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चलती औसत का आवेदन

चलती औसत का आवेदन
फिनसेक लॉ एडवाइजर्स के संस्थापक और सेबी के पूर्व कार्यकारी निदेशक संदीप पारेख ने कहा कि यह नियामक पर निर्भर करता है कि वह किस तरह के मामलों पर ध्यान देना चाहता है। उन्होंने कहा कि मानव संसाधन के अभाव में किसी प्रकार के मामलों को अन्य पर प्राथमिकता देने का मतलब है कि कुछ चलती औसत का आवेदन क्षेत्रों पर पहले की तुलना में कम ध्यान दिया जा सकता है। उन्होंने कहा, 'इसकी साफ तौर पर कीमत चलती औसत का आवेदन चलती औसत का आवेदन चुकानी पड़ती है।'

सेबी का भेदिया कारोबार की जांच पर जोर

शेयर बाजार नियामक ने अप्रैल 2017 से भेदिया कारोबार के 177 मामलों की जांच शुरू की है यानी हर साल औसतन करीब 38 मामले। बिज़नेस स्टैंडर्ड ने सेबी के आंकड़ों का विश्लेषण किया, जिससे पता चलता है कि पिछले डेढ़ दशक में सालाना औसत 15 ही था। पिछले आंकड़े गत 20 वर्ष की सालाना रिपोर्टों से संकलित किए गए हैं। चालू वित्त वर्ष की इससे इतर जानकारी सार्वजनिक पटल पर नहीं है मगर सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत आवेदन के जरिये इसे हासिल किया गया है।

सेबी के चेयरमैन अजय त्यागी ने नवंबर में बिज़नेस स्टैंडर्ड के साथ साक्षात्कार में कहा था, 'मैं बताना चाहता हूं कि हम सभी उल्लंघनों में भेदिया कारोबार को सबसे गंभीर मानते हैं। यह प्रतिभूति बाजार में भरोसे की बुनियाद के ही खिलाफ है।' पिछले पांच वर्षों के दौरान भेदिया कारोबार के मामलों की हिस्सेदारी 26.6 फीसदी रही है। यह पिछले पांच 15 वर्षों में 13.7 फीसदी थी।

अमेरिका में बेरोजगारी लाभ का दावा करने वालों की संख्या घटी

अमेरिकी श्रम विभाग ने चलती औसत का आवेदन बृहस्पतिवार को कहा कि बेरोजगारी लाभ का दावा करने वालों की संख्या 8,000 कम होकर 198,000 पर आ गई।

दिसंबर में बेरोजगारी भत्ते के लिए आवेदन करने वालों का चार सप्ताह का औसत 199,000 से थोड़ा अधिक रहा। यह अक्टूबर 1969 के बाद सबसे कम संख्या है।

इससे पता चलता है कि कोरोना वायरस के नये स्वरूप ओमीक्रोन के तेजी से फैलने का भी रोजगार पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ा है।

श्रम विभाग के अनुसार 18 दिसंबर को समाप्त सप्ताह में 17 लाख अमेरिकी नागरिक बेरोजगारी लाभ ले रहे थे। यह मार्च 2020 के बाद सबसे कम है।

बीते आठ सालों में सरकारी नौकरियों के लिए 22 करोड़ आवेदन, 7.22 लाख को नौकरी मिली

केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा में पेश आंकड़े बताते हैं चलती औसत का आवेदन कि वर्ष 2014-15 से 2021-22 के बीच उसके विभागों को नौकरियों के लिए 22.05 करोड़ आवेदन प्राप्त हुए, लेकिन नौकरी एक फीसदी से भी कम (0.33) उम्मीदवारों को मिली. वहीं, वर्ष 2019-20 को छोड़ दें तो केंद्र द्वारा दी जाने वाली नौकरियों में 2014-15 के बाद से साल दर साल गिरावट देखी गई है. The post बीते आठ सालों में सरकारी नौकरियों के लिए 22 करोड़ आवेदन, 7.22 लाख को नौकरी मिली appeared first on The Wire - Hindi.

केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा में पेश आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2014-15 से 2021-22 के बीच उसके विभागों को नौकरियों के लिए 22.05 करोड़ आवेदन प्राप्त हुए, लेकिन नौकरी एक फीसदी से भी कम (0.33) उम्मीदवारों को मिली. वहीं, वर्ष 2019-20 को छोड़ दें तो केंद्र द्वारा दी जाने वाली नौकरियों में 2014-15 के बाद से साल दर साल गिरावट देखी गई है.

(प्रतीकात्मक फोटो: पीटीआई)

नई दिल्ली: लोकसभा में केंद्र सरकार ने एक लिखित जवाब में बताया है कि बीते आठ सालों में उसके विभिन्न विभागों में नौकरी के 22.05 करोड़ आवेदन चलती औसत का आवेदन आए, जिनमें से केवल 7.22 लाख आवेदकों को ही नौकरी मिल सकी जो कुल आवेदनों का एक फीसदी से भी कम है.

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, संसद में प्रस्तुत सरकारी आंकड़ों से यह भी खुलासा हुआ है कि बीते आठ सालों में केंद्र सरकार के विभागों में दी जाने वाली सरकारी नौकरियों की संख्या में साल दर साल गिरावट आई है.

रिकॉर्डतोड़ गर्मी: मार्च का औसत अधिकतम तापमान अप्रैल के लेवल चलती औसत का आवेदन तक पहुंच गया, कम बारिश इसकी वजह

पिछले कुछ हफ्ते भारत के ज्यादातर हिस्से असामान्य रूप से गर्म रहे हैं। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के आंकड़ों से पता चलता चलती औसत का आवेदन है कि देश में औसत अधिकतम तापमान अप्रैल के मध्य के स्तर तक पहुंच गया है। इस तरह के मौसम का कारण बारिश की कमी है। आईएमडी के चलती औसत का आवेदन आंकड़े बताते हैं कि 1901 के बाद से अब तक यह भारत का सबसे सूखा मार्च रहा है।


आईएमडी के ग्रिडेड डेटाबेस के आंकड़ों के अनुसार, 18 मार्च को भारत का औसत अधिकतम तापमान 35.27 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। इस डेटाबेस में एक ग्रिड एक डिग्री अलग अक्षांश और देशांतर के एक बॉक्स से मेल खाती है। भारत ऐसे 383 ग्रिडों से कवर्ड है। 18 मार्च, 2022 के लिए औसत अधिकतम तापमान रीडिंग औसत या सामान्य से 9.6% अधिक था, जो 1981 और 2010 के बीच के औसत डेटा पर आधारित है।

सेबी चलती औसत का आवेदन का भेदिया कारोबार की जांच पर जोर

शेयर बाजार नियामक चलती औसत का आवेदन ने अप्रैल 2017 से भेदिया कारोबार के 177 मामलों की जांच शुरू की है यानी हर साल औसतन करीब 38 मामले। बिज़नेस स्टैंडर्ड ने सेबी के आंकड़ों का विश्लेषण किया, जिससे पता चलता है कि पिछले डेढ़ दशक में सालाना औसत 15 ही था। पिछले आंकड़े गत 20 वर्ष की सालाना रिपोर्टों से संकलित किए गए हैं। चालू वित्त वर्ष की इससे इतर जानकारी सार्वजनिक पटल पर नहीं है मगर सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत आवेदन के जरिये इसे हासिल किया गया है।

सेबी के चेयरमैन अजय त्यागी ने नवंबर में बिज़नेस स्टैंडर्ड के साथ साक्षात्कार में कहा था, 'मैं बताना चाहता हूं कि हम सभी उल्लंघनों में भेदिया कारोबार को सबसे गंभीर मानते हैं। यह प्रतिभूति बाजार में भरोसे की बुनियाद के ही खिलाफ है।' पिछले पांच वर्षों के दौरान भेदिया कारोबार के मामलों की हिस्सेदारी 26.6 फीसदी रही है। यह पिछले पांच 15 वर्षों में 13.7 फीसदी थी।

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