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अंतरराष्ट्रीय व्यापार के फायदे

अंतरराष्ट्रीय व्यापार के फायदे

आर्थिक संवृद्धि और विकास में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का महत्व

प्रश्न: आर्थिक विकास की द्रुत गति को हासिल करने में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की भूमिका को बखूबी मान्यता प्राप्त है। भारत जैसे विकासशील राष्ट्र के लिए अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के क्या लाभ हैं? विश्व व्यापार में अपनी भागीदारी बढ़ाने में भारत द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियों पर प्रकाश डालिए।

दृष्टिकोण

  • आर्थिक संवृद्धि और विकास में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के महत्व को स्पष्ट कीजिए।
  • भारत पर ध्यान केंद्रित करते हुए विकासशील देशों के लिए अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लाभों का आकलन कीजिए।
  • वैश्विक व्यापार में अपनी भागीदारी को बेहतर करने में भारत के समक्ष आने वाली चुनौतियों का परीक्षण कीजिए।
  • उत्तर के अंत में इस सम्बन्ध में सुझाव दीजिए।

उत्तर

2030 एजेंडा फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट के तहत अंतरराष्ट्रीय व्यापार को समावेशी आर्थिक विकास को बढ़ाने एवं निर्धनता में कमी हेतु एक प्रमुख कारक के रूप में मान्यता प्रदान की गई है। भारत की विदेश व्यापार नीति में 2019-20 तक देश की वस्तुओं एवं सेवाओं के निर्यात को 900 बिलियन डॉलर करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। भारत का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार इसकी कुल GDP का लगभग 20% है

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लाभ

  • अंतर्राष्ट्रीय व्यापार विकासशील देशों को उनकी आगतों की लागत में कमी करने तथा निवेश के माध्यम से वित्त प्राप्त करने में सहायता प्रदान करके उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाता है।
  • यह विकासशील देशों को नए बाजारों और नई सामग्रियों तक पहुँच की अनुमति प्रदान अंतरराष्ट्रीय व्यापार के फायदे कर निर्यात विविधीकरण को सुगम बनाता है जो नई उत्पादन संभावनाओं हेतु मार्ग प्रशस्त करता है।
  • यह अनुसंधान एवं विकास में निवेश (FDI के माध्यम से भी), प्रौद्योगिकी और व्यावहारिक ज्ञान के विनिमय में सहायता प्रदान कर नवाचार को प्रोत्साहित करता है।
  • व्यापार में खुलापन; नए बाजारों की स्थापना, अनावश्यक बाधाओं की समाप्ति और निर्यात के सरलीकरण द्वारा स्थानीय कंपनियों के लिए व्यापारिक अवसरों का विस्तार करता है।
  • व्यापार आर्थिक क्षेत्रकों को बढ़ावा देकर रोजगार के अवसरों का सृजन करता है। इससे नौकरियों में स्थायित्व तथा अधिकतम आय प्राप्त होती है जिसके परिमाणस्वरूप जीवन स्तर में वृद्धि होती है।
  • व्यापार शांतिपूर्ण एवं परस्पर लाभकारी विनिमय के माध्यम से लोगों को एक साथ लाकर राष्ट्रों के मध्य परस्पर संबंधों को सुदृढ़ता प्रदान करते हुए शांति व स्थिरता में योगदान देता है।

विकास अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का एक अत्यधिक महत्वपूर्ण पहलू है। केवल आंतरिक उपभोग द्वारा संचालित विकास सीमित होता है जो शीघ्र ही अपनी अधिकतम सीमा तक पहुँच कर संतृप्त हो जाता है। किसी भी देश के लिए विकास के क्रम में अपनी सीमाओं के बाहर के आर्थिक अभिकर्ताओं के साथ व्यापार करना आवश्यक है। इससे दोनों व्यापारिक साझेदार लाभान्वित होते हैं (यद्यपि अल्पावधि के लिए असमान रूप से)। इसलिए कम प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्था की तुलना में अधिक प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्था अधिक लाभ प्रदान करती है।

चुनौतियाँ

  • विदेश व्यापार नीति 2015-20 के अंतर्गत यह स्वीकार किया गया है कि भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता के समक्ष सबसे बड़ी बाधाएँ घरेलू स्तर पर विद्यमान हैं, जिनमें शामिल हैं:
  • अवसंरचना संबंधी बाधाएँ,
  • लेन-देन की उच्च लागत,
  • जटिल प्रक्रियाएँ जैसे – अनेक व्यापार बाधाएँ, कोटा आदि।
  • व्यापार सूचना प्रणाली की अपर्याप्तता एवं संस्थागत जड़ता।
  • विकासशील देश सामान्यतः प्राथमिक उत्पादों जैसे कृषिगत वस्तुओं (जिनके मूल्य एवं मांग में लोचशीलता नहीं रहती है) का निर्यात करते हैं।
  • पश्चिम में संरक्षणवाद के उद्भव के परिणामस्वरूप टैरिफ तथा नॉन-टैरिफ अवरोधों में वृद्धि हुई है।
  • विकसित देशों द्वारा प्रदान की जाने वाली निर्यात सब्सिडी, प्राप्तकर्ताओं को अनुचित रूप से प्रतिस्पर्धी लाभ प्रदान करती है।
  • क्षेत्रीय, बहुपक्षीय और द्विपक्षीय समूहों में देशों के मध्य सहयोग की कमी से विकासशील देशों की अंतर्राष्ट्रीय व्यापार भागीदारी प्रभावित होती है।
  • WTO जैसे मंचों पर विकसित देशों द्वारा की जाने वाली लॉबिंग ने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार (विशेष रूप से खाद्य सुरक्षा विनियमों से सम्बंधित) को बाधित किया है, जिसके कारण विकासशील देशों के साथ चल रही वार्ता प्रभावित हुई है।

अनुशंसाएँ :

  • टैरिफ संरचना को तर्कसंगत बनाने के साथ तकनीकी, स्वच्छता और फाइटोसेनेटरी मानकों के अनुपालन में वृद्धि करने वाली एक प्रगतिशील व्यापार नीति की आवश्यकता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय व्यापार नीति को अपने व्यापार प्रोत्साहन लाभों को पुनर्संरचित अंतरराष्ट्रीय व्यापार के फायदे करना चाहिए और इन्हें वित्तीय छूट प्रदान करने के स्थान पर निर्यातकों को प्रतिस्पर्धी बनाने में सहायक होना चाहिए।
  • विशिष्ट क्षेत्र आधारित फोकस, जैसे- ‘राष्ट्रीय कृषि निर्यात नीति’ लाने का प्रयास जिसका प्रस्तावित लक्ष्य वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने के साथ कृषि निर्यात की वर्तमान भागीदारी को 30 अरब अमेरिकी डॉलर से 60 अरब अमेरिकी डॉलर करना है।
  • WTO के ट्रेड फैसिलिटेशन एग्रीमेंट (TFA) का त्वरित कार्यान्वयन किया जाना चाहिए।

इसके अतिरिक्त, एकीकृत विश्व (ग्लोबलाइज़्ड वर्ल्ड) द्वारा प्रदत्त अवसरों का पूर्ण लाभ उठाने के लिए भारत को अंतरराष्ट्रीय व्यापार के खंडित संस्करण के विपरीत बहुपक्षीय संस्करण का सक्रिय रूप से समर्थन करना चाहिए। यह दीर्घावधिक समावेशी आर्थिक विकास में योगदान करने में सहायक होगा।

अंतरराष्ट्रीय व्यापार आकर्षक करियर

ग्लोबलाइजेशन के चलते आज पूरा विश्व और वैश्विक बाजार एक प्लेटफॉर्म पर आ गया है। इस वजह से आज के समय में घरेलू व्यापार के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय व्यापार बेहद खास हो गया है। अंतरराष्ट्रीय व्यापार के.

अंतरराष्ट्रीय व्यापार आकर्षक करियर

ग्लोबलाइजेशन के चलते आज पूरा विश्व और वैश्विक बाजार एक प्लेटफॉर्म पर आ गया है। इस वजह से आज के समय में घरेलू व्यापार के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय व्यापार बेहद खास हो गया है। अंतरराष्ट्रीय व्यापार के अंतर्गत आयात-निर्यात, अंतरराष्ट्रीय समझौते, विभिन्न देशों के व्यापार कानून, समझौते आदि के अध्ययन पर बल दिया जाता है। अंतरराष्ट्रीय व्यापार के खास होने से इस क्षेत्र में दिन-प्रतिदिन रोजगार की संभावनाएं बढ़ती ही जा रही हैं। इसी कारण अंतरराष्ट्रीय व्यापार करियर के एक आकर्षक क्षेत्र के रूप में सामने आया है।

विषय प्रकृति
पूरे पाठ्यक्रम के दौरान बिजनेस इकोनॉमिक्स, इंटरनेशनल फाइनेंस, बिजनेस स्टैटिस्टिक्स, प्रोडक्शन, ऑपरेशन मैनेजमेंट, ई-कॉमर्स, ऋण प्रबंधन, विदेश नीति आदि का प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था, बहुद्देश्यीय व्यापारिक क्षेत्र, सीमा शुल्क, व्यापार कर से संबंधित विषयों की भी जानकारी दी जाती है। विश्व के दूसरे बाजारों से परिचित कराने के लिए संस्थानों द्वारा छात्रों को समय-समय पर विदेशी दौरों पर भी भेजा जाता है।

कोर्स
अंतरराष्ट्रीय व्यापार को समझने के लिए विभिन्न संस्थानों द्वारा कई अलग-अलग पाठ्यक्रम कराए जाते हैं।
एग्जीक्यूटिव मास्टर इन इंटरनेशनल बिजनेस
एग्जीक्यूटिव पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन इंटरनेशनल बिजनेस
एमबीए (अंतरराष्ट्रीय व्यापार)
एमबीए (अंतरराष्ट्रीय मार्केटिंग)
पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन इंटरनेशनल ट्रेड मैनेजमेंट
पीजी डिप्लोमा इन ग्लोबल बिजनेस ऑपरेशन (पीडीजीबीओ)
मास्टर ऑफ इंटरनेशनल बिजनेस मार्केटिंग (एमआईबीएम)

अवधि
अधिकांश कोर्स दो वर्षीय होते हैं, लेकिन एग्जीक्यूटिव मास्टर इन इंटरनेशनल बिजनेस पाठ्यक्रम डेढ़ वर्ष का होता है। इसके अलावा कुछ संस्थान विदेश व्यापार और इससे संबंधित डिप्लोमा, डिग्री और सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम भी कराते हैं।

योग्यता
किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय या संस्थान से किसी भी संकाय में न्यूनतम 55 प्रतिशत अंकों के साथ स्नातक उत्तीर्ण आवेदकों को ही नामांकन का मौका मिलता है।

प्रवेश प्रक्रिया
अधिकांश संस्थानों में प्रवेश लिखित परीक्षा, ग्रुप डिस्कशन और साक्षात्कार के आधार पर किया जाता है। लिखित परीक्षा में उत्तीर्ण होने वाले आवेदकों को ही ग्रुप डिस्कशन और साक्षात्कार के लिए बुलाया जाता है।

नौकरी के अवसर
भारत में ग्लोबलाइजेशन की नीति लागू होने के बाद से अंतरराष्ट्रीय व्यापार में नित नए अवसर उपलब्ध हो रहे हैं। रोजगार की ढेर सारी संभावनाएं बढ़ गई हैं। आज के ग्लोबलाइजेशन युग में इस क्षेत्र में नौकरी ही नौकरी हैं।

वेतन
अंतरराष्ट्रीय व्यापार में कोर्स करने के बाद शुरुआती दौर में 4 से 8 लाख प्रतिवर्ष का पैकेज मिल जाता है। अगर आप किसी विदेशी कंपनी को जॉइन करते हैं तो वेतन 10 से 15 लाख प्रतिवर्ष तक मिल सकता है। अनुभव होने के साथ-साथ वेतन भी बढ़ता जाता है।

भारत अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के Question

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1.) योजनावधि में कितनी बार भारत का विदेशी व्यापार शेष अनुकूल रहा है
[A] एक बार
[B] दो बार
[C] तीन बार
[D] चार बार
Answer :- B

2.) अंतराष्ट्रीय व्यापार का प्रमुख प्रहरी है
[A] I.M.F.
[B] I.B.R.D.
[C] W.T.O.
[D] I.F.C
Answer :- C

3.) निर्यात शुल्क इकाईयां वे फर्म होती है जिनसे आशा की जाती है कि वह –
[A] केवल निर्यात प्रसंस्करण क्षेत्रों में हि क्रियाशील होती है
[B]आयातों की प्रतिस्थापित करेगी
[C] I.S.O. – 9000 अंतर्गत खरी उतरती है
[D] उत्पादन का बड़ा भाग निर्यात करती है
Answer :- D

4.) भारत में नियोजन काल में व्यापार संतुलन की दृष्टि से कौन-सा कथन सत्य है
[A] सभी वर्षों में अनुकूल रहा है
[B] सभी वर्षों में प्रतिकूल रहा है
[C] केवल दो अंतरराष्ट्रीय व्यापार के फायदे वर्षों में अनुकूल रहा है
[D] केवल डो वर्षों में प्रतिकूल रहा है
Answer :- C

5.) भारतीय निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए ‘इण्डिया ब्राण्ड इक्विटी फंड’ किस मंत्रालय द्वारा स्थापित किया गया
[A] वाणिज्य मंत्रालय
B] उद्योग मंत्रालय
[[C] वित मंत्रालय
[D] गृह मंत्रालय
Answer :- A

भारतीय सिनेमा से संबंधित MCQ

6.) ब्रेक इवन (Break Even) बिंदु क्या है
[A] वह स्थिति जब फार्म लाभ उठा रही है
[B] वह स्थित जब फर्म को हानि हो रही है
[C] वह स्थित जब फर्म को न लाभ और न हानि हो रही हो
[D] इसका लाभ – हानि से कोई संबन्ध नहीं है
Answer :- C

7.) ट्रेड पॉइंट (Trade Point) की स्थापना का उदेश्य है
[A] आयात-निर्यात का आदान -प्रदान करने वाला देश
[B] आयात – निर्यात सम्बन्धी सूचनाओं अक आदान प्रदान करने वाला देश
[C] विदेशी बैंकिंग व्यापार का आदान -प्रदान केंद्र
[D] सीमा शुल्क एकत्रित करने का केंद्र
Answer :- B

8.) बौद्धिक सम्पदा अधिकार से सम्बंधित व्यापार पहलु T.R.I.P.S. तथा व्यापार से सम्बन्धित निवेश उपाय T.R.I.M.S. निम्नलिखित में से किससे सम्बंधित है
A] प्रेस्टन प्रस्ताव
[B] डंकल प्रस्ताव
[[C] चेलैया समिति
[D] इनमे से कोई नहीं
Answer :- B

9.) नियोजन काल में भारत का विदेशी व्यापार
[A] केवल मात्रा में बढ़ा है
[B] केवल मूल्य में बढ़ा है
[C] मात्रा व मूल्य दोनों में बढ़ा है
[D] मात्रा व मूल्य दोनों में घटा है
Answer :- C

10.) किस दो वर्षों में भारत में व्यापार संतुलन अनुकूल अंतरराष्ट्रीय व्यापार के फायदे रहा है
[A] 1970-71 एवं 1974 -75
[B] 1972-73 एवं 1976-77
[C]1972-73 एवं 1975-76
[D] 1971-72 एवं 1976-77
Answer :- B

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मुक्त व्यापार नीति क्या है मुक्त व्यापार के पक्ष तथा विपक्ष में तर्क?

मुक्त व्यापार वह नीति है जिसमें अंतरराष्ट्रीय व्यापार में पूरी स्वतंत्रता होती है। ऐसी स्थिति में दो देशों के बीच वस्तुओं के आयात-निर्यात में किसी प्रकार की बाधा नहीं होती। सोलहवीं शताब्दी के प्रारंभ से लेकर अठारहवीं शताब्दी के तक अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के बारे में जो प्रचलित सोच थी उसे आर्थिक विचारों के इतिहास में वणिकवाद के नाम से जाना जाता है। वणिकवाद बहुत ही संकीर्ण सोच थी। वणिकवाद के अनुसार निर्यात से देश की सम्पदा में वृद्धि होती है, जबकि आयात से देश की सम्पदा में कमी आती है। एडम स्मिथ ने इस मान्यता का अंतरराष्ट्रीय व्यापार के फायदे खंडन किया और बताया की व्यापार से सभी देशों को लाभ होता है इसलिए उन्होंने मुक्त व्यापार की वकालत की। उनके अनुसार “मुक्त व्यापार की धारणा का उपयोग व्यापारिक नीति की उस अंतरराष्ट्रीय व्यापार के फायदे प्रणाली को बंद करने के लिए किया जाता है जिसमें देश तथा विदेशी वस्तुओं में किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाता इसलिए न तो विदेशी वस्तुओं पर अनावश्यक कर लगाये जाते अंतरराष्ट्रीय व्यापार के फायदे हैं और न ही स्वदेशी उद्योगों को कोई विशेष सुविधाएं प्रदान की जाती हैं।” इस प्रकार, मुक्त व्यापार अंतर्राष्ट्रीय व्यापार तथा आंतरिक व्यापार में कोई अंतर नहीं करता। आंतरिक व्यापार में स्वतंत्रता होने पर कोई भी व्यक्ति सबसे कम क़ीमत वाले बाज़ार में वस्तु खरीद सकता है और उत्पादक अपनी वस्तु को उस बाज़ार में बेंच सकता है जहाँ उसे सबसे ज्यादा क़ीमत प्राप्त हो सके। ठीक उसी प्रकार मुक्त अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में कोई भी देश सबसे कम क़ीमत पर वस्तु खरीद सकता है और साथ ही सबसे अधिक क़ीमत देने वाले देश में अपनी वस्तु बेंच सकता है।

मुक्त व्यापार के पक्ष में तर्क

एडम स्मिथ के आने से ही मुक्त व्यापार के पक्ष में हवा चल गई। उन्होंने इसके फायदे के बारे में इतना ठोस तर्क रखा कि सभी प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री इसके पक्ष में बोलने लगे। कुछ व्यापार शून्य व्यापार से बेहतर है, जबकि मुक्त व्यापार प्रतिबंधित या संरक्षित व्यापार से बेहतर है। मुक्त व्यापार के पक्ष में तर्क प्रस्तुत किये जाते हैं-

1. उत्पादन के साधनों का उचित प्रयोग- मुक्त व्यापार में सभी देश केवल उसी वस्तु का उत्पादन करता है जिसमें उसे लागत सम्बन्धी लाभ प्राप्त हो। यह लाभ चाहे वह अपेक्षा न रखनेवाला हो या समानता और असमानता दिखानेवाला, उत्पादन के साधनों के उचित तथा सबसे कुशल प्रयोग को पूरा यक़ीन करेगा।

2. तकनीकी विकास को बढ़ावा- मुक्त व्यापार में देशों के बीच आपसी मुक़ाबला रहता है. इस मुक़ाबला के कारण सभी उत्पादक पूरी कोशिश करता है कि उसके उत्पाद की लागत कम हो जिससे कि वह कम कीमत पर अपने उत्पाद को बेंच सके। इसके लिए उत्पादक तकनीकी अनुसंधान व विकास को बढ़ावा देता है।

3. सामाजिक उत्पादन का अधिकतमीकरण- मुक्त व्यापार श्रम विभाजन और विशेषज्ञता को बढ़ाता है जिसके कारण कुल उत्पादन में वृद्धि होती है और साथ ही वस्तु का उत्पादन लागत भी गिरता है। समाज को पहले से कम कीमत' पर और साथ ही अधिक वस्तुओं का उपभोग करने का मौका मिलता है। वस्तुओं का मूल्य उनके सीमान्त लागत के बराबर हो जाता है। यह स्थिति अनुकूलतम उत्पादन की स्थिति को व्यक्त करता है। प्रत्येक देश की आर्थिक क्रियाओं का उद्देश्य अधिकतम सामाजिक लाभ की प्राप्ति होती है और यह मुक्त व्यापार में प्राप्त किया जा सकता है।

4. आयात सामग्री का वस्तुओं के मूल्यों में कमी- मुक्त व्यापार सस्ते आयात सामग्री वस्तुओं की उपलब्धता को सुनिश्चित करता है। उपभोक्ताओं को ऐसे देश की वस्तु का उपभोग करने का मौका मिलता है जहाँ वह कम-से कम लागत पर प्राप्त किया जाता है। यह अलग बात है कि इस तर्क में देशी उत्पादकों के हितों की अवहेलना की गई है और साथ ही रोजगार के पहलू को भी नजरंदाज किया गया है।

5. एकाधिकारिक शोषण से मुक्ति- मुक्त व्यापार में प्रतियोगिता होने के कारण उपभोक्ता एकाधिकारिक शोषण से बच जाते हैं। प्रत्येक देश के उत्पादक को केवल देश के ही नहीं बल्कि विदेशी उत्पादकों से प्रतिस्पर्धा करनी पड़ती है जिसके कारण एकाधिकार का जन्म नहीं होता और फलस्वरूप उपभोक्ताओं को सस्ते मूल्य पर वस्तुएं प्राप्त होती है।

6. विश्व के सभी देशों के आर्थिक हितों की सुरक्षा- मुक्त व्यापार व्यवस्था से विश्व के सभी देशों के हितों की रक्षा होती है। मुक्त व्यापार के इसलिये आयात करनेवाले देश और निर्यात करने वाले देश दोनों को लाभ प्राप्त होता है। मुक्त व्यापार में एक देश दूसरे देश पर निर्भर होता है इसलिये उन देशों के बीच सहयोग एवं सद्भावना जागृत होती है।

मुक्त व्यापार विपक्ष में तर्क

मुक्त व्यापार की अपनी सीमाएं हैं, जिसके कारण हमें अपेक्षित परिणाम प्राप्त नहीं होता। अनुभव तो यही बताता है कि जैसे-जैसे दुनिया मुक्त व्यापार की और बढ़ रही है, विकसित और विकासशील देशों के बीच की खाई और चैड़ी होती जा रही है. बहुराष्ट्रीय कम्पनिओं का जाल विकासशील देशों में फैलता जा रहा है। उनके यहाँ के घरेलू उद्योग इन बहुराष्ट्रीय कम्पनिओं के आगे मुकाबला करने में कठिनाई का अनुभव कर रहे है। कई उद्योग तो बहुराष्ट्रीय कम्पनिओं के सामने अपना अस्तित्व ही खो चुके हैं। ऐसे में अब दुबारा इन देशों में अंतरराष्ट्रीय व्यापार के फायदे अंतरराष्ट्रीय व्यापार के फायदे संरक्षण के उपाय की बात की जा रही है. मुक्त व्यापार की निम्नलिखित सीमाएं हैं-

1. मुक्त व्यापार ख़याली मान्यताओं पर आधारित है- मुक्त व्यापार की वकालत करनेवाले एडम स्मिथ और अन्य प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री ऐसी मान्यताएं ले बैठे जो वास्तविकता से दूर हैं। जैसे स्थिर लागत की दशा का उत्पादन, साधन की गतिशीलता की मान्यता आदि शायद ही देखने को मिलता है।

2. पूर्ण प्रतियोगिता की मान्यता पर आधारित- मुक्त व्यापार से प्राप्त होने वाले लाभ वस्तु तथा साधन बाजार में पूर्ण प्रतियोगिता की मान्यता पर आधारित है, जो शायद ही उपलब्ध हो पाती है। इसके कारण साधनों का अनुकूलतम आवंटन और वस्तुओं का अनुकूलतम वितरण नहीं हो पाता जिसके कारण मुक्त व्यापार से वो स्थिति प्राप्त नहीं हो पाती जो दावा किया जाता है।

3. प्रारंभिक उद्योग के लिए अनुपयुक्त- मुक्त व्यापार प्रारंभिक उद्योग के लिए नामुनासिब है क्योंकि ऐसे उद्योग मुक़ाबला को झेल पाने में योग्य नहीं होते। फ्रेडरिक लिस्ट ने अपने प्रारंभिक उद्योग तर्क में इस बात को बहुत सरल तरीके से बताया है और ऐसे उद्योगों को प्रारंभ में संरक्षण देने की वकालत की है।

4. मांग और पूर्ति का पूरी तरह लोचदार होना आवश्यक- मुक्त व्यापार इस मान्यता पर आधारित है कि लंबे समय में मांग और पूर्ति पूरी तरह लोचदार हो जाते हैं जिसके कारण उद्योगों की लागतें रुक जाती है. किन्तु वास्तविक जगत में ऐसा संभव नहीं।

Rupees for Global Trade: केंद्र ने रुपये में अंतरराष्ट्रीय व्यापार के सेटलमेंट की अनुमति दी, जानें इसके फायदे

rupee 1645631153

केंद्र सरकार ने बुधवार को विदेश व्यापार नीति के तहत निर्यात प्रोत्साहन योजनाओं के लिए भारतीय मुद्रा में अंतरराष्ट्रीय व्यापार समझौते की अनुमति दे दी है। सरकार की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि भारत सरकार ने रुपये में अंतरराष्ट्रीय व्यापार निपटाने की अनुमति देने के लिए विदेश व्यापार नीति और प्रक्रियाओं की पुस्तिका में उपयुक्त संशोधन किए हैं।

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘भारतीय रुपये के अंतर्राष्ट्रीयकरण करने की रुचि में वृद्धि को देखते हुए रुपये में अंतरराष्ट्रीय व्यापार के निपटाने को मंजूरी देने का फैसला लिया गया है। ऐसा अंतरराष्ट्रीय व्यापार में लेनदेन को सुविधाजनक बनाने और आसान बनाने के लिए किया गया है।’

मंत्रालय ने कहा कि नए बदलावों को निर्यात के लिए आयात, स्टेटस होल्डर्स के रूप में मान्यता के लिए निर्यात प्रदर्शन, अग्रिम प्राधिकरण व शुल्क मुक्त आयात प्राधिकरण योजनाओं के तहत निर्यात आय की वसूली और निर्यात प्रोत्साहन पूंजीगत सामान योजना के तहत निर्यात आय की वसूली के लिए अधिसूचित किया गया है।

इस बीच, कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट, डॉलर की कमजोरी और निरंतर विदेशी फंड प्रवाह के बीच आज अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 45 पैसे की तेजी के साथ 81.47 (अनंतिम) पर बंद हुआ। इंटरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में स्थानीय इकाई डॉलर के मुकाबले 81.43 रुपये के स्तर पर खुली और सत्र के दौरान 81.23 रुपये के इंट्रा-डे हाई और 81.62 रुपये के निम्नतम स्तर के बीच कारोबार करती दिखी।

विस्तार

केंद्र सरकार ने बुधवार को विदेश व्यापार नीति के तहत निर्यात प्रोत्साहन योजनाओं के लिए भारतीय मुद्रा में अंतरराष्ट्रीय व्यापार समझौते की अनुमति दे दी है। सरकार की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि भारत सरकार ने रुपये में अंतरराष्ट्रीय व्यापार निपटाने की अनुमति देने के लिए विदेश व्यापार नीति और प्रक्रियाओं की पुस्तिका में उपयुक्त संशोधन किए हैं।

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘भारतीय रुपये के अंतर्राष्ट्रीयकरण करने की रुचि में वृद्धि को देखते हुए रुपये में अंतरराष्ट्रीय व्यापार के निपटाने को मंजूरी देने का फैसला लिया गया है। ऐसा अंतरराष्ट्रीय व्यापार में लेनदेन को सुविधाजनक बनाने और आसान बनाने अंतरराष्ट्रीय व्यापार के फायदे के लिए किया गया है।’

मंत्रालय ने कहा कि नए बदलावों को निर्यात के लिए आयात, स्टेटस होल्डर्स के रूप में मान्यता के लिए निर्यात प्रदर्शन, अग्रिम प्राधिकरण व शुल्क मुक्त आयात प्राधिकरण योजनाओं के तहत निर्यात आय की वसूली और निर्यात प्रोत्साहन पूंजीगत सामान योजना के तहत निर्यात आय की वसूली के लिए अधिसूचित किया गया है।

इस बीच, कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट, डॉलर की कमजोरी और निरंतर विदेशी फंड प्रवाह के बीच आज अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 45 पैसे की तेजी के साथ 81.47 (अनंतिम) पर बंद हुआ। इंटरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में स्थानीय इकाई डॉलर के मुकाबले 81.43 रुपये के स्तर पर खुली और सत्र के दौरान 81.23 रुपये के इंट्रा-डे हाई और 81.62 रुपये के निम्नतम स्तर के बीच कारोबार करती दिखी।

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