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ग्राफिक बाजार विश्लेषण

ग्राफिक बाजार विश्लेषण
विदेशी मुद्रा भंडार पिछले सात माह में 82 अरब डॉलर घटा चुका है, और इसमें से लगभग आधा नुकसान पिछले तीन महीनों में हुआ. आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार जून में 12.7 अरब डॉलर, जुलाई में 14.4 अरब डॉलर और अगस्त में 20 अरब डॉलर घटा. जून के पहले हफ्ते के बाद से भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 47 बिलियन डॉलर यानी करीब 3.ग्राफिक बाजार विश्लेषण 6 अरब डॉलर प्रति सप्ताह की दर से गिरा.

Graphic: Ramandeep Kaur | ThePrint

‘रुपये को बचाने की कीमत’- हर हफ्ते $3.6 बिलियन गंवाए, भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में एक दशक में सबसे बड़ी गिरावट दिखी

प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली: ग्राफिक बाजार विश्लेषण फरवरी में रूस-यूक्रेन युद्ध छिड़ने के बाद से भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के साप्ताहिक स्टेटिस्टिकल सप्लीमेंट के मुताबिक, 9 सितंबर तक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 550.8 अरब डॉलर था. ये 2020 के बाद सबसे कम है, जब यह आंकड़ा 580 अरब डॉलर पर पहुंच गया था.

जनवरी के पहले सप्ताह में भारत के पास 633 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार था, जिसका मतलब है कि इस कैलेंडर वर्ष में अब तक 82 अरब डॉलर से अधिक की गिरावट दर्ज की गई है जो कि पिछले एक दशक में सबसे अधिक है.

एक दशक में सबसे ज्यादा कमी

पिछले 10 सालों की तुलना में यह कमी भारत में अब तक की सबसे तेज गिरावट है. कैलेंडर वर्ष 2011 (0.6 अरब डॉलर), 2012 (1.7 अरब डॉलर), 2013 (1.8 अरब डॉलर) और 2018 (13.28 अरब डॉलर) भारत के विदेशी मुद्रा भंडार के घटने के गवाह हैं—लेकिन यह गिरावट उनके आकार की तुलना में मामूली थी.

बाकी सालों में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि दर्ज की गई ग्राफिक बाजार विश्लेषण है और इसमें से वर्ष 2020—जब सारी दुनिया कोविड-19 महामारी से प्रभावित रही—सबसे अधिक लाभकारी रहा. उस साल भारत की विदेशी मुद्रा संपत्ति में करीब 119 अरब डॉलर (2019 के अंत में 461 अरब डॉलर से बढ़कर 2020 के अंत तक 580 बिलियन डॉलर) की वृद्धि दर्ज की गई. 2021 के अंत तक, आंकड़ा 52 अरब डॉलर बढ़कर 633 अरब डॉलर पर पहुंच गया. पिछले साल 3 सितंबर को भारत ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार को 642.45 अरब डॉलर के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर देखा था.

ऐसा क्यों हुआ?

विदेशी मुद्रा में कमी का मतलब है कि आरबीआई रुपये के गिरते मूल्य पर काबू पाने के लिए डॉलर बेच रहा है, जो जुलाई में 80 रुपये प्रति डॉलर के सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया था.

ऐसा होने का एक सबसे बड़ा कारण यह है कि अमेरिका के केंद्रीय बैंक यूएस फेडरल रिजर्व ने रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंची मुद्रास्फीति पर लगाम कसने के लिए प्रमुख ब्याज दरों में वृद्धि कर दी है. इस साल, यूएस फेड ने अब तक चार मौकों पर कर्ज पर ब्याज की दर बढ़ाई है—यह अगस्त में 2.25-2.5 प्रतिशत रही, जो मार्च में 0.25-0.5 प्रतिशत थी.

ऋण दर में बढ़ोतरी करके यूएस फेड दरअसल मुद्रा के तौर पर डॉलर का उपयोग करने वाले लोगों की क्रय शक्ति सीमित करना चाहता है. और ग्राफिक बाजार विश्लेषण जैसा इकोनॉमिक टाइम्स का एक विश्लेषण बताता है, इसका नतीजा यह हुआ कि भारत में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने पिछले एक साल में 39 अरब डॉलर से अधिक की निकासी की.

GYANGLOW

जैसे-जैसे एक व्यवसाय बढ़ता है, एक व्यवसाय स्वामी या कार्यकारी टीम कंपनी की दक्षता और उत्पादकता बढ़ाने के लिए आउटसोर्स करने या किसी बाहरी सेवा को किराए पर लेने का निर्णय ले सकती है। व्हाइट लेबलिंग तब होती है जब कोई व्यवसाय किसी अन्य कंपनी से उत्पाद विचार, सेवा या विपणन रणनीति को आउटसोर्स करता है। कई कंपनियां अपने व्यवसाय को बढ़ाने और बड़े दर्शकों तक पहुंचने के लिए व्हाइट लेबल मार्केटिंग का उपयोग करती हैं। इस लेख में, हम बताते हैं कि व्हाइट लेबल मार्केटिंग क्या है, लाभों की सूची बनाएं और आपको व्हाइट लेबल मार्केटिंग योजना को लागू करने के लिए टिप्स प्रदान करें।

व्हाइट लेबल मार्केटिंग तब होती है जब कोई व्यवसाय अपने नाम के तहत किसी अन्य कंपनी की मार्केटिंग सेवाओं का उपयोग करता है। मार्केटिंग कंपनी मूल कंपनी के नाम और ब्रांड के तहत मार्केटिंग सामग्री का उत्पादन करती है। उदाहरण के लिए, एक ब्लॉगिंग कंपनी ग्राफिक बाजार विश्लेषण सामग्री लेखन और ग्राफिक डिजाइन में विशेषज्ञ हो सकती है। वे एक बड़ी मार्केटिंग टीम से जुड़ने के लिए व्हाइट लेबल मार्केटिंग का उपयोग कर सकते हैं। यह मार्केटिंग टीम वेबसाइट डिजाइन और एसईओ अनुसंधान जैसी अतिरिक्त सेवाएं प्रदान कर सकती है।

व्हाइट लेबल मार्केटिंग का उपयोग कौन कर सकता है?

व्यवसाय जो अपनी मार्केटिंग सेवाओं को बढ़ाना या सुधारना चाहते हैं, वे व्हाइट लेबल मार्केटिंग का उपयोग कर सकते हैं। एक कंपनी अपने विकास ग्राफिक बाजार विश्लेषण के किसी भी चरण के दौरान व्हाइट लेबल मार्केटिंग का उपयोग करना चुन सकती है। उदाहरण के लिए, एक ग्राफिक बाजार विश्लेषण आंतरिक मार्केटिंग टीम के बिना एक बढ़ती हुई कंपनी मार्केटिंग सेवाओं के लिए एक स्थापित डिजिटल मार्केटिंग एजेंसी तक पहुंच सकती है। एक बढ़ती हुई कंपनी अपने मौजूदा ग्राहकों के लिए अतिरिक्त सेवाएं प्रदान करने के लिए व्हाइट लेबल मार्केटिंग का उपयोग कर सकती है। एक स्थापित कंपनी अपनी मार्केटिंग योजना के क्षेत्र को परिष्कृत या सुधारने के लिए व्हाइट लेबल मार्केटिंग का उपयोग कर सकती है।

व्हाइट लेबल मार्केटिंग का उपयोग करने के कुछ संभावित लाभ यहां दिए गए हैं:

अन्य व्यावसायिक परियोजनाओं पर खर्च करने के लिए अधिक समय

जब कोई कंपनी व्हाइट लेबल मार्केटिंग योजना का उपयोग करती है, तो व्यवसाय के मालिक अन्य परियोजनाओं पर अधिक समय व्यतीत कर सकते हैं। एक सफेद लेबल विपणन योजना के साथ, एक बाहरी एजेंसी बाजार विश्लेषण कर सकती है, नई रणनीति विकसित कर सकती है और उत्पादों को डिजाइन कर सकती है। यह मूल व्यवसाय को बहुत समय और प्रयास बचा सकता है, जिसका उपयोग वे अन्य क्षेत्रों में कर सकते हैं।

व्हाइट लेबल मार्केटिंग योजना को लागू करने के लिए टिप्स

यदि आप अपने व्यवसाय के लिए व्हाइट लेबल मार्केटिंग योजना को लागू करने में रुचि रखते हैं, तो इन युक्तियों पर विचार करें:

अपनी कंपनी की ताकत और कमजोरियों पर विचार करें

व्हाइट लेबल मार्केटिंग प्लान चुनते समय, पहले अपनी कंपनी की खूबियों और कमजोरियों पर विचार करें। उदाहरण के लिए, एक मजबूत वेबसाइट डेवलपिंग टीम वाली कंपनी अपनी वेबसाइट डिज़ाइन सेवाओं को इन-हाउस रखना चुन सकती है। यदि कंपनी के ग्राफिक बाजार विश्लेषण पास SEO लेखक की कमी है, तो वे एक व्हाइट लेबल योजना को लागू करना चुन सकते हैं जो इस सेवा को काम पर रखती है। अपनी ताकत और कमजोरियों के बारे में सोचने से आपको एक ग्राफिक बाजार विश्लेषण मार्केटिंग योजना तैयार करने में मदद मिल सकती है जो आपकी आवश्यकताओं के लिए काम करती है।

अपने ब्रांड और शैली को परिभाषित करें

एक व्हाइट लेबल एजेंसी आपकी कंपनी के ब्रांड और शैली के तहत उत्पादों को डिज़ाइन कर सकती है। व्हाइट लेबल मार्केटिंग योजना को लागू करने में आपकी सहायता के लिए स्टाइल गाइड या ब्रांडिंग विवरण बनाने पर विचार करें। इससे आपको अपने विचार व्यक्त करने और बाहरी मार्केटिंग टीम के साथ अपने लक्ष्यों को साझा करने में मदद मिल सकती है।

‘रुपये को बचाने की कीमत’- हर हफ्ते $3.6 बिलियन गंवाए, भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में एक दशक में सबसे बड़ी गिरावट दिखी

प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली: फरवरी में रूस-यूक्रेन युद्ध छिड़ने के बाद से भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के साप्ताहिक स्टेटिस्टिकल सप्लीमेंट के मुताबिक, 9 सितंबर तक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 550.8 अरब डॉलर था. ये 2020 के बाद सबसे कम है, जब यह आंकड़ा 580 अरब डॉलर पर पहुंच गया था.

जनवरी के पहले सप्ताह में भारत के पास 633 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार था, जिसका मतलब है कि इस कैलेंडर वर्ष में अब तक 82 अरब डॉलर से अधिक की गिरावट दर्ज की गई है जो कि पिछले एक दशक में सबसे अधिक है.

एक दशक में सबसे ज्यादा कमी

पिछले 10 सालों की तुलना में यह कमी भारत में अब तक की सबसे तेज गिरावट है. कैलेंडर वर्ष 2011 (0.6 अरब डॉलर), 2012 (1.7 अरब डॉलर), 2013 (1.8 अरब डॉलर) और 2018 (13.28 अरब डॉलर) भारत के विदेशी मुद्रा भंडार के घटने के गवाह हैं—लेकिन यह गिरावट उनके आकार की तुलना में मामूली थी.

बाकी सालों में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि दर्ज की गई है और इसमें से वर्ष 2020—जब सारी दुनिया कोविड-19 महामारी से प्रभावित रही—सबसे अधिक लाभकारी रहा. उस साल भारत की विदेशी मुद्रा संपत्ति में करीब 119 अरब डॉलर (2019 के अंत में 461 अरब डॉलर से बढ़कर 2020 के अंत तक 580 बिलियन डॉलर) की वृद्धि दर्ज की गई. 2021 के अंत तक, आंकड़ा 52 अरब डॉलर ग्राफिक बाजार विश्लेषण बढ़कर 633 अरब डॉलर पर पहुंच गया. पिछले साल 3 सितंबर को भारत ने अपने विदेशी मुद्रा भंडार को 642.45 अरब डॉलर के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर देखा था.

ऐसा क्यों हुआ?

विदेशी मुद्रा में कमी का मतलब है कि आरबीआई रुपये के गिरते मूल्य पर काबू पाने के लिए डॉलर बेच रहा है, जो जुलाई में 80 रुपये प्रति डॉलर के सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया था.

ऐसा होने का एक सबसे बड़ा कारण यह है कि अमेरिका के केंद्रीय बैंक यूएस फेडरल रिजर्व ने रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंची मुद्रास्फीति पर लगाम कसने के लिए प्रमुख ब्याज दरों में वृद्धि कर दी है. इस साल, यूएस फेड ने अब तक चार मौकों पर कर्ज पर ब्याज की दर बढ़ाई है—यह अगस्त में 2.25-2.5 प्रतिशत रही, जो मार्च में 0.25-0.5 प्रतिशत थी.

ऋण दर में बढ़ोतरी करके यूएस फेड दरअसल मुद्रा के तौर पर डॉलर का उपयोग करने वाले लोगों की क्रय शक्ति सीमित करना चाहता है. और जैसा इकोनॉमिक टाइम्स का एक विश्लेषण बताता है, इसका नतीजा यह हुआ कि भारत में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने पिछले एक साल में 39 अरब डॉलर से अधिक की निकासी की.

Career Tips: ऑनलाइन फैशन बाजार में हैं कई करियर ऑप्शन, जानें कोर्स की पूरी डीटेल

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Image Credit: freepik

  • फैशन बाजार में हैं कई करियर ऑप्श
  • मार्केटिंग स्पेशलिस्ट फील्ड में मिलती है अच्छी सैलरी
  • यहां जानें इससे जुड़ी सभी जरूरी बातें

फैशन डिजाइनर (Fashion Designers)
फैशन बाजार का साम्राज्य फैशन डिजाइनर पर निर्भर करता है। इनके इमेजिनेशन को वास्तविकता में बनाया जाता है। फैशन डिजाइनर चित्रण से लेकर अंतिम मॉडल शूट तक, हर जगह अपनी भूमिका निभाते हैं। इसलिए यह ऑनलाइन फैशन बाजार में सबसे रोमांचक नौकरियों में से एक है। टेक्सटाइल डिजाइनरों और फैशन डिजाइनरों को समन्वय (Coordination) की आवश्यकता होती है और सभी आकारों में शैलियों और परिधान (apparel) बनाने की बात आती है तो यह सबसे चुनौतीपूर्ण नौकरियों में से एक है। इनकी औसत सैलरी 2 लाख से 5 लाख रुपये प्रति वर्ष होती है।
इसे भी पढ़ें: Career Tips: बी.टेक या बी.ई? जानिए कौन-सी फील्ड है बेहतर, अंतर और करियर ऑप्शन

ट्रेंड फोरकास्टिंग डिपार्टमेंट (Trend Forecasting Department)
फैशन बाजार तब तक नहीं चल सकता जब तक कि उसे नवीनतम ट्रेंड से अपडेट नहीं किया जाता है। यह वह जगह है जहां ट्रेंड फोरकास्‍टिंग डिपार्टमेंट हर नए फैशन को पहचानता है और उनके साथ चलने की कोशिश करता है। फैशन बाजार में मुख्य रूप से इस विभाग की आवश्यकता पड़ती है। इनकी औसत सैलरी 5 से 7 साल के अनुभव के बाद 20 लाख से ज्‍यादा हो सकती है।

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