शीर्ष युक्तियाँ

प्रतिभूति और सामूहिक निवेश

प्रतिभूति और सामूहिक निवेश
  1. विभिन्न योजनाओं के माध्यम से पूंजी जुटाने के नए तरीके, जो अब तक ‘सेबी’ के दायरे में नहीं थे, अब ‘सेबी’ के दायरे में आएंगे।
  2. जनता से 100 करोड़ रुपये से अधिक जुटाने वाली सभी योजनाओं को अब सेबी के दायरे में लाया गया है।
  3. सेबी के पास संपत्ति की तलाशी लेने, जब्त करने और कुर्क करने की शक्ति है।
  4. सेबी को नियमों का पालन नहीं करने वालों को हिरासत में लेने का भी अधिकार दिया गया है।
  5. सेबी को देश-विदेश के नियामकों से जानकारी लेने की भी अनुमति दी गई है।

ठगी के खिलाफ

जनसत्ता 24 सितंबर, 2014: अपने ढाई दशक के इतिहास में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड यानी सेबी को कई तरह की वित्तीय अनियमितताओं से जूझना पड़ा है और इन अनुभवों के कारण उसके अधिकार बढ़ाए गए हैं। अब एक बार फिर इस नियामक संस्था की ताकत में इजाफा किया गया है ताकि लाखों छोटे निवेशकों […]

जनसत्ता 24 सितंबर, 2014: अपने ढाई दशक के इतिहास में भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड यानी सेबी को कई तरह की वित्तीय अनियमितताओं से जूझना पड़ा है और इन अनुभवों के कारण उसके अधिकार बढ़ाए गए हैं। अब एक बार फिर इस नियामक संस्था की ताकत में इजाफा किया गया है ताकि लाखों छोटे निवेशकों को धोखाधड़ी से बचाया जा सके। इस मकसद से लाए गए विधेयक को संसद की मंजूरी मिल गई है। सेबी को नए अधिकार देने का कानूनी उपाय और पहले हो जाना चाहिए था। अब देर से ही सही, एक जरूरी कदम उठाया गया है। संशोधित कानून के जरिए सामूहिक निवेश वाली विभिन्न प्रतिभूति और सामूहिक निवेश स्कीमों को सेबी के नियमन के दायरे में लाया गया है। सेबी को संदिग्ध निकाय या कंपनी से देश और देश के बाहर सूचना मांगने और तलाशी लेने की शक्ति दी गई है। उसे जांच के सिलसिले में कॉल डाटा रिकार्ड मंगाने का अधिकार दिया गया है। अलबत्ता फोन टैप करने का अधिकार उसे नहीं होगा, यह केवल टेलीग्राफ कानून के प्रावधानों के मुताबिक ही हो सकता है। सेबी कोई भी तलाशी मुंबई स्थित निर्धारित अदालत से मंजूरी के बाद ही कर सकेगा।

इस विधेयक पर राज्यसभा में चर्चा के दौरान कई सदस्यों ने सवाल उठाया कि केवल मुंबई में निर्धारित अदालत रखे जाने का क्या औचित्य है। इस पर वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा प्रतिभूति और सामूहिक निवेश कि देश के अनेक हिस्सों में एक साथ छापा मारने की जरूरत महसूस होने पर सेबी को सभी संबद्ध जगहों की अदालतों से मंजूरी लेनी होती है और यह व्यावहारिक नहीं होता। यह भी अंदेशा रहता कि इस बीच सबूत कहीं नष्ट न कर दिए जाएं। लेकिन इसकी थोड़ी-बहुत आशंका अब भी रहेगी। इसे निर्मूल करने की खातिरकेवल संपत्ति की जब्ती के लिए अदालत की मंजूरी अनिवार्य करने का प्रावधान किया जा सकता था।

संशोधित कानून ऐसे समय बना है जब निवेशकों को ठगे जाने की कई घटनाएं हो चुकी हैं। इनमें शारदा ग्रुप और सहारा के मामले सर्वाधिक चर्चित रहे हैं। पश्चिम बंगाल के कई राजनीतिकों परभी शारदा ग्रुप को संरक्षण देने के आरोप लगे। प्रतिभूति और सामूहिक निवेश तमाम सामूहिक निवेश योजनाओं में ऊंची लाभ दर का प्रलोभन दिया जाता है। यह वास्तविकता से परे होता है, पर भोलेभाले लोग अक्सर इसके झांसे में आ जाते हैं। कई कंपनियां मामूली पैसा जमा कराने के लिए दूरदराज के इलाकों तक में निवेशकर्ता के दरवाजे पहुंच जाती हैं। ऐसी अतिरंजित सुविधा कारोबार के लिहाज से संगत कैसे हो सकती है जिसमें लागत का हमेशा खयाल रखा जाता है। पर जिनकी मंशा लोगों की बचत हड़प कर जाने की हो, वे एजेंटों को आकर्षक कमीशन से लेकर प्रतिभूति और सामूहिक निवेश निवेशकों को ज्यादा से ज्यादा मुनाफे का सब्जबाग दिखाने से बाज नहीं आते। सेबी को और सशक्त बनाने की पहल यूपीए सरकार के समय ही हो गई थी। उसने पिछले साल जुलाई में अध्यादेश लाकर सेबी को कपटपूर्ण निवेश योजनाओं से निपटने का अधिकार दिया था। लेकिन तब विधेयक पारित नहीं हो सका। अब संशोधन विधेयक ने उसी कमी को पूरा किया है। पहचान छिपा कर शेयर बाजार में निवेश करने के खतरों को लेकर कई बार सवाल उठाए गए हैं। पर अभी तक इसे नजरअंदाज किया जाता रहा है। जाहिर है, सेबी को और सशक्त करने की जरूरत इस विधेयक के बाद भी बनी हुई है।

अनिल धीमान, नंदनगरी, दिल्ली

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जानिये क्या होता है SEBI ?

sebi

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI – Securities & Exchange Board Of India ) भारत में प्रतिभूतियों और वित्त का नियामक बोर्ड है। यह 12 अप्रैल 1988 को स्थापित किया गया था और 30 जनवरी 1992 को सेबी अधिनियम 1992 के तहत वैधानिक मान्यता प्राप्त हुई। सेबी का मुख्यालय मुंबई में बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स के व्यावसायिक जिले में है और नई दिल्ली, कोलकाता में उत्तरी, पूर्वी, दक्षिणी और पश्चिमी क्षेत्रीय कार्यालय हैं। क्रमशः चेन्नई और अहमदाबाद।

इतिहास
यह आधिकारिक तौर पर भारत सरकार द्वारा वर्ष 1988 में स्थापित किया गया था और 1992 में भारतीय संसद द्वारा पारित सेबी अधिनियम, 1992 के साथ वैधानिक शक्तियां दी गई थीं। सेबी के अस्तित्व से पहले, पूंजी मुद्दों का नियंत्रक नियामक प्राधिकरण था, जिसे पूंजी मुद्दे (नियंत्रण) अधिनियम, 1947 के तहत अधिकार दिया गया था।

कार्य
सेबी का मुख्य उद्देश्य भारतीय शेयर निवेशकों के हितों को सर्वोत्तम सुरक्षा प्रदान करना और प्रतिभूति बाजार के विकास और विनियमन को बढ़ावा देना है। सेबी को एक गैर-सांविधिक संगठन के रूप में स्थापित किया गया था जिसे सेबी अधिनियम 1992 के तहत वैधानिक दर्जा दिया गया है। 25 जनवरी 1995 को सरकार द्वारा पारित एक अध्यादेश द्वारा, सेबी को पूंजी के मुद्दे, प्रतिभूतियों के हस्तांतरण और अन्य संबंधित मामलों के संबंध में नियंत्रण शक्ति दी गई है। मौजूदा कानूनों और नियंत्रणों में बदलाव के संबंध में, सेबी अब एक स्वायत्त निकाय है और अब सरकार से अनुमति की आवश्यकता नहीं है। इसके नियत कार्य इस प्रकार हैं-

  1. प्रतिभूति बाजार में निवेशकों के हितों की रक्षा करना और उचित उपायों के माध्यम से प्रतिभूति बाजार को विनियमित और विकसित करना।
  2. स्टॉक एक्सचेंजों और किसी अन्य प्रतिभूति बाजार के कारोबार को विनियमित करने के लिए।
  3. स्टॉक ब्रोकर, सब-ब्रोकर, शेयर ट्रांसफर एजेंट, ट्रस्टी, मर्चेंट बैंकर, अंडर-राइटर्स, गोल्ड एक्सचेंज, पोर्टफोलियो मैनेजर आदि के कार्यों को विनियमित और पंजीकृत करना।
  4. म्युचुअल फंड की सामूहिक निवेश योजनाओं को पंजीकृत और विनियमित करना।
  5. प्रतिभूति बाजार से संबंधित अनुचित व्यापार व्यवहारों को समाप्त करना।
  6. प्रतिभूति बाजार से जुड़े लोगों को प्रशिक्षित करना और निवेशक शिक्षा को बढ़ावा देना।
  7. प्रतिभूतियों के अंदरूनी व्यापार पर रोक लगाना।

सेबी (संशोधन) अधिनियम, 2002
इसे संसद में पारित किया गया और 29 अक्टूबर 2002 को लागू हुआ, जो सेबी को शेयर बाजार में गड़बड़ी के दोषियों को और सख्त सजा देने के लिए व्यापक अधिकार देता है। इस अधिनियम के तहत इनसाइडर ट्रेडिंग के लिए सेबी द्वारा 25 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। इस अधिनियम में छोटे निवेशकों के साथ धोखाधड़ी के मामलों में एक लाख रुपये प्रतिदिन की दर से एक करोड़ रुपये तक के जुर्माने का भी प्रावधान है। सेबी को किसी भी स्टॉक एक्सचेंज को मान्यता देने का अधिकार दिया गया है।

इसके बाद राष्ट्रपति द्वारा 18 जुलाई 2013 को सेबी की नियामक शक्तियों को बढ़ाने के लिए एक अध्यादेश जारी किया गया, जिसके महत्वपूर्ण बिंदु इस प्रकार हैं-

  1. विभिन्न योजनाओं के माध्यम से पूंजी जुटाने के नए तरीके, जो अब तक ‘सेबी’ के दायरे में नहीं थे, अब ‘सेबी’ के दायरे में आएंगे।
  2. जनता से 100 करोड़ रुपये से अधिक जुटाने वाली सभी योजनाओं को अब सेबी के दायरे में लाया गया है।
  3. सेबी के पास संपत्ति की तलाशी लेने, जब्त करने और कुर्क करने की शक्ति है।
  4. सेबी को नियमों का पालन नहीं करने वालों को हिरासत में लेने का भी अधिकार दिया गया है।
  5. सेबी को देश-विदेश के नियामकों से जानकारी लेने की भी अनुमति दी गई है।

सेबी विभाग
सेबी अपने 20 विभागों के माध्यम से भारतीय वित्तीय बाजार को नियंत्रित करता है। ये विभाग इस प्रकार हैं-

1.कमोडिटी डेरिवेटिव्स मार्केट रेगुलेशन डिपार्टमेंट (CDMRD)
2.निगम वित्त विभाग (सीएफडी)
3.आर्थिक और नीति विश्लेषण विभाग (DEPA)
4.ऋण और हाइब्रिड प्रतिभूति विभाग (डीडीएचएस)
5.प्रवर्तन विभाग – 1 (EFD1)
6.प्रवर्तन विभाग – 2 (EFD2)
7.पूछताछ और न्यायनिर्णयन विभाग (ईएडी)
8.सामान्य सेवा विभाग (जीएसडी)
9.मानव संसाधन विभाग (एचआरडी)
10.सूचना प्रौद्योगिकी विभाग (आईटीडी)
11.एकीकृत निगरानी विभाग (आईएसडी)
12.जांच विभाग (आईवीडी)
13.निवेश प्रबंधन विभाग (आईएमडी)
14.कानूनी मामलों का विभाग (LAD)
15.बाजार मध्यस्थ विनियमन और पर्यवेक्षण विभाग (MIRSD)
16.बाजार विनियमन विभाग (MRD)
17.अंतर्राष्ट्रीय मामलों का कार्यालय (OIA)
18.निवेशक सहायता और शिक्षा कार्यालय (ओआईएई)
19.अध्यक्ष का कार्यालय (ओसीएच)
20.क्षेत्रीय कार्यालय (आरओ)

सेबी क्या है? SEBI के कार्य एवं संरचना लिखिए

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी /SEBI) की स्थापना एक गैर सांविधिक संस्था के रूप में 12 अप्रैल 1988 को की गई थी! इसकी स्थापना प्रमुख उद्देश्य देश के पूंजी बाजार में व्याप्त अनियमितताओं को दूर करते हुए स्कंध विनिमय केंद्रों का विकास करना था!

31 मार्च 1992 का अध्यादेश जारी करके सेबी को पूर्ण अधिकार प्राप्त संवैधानिक निकाय बना दिया गया! परिणामस्वरूप प्रतिभूति और सामूहिक निवेश 4 अप्रैल 1992 से सेबी का कार्य पृथक कानून के अंतर्गत संचालित होने लगा तथा इसका कार्य क्षेत्र बढ़ाते हुए इसके अधिकार को भी बढ़ा दिया!

सेबी की संरचना (sebi ki sanrachna) –

सेबी का प्रबंधन 6 सदस्यों की देखरेख में होता है! इसमें अध्यक्ष केंद्रीय सरकार द्वारा नामित होता है तथा दो सदस्य केंद्रीय मंत्रालयों के अधिकारी नामित किए जाते हैं जिन्हें वित्त और कानून की जानकारी हो, एक सदस्य आरबीआई ऐसे अधिकारियों में से नामित किए जाते हैं, तथा दो सदस्य का नामांकन केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है!

सेबी का मुख्यालय (sebi ka mukhyalay in hindi) –

सेबी का मुख्यालय मुंबई में बांद्रा कुर्ला परिसर के व्यवसायिक जिले में है और इसके अलावा नई दिल्ली, कोलकाता और चेन्नई में क्षेत्रीय कार्यालय है!

सेबी का फुल फाॅर्म (full form of sebi in hindi) –

सेबी का फुल फाॅर्म Security and Exchange Board of India ( भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड) है!

सेबी के कार्य (sebi ke karya) –

सेबी के प्रमुख कार्य (sebi ke karya) इस प्रकार है –

(1) प्रतिभूति बाजार में निवेशकों के हितों की रक्षा करना तथा प्रतिभूति बाजार को उचित उपायों के माध्यम से विकसित एवं विनियमित करना!

(2) स्वशासित संगठनों को प्रोत्साहित करना और उनका नियमन करना!

(3) प्रतिभूति बाजार से जुड़े लोगों को प्रशिक्षित करना एवं निवेशकों को शिक्षित करना!

(4) म्यूचुअल फण्ड की सामूहिक निवेश योजनाओं को पंजीकृत करना तथा उनका नियमन करना!

(5) प्रतिभूतियों के बाजार से संबंधित अनुचित व्यापार व्यवहारों को समाप्त करना!

(6) प्रतिभूति के आंतरिक व्यापार पर रोक लगाना!

(7) म्यूचुअल फण्ड सहित अन्य सामूहिक निवेश योजनाओं को पंजीकृत करना तथा उनका नियमन करना!

(8) प्रतिभूति में भ्रष्टाचार को कम करना!

सेबी से संबंधित प्रश्न उत्तर :-

प्रश्न :-सेबी की स्थापना किस समिति की सिफारिश पर हुई थी?

उत्तर :- सेबी की स्थापना नरसिंहम समिति समिति की सिफारिश पर हुई थी! 31 मार्च 1992 का अध्यादेश जारी करके सेबी को पूर्ण अधिकार प्राप्त संवैधानिक निकाय बना दिया गया! परिणामस्वरूप 4 अप्रैल 1992 से सेबी का कार्य पृथक कानून के अंतर्गत संचालित होने लगा तथा इसका कार्य क्षेत्र बढ़ाते हुए इसके अधिकार को भी बढ़ा दिया!

प्रश्न :- सेबी की स्थापना कब हुई?

उत्तर :- 31 मार्च 1992 का अध्यादेश जारी करके सेबी को पूर्ण अधिकार प्राप्त संवैधानिक निकाय बना दिया गया! परिणामस्वरूप 4 अप्रैल 1992 से सेबी का कार्य पृथक कानून के अंतर्गत संचालित होने लगा तथा इसका कार्य क्षेत्र बढ़ाते हुए इसके अधिकार को भी बढ़ा दिया!

प्रश्न :- सेबी का मुख्यालय कहां है?

उत्तर :- सेबी का मुख्यालय मुंबई में बांद्रा कुर्ला परिसर के व्यवसायिक जिले में है और इसके अलावा नई दिल्ली, कोलकाता और चेन्नई में क्षेत्रीय कार्यालय है!

प्रश्न :- सेबी के प्रथम अध्यक्ष कौन थे?

उत्तर :- भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के प्रथम अध्यक्ष डा.एस. ए. दुबे थे!

प्रश्न :- सेबी की पहली महिला अध्यक्ष कौन है?

उत्तर :- सेबी की पहली महिला अध्यक्ष माधबी पुरी है! इतिहास में यह पहली बार है, जब प्राइवेट सेक्टर से किसी महिला (माधबी पुरी) को बाजार नियामक के महत्वपूर्ण पद के लिए चुना गया है.

भारत के मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज की सूची

शेयर बाज़ार एक ऐसा बाज़ार है जहाँ निवेशक कंपनियों द्वारा विभिन्न कंपनियों के शेयर, बांड और अन्य प्रतिभूतियों को ख़रीदा और बेचा जाता हैं। शेयर बाजार अनेक सुविधा प्रदान कर सकता प्रतिभूति और सामूहिक निवेश है जैसे, मुद्दे और प्रतिभूतियों के मोचन और अन्य वित्तीय साधनों और पूंजी की घटनाओं आय और लाभांश का भुगतान। सन् 1875 में स्थापित मुंबई का शेयर बाजार (बॉम्बे प्रतिभूति और सामूहिक निवेश प्रतिभूति और सामूहिक निवेश स्टॉक एक्सचेंज) एशिया का पहला शेयर बाजार है। स्टॉक मार्केट को भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा प्रबंधित और विनियमित किया जाता है। भारत में सेबी द्वारा मान्यता प्राप्त 23 स्टॉक एक्सचेंज हैं। इनमें दो बीएसई और एनएसई के राष्ट्रीय स्तर के स्टॉक एक्सचेंज हैं। बाकी 21 रीजनल स्टॉक एक्सचेंज (RSE) हैं। सेबी द्वारा शुरू किए गए कड़े मानदंडों के कारण, देश में 20 आरएसई ने व्यापार से बाहर निकलने का विकल्प चुना। सेबी ने सुस्त कामकाज के कारण 09 जुलाई 2007 को सौराष्ट्र स्टॉक एक्सचेंज, राजकोट की मान्यता रद्द कर दी थी।

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI):

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Sebi) भारत में प्रतिभूति और वित्त का नियामक बोर्ड है। सेबी के वर्तमान चेयरमैन अजय त्यागी है। सेबी की स्थापना भारत सरकार द्वारा आधिकारिक तौर पर 12 अप्रैल 1992 में गई थी। सेबी का मुख्यालय मुंबई में हैं और क्रमश: नई दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और अहमदाबाद में उत्तरी, पूर्वी, दक्षिणी व पश्चिमी क्षेत्रीय कार्यालय हैं। [ad336]

SEBI ने रद्द किया इस रेटिंग एजेंसी का रजिस्ट्रेशन, बिजनेस बंद करने का आदेश, जानिए क्या काम होता है सेबी का

SEBI ने रद्द किया इस रेटिंग एजेंसी का रजिस्ट्रेशन, बिजनेस बंद करने का आदेश, जानिए क्या काम होता है सेबी का

सेबी ने पहली बार किसी रेटिंग एजेंसी का रजिस्ट्रेशन रद्द किया है. सबसे बड़ी सख्ती तो ये है कि 6 महीनों प्रतिभूति और सामूहिक निवेश में एजेंसी को अपना बिजनेस बंद करना होगा. कंपनी पर कई आरोप हैं, जिनके तहत सेबी ने ये सख्त कार्रवाई की है.

सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी सेबी (SEBI) ने गुरुवार को एक कंपनी के खिलाफ बेहद सख्त एक्शन लिया है. सेबी ने रेटिंग एजेंसी ब्रिकवर्क रेटिंग्स इंडिया (Brickwork Ratings India) का लाइसेंस ही रद्द कर दिया है. अमूमन नियमों के उल्लंघन पर सेबी कंपनियों पर भारी-भरकम जुर्मा लगाती है. इस बार सेबी ने ब्रिकवर्क रेटिंग्स को साफ कह दिया है कि वह अगले 6 महीने में भारत से अपना सारा बिजनेस समेट ले और वापस चले जाए. यह पहली बार है जब सेबी ने किसी क्रेडिट रेटिंग एजेंसी के खिलाफ इतना सख्त प्रतिभूति और सामूहिक निवेश प्रतिभूति और सामूहिक निवेश रवैया अपनाया है. मामला गंभीर होने की हालत में ही सेबी ऐसे सख्त कदम उठाती है.

क्या गलती की ब्रिकवर्क रेटिंग्स ने?

सेबी ने ब्रिकवर्क पर आरोप लगाया है कि कंपनी ने उचित रेटिंग प्रक्रिया का पालन नहीं किया है और साथ ही रेटिंग देते समय सही तरीके से जांच-परख भी नहीं की. रेटिंग एजेंसी अपनी रेटिंग को सपोर्ट करने के लिए दस्तावेजों और रिकॉर्ड्स का रख-रखाव करने में भी असफल रही. इतना ही नहीं, कंपनी ने अपने इंटरनल नियमों के तहत समयसीमा का पालन भी सुनिश्चित नहीं किया. इसके अलावा रेटिंग की निगरानी से जुड़ी सूचना देने में भी कंपनी ने देरी की. रेटिंग कमेटी के सदस्यों से जुड़े हितों के टकराव के मामले में भी एजेंसी ने नियमों का पालन नहीं किया है. एक मामला भूषण स्टील से भी जुड़ा है.

सेबी ने माना है कि रेटिंग एजेंसी का ऐसा बर्ताव निवेशकों की सुरक्षा और सिक्योरिटीज मार्केट के सिस्टमैटिक ग्रोथ के लिए एक बड़ा जोखिम है. सेबी के पूर्णकालिक सदस्य अश्विनी भाटिया के अनुसार ऐसे मामलों पर लगाम लगाने के लिए सख्त कार्रवाई की जरूरत थी, जिससे बाजार पारिस्थितिकी तंत्र का संरक्षण किया जा सके. यही वजह है कि सेबी ने ब्रिकवर्क रेटिंग्स का रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया है.

क्या काम होते हैं सेबी के?

1- सिक्योरिटीज मार्केट में निवेशकों के हितों की रक्षा करना और बाजार को उचित उपायों के माध्यम से विनियमित और विकसित करना.

2- स्टॉक एक्सचेंजों और किसी भी अन्य प्रतिभूति बाजार के व्यवसाय का रेगुलेशन करना.

3- स्टॉक ब्रोकर्स, सब-ब्रोकर्स, शेयर ट्रान्सफर एजेंट्स, ट्रस्टीज, मर्चेंट बैंकर्स, अंडर-रायटर्स, गोल्ड एक्सचेंज, पोर्टफोलियो मैनेजर आदि के कामों को रेगुलेट करना और उनका रजिस्ट्रेशन करना.

4- म्यूचुअल फंड की सामूहिक निवेश योजनाओं का रजिस्ट्रेशन करना और उनका रेगुलेशन करना.

5- प्रतिभूतियों के बाजार से सम्बंधित अनुचित व्यापार व्यवहारों (Unfair Trade Practices) को समाप्त करना.

6- प्रतिभूति बाजार से जुड़े लोगों को प्रशिक्षित करना और निवेशकों की एजुकेट करने के लिए प्रोत्साहित प्रतिभूति और सामूहिक निवेश करना.

7- प्रतिभूतियों की इनसाइडर ट्रेडिंग पर रोक लगाना.

सेबी अपने ये सारे काम करते हुए निवेशकों, कंपनियों, सिक्योरिटीज मार्केट और देश के हित में सख्त से सख्त कदम उठा सकती है. सेबी कंपनियों पर जुर्माना लगा सकती है और मामला गंभीर होने पर रजिस्ट्रेशन रद्द भी कर सकती है. इसी साल की शुरुआत में ही सेबी ने कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग लिमिटेड समेत 11 डिपॉजिटरी प्रतिभागियों का रजिस्ट्रेशन रद्द किया था. एक अन्य आदेश जारी करते हुए चार अन्य स्टॉक ब्रोकर्स का रजिस्ट्रेशन रद्द किया था. सेबी ऐसे सख्त कदम तब उठाता है, जब मामला बहुत गंभीर हो जाता है.

ये हैं दशहरे-दिवाली में पैसे कमाने वाले 5 बिजनेस आइडिया, कम निवेश में होगा तगड़ा मुनाफा

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