मूंग अपनी एमएसपी 7,196 रुपये क्विंटल के मुकाबले 7,500 रुपये प्रति क्विंटल तक बिक रहा है।

एमेजान पर बैन लगाने की उठी मांग, गंभीर गड़बड़ी के लगे हैं आरोप

एमेजान पर बैन लगाने की उठी मांग, गंभीर गड़बड़ी के लगे हैं आरोप

-सरकार के अंकुश से बचने के लिए कॉरपोरेट ढांचे में बदलाव कर लेती है एमेजान नई दिल्ली। कई तरह की गंभीर गड़बड़‍ियों वाले कथ‍ित खुलासे वाली एक रिपोर्ट के बाद अब ई-कॉमर्स कंपनी एमेजॉन पर भारत में बैन लगाने की मांग की जा रही है। खुदरा व्यापारियों के संगठन कन्फडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने एमेजॉन के भारतीय कारोबार पर रोक लगाने की मांग की है। गौरतलब है कि एक खास रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ था कि एमेजॉन कई साल से अपने भारतीय प्लेटफॉर्म पर कुछ खास विक्रेताओं को तरजीह देती है और उनका इस्तेमाल भारत के ट्रेडर्स के स्टॉक पर लगाम के निर्देश सख्त विदेशी निवेश मानकों से बचने के लिए कर रही है। रिपोर्ट में एमेजॉन पर कई गंभीर आरोप है। ऐजंसी ने साल 2012 से 2019 के बीच जारी ट्रेडर्स के स्टॉक पर लगाम के निर्देश एमेजॉन के आंतरिक दस्तावेजों को हासिल कर यह बताया है कि सरकार ने जब भी छोटे कारोबारियों के हितों की रक्षा के लिए नए अंकुश लगाए, एमेजॉन ने अपने कॉरपोरेट ढांचे में बदलाव कर लिया। इसके अनुसार साल 2019 में एमेजॉन की भारत में होने वाली बिक्री में 35 फीसदी हिस्सा सिर्फ दो विक्रेताओं का था। इन कंपनियों में एमेजॉन की सीधी हिस्सेदारी है।' इसके मुताबिक एमेजॉन के 4 लाख विक्रेताओं में से सिर्फ 35 सेलर्स की इसकी कुल ऑनलाइन बिक्री में करीब दो-तिहाई हिस्सेदारी है। नियमों के मुताबिक एमेजॉन बिक्री करने वाली कंपनी में खुद हिस्सेदारी नहीं ले सकती और इस तरह से कुछ कंपनियों या विक्रेताओं की मोनोपॉली भी नहीं रखी जा सकती। करीब 8 करोड़ खुदरा दुकानदारों से जुड़े होने का दावा करने वाली कैट ने एक बयान में कहा, ऐजेंसी के खुलासे काफी स्तब्ध करने वाले हैं और यह इस बात के लिए काफी हैं कि भारत में एमेजॉन के कारोबार पर तत्काल रोक लगाई जाए।' कैट ने वाण‍िज्य मंत्री पीयूष गोयल से मांग की है कि इस महत्वपूर्ण मसले पर तत्काल कार्रवाई हो और एमेजॉन के भारतीय कारोबार को रोका जाए। एमेजॉन ने रिपोर्ट को तथ्यात्मक ट्रेडर्स के स्टॉक पर लगाम के निर्देश रूप से गलत बताया है। एमेजॉन ने कहा कि यह रिपोर्ट 'निराधार, अपूर्ण तथा तथ्यात्मक रूप से अशुद्ध है। एमेजॉन भारतीय कानूनों का अनुपालन करती है।' गौरतलब ट्रेडर्स के स्टॉक पर लगाम के निर्देश ट्रेडर्स के स्टॉक पर लगाम के निर्देश है कि फॉरेस्टर रिसर्च के अनुसार, एमेजॉन की साल 2019 में भारत में बिक्री करीब 73,000 करोड़ रुपये की थी

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-सरकार के अंकुश से बचने के लिए कॉरपोरेट ढांचे ट्रेडर्स के स्टॉक पर लगाम के निर्देश में बदलाव कर लेती है एमेजान नई दिल्ली। कई तरह की गंभीर गड़बड़‍ियों वाले कथ‍ित खुलासे वाली एक रिपोर्ट के बाद अब ई-कॉमर्स कंपनी एमेजॉन पर भारत में बैन लगाने की मांग की जा रही है। खुदरा व्यापारियों के संगठन कन्फडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने एमेजॉन के भारतीय कारोबार पर रोक लगाने की मांग की है। गौरतलब है कि एक खास रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ था कि एमेजॉन कई साल से अपने भारतीय प्लेटफॉर्म पर कुछ खास विक्रेताओं को तरजीह देती है और उनका इस्तेमाल भारत के सख्त विदेशी निवेश मानकों से बचने के लिए कर रही है। रिपोर्ट में एमेजॉन पर कई गंभीर आरोप है। ऐजंसी ने साल 2012 से 2019 के बीच जारी एमेजॉन के आंतरिक दस्तावेजों को हासिल कर यह बताया है कि सरकार ने जब भी छोटे कारोबारियों के हितों की रक्षा के लिए नए अंकुश लगाए, एमेजॉन ने अपने कॉरपोरेट ढांचे में बदलाव ट्रेडर्स के स्टॉक पर लगाम के निर्देश कर लिया। इसके अनुसार साल 2019 में एमेजॉन की भारत में होने वाली बिक्री में 35 फीसदी हिस्सा सिर्फ दो विक्रेताओं का था। इन कंपनियों में एमेजॉन की सीधी हिस्सेदारी है।' इसके मुताबिक एमेजॉन के 4 लाख विक्रेताओं में से सिर्फ ट्रेडर्स के स्टॉक पर लगाम के निर्देश 35 सेलर्स की इसकी कुल ऑनलाइन बिक्री में करीब दो-तिहाई हिस्सेदारी है। नियमों के मुताबिक एमेजॉन बिक्री करने वाली कंपनी में खुद हिस्सेदारी नहीं ले सकती और इस तरह से कुछ कंपनियों या विक्रेताओं की मोनोपॉली भी नहीं रखी जा सकती। करीब 8 करोड़ खुदरा दुकानदारों से जुड़े होने का दावा करने वाली कैट ने एक बयान में कहा, ऐजेंसी के खुलासे काफी स्तब्ध करने वाले हैं और यह इस बात के लिए काफी हैं कि भारत में एमेजॉन के कारोबार पर तत्काल रोक लगाई जाए।' कैट ने वाण‍िज्य मंत्री पीयूष गोयल से मांग की है कि इस महत्वपूर्ण मसले पर तत्काल कार्रवाई हो और एमेजॉन के भारतीय कारोबार को रोका जाए। एमेजॉन ने रिपोर्ट को तथ्यात्मक रूप से गलत बताया है। एमेजॉन ने कहा कि यह रिपोर्ट 'निराधार, अपूर्ण तथा तथ्यात्मक रूप से अशुद्ध है। एमेजॉन भारतीय कानूनों का अनुपालन करती है।' गौरतलब है कि फॉरेस्टर रिसर्च के अनुसार, एमेजॉन की साल 2019 में भारत में बिक्री करीब 73,000 करोड़ रुपये की थी

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