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पुट ऑप्शन की खरीद

पुट ऑप्शन की खरीद

कॉल ऑप्शन क्या है सम्पूर्ण जानकारी

दोस्तों शेयर मार्केट ट्रेडिंग में कॉल ऑप्शन क्या है और ये कैसे काम करता है इसके बारे में आज मैं आपको जानकारी देने वाला हु. शेयर मार्केट में कॉल और पुट ये दो प्रकार के ऑप्शन की ट्रेडिंग होती है. कॉल ऑप्शन आप तब खरीदते है जब आप शेयर मार्केट के प्रति बुलिश होते है.

कॉल ऑप्शन क्या है और कॉल ऑप्शन का उपयोग आप तेजी और मंदी करने के लिए कैसे कर सकते है इसके बारे में भी आप इस आर्टिकल मैं जानने वाले है. कॉल और पुट को डेरिवेटिव्स के नाम से जाना जाता है. इस आर्टिकल मैं आप कॉल ऑप्शन क्या है इसके बारे मैं डिटेल में जानने वाले है.

कॉल ऑप्शन खरीदने का मतलब होता है की आपका नजरिया मार्केट के प्रति बुलिश है. जब की कॉल ऑप्शन को बेचने का मतलब होता है की आपका नजरिया मार्केट के प्रति बेरिश है. कॉल ऑप्शन का उपयोग आप बुलिश और बेरिश दोनों तरीके से कर सकते है. कॉल ऑप्शन को खरीदना मतलब तेजी करना जबकि कॉल ऑप्शन को बेचना मतलब मंदी करना होता है. कॉल ऑप्शन को जब बेचा जाता है तो उसे कॉल राइटिंग कहा जाता है. अब मैं आपको कॉल ऑप्शन क्या है इसके बारे में डिटेल में और example के साथ समजाता हु.

कॉल ऑप्शन क्या है इन हिंदी (call option meaning in hindi)

दोस्तों सबसे पहले कॉल ऑप्शन क्या है इसके बारे में थोड़ी जानकारी देता हु इसके बाद मैं इसे आपको डिटेल मैं समजाता हु. शेयर (सिक्योरिटीज) निफ्टी, बैंक निफ्टी (इंडेक्स) के प्रति जब आपका नजरिया बुलिश होता है तो आप किसी भी शेयर या इंडेक्स का कॉल ऑप्शन खरीद सकते है.

जब आपको लगे की किसी शेयर या इंडेक्स मैं या दुसरे फाइनेंसियल इंस्ट्रूमेंट मैं तेजी आ सकती है तब आप उस शेयर, या इंडेक्स या दुसरे फाइनेंसियल इंस्ट्रूमेंट का कॉल ऑप्शन खरीद सकते है. जब आप पुट ऑप्शन की खरीद कॉल ऑप्शन खरीदते है तब मार्केट का बुलिश रहना जरुरी है तभी ही आपको फायदा हो सकता है. आसन शब्दों में कहे तो आपको कॉल ऑप्शन तभी खरीदना चाहिए जब आप मानते हो की मार्केट ऊपर की तरफ जा सकता है मतलब की बुलिश हो सकता है.

कॉल ऑप्शन क्या है उदाहरण (call option example)

दोस्तों जब आपका नजरिया मार्केट के प्रति बुलिश होता है तब आप कॉल ऑप्शन खरीदते है. मान लीजिये की एस.बी.आई शेयर का वर्तमान प्राइस 440 है और इस शेयर का भाव २-३ दिन में और बढ़ सकता है तो आप एस.बी.आई शेयर का कॉल खरीद सकते है. जैसे जैसे एस.बी.आई शेयर का भाव बढेगा वैसे वैसे पुट ऑप्शन की खरीद आपके कॉल ऑप्शन का भाव भी बढ़ता है जिसे प्रीमियम के नाम से जाना जाता है.

कोई कॉल ऑप्शन का भाव कितना बढेगा वो कई दुसरे पहेलुओ पर निर्भर करता है. जैसे की कॉल का डेल्टा, गामा, थीटा, वेगा जिसे ऑप्शन ग्रीक्स के नाम से जाना जाता है. ऑप्शन एक्सपायरी का भी इसमें बहुत बड़ा रोल होता है जिसे हम आगे समजने वाले है. अभी आपको इतना समजना है की आप कॉल ऑप्शन तब खरीदते है जब आपका नजरिया मार्केट के प्रति बुलिश होता है. अब आपको समज आ गया होगा की कॉल ऑप्शन क्या है. अब में आपको कॉल ऑप्शन के बारे में थोड़ी और जानकारी देता हु.

कॉल ऑप्शन स्ट्राइक प्राइस (call option strike price)

दोस्तों चाहे कोई भी ऑप्शन हो कॉल ऑप्शन हो या पुट ऑप्शन उसमे मुख्य रूप से तिन प्रकार की स्ट्राइक प्राइस होती है. एट ध मनी स्ट्राइक प्राइस, इन ध मनी स्ट्राइक प्राइस और आउट ऑफ़ ध मनी स्ट्राइक प्राइस.

सबसे पहले हम एट ध मनी स्ट्राइक प्राइस किसे कहते है इसके बारे में जानकारी देता हु. किसी भी शेयर या इंडेक्स के वर्तमान प्राइस को एट ध मनी स्ट्राइक प्राइस कहते है. जैसे की एस.बी.आई शेयर का वर्तमान प्राइस 440 है तो 440 वाली स्ट्राइक को एट ध मनी स्ट्राइक प्राइस कहते है.

अब में आपको आउट ऑफ़ ध मनी स्ट्राइक प्राइस क्या होती है इसके बारे में जानकारी देता हु. जो स्ट्राइक प्राइस वर्तमान प्राइस से दूर होती है उसे आउट ऑफ़ ध मनी स्ट्राइक प्राइस कहते है जैसे की अभी एस.बी.आई शेयर का प्राइस 440 चल रहा है तो 445,450 आदि हमारे लिए आउट ऑफ़ ध मनी स्ट्राइक प्राइस कहलाती है.

जब की इन ध मनी स्ट्राइक हमारे लिए वो होती है जिसके ऊपर अभी वर्तमान मैं प्राइस चल रहा होता है जैसे की एस.बी.आई का प्राइस अभी 440 चल रहा है तो 435,430,425 आदि स्ट्राइक हमारे लिए इन ध मनी स्ट्राइक कहलाती है. इन ध मनी स्ट्राइक प्राइस का मतलब होता है जिसमे आतंरिक वेल्यु होती है. आतंरिक वेल्यु का मतलब आसान शब्दों मैं कहे तो शेयर मार्केट मैं वर्तमान मैं पुट ऑप्शन की खरीद शेयर का जो प्राइस चल रहा है उससे कम दामो वाली स्ट्राइक.

कॉल ऑप्शन प्रीमियम (call option premium)

दोस्तों ऑप्शन मैं जो सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है वो है ऑप्शन प्रीमियम. दोस्तों प्रीमियम वो होता है जो आप कॉल ऑप्शन को खरीदने के लिए चुकाते है.

ऑप्शन का प्रीमियम क्या है वो सबसे ज्यादा महत्त्व रखता है. सामान्य रूप से इन ध मनी स्ट्राइक का ऑप्शन प्रीमियम सबसे ज्यादा होता है. एट ध मनी स्ट्राइक प्राइस का प्रीमियम इन ध मनी ऑप्शन स्ट्राइक प्राइस से कम होता है और आउट ऑफ़ ध मनी स्ट्राइक प्राइस का प्रीमियम सबसे कम होता है. मतलब की जिस स्ट्राइक प्राइस पर शेयर के भाव पंहुचने की संभावना कम होती है उसका प्रीमियम कम होता है.

कॉल ऑप्शन ग्रीक्स (call option greeks)

दोस्तों किसी कॉल ऑप्शन का भाव बढेगा या उसमे गिरावट आएगी उसका आधार ऑप्शन ग्रीक्स पर होता है. कॉल हो या पुट इसमें डेल्टा,गामा,थीटा,और वेगा जैसे ग्रीक्स असर करते है. कोई भी ऑप्शन का प्रीमियम कितना बढेगा या गिरेगा ये ऑप्शन ग्रीक्स तय करते है.

इसलिए अगर आप ऑप्शन ट्रेडिंग कर रहे है तो आपको ऑप्शन ग्रीक्स इन हिंदी के बारे मैं पता होना चाहिए. ऑप्शन ग्रीक्स क्या होते है इसे डिटेल में जानने के लिए मेरा आर्टिकल ऑप्शन ग्रीक्स इन हिंदी जरुर पढ़े.

कॉल ऑप्शन एक्सपायरी (call option expiry)

दोस्तों कॉल ऑप्शन हो या पुट ऑप्शन ऑप्शन ट्रेडिंग करने के लिए आपको एक निश्चित समय अवधि मिलती है जिसे ऑप्शन एक्सपायरी के नाम से जाना जाता है. ऑप्शन एक्सपायरी वर्तमान मैं एक weak से लेकर तिन महीने तक की समय अवधि वाली होती है.

आपको इस समय अवधि के दरम्यान या किसी भी ऑप्शन की एक्सपायरी के दिन अपने कॉल या पुट ऑप्शन की पोजीशन को क्लोज करना होता है जिसे शेयर मार्केट में ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट के नाम से जाना जाता है. आपको एक्सपायरी के दिन सारे ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट को क्लोज कर देना पड़ता है चाहे मुनाफा मिल रहा हो या नुकशान.

कॉल ऑप्शन को बेचने का मतलब (call option writing meaning in hindi)

दोस्तों जैसे की हमने जाना की हम कॉल ऑप्शन तब खरीदते है जब हमारा नजरिया मार्केट के प्रति बुलिश होता है. लेकिन कॉल ऑप्शन को बेच के आप मंदी भी कर सकते है. कॉल ऑप्शन को बेचने का मतलब होता है की आपका नजरिया मार्केट के प्रति बेरिश है मतलब की आप मानते है की किसी शेयर, या इंडेक्स में गिरावट आ सकती है. कॉल ऑप्शन को सेल करने को कॉल राइटिंग के नाम से जाना जाता है.

तो आप जरुर याद रखे की कॉल खरीदना मतलब तेजी और कॉल बेचना या कॉल राइटिंग करना मतलब मंदी करना. ये आपको समजने में थोडा मुश्किल लगे लेकिन जैसे हम किसी गिरते शेयर को बेचते है वैसे ही हम किसी गिरते प्राइस वाले कॉल को बेच के मंदी कर सकते है.

निष्कर्ष:

दोस्तों अब आपको जानकारी मिल चुकी होगी की कॉल ऑप्शन क्या है और कॉल ऑप्शन आप कब खरीद सकते है. कॉल ऑप्शन स्ट्राइक प्राइस क्या होती है इसके बारे मैं भी मैं आपको जानकारी दे चूका हु. कॉल ऑप्शन क्या है इसके बारे मैं अगर आपको अभी भी कोई प्रश्न है तो आप कमेंट के जरिये मुझे पूछ सकते है. शेयर बाजार कोर्स आप मेरी वेबसाइट पर बिलकुल फ्री मैं सिख सकते है तो जरुर विजिट करे. हिन्दिसफ़र.नेट

शेयर मार्केट में ऑप्शन ट्रेडिंग को आसान भाषा में समझें।

Option Trading के बारे में विस्तार से जानने से पहले जानते हैं कि ऑप्शन ट्रेडिंग क्या है? ऑप्शन एक कॉन्ट्रेक्ट है जो विक्रेता द्वारा लिखा जाता है, जो खरीदार को अधिकार देता है कि वह भविष्य अपने कॉन्ट्रेक्ट को पूरा करने के लिए बाध्य नहीं है। इस आर्टिकल में ऑप्शन ट्रेडिंग के बारे में विस्तार से बताया गया है। जानते हैं- शेयर मार्केट में ऑप्शन ट्रेडिंग को आसान भाषा में समझें। Option tarding in stock market kya hai Hindi.

Option trading in stock market hindi

Option trading in Stock market

शेयर मार्किट में वैसे को बहुत सारे तरीके हैं पैसे कमाने के उन्ही में से एक तरीका ऑप्शन ट्रेडिंग भीं है। शेयर मार्किट एक्सपर्ट अक्सर रिटेल ट्रेडर को ऑप्शन मार्केट से दूर रहने की सलाह देते रहते हैं। लेकिन रिटेल ट्रेडर भी ऑप्शन मार्केट को अच्छे से समझकर और सीखकर इससे थोड़े समय में ही अच्छा पैसा कमा सकते हैं। Price Action क्या है?

ऑप्शन एक डेरिवेटिव प्रोडक्ट है, जिसमे आपको केवल प्रीमियम देना होता है। जिसकी वैल्यू उसके Underlying asset में निहित होती है। डेरीवेटिव दो प्रकार के होते हैं- फ्यूचर एंड ऑप्शन। एक फ्यूचर कॉन्ट्रेक्ट आपको भविष्य की एक निश्चित तारीख (Expiry Date) को एक निश्चित मूल्य पर शेयर खरीदने या बेचने का अधिकार देता है लेकिन ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट में ऐसा नहीं है, ऑप्शन कंट्रेक्ट में आप निश्चित तारीख (Expiry date) पर आप सौदा पूरा करने के लिए बाध्य नहीं हैं।

उदाहरण के द्वारा ऑप्शन पुट ऑप्शन की खरीद ट्रेडिंग को समझें

Option trading in Stock market को एक उदाहरण के द्वारा इस तरह समझा जा सकता है- माना रमेश और आकाश दो दोस्त हैं। रमेश के पास दो बीघा जमीन है और वह उस जमीन को बेचना चाहता है। आकाश उस जमीन को खरीदना चाहता है, उस जमीन की कीमत मार्केट रेट के हिसाब से दस लाख रूपये है। आकाश दस लाख रूपये मैं उस जमीन को खरीदने के लिए तैयार हो जाता है लेकिन आकाश के पुट ऑप्शन की खरीद पास अभी पूरे पैसे नहीं है। एल्गो ट्रेडिंग क्या है?

इस वजह से दोनों के बीच एक महीने का कॉन्ट्रैक्ट साइन होता है, कॉन्ट्रैक्ट एक सितंबर से तीस सितंबर तक का होता है। रमेश आकाश से एक लाख रूपये टोकन अमाउंट ले कर एक रिसीप्ट बनाता है। जिसमे उन दोनों के बीच यह समझौता होता है कि आकाश बाकी के पैसे कॉन्ट्रैक्ट की अवधि पूरी होने तक रमेश को दे देगा।

रमेश यह जमीन कॉन्ट्रैक्ट का समय पूरा होने तक किसी और को नहीं बेचेगा यह कॉन्टेक्ट दोनों को मंजूर होती है। इस बीच जमीन के भाव में परिवर्तन हो सकता है, कांटेक्ट का समय पूरा होने तक जमीन के भाव मार्केट रेट से कम या ज्यादा भी हो सकते हैं।

यदि इस बीच जमीन के भाव दस लाख से बढ़कर बीस लाख रूपये हो जाते हैं। तो इसमें रमेश को नुकसान होगा अगर जमीन के भाव दस लाख रूपये से कम हो जाते हैं तो इसमें आकाश को नुकसान है। अगर आकाश कहता है कि मेरे एक लाख रूपये जाएं तो जाएं मुझे जमीन नहीं खरीदनी है तो आकाश ऐसा कर सकता है। उपर्युक्त उदाहरण में, तीस सितंबर एक्सपायरी डेट है, जमीन शेयर है, दस लाख रुपए शेयर का प्राइस है, एक लाख रुपए प्रीमियम है और दो बीघा क्वांटिटी है। स्टॉक चार्ट को कैसे समझें?

Option trading को ऑप्शन मार्केट भी बोल सकते हैं। ऑप्शन मार्केट एक हेजिंग बेस्ट प्रोडक्ट है. जैसे कि फ्यूचर मार्केट एक ट्रेडिंग बेस्ट प्रोडक्ट है। इसी तरह इक्विटी मार्केट एक इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट है। हेजिंग से आप दोनों तरफ की पोजीशन पर प्रॉफिट कमा सकते हैं, जब मार्केट ऊपर जाता है तब भी और जब मार्केट नीचे जाता है तब भी आप ऑप्शन के द्वारा प्रॉफिट कमा सकते हैं।

ऑप्शन मार्केट में स्क्रिप्ट होती है उसका स्ट्राइक प्राइस होता है और उसका लॉट साइज और एक्सपायरी डेट होती है। इसमें भी तीन महीने तक और उससे भी ज्यादा की एक्सपायरी डेट होती है। सबसे कम समय की एक्सपायरी डेट एक सप्ताह की होती है जोकि प्रत्येक सप्ताह बृहस्पतिवार को एक्सपायर होती है। मंथली एक्सपायरी प्रत्येक महीने के आखिरी बृहस्पतिवार को होती है। लॉट में शेयरों की संख्या फिक्स होती है, इसमें निफ़्टी इंडेक्स और बैंक निफ़्टी इंडेक्स के भी लॉट होते हैं जिनमें सबसे ज्यादा ट्रेडिंग होती है। Stock Broker and Brokrage fee

Option trading के लिए शेयर लॉट में खरीदे और बेचे जाते हैं, जितने शेयर लॉट में होंगे आपको उतने ही शेयर खरीदने पड़ेंगे। ऑप्शन मार्केट में काम करने के लिए दो ऑप्शन होते हैं Call option और Putt option अगर आपका किसी शेयर या इंडेक्स को लेकर तेजी का रुख है तो आपको कॉल ऑप्शन खरीदना चाहिए। इसी तरह अगर किसी शेयर या इंडेक्स को लेकर आपका मंदी का है तो आपको पुट ऑप्शन खरीदना चाहिए।

Call option और Putt option क्या हैं ?

Call option उसके होल्डर को शेयर खरीदने का अधिकार देता है, ऐसे ही Putt option उसके होल्डर को शेयर बेचने का अधिकार देता है। इसके लिए आपको शेयर की पूरी कीमत नहीं चुकानी पड़ती, उसका केवल प्रीमियम चूकाना होता है। Option trader कॉल और पुट ऑप्शन को बेच भी सकता है। यदि आप भविष्य में अपने कॉल ऑप्शन के खरीदने के अधिकार का उपयोग करना चाहते हैं तो आपको उसकी सम्पूर्ण धनराशि का भुगतान भी करना पड़ेगा, आपको यह बात भी ध्यान रखना चाहिए।

Option Trading में जोखिम भी शामिल होता है इसका भी ध्यान रखना बेहद जरूरी है। इसकी सबसे महत्वपूर्ण समझने वाली बात यह कि ऑप्शन पुट और कॉल खरीदने में नुकसान लिमिटेड होता है। आपने जितने का पुट या कॉल खरीदा है ज्यादा से ज्यादा उतने का ही नुकसान हो सकता है। किन्तु अगर आपने पुट या कॉल को बेच दिया तो आपको अनलिमिटेड नुकसान हो सकता है। इसलिए पुट या कॉल ऑप्शन बेचने से पहले सौ बार सोचें।

उम्मीद है आपको शेयर मार्केट में ऑप्शन ट्रेडिंग को आसान भाषा में समझें। Option tarding in stock market kya hai Hindi. पसंद आया होगा। अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आये तो इसे अपने दोस्तों से भी जरूर शेयर करें ताकि वह भी इससे लाभ उठा सकें। यदि आपके पास इस आर्टिकल से सम्बंधित कोई सवाल या सुझाव हो तो कृपया कमेंट करके जरूर बताये। आप मुझे facebook पर भी फॉलो कर सकते हैं।

तो दोस्तों आज की जानकारी काफी महत्वा पूर्ण है. हर किसी के मन में यही सवाल था। Option trading क्या हैं? ये तो जान ही गए होंगे, इन सभी के साथ साथ कुछ और सीखना है तो हमें बताए। ऑप्शन ट्रेडिंग के द्वारा पैसों का पेड़ कैसे लगायें आप इस बुक को पढ़कर आप ऑप्शन ट्रेडिंग को अच्छे से सीख सकते हैं।

Option Trading Kaise karte Hai?| Call and Put Option |

दोस्तों अभी भी बहुत सारे लोगों को ये नहीं पता की Option Trading Kaise karte Hai?| Call and Put Option क्या है ? , दोस्तों शेयर मार्किट में वैसे तो बहुत सारे माध्यम हे शेयर मार्किट में निवेश करके पैसे कमाने के , उसमे से एक हे ऑप्शन ट्रडिंग। जिसकी आज हम इस आर्टिकल में बात करेंगे , सही जानकारी प्राप्त करने के लिए आपको इस आर्टिकल को पूरा पढ़ना होगा क्युकी ये बहुत ही informative होगा आपके लिए।

Option Trading Kya Hai?

Option का मतलब विकल्प। example के लिए- मान लीजिये आप एक कंपनी का 500 शेयर 1500 रुपये प्रीमियम देकर 1 महीने बाद का 80 रुपये में खरीदने का Option लेते हो। ऐसे में उस कंपनी का शेयर 1 महीने बाद 50 हो गया , तब आपके पास विकल्प (Option) रहेगा उस शेयर को नुकसान में ना खरीदने का।

ऐसे में आपका प्रीमियम का पैसा डूब जायेगा। ऐसे में आप्शन ट्रेडिंग में नुकसान आपका उतना ही है जितना पैसा आपने प्रीमियम लेते समय दिया था। तो ऐसे में नुकसान कम से कम करने के लिए Option का प्रयोग होता हैं।

अभी आपको ये लग रहा होगा की ये बहुत फायदे मंद हे , पर ऐसा भी नहीं है आगे जानिए –

Option Trading Kaise karte Hai?| Call and Put Option |

Option Trading Kaise karte Hai?| Call and Put Option |

Option Trading Kaise karte Hai?

ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे करते हैं , Option Trading Kaise karte Hai?

ऑप्शन ट्रेडिंग करने के लिए आप एक कंपनी का, 1 शेयर नहीं खरीद सकते आपको LOT में खरीदना पड़ेगा. Bank NIfty का एक lot 25 का और Nifty50 का एक Lot 75 पुट ऑप्शन की खरीद का होता है लेकिन शेयर में ज्यादा होता हैं। किसी भी शेयर और Nifty50, Bank NIfty का Option खरीदने के लिए आपको जाना होगा आपके Demat Account में। उसके बाद जो भी खरीदना है वो आपको सर्च बार में देखना होगा फिर आपको Call या Put जो भी खरीदना है खरीद सकते हैं।

Call and Put Option In Hindi

Call and Put Option In Hindi , कॉल और पुट Trading क्या है?

Option Trading दो तरह का होता है एक है Call और दूसरा Put। ऑप्शन ट्रेडिंग में आप दोनों तरफ पैसा लगा सकते हैं। आप यदि Call खरीद रहे हो तो तेजी की तरफ पैसा लगा रहे हो मतलब अगर शेयर का प्राइस ऊपर जायेगा तो आपको फ़ायदा होगा –
ठीक उसी तरह Put खरीदते हो तो मंदी की तरफ पैसा लगा रहे हो।मतलब अगर शेयर का प्राइस निचे जायेगा तो आपको फ़ायदा होगा। Price Action Trading Strategy In Hindi का Use आपको फ़ायदा होगा |
आप जिस प्राइस के ऊपर Call खरीदा उसके ऊपर का प्राइस जाने के बाद ही आपको फ़ायदा होगा। ठीक उसी तरह Put खरीदा तो जिस प्राइस के ऊपर खरीदा उसके नीचे गया तो ही आपको फ़ायदा होगा।

कॉल ऑप्शन क्या है in Hindi –

कॉल ऑप्शन क्या है in Hindi,

Option Trading दो तरह का होता है एक है Call और दूसरा Put। ऑप्शन ट्रेडिंग में आप दोनों तरफ पैसा लगा सकते हैं। आप यदि Call खरीद रहे हो तो तेजी की तरफ पैसा लगा रहे हो मतलब अगर शेयर का प्राइस ऊपर जायेगा तो आपको फ़ायदा होगा –

for Example

मान लीजिये Spot Price Hai 30000
Banknifty 21jan 31000 CE
अपने Banknifty का कॉल ऑप्शन लिया है 31000 का तो जैसी ही price 100 पुट ऑप्शन की खरीद point ऊपर जायेगा तो आपको फ़ायदा मिलगा , लेकिन अगर ऐसा न हो कर प्राइस निचे चला जाता है तो आपको नुकसान झेलना पड़ेगा। लेकिन सिर्फ उतना ही जितना अपने प्रीमियम दिए होगा।

Put ऑप्शन क्या है in Hindi –

Put ऑप्शन पुट ऑप्शन की खरीद क्या है in Hindi –

ठीक उसी तरह Put खरीदते हो तो मंदी की तरफ पैसा लगा रहे हो।मतलब अगर शेयर का प्राइस निचे जायेगा तो आपको फ़ायदा होगा।
आप जिस प्राइस के ऊपर Call खरीदा उसके ऊपर का प्राइस जाने के बाद ही आपको फ़ायदा होगा। ठीक उसी तरह Put खरीदा तो जिस प्राइस के ऊपर खरीदा उसके नीचे गया तो ही आपको फ़ायदा होगा।

For Example

मान लीजिये Spot Price Hai 30000
Banknifty 21jan 29000 PE
अपने Banknifty का पुट ऑप्शन लिया है 29000 का तो जैसी ही price 100 point निचे जायेगा तो आपको फ़ायदा मिलगा , लेकिन अगर ऐसा न हो कर प्राइस ऊपर चला जाता है तो आपको नुकसान झेलना पड़ेगा। लेकिन सिर्फ उतना ही जितना अपने प्रीमियम पुट ऑप्शन की खरीद दिए होगा।

Option Trading का Expiry day कब होता है?

Option Trading में दो तरह का Expiry होता है एक होता है सप्ताह( Weekly ) और दूसरा होता है महीना ( monthly ) में। सप्ताह (Weekly Expiry) में हर गुरूवार को ही NIFTY 50 और BANK NIFTY का expiry Day होता हैं। और ( monthly ) महीना में शेयर का अंतिम गुरूवार को expiry day होता है, जो शेयर Option Trading में लिस्टेड हैं।

ठीक सी तरीके से weekly days सिर्फ 5 दिन की होती हे Saturday , Sunday बंद होता है मार्किट।

दोस्तों अगर आप अभी नए हो मार्किट में , आपको ज्यादा knowledge नहीं हे शेयर मार्किट की तो ये ऑप्शन ट्रेडिंग आपके लिए जोखिम हो सकता है। इसलिए सबसे पहले knowledge ले और समझे मार्किट के बारे में तभी निवेश करे।
अगर आप beginner हे तो आप ऑप्शन ट्रेडिंग न करे।

Options Trading से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें –

एक बात का ध्यान रखें options trading Greeks .
किसी ऑप्शन ट्रेड के सफल होने के लिए कई चीजों को एक साथ मिलकर काम करना होता है।
अगर यह सारी ताकतें एक साथ ट्रेडर के पक्ष में काम करेगी तो उसका ट्रेड सफल होगा। ऑप्शन ट्रेड में इन ताकतों को ऑप्शन ग्रीक्स कहते हैं।

यह ताकतें हर option contract पर हर मिनट असर डाल रही होती हैं और इसकी वजह से प्रीमियम बढ़ता या घटता है।

अगर आपने ग्रीक्स के बारे में सही से जानकारी ले ली और ग्रीक्स को सही से समझ लिया तो आपको ट्रेडिंग में सफलता आसानी से मिल सकती हे।

दोस्तों अगर आपको इस पोस्ट से ( Option Trading Kaise karte Hai?| Call and Put Option | ) हेल्प मिली हो तो कमेंट करके ज़रूर बताये और अगर आपके मन में कोई भी doubt हो तो हमसे कमेंट बॉक्स में साँझा करे और इस पोस्ट को अपने दोस्तों के साथ ज़रूर शेयर करे।

आप भी करते हैं ऑप्शन ट्रेडिंग, समझ लें इंट्रिन्सिक और टाइम वैल्यू का गणित

ऑप्शन मार्केट में ज्यादातर नए इन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स सीमित जोखिम के साथ असीमित फायदे की वजह से कॉल या पुट खरीदना पसंद करते हैं.

  • Money9 Hindi
  • Publish Date - November 7, 2022 / 05:53 PM IST

आप भी करते हैं ऑप्शन ट्रेडिंग, समझ लें इंट्रिन्सिक और टाइम वैल्यू का गणित

ऑप्शन मार्केट में ज्यादातर नए इन्वेस्टर्स और ट्रेडर्स सीमित जोखिम के साथ असीमित फायदे की वजह से कॉल या पुट खरीदना पसंद करते हैं. शॉर्ट टर्म प्रॉफिट के लिए निवेशक ऑप्शन ट्रेडिंग का इस्तेमाल करते हैं. किसी ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट को खरीदने के लिए ट्रेडर प्रीमियम का भुगतान करता है और इसका इस्तेमाल पुट ऑप्शन की खरीद प्रॉफिट बनाने के लिए किया जाता है. ऐसे में ऑप्शन की इंट्रिन्सिक वैल्यू और टाइम वैल्यू को समझना जरूरी है. यह आपको प्रोफेशनल ऑप्शन ट्रेडर बनने में मदद कर सकता है.

ऑप्‍शन ट्रेडिंग के बारे में अच्‍छे से जानने के लिए 5paisa.com (https://bit.ly/3RreGqO) पर विजिट करें. 5पैसा पर आप विभिन्‍न चार्ट फॉर्म्‍स और रिपोर्ट्स की मदद से स्‍टॉक्‍स और शेयरों का विश्‍लेषण कर सकते हैं, जो आपको निर्णय लेने और पेशेवर ऑप्‍शन ट्रेडर बनने में मदद कर सकता है.

टाइम वैल्यू को समझने से पहले हम बात करते हैं इंट्रिन्सिक वैल्यू की. ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट में इंट्रिन्सिक वैल्यू का मतलब आमतौर पर कॉन्ट्रैक्ट की मार्केट वैल्यू से होता है. इंट्रिन्सिक वैल्यू यह बताता है कि वर्तमान में कॉन्ट्रैक्ट में कितना ‘इन-द-मनी’ है. ‘इन द मनी’ से मतलब है कि अंडरलाइंग एसेट की कीमत स्ट्राइक प्राइस से ज्यादा हो. किसी ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट में अंडरलाइंग एसेट को खरीदने या बेचने के लिए जिस मूल्य पर दो पक्षों के लिए समझौता होता है, उसे स्ट्राइक प्राइस कहते हैं.

उदाहरण के लिए, अगर आपके पास 200 रुपए के स्ट्राइक प्राइस वाला एक ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट है, जिसका मौजूदा समय में दाम 300 रुपए है. इस कॉल ऑप्शन की इंट्रिन्सिक वैल्यू 100 रुपए (300-200) होगी. ध्यान रखने वाली बात यह है कि जब अंडरलाइंग एसेट की कीमत स्ट्राइक प्राइस से कम होगी, तो इंट्रिन्सिक वैल्यू जीरो होगी, क्योंकि कोई भी खरीदार उस सौदे को पूरा नहीं करना चाहेगा, जब उसे नुकसान हो रहा हो.

ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट की टाइम वैल्यू क्या है?

टाइम वैल्यू वह अतिरिक्त रकम है, जो खरीदार को इंट्रिन्सिक वैल्यू के ऊपर कॉन्ट्रैक्ट की समाप्ति तक के लिए देनी होती है. यह रकम ऑप्शन विक्रेता को ऑप्शन या राइट देने के एवज में मिलती है. ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट की एक्सपायरी बढ़ने पर टाइम वैल्यू की रकम भी बढ़ती है. ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट अपने एक्सपायरी डेट से जितना दूर होगा, उसमें अंडरलाइंग एसेट की कीमत स्ट्राइक प्राइस के मुकाबले ज्यादा होने या खरीदार की पसंदीदा जगह पर जाने की संभावना अधिक होती है. उदाहरण के लिए, यदि एक ऑप्शन की एक्सपायरी में 3 महीने और दूसरे ऑप्शन की एक्सपायरी में 2 महीने हैं, तो पहले वाले ऑप्शन में टाइम वैल्यू अधिक होगी.

ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट का लाभ उठाने के लिए खरीदार विक्रेता को प्रीमियम देता है. प्रीमियम के दो कम्पोनेंट होते हैं- इंट्रिन्सिक वैल्यू और टाइम वैल्यू. टाइम वैल्यू की रकम निकालने के लिए ऑप्शन प्रीमियम में से इंट्रिन्सिक वैल्यू को घटाना होगा. उदाहरण के लिए, ऊपर दिए गए 200 रुपए वाले ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट का प्रीमियम मान लीजिए 150 रुपए था, जबकि इंट्रिन्सिक वैल्यू 100 रुपए थी. ऐसे में टाइम वैल्यू 50 रुपए (150-100) होगी.

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