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इंट्राडे ट्रेडिंग और स्विंग ट्रेडिंग में क्या अंतर है

इंट्राडे ट्रेडिंग और स्विंग ट्रेडिंग में क्या अंतर है
नित्येन्द्र द्विवेदीहमारे समाज में आमतौर पर शेयर मार्केट को जुआं समझा जाता है। ज्यादातर लोग इसमें हाथ डालने से डरते हैं और जो भी डालते हैं वे म्यूचुअल फंड इंट्राडे ट्रेडिंग और स्विंग ट्रेडिंग में क्या अंतर है यानी एसआईपी के छाते के साथ। लेकिन शायद आपको पता भी है कि ढेरों लोग इंट्रा-डे (दिन-प्रतिदिन) और स्विंग (कुछ हफ्तों या दिनों की) ट्रेडिंग करके मोटा मुनाफा भी कमा लेते इंट्राडे ट्रेडिंग और स्विंग ट्रेडिंग में क्या अंतर है हैं। लेकिन ये वे लोग हैं, जिन्होंने शेयर मार्केट को अच्छी तरह से समझा है और उसके सभी तकनीकी पहलुओं से वाकिफ हैं। देश में पहले ट्रेडिंग करना काफी खर्चीला होता था क्योंकि सिर्फ ट्रेडिंग कैश मार्केट में होती थी, इसके तहत आप कंपनियों के शेयर खरीद कर रखते थे, जो ब्रोकर एक कागजी रसीद के माध्यम से जारी करता था। लेकिन अब शेयर खरीदने-बेचने की कार्रवाई कंप्यूटर के माध्यम से ऑनलाइन होती है। इसके अलावा तकनीक के प्रसार के साथ कैश मार्केट के अलावा डेरिवेटिव्स मार्केट अस्तित्व में आ चुकी है, जिसमें ट्रेडिंग करने के लिए धन की उतनी जरूरत नहीं पड़ती, जरूरत है तो बस सीखने की। तो आइए समझते हैं शेयर ट्रेडिंग की कुछ जानकारियां।क्या है कैश मार्केट और डेरिवेटिव्स में आधारभूत अंतर : आपको बता दें शेयर बाजार में देश के 2 सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंज एनएसई और बीएसई के माध्यम से हम 2 प्लेटफॉर्म पर ट्रेडिंग कर सकते हैं। उनमें एक है कैश मार्केट और दूसरा है डेरिवेटिव्स। कैश मार्केट में हम किसी सिक्योरिटी का पूरा मूल्य चुकाकर उस विशेष स्टॉक काे खरीद लेते हैं। वहीं डेरिवेटिव्स में हम सिक्योरिटी न खरीदकर उसके फ्यूचर और ऑप्शन कांट्रैक्ट खरीदते हैं। इन दोनों के तहत उस स्टॉक को कैश में खरीदने या बेचने की जरूरत नहीं होती है। लेकिन इसके भाव बढ़ने या घटने की स्थिति बिलकुल कैश मार्केट में उस स्टॉक की तरह होती है। उदाहरण के लिए स्टेट बैंक के शेयर का वर्तमान मूल्य 250 रुपए है। ये लॉट में होते हैं। इसके फ्यूचर और ऑप्शन का लॉट साइट 3000 शेयरों का है। अगर हम इसका लॉट साइज के मात्रा के शेयर कैश में खरीदते हैं तो हमें 7,50,000 रुपए ब्रोकर के पास जमा कराने होंगे। लेकिन इसका फ्यूचर हमें एक से डेढ़ लाख रुपए ही चुकाकर मिल जायेगा, जबकि एसबीआई स्टॉक बढ़ने पर हमें फ्यूचर से लगभग वही लाभ प्राप्त होगा, जो एसबीआई के कैश मार्केट में बढ़ने पर प्राप्त होता है। लेकिन इसमें एक कमी भी है कि फ्यूचर और ऑप्शन का सौदा महीने के अंतिम बृहस्पतिवार की तारीख तक सेटल करना होता है। उदाहरण के लिए हम एसबीआई के शेयरों को कैश मार्केट में खरीदकर जब तक मर्जी आए तब तक अपने पास रख सकते हैं, लेकिन अगर इसे फ्यूचर या ऑप्शन में खरीदते हैं तो इसके डेरिवेटिव्स को माह के अंतिम बृहस्पतिवार तक सेटल करना होता है, अगर हम इसे आगे ले जाना चाहते हैं तो अगले माह के कांट्रैक्ट का सौदा करना होता है। सेटलमेंट की तारीख को एक्सपायरी डेट कहा जाता है। ट्रेडर्स चाहें तो अपने सौदे को अगले महीने के लिए रोल ओवर भी कर सकते हैं। रोल ओवर का मतलब एक माह के सौदे को काटकर दूसरे माह का कांट्रैक्ट खरीदना या बेचना होता है। डेरिवेटिव्स के तहत स्टॉक्स, इंडेक्स, मेटल, गोल्ड, क्रूड, करेंसी आदि में कारोबार किया जाता है। इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि कम पैसे में हम ट्रेडिंग करके मोटा मुनाफा कमा सकते हैं, लेकिन इसमें यही खोट है कि इस सेगमेंट में तभी हाथ डालें जब ट्रेडिंग में पूरी तरह से प्रशिक्षित हों और शेयर/कमोडिटी के मूवमेंट के बारे में पूरे जानकार/आश्वस्त हों। अन्यथा इसमें जितना लाभ होता है उतनी ही हानि हो सकती है।इंडेक्स में भी होता है वायदा कारोबार : वायदा कारोबार इंडेक्स या स्टॉक्स में होता है। फ्यूचर कैश मार्केट के मुकाबले प्रीमियम पर ट्रेड करते हैं। इसमें ट्रेडिंग के लिए अनुभव की जरूरत होती है। यह हेजिंग में भी काम आता है। सौदे को हेज करने का सबसे अच्छा माध्यम है एफ एंड ओ फ्यूचर एंड ऑप्शन के माध्यम से हम कम पैसों में ट्रेडिंग तो कर ही सकते हैं, साथ ही अपने सौदे और फंड को हेज भी कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर हमने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के शेयर खरीद कर उस सौदे को हेज करना चाहते हैं तो हम उसके फ्यूचर में लॉट साइज 3000 शेयर कैश में खरीद सकते हैं और अगर आपको लगता है कि एसबीआई में बड़ी गिरावट आने वाली है तो उस सौदे को हेज कर सकते हैं। इसके लिए उस या अगले महीने के कांट्रैक्ट का एक फ्यूचर बेचकर सौदे को हेज कर सकते हैं। अगर शेयर में गिरावट आई तो 3000 शेयरों में जितना नुकसान हुआ है उतना ही फ्यूचर के एक बेचे हुए लॉट में फायदा होगा। इसी प्रकार ऑप्शन में भी कर सकते हैं। ऑप्शन में कैश या फ्यूचर को हेज करने के लिए बीटा वैल्यू का कैलकुलेशन करना पड़ता है। अब समझें एफ एंड ओ से जुड़े जोखिम हमें एफ एंड ओ कम मार्जिन और ब्रोकरेज में ट्रेडिंग की सुविधा तो उपलब्ध कराता है लेकिन इसके जोखिम को समझना भी जरूरी है। वायदा बाजार में कैश मार्केट की तुलना में जोखिम अधिक है। उदाहरण के लिए हम कैश में कोई सौदा 10 लाख रुपए में करते हैं। उतनी ही क्षमता का सौदा फ्यूचर में मात्र डेढ़ लाख और ऑप्शन में मात्र कुछ हजारों में कर सकते हैं, लेकिन उसमें लाभ या हानि उतनी ही होगी जितनी कैश मार्केट में 10 लाख में आने वाले शेयरों की संख्या में होती है। इस वजह से जो लोग शुरुआत कर रहे हैं उन्हें डेरिवेटिव्स में थोड़ी-थोड़ी मात्रा में सौदे करके पहले अनुभव हासिल करना चाहिए। खासकर शुरुआत में ऑप्शन का अभ्यास खरीद के साथ करना चाहिए। लोकप्रिय हो रहा है वायदा कारोबार शेयर बाजार में फ्यूचर और ऑप्शन (एफ एंड ओ) सेगमेंट को डेरिवेटिव्स मार्केट या वायदा बाजार के रूप में भी जानते हैं। ट्रेडिंग को लेकर यह सेगमेंट लोगों के बीच कितना लोकप्रिय हो चुका है कि इस बात का अंदाज हम इस तथ्य से ही लगा सकते हैं कि बीते 8 सालों में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) में जहां कैश मार्केट में 34 प्रतिशत की बढ़ोतरी आई है, वहीं दूसरी ओर डेरिवेटिव्स सेगमेंट में ट्रेंडिंग में 150 प्रतिशत की बढ़ोतरी आई है। आज की तारीख में एनएसई में जितने भी वाल्यूम की ट्रेंडिंग हो रही है, उसमें 90 प्रतिशत से अधिक योगदान डेरिवेटिव्स मार्केट का है। मोबाइल फोन पर ट्रेंडिंग प्लेटफॉर्म उपलब्ध होने के बाद तो इसमें और भी तेजी आ गयी है। वित्त वर्ष 2015-16 में शेयर ट्रेडिंग के मोबाइल एप डाउनलोड करने के आंकड़ों में लगभग 3 प्रतिशत यानी वे बढ़कर 170 प्रतिशत हो चुके हैं। इस दौरान मोबाइल फोन के द्वारा जितने भी ट्रेड डाले गये उनमें 90 प्रतिशत डेरिवेटिव्स मार्केट के थे।

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डे ट्रेडिंग, सीमित पूंजी और लघु लाभ लक्ष्यों के साथ सीमित पूंजी और व्यापार का लाभ उठाने का एक अच्छा तरीका है। दिन व्यापार नियमों, प्रवृत्तियों और अनुशासन के बारे में है। चूंकि दिन के व्यापार में वितरण शामिल नहीं है, ब्रोकरेज शुल्क बहुत कम है।

दिन का व्यापार काफी अच्छी तरह से समझा जाता है। यह इंट्राडे ट्रेडिंग या उसी दिन पदों के निर्माण और बंद होने के रूप में जाना जाता है। डे ट्रेडिंग, सीमित पूंजी और लघु लाभ लक्ष्यों के साथ सीमित पूंजी और व्यापार का लाभ उठाने का एक अच्छा तरीका है। दिन व्यापार नियमों, प्रवृत्तियों और अनुशासन के बारे में है। चूंकि दिन के व्यापार में वितरण शामिल नहीं है, ब्रोकरेज शुल्क बहुत कम है। इसके अलावा, यदि आप स्टॉप लॉस और लाभ लक्ष्य (कवर ऑर्डर या ब्रैकेट ऑर्डर) के साथ इंट्रैड ऑर्डर देते हैं, तो आप उच्च लाभ प्राप्त कर सकते हैं। आइए पहले दिन के व्यापार को विस्तार से समझें


दिन के व्यापार के बारे में क्या बात है?
दिन के व्यापार के रूप में, जैसा कि नाम से पता चलता है, तकनीकी विश्लेषण और परिष्कृत चार्टिंग सिस्टम के आधार पर, एक ही दिन में दर्जनों व्यापारों को शामिल करना शामिल है। दिन व्यापारी का उद्देश्य कई व्यापारों पर छोटे मुनाफे और गैर-लाभकारी व्यापारों पर घाटे को कम करके व्यापारिक स्टॉक, वस्तुओं या मुद्राओं से जीवित रहना है। दिन व्यापारी आमतौर पर किसी भी स्थिति को नहीं रखते हैं या रातोंरात किसी भी प्रतिभूति का मालिक नहीं हैं। इसलिए, दिन के व्यापार में, कौशल का एक अनूठा सेट शामिल होता है जो गति पर अधिक गति, गति को समझने और व्यापार अनुशासन को नियोजित करने की क्षमता पर केंद्रित होता है। दिन के व्यापार में जोर पूंजी तेजी से सकारात्मक जोखिम-इनाम अनुपात के साथ मंथन करने के बारे में है ताकि पूंजी पर वापसी अधिकतम हो सके; लागत का शुद्ध याद रखें, जब आप पोर्टफोलियो को तेजी से मंथन कर रहे हैं तो लागत बहुत मायने रखती है और आपके दिन की ट्रेडिंग गतिविधि के अर्थशास्त्र में बड़ा अंतर डालती है।

कैसे स्विंग ट्रेडिंग एक अलग गेंद खेल है
जबकि दिन का व्यापार इंट्राडे पदों को शुरू करने और बंद करने पर केंद्रित है, स्विंग ट्रेडिंग का ध्यान अंतर्निहित प्रवृत्ति की पहचान करने और अधिक समय के साथ खेलने पर अधिक है। आपने स्टॉक देखा होगा जो थोड़े समय में तेजी से आंदोलन दिखाते हैं। बजाज फाइनेंस, अशोक लेलैंड और टाइटन जैसे बड़े शेयर भी तेजी से आगे बढ़ते हैं जब गति उनके पक्ष में या उनके खिलाफ होती है। लेकिन, इस तरह के आंदोलन intraday नहीं होता है और पदों को थोड़ी देर के लिए आयोजित करने की जरूरत है। स्विंग व्यापारी को इसके लिए तैयार किया जाना चाहिए। ब्रेंट क्रूड बनाम एचपीसीएल के मूल्य चार्ट देखें।

चार्ट स्रोत: ब्लूमबर्ग

आप एचपीसीएल के 1 साल के चार्ट से क्या एकत्र कर सकते हैं? एचपीसीएल का स्टॉक अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड की कीमत की दर्पण छवि की तरह चलता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कच्चे तेल की कीमत में गिरावट एचपीसीएल के लिए सकारात्मक है क्योंकि इससे संभावना कम हो जाती है कि सरकार इन डाउनस्ट्रीम तेल कंपनियों से तेल सब्सिडी का बोझ उठाने के लिए कहेंगे। स्विंग ट्रेडिंग के लिए इसका क्या अर्थ है? चूंकि तेल एक वस्तु है, यह आम तौर पर एक वस्तु की तरह चलता है और मांग और आपूर्ति की शक्तियों से प्रभावित होता है। इससे मूल्य आंदोलनों के मामले में तेल अधिक अनुमानित हो जाता है। एक स्विंग व्यापारी कच्चे तेल की कीमत में ऐसे अल्पकालिक स्विंग की पहचान कर सकता है और फिर एचपीसीएल में अल्पकालिक पदों को लेने के लिए उनका उपयोग कर सकता है। यह एक उदाहरण है कि कैसे स्विंग व्यापार अभ्यास में काम करता है। आम तौर पर, स्विंग व्यापारी स्विंग व्यापार की पुष्टि प्राप्त करने से पहले समर्थन, प्रतिरोध, मूविंग एवरेज और ऑसीलेटर जैसे कई तकनीकी कारकों को भी देखेंगे।

स्विंग ट्रेडिंग से दिन का कारोबार अलग-अलग होता है
व्यापक रूप से, चार तरीके हैं जिनमें दिन व्यापार स्विंग ट्रेडिंग से अलग है। इनके आपके व्यापार के अर्थशास्त्र के लिए प्रभाव पड़ता है।

व्यापार का ढांचा: एक इंट्राडे व्यापार में, व्यापारी अधिक शीर्ष-नीचे दृष्टिकोण का उपयोग करता है। बाजार की व्यापक गति को सही बनाने के लिए फोकस अधिक है और फिर तदनुसार व्यक्तिगत स्टॉक का व्यापार करें। स्विंग व्यापार बहुत अधिक नीचे है। उपरोक्त चित्रित एचपीसीएल के मामले में, फोकस स्टॉक / इंडेक्स पर है और मैक्रोज़ को पुष्टि करने के लिए उपयोग किया जाता है।

व्यापार से लौटता है: जाहिर है, एक स्विंग व्यापार पर वापसी की संभावना इंट्राडे व्यापार से अधिक है। अनुशासन एक इंट्राडे व्यापार पर कुछ प्रतिबंध लगाता है और इसलिए व्यापारी के पास पूर्ण मूल्य चाल क्षमता को पकड़ने के लिए छूट नहीं होती है। स्विंग व्यापार में ऐसी कोई बाधा नहीं है।

व्यापार में जोखिम: एक तार्किक अनुशासनिक के रूप में, यह इस प्रकार है कि स्विंग व्यापार एक दिन के व्यापार की तुलना में जोखिम भरा है। चूंकि दिन का व्यापार बहुत तंग स्टॉप लॉस और लाभ लक्ष्यों के साथ निष्पादित किया जाता है, इसलिए कुल जोखिम को बंद कर दिया जा सकता है। दूसरी तरफ स्विंग व्यापार एक दिशात्मक शर्त है और लंबी तरफ या छोटी तरफ हो सकता है। यह स्विंग व्यापार को रातोंरात जोखिम का खुलासा करता है। स्विंग व्यापार के मामले में मार्जिन भी अधिक है और यह इन ट्रेडों में आपकी पूंजी का एक बड़ा हिस्सा भी लॉक करता है।

कमाई को नयी ऊंचाई देता वायदा कारोबार

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नित्येन्द्र द्विवेदीहमारे समाज में आमतौर पर शेयर मार्केट को जुआं समझा जाता है। ज्यादातर लोग इसमें हाथ डालने से डरते हैं और जो भी डालते हैं वे म्यूचुअल फंड यानी एसआईपी के छाते के साथ। लेकिन शायद आपको पता भी है कि ढेरों लोग इंट्रा-डे (दिन-प्रतिदिन) और स्विंग (कुछ हफ्तों या दिनों की) ट्रेडिंग करके मोटा मुनाफा भी कमा लेते हैं। लेकिन ये वे लोग हैं, जिन्होंने शेयर मार्केट को अच्छी तरह से समझा है और उसके सभी तकनीकी पहलुओं से वाकिफ हैं। देश में पहले ट्रेडिंग करना काफी खर्चीला होता था क्योंकि सिर्फ ट्रेडिंग कैश मार्केट में होती थी, इसके तहत आप कंपनियों के शेयर खरीद कर रखते थे, जो ब्रोकर एक कागजी रसीद के माध्यम से जारी करता था। लेकिन अब शेयर खरीदने-बेचने की कार्रवाई कंप्यूटर के माध्यम से ऑनलाइन होती है। इसके अलावा तकनीक के इंट्राडे ट्रेडिंग और स्विंग ट्रेडिंग में क्या अंतर है प्रसार के साथ कैश मार्केट के अलावा डेरिवेटिव्स मार्केट अस्तित्व में आ चुकी है, जिसमें ट्रेडिंग करने के लिए धन की उतनी जरूरत नहीं पड़ती, जरूरत है तो बस सीखने की। तो आइए समझते हैं शेयर ट्रेडिंग की कुछ जानकारियां।क्या है कैश मार्केट और डेरिवेटिव्स में आधारभूत अंतर : आपको बता दें शेयर बाजार में देश के 2 सबसे बड़े स्टॉक इंट्राडे ट्रेडिंग और स्विंग ट्रेडिंग में क्या अंतर है एक्सचेंज एनएसई और बीएसई के माध्यम से हम 2 प्लेटफॉर्म पर ट्रेडिंग कर सकते हैं। उनमें एक है कैश मार्केट और दूसरा है डेरिवेटिव्स। कैश मार्केट में हम किसी सिक्योरिटी का पूरा मूल्य चुकाकर उस विशेष स्टॉक काे खरीद लेते हैं। वहीं डेरिवेटिव्स में हम सिक्योरिटी न खरीदकर उसके फ्यूचर और ऑप्शन कांट्रैक्ट खरीदते हैं। इन दोनों के तहत उस स्टॉक को कैश में खरीदने या बेचने की जरूरत नहीं होती है। लेकिन इसके भाव बढ़ने या घटने की स्थिति बिलकुल कैश मार्केट में उस स्टॉक की तरह होती है। उदाहरण के लिए स्टेट बैंक के शेयर का वर्तमान मूल्य 250 रुपए है। ये लॉट में होते हैं। इसके फ्यूचर और ऑप्शन का लॉट साइट 3000 शेयरों का है। अगर हम इसका लॉट साइज के मात्रा के शेयर कैश में खरीदते हैं तो हमें 7,50,000 रुपए ब्रोकर के पास जमा कराने होंगे। लेकिन इसका फ्यूचर हमें एक से डेढ़ लाख रुपए ही चुकाकर मिल जायेगा, जबकि एसबीआई स्टॉक बढ़ने पर हमें फ्यूचर से लगभग वही लाभ प्राप्त होगा, जो एसबीआई के कैश मार्केट में बढ़ने पर प्राप्त होता है। लेकिन इसमें एक कमी भी है कि फ्यूचर और ऑप्शन का सौदा महीने के अंतिम बृहस्पतिवार की तारीख तक सेटल करना होता है। उदाहरण के लिए हम एसबीआई के शेयरों को कैश मार्केट में खरीदकर जब तक मर्जी आए तब तक अपने पास रख सकते हैं, लेकिन अगर इसे फ्यूचर या ऑप्शन में खरीदते हैं तो इसके डेरिवेटिव्स को माह के अंतिम बृहस्पतिवार तक सेटल करना इंट्राडे ट्रेडिंग और स्विंग ट्रेडिंग में क्या अंतर है होता है, अगर हम इसे आगे ले जाना चाहते हैं तो अगले माह के कांट्रैक्ट का सौदा करना होता है। सेटलमेंट की तारीख को एक्सपायरी डेट कहा जाता है। ट्रेडर्स चाहें तो अपने सौदे को अगले महीने के लिए रोल ओवर भी कर सकते हैं। रोल ओवर का मतलब एक माह के सौदे को काटकर दूसरे माह का कांट्रैक्ट खरीदना या बेचना होता है। डेरिवेटिव्स के तहत स्टॉक्स, इंडेक्स, मेटल, गोल्ड, क्रूड, करेंसी आदि में कारोबार किया जाता है। इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि कम पैसे में हम ट्रेडिंग करके मोटा मुनाफा कमा सकते हैं, लेकिन इसमें यही खोट है कि इस सेगमेंट में तभी हाथ डालें जब ट्रेडिंग में पूरी तरह से प्रशिक्षित हों और शेयर/कमोडिटी के मूवमेंट के बारे इंट्राडे ट्रेडिंग और स्विंग ट्रेडिंग में क्या अंतर है में पूरे जानकार/आश्वस्त हों। अन्यथा इसमें जितना लाभ होता है उतनी ही हानि हो सकती है।इंडेक्स में भी होता है वायदा कारोबार : वायदा कारोबार इंडेक्स या स्टॉक्स में होता है। फ्यूचर कैश मार्केट के मुकाबले प्रीमियम पर ट्रेड करते हैं। इसमें ट्रेडिंग के लिए अनुभव की जरूरत होती है। यह हेजिंग में भी काम आता है। सौदे को हेज करने का इंट्राडे ट्रेडिंग और स्विंग ट्रेडिंग में क्या अंतर है सबसे अच्छा माध्यम है एफ एंड ओ फ्यूचर एंड ऑप्शन के माध्यम से हम कम पैसों में ट्रेडिंग तो कर ही सकते हैं, साथ ही अपने सौदे और फंड को हेज भी कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर हमने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के शेयर खरीद कर उस सौदे को हेज करना चाहते हैं तो हम उसके फ्यूचर में लॉट साइज 3000 शेयर कैश में खरीद सकते हैं और अगर आपको लगता है कि एसबीआई में बड़ी गिरावट आने वाली है तो उस सौदे को हेज कर सकते हैं। इसके लिए उस या अगले महीने के कांट्रैक्ट का एक फ्यूचर बेचकर सौदे को हेज कर सकते हैं। अगर शेयर में गिरावट आई तो 3000 शेयरों में जितना नुकसान हुआ है उतना ही फ्यूचर के एक बेचे हुए लॉट में फायदा होगा। इसी प्रकार ऑप्शन में भी कर सकते हैं। ऑप्शन में कैश या फ्यूचर को हेज करने के लिए बीटा वैल्यू का कैलकुलेशन करना पड़ता है। अब समझें एफ एंड ओ से जुड़े जोखिम हमें एफ एंड ओ कम मार्जिन और ब्रोकरेज में ट्रेडिंग की सुविधा तो उपलब्ध कराता है लेकिन इसके जोखिम को समझना भी जरूरी है। वायदा बाजार में कैश मार्केट की तुलना में जोखिम अधिक है। उदाहरण के लिए हम कैश में कोई सौदा 10 लाख रुपए में करते हैं। उतनी ही क्षमता का सौदा फ्यूचर में मात्र डेढ़ लाख और ऑप्शन में मात्र कुछ हजारों में कर सकते हैं, लेकिन उसमें लाभ या हानि उतनी ही होगी जितनी कैश मार्केट इंट्राडे ट्रेडिंग और स्विंग ट्रेडिंग में क्या अंतर है में 10 लाख में आने वाले शेयरों की संख्या में होती है। इस वजह से जो लोग शुरुआत कर रहे हैं उन्हें डेरिवेटिव्स में थोड़ी-थोड़ी मात्रा में सौदे करके पहले अनुभव हासिल करना चाहिए। खासकर शुरुआत में ऑप्शन का अभ्यास खरीद के साथ करना चाहिए। लोकप्रिय हो रहा है वायदा कारोबार शेयर बाजार में फ्यूचर और ऑप्शन (एफ एंड ओ) सेगमेंट को डेरिवेटिव्स मार्केट या वायदा बाजार के रूप में भी जानते हैं। ट्रेडिंग को लेकर यह सेगमेंट लोगों के बीच कितना लोकप्रिय हो चुका है कि इस बात का अंदाज हम इंट्राडे ट्रेडिंग और स्विंग ट्रेडिंग में क्या अंतर है इस तथ्य से ही लगा सकते हैं कि बीते 8 सालों में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) में जहां कैश मार्केट में 34 प्रतिशत की बढ़ोतरी आई है, वहीं दूसरी ओर डेरिवेटिव्स सेगमेंट में ट्रेंडिंग में 150 प्रतिशत की बढ़ोतरी आई है। आज की तारीख में एनएसई में जितने भी वाल्यूम की ट्रेंडिंग हो रही है, उसमें 90 प्रतिशत से अधिक योगदान डेरिवेटिव्स इंट्राडे ट्रेडिंग और स्विंग ट्रेडिंग में क्या अंतर है मार्केट का है। मोबाइल फोन पर ट्रेंडिंग प्लेटफॉर्म उपलब्ध होने के बाद तो इसमें और भी तेजी आ गयी है। वित्त वर्ष 2015-16 में शेयर ट्रेडिंग के मोबाइल एप डाउनलोड करने के आंकड़ों में लगभग 3 प्रतिशत यानी वे बढ़कर 170 प्रतिशत हो चुके हैं। इस दौरान मोबाइल फोन के द्वारा जितने भी ट्रेड डाले गये उनमें 90 प्रतिशत डेरिवेटिव्स मार्केट के थे।

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