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क्यों सरकार विदेशी बॉन्ड जारी करती है?

क्यों सरकार विदेशी बॉन्ड जारी करती है?
पीएम मोदी के साढ़े चार साल के कार्यकाल में सरकार का कर्ज 49 फीसदी बढ़ा है. (फोटो सोर्स: रॉयटर्स)

Tag: bonds vs stock market

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What is a bond, information of bonds in Hindi

बॉन्ड या बॉन्ड्स (Bonds) एक प्रकार का ऋण होता है. इसे एक प्रकार का उधार पत्र भी कह सकते है. इसे आमतौर पर किसी देश की सरकार के द्वारा जारी किया जाता है. सभी देशों की सरकारों को कभी न कभी धन की आवश्यकता होती है. इसके लिए वह बाज़ार में ऋण या उधार लेने के लिए बॉन्ड्स जारी करती है. यह बॉन्ड्स बड़े निवेशक, दुसरे देशों की सरकारें, आम जनता, बड़ी निवेशक कंपनियाँ, विदेशी निवेशक, बैंक्स (Banks), इन्सुरेंस कंपनियां (Insurance), हेज फंड्स (hedge funds) की कंपनियाँ आदि खरीदते क्यों सरकार विदेशी बॉन्ड जारी करती है? है. इसके लिए बॉन्ड्स बेचने वाली सरकार हर बॉन्ड पर इंटरेस्ट या ब्याज देती है. बॉन्ड्स पर मिलने वाले ब्याज/इंटरेस्ट (interest) को कूपन (coupon) भी कहा जाता है. हर बॉन्ड की एक फेस वैल्यू (face value) होती है. यह वह रक़म होती है जिसके लिए की बॉन्ड जारी क्यों सरकार विदेशी बॉन्ड जारी करती है? किया गया है, जैसे की ₹100 या $100 या 100 यूरो आदि. बॉन्ड्स एक निश्चित समय सीमा के लिए जारी किये जाते है, जिसके बाद बॉन्ड के धारक को उसका धन वापस मिलता है. जैसे की 1 साल, 2 साल, 5 साल, 10 साल या 30 साल आदि. बॉन्ड्स की समाप्ति की तारीख को उसकी मेचुरिटी डेट (maturity date) भी कहते है. इस मेचुरिटी डेट को बॉन्ड की फेस वैल्यू वापस मिलती है.

Gold bond scheme: अगर नहीं खरीदना चाहते हैं ज्वैलरी और करना चाहते हैं सोने में निवेश तो आज से मिल रहा है सस्ते में सोना खरीदने का शानदार मौका

Published: December 28, 2020 11:16 AM IST

Gold Price Today

Gold bond scheme: अगर आप सोने की ज्वैलरी नहीं खरीदना चाहते हैं और आपका मन सोने में निवेश का है तो आज से आपको मिल रहा क्यों सरकार विदेशी बॉन्ड जारी करती है? है सोने में निवेश का शानदार मौका. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम में 28 दिसंबर 2020 से निवेश खुल गया है. केंद्र सरकार की स्कीम सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में निवेश कर आप डिजिटल गोल्ड खरीद सकते हैं.

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बता दें, चालू वित्त वर्ष के लिए सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड की यह नौवीं सब्सक्रिप्शन सीरीज है. आप 28 दिसंबर 2020 से 1 जनवरी 2021 तक इस स्कीम में निवेश कर सस्ते में डिजिटली सोना खरीद सकते हैं.

यह स्कीम भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) पेश करती है. आठवीं सीरीज के मुकाबले इस बार आपको सोने में कम भाव पर निवेश करने का मौका मिल रहा है. आठवीं सीरीज में सोने का भाव 5177 रुपये प्रति ग्राम तय किया गया था.

सरकारी गोल्‍ड बॉन्ड की कीमत बाजार में चल रहे सोने के भाव से कम होती है. बॉन्ड के रूप में आप सोने में न्यूनतम एक ग्राम और अधिकतम चार किलो तक निवेश कर सकते हैं. इस पर टैक्‍स छूट भी मिलती है. गोल्ड बांड स्‍कीम पर बैंक से लोन भी लिया जा सकता है.

बॉन्‍ड पर सालाना ढाई फीसदी का रिटर्न मिलता है. गोल्ड बॉन्ड में किसी तरह की धोखाधड़ी और अशुद्धता की संभावना नहीं होती. गोल्ड बॉन्ड 8 साल के बाद मैच्योर होते हैं. 8 साल के बाद इसे भुनाकर पैसा निकाला जा सकता है. निवेश के पांच साल के बाद इससे बाहर निकलने का विकल्प भी होता है.

क्यों हो रहा है चुनावी बॉन्ड को लेकर हंगामा, क्या होता है इलेक्टोरल बॉन्ड

सदन के शीतकालीन सत्र के दौरान गुरुवार को कांग्रेस ने इलेक्टोरल बॉन्ड का मुद्दा उठाया। कॉन्ग्रेस ने इस मुद्दे को दोनों सदनों में उठाया। इसकी वजह से राज्यसभा की कार्रवाई एक घंटे के लिए स्थगित करनी पड़ी। लोकसभा में कांग्रेस की तरफ से मनीष तिवारी ने इस मुद्दे को उठाया और कहा कि ये बॉन्ड जारी करके सरकारी भ्रष्टाचार को स्वीकृति दे दी गई है। उन्होंने ये तक कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड सियासत में पूंजीपतियों का दखल हैं। भारतीय जनता पार्टी ने इसका पलटवार करते हुए कहा है कि विपक्षी दल इसे बेवजह का मुद्दा बना रहे हैं।

इस मुद्दे को पूरा जानने से पहले ये जान लेते हैं कि आखिर क्या है इलेक्टोरल बॉन्ड। दरअसल, किसी भी राजनीतिक दल को मिलने वाले चंदे को इलेक्टोरल बॉन्ड कहा जाता है। वैसे तो ये एक तरह का नोट ही होता है, जो एक हजार, 10 हजार, 10 लाख और एक करोड़ तक का आता है। कोई भी भारतीय इसे स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से खरीद कर राजनीतिक पार्टी को चंदा दे सकता है। इन बॉन्ड्स क्यों सरकार विदेशी बॉन्ड जारी करती है? को जनप्रतिनिधित्व कानून-1951 की धारा 29ए के तहत पंजीकृत वे राजनीतिक पार्टियां ही भुना सकती हैं, जिन्होंने पिछले आम चुनाव या विधानसभा चुनाव में कम से कम एक फीसदी वोट हासिल किए हों। चुनाव आयोग द्वारा सत्यापित बैंक खाते में ही इस धन को जमा किया जा सकता है। इलेक्टोरल बॉन्ड 15 दिनों के लिए वैध रहते हैं केवल उस अवधि के दौरान ही अपनी पार्टी के अधिकृत बैंक खाते में ट्रांसफर किया जा सकता है। इसके बाद पार्टी उस बॉन्ड को कैश करा सकती है।

पीएम मोदी के कार्यकाल में भारत सरकार का कर्ज 49% बढ़ा, अभी 82 लाख करोड़ रुपये बकाया

पीएम मोदी के कार्यकाल में भारत सरकार का कर्ज 49% बढ़ा, अभी 82 लाख करोड़ रुपये बकाया

पीएम मोदी के साढ़े चार साल के कार्यकाल में सरकार का कर्ज 49 फीसदी बढ़ा है. (फोटो सोर्स: रॉयटर्स)

केंद्र की मोदी सरकार लोकसभा चुनावों से पहले कई लोक-लुभावन घोषणाओं के ऐलान का मन बना रही है। लेकिन, दूसरी ओर राजकोषीय घाटा भी क्यों सरकार विदेशी बॉन्ड जारी करती है? उसके परेशानी का कारण बना हुआ है। एक रिपोर्ट के मुताबिक पीएम मोदी के साढ़े 4 साल के कार्यकाल में भारत सरकार पर 49 फीसदी का कर्ज बढ़ा है। शुक्रवार को केंद्र सरकार के कर्ज पर स्टेटस रिपोर्ट का आठवां संस्करण जारी किया गया। रिपोर्ट के मुताबिक बीते साढ़े चार सालों में सरकार पर कर्ज 49 फीसदी बढ़कर 82 लाख करोड़ रुपये हो गया है। वित्त मंत्रालय के आंकड़ों पर गौर करें तो जून, 2014 में सरकार पर कुल कर्ज 54,90,763 करोड़ रुपये था, जो सितंबर 2018 में बढ़कर 82,03,253 करोड़ रुपये हो गया।

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