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मार्किट आर्डर

मार्किट आर्डर
अलग अलग Brokerage services के नियम अलग होते हैं! जो Full service Broker होते हैं वो अक्सर ज्यादा Charges लेते हैं! यह turnover के हिसाब से लगाया जाता है।

Stock Market Charges kya hai

SHARE MARKET KI PURI JANKARI HINDI ME

हेल्लो दोस्तों आज एकबार फिर से आप सभी को internet sikho में बहुत बहुत स्वागात है .दोस्तों मार्किट आर्डर क्या आप share मार्किट के बारे में जानते है ?की share मार्किट कैसे काम करता है ?और शेयर मार्किट में होता क्या है ?आप आगर शेयर मार्किट के बारे में जानने को इच्छुक है तोह आप इस पोस्ट को पूरा पढ़े क्यों की यह पोस्ट में आपको शेयर मार्किट के बारे में पूरी जानकारी मार्किट आर्डर देने वाला हु .

दोस्तों जब भी हम किसी बाज़ार का बात करते है तोह हम यह सोचने लगते है की ऐसा कोई बाज़ार होगा जहा हम जाकर पैसा देकर सामान खरीद सकते है या बेच सकते है .लेकिन अगर share मार्किट का बात करे तोह यह बिलकुल ही अलग है .share बाज़ार में कुछ भी खरीदने का और बेचने का पूरा तरीका computer के माध्यम से ही होता है .कोई भी share खरीदने या बेचने वाला अपने एजेंट के द्वारा exchange पर अपना आर्डर देता है और एक second में ही आपके pending order के automaticaly किसी और बेचने वाला या खरीदने वालो के आर्डर से जुड़ जाता है और आपका आर्डर पास हो जाता है .

share मार्किट में खरीदारी और बिकवाली 3 कडिया से यह हो पता है

share बाज़ार की तीन कडिया मार्किट आर्डर है ,1)stock excahnge ,2)broker ,3)broker stock exchange के सदस्य केबल वोह ही उस stock exchnge में खरीदारी और बिकवाली कर सकता है .यानि की आप सीधे जाकर कोई share खरीदारी या बिकवाली नहीं कर सकते है .आपको शेयर मार्किट में trade करने के लिए किसी भी broker के माध्यम से ही करना पड़ेगा .

दोस्तों इंडिया में 2 stock exchange से अपना share का खरीदारी और बिकवाली कर सकते है .1)BSE -bombay stock exchange ,2)NSE -national stock exchange ,इन दोनों exchange पर शेयर का कारबार होता है .जादा से जादा companiya जिनका शेयर मार्किट में trade होता है उन् सरे कंपनी के शेयर इन् दोनों stock exchange में लिस्टेड होता है.और कोई कंपनी ऐसा भी रहता है जिनके शेयर इन् दोनों stock exchange में से किसी एक exchange में ही लिस्टेड रहता है .देश के सरे बड़े बैंक या उनका सब्सिडी companiya और बड़े बड़े companiya इन् exchange पर broker के रूप में काम करता है .

CMP Meaning In Share Market In Hindi :

CMP का फुलफॉर्म (current market price) होता है जब हम शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग का ज़िक्र करते है तो CMP सब्द निकलकर आता है CMP मौजूदा बाज़ार मूल्य का प्रतिनिधित्व करता है CMP शेयर बाज़ार के निवेशको के लिए एक महत्वपूर्ण मापदंड है सीधे सब्दो में कहे तो इसका मतलब करेंट मार्केट प्राइस होता है इसे करेंट स्टॉक वैल्यू के नाम से भी जाना जाता है वर्तमान बाज़ार मूल्य किसी विशेष शेयर का एक मोटा मूल्य है जो एक निश्चित समय अवधि पर बाज़ार में कारोबार कर रहा है परन्तु शेयर बाज़ार अत्यधिक गतिशील होता है इसलिए आपको CMP में जितने चाहे उतने शेयर खरीदने का अवसर मिलता है |

किसी शेयर या स्टॉक का वर्तमान बाज़ार मूल्य वह दर है जिसका उलेख आप अक्सर वितीय मंच पर देखते है अगर आप किसी शेयर के वर्त्तमान बाज़ार मूल्य का पता लगाना चाहते है तो वितीय साईट, समाचार चैनल ,मोबाइल एप्प जैसे साधन का उपयोग करके वर्त्तमान बाज़ार मूल्य पता कर सकते है यदि आप सुनिश्चित करते है की आप मौजूदा बाज़ार मूल्य पर किसी विशेष स्टॉक को बेचना और खरीदना चाहते है तो आपको ब्रोकरेज के साथ मार्केट आर्डर दर्ज करना होगा उसके बाद आपको पता होना चाहिए की बाज़ार की गतिविधि के कारण आपके द्वारा आर्डर दर्ज करने के समय से लेकर वास्तविक व्यापार निष्पादित होने तक की किम्मत में थोडा सा अंतर हो सकता है

CMP में limit order क्या होता है :

दोस्तों कुछ लोग बाज़ार के उतार चड़ाव से कतराते है इसलिए limit order लगायी जाती है जैसे की नाम से पता चलता है किसी order पर limit लगाना सरल सब्दो में बताये तो आपको न्तुनतम मूल्य set करना होता है आप जिस भी प्राइस में उस शेयर को सेल करना चाहते है या अधिकतम मूल्य जिस पर स्टॉक खरीदना चाहते है और फिर अपने ब्रोकर को यह मूल्य बताना होता है |

उधारण से समझते है यदि आपके पास किसी कंपनी के 100 स्टॉक है तो आप अपने ब्रोकर को तभी सेल करने के लिए बोल सकते है जब प्रत्येक स्टॉक के लिए न्यूनतम 100 डोलर हो इसके अलावा ब्रोकर को 100 स्टॉक खरीदने के लिए बोल सकते है यदि प्रति स्टॉक अधिकतम 100 डालर है |

CMP में stop order क्या होता है :

stop order में एक निश्चित सीमा तय करते है जिसके लिए हम स्टॉक खरीदने और बेचने के लिए रेडी है इसके लिए एक निश्चित stop order रखते है ब्रोकर को तभी बोलते है जब स्टॉक की किम्मत न्यूनतम 100 डॉलर हो जाती है या जब किम्मत 50 डॉलर या उससे कम होती है तो स्टॉक खरीद लेते है |

दोस्तों CMP में limit order और stop order में यही अंतर होता है लेकिन ज्यादा अंतर देखने को नही मिलता है इनकी trading में मुख्य अंतर होता है हम एक सिमित सीमा में निर्दिष्ट मूल्य के उपर या निचे उचतम मूल्य की तलाश करते है जैसे ही स्टॉक की मूल्य सीमा उस order सीमा तक पहुचती है वैसे ही बेच दिया जाता है |

निष्कर्ष ( conclusion ) :

दोस्तों जैसे की आप जानते है शेयर बाज़ार में बहुत तेज़ी से कीमतों में उतार चड़ाव देखा जाता है इसलिए यह जानना आवश्यक है की CMP क्या होता है और यह शेयर बाज़ार में कैसे काम करता है और कब इसका इस्तेमाल करना जरुरी है |

CMP का अर्थ होता है सीमा मूल्य निर्धारित करना और यह स्टॉक order को समझने के लिए यह बेहतर निवेश में मदत भी करता है |

चार चीज़े जो जरूरी है किसी फ्रेंचाइजी कंपनी की मार्केटिंग शुरू करने से पहले

अक्सर जिन्हे नया काम शुरू करना होता है या पहली बार किसी फ्रेंचाइजी कंपनी को ढूंढ रहे होते है मार्केटिंग करने के लिए तो बड़ा जरूरी होता है कि आप बड़ी सावधानी से कंपनी का सिलेक्शन करे। जो पहले ही किसी कंपनी का काम कर रहे है उन्हें पता होता है कि एक फार्मा फ्रेंचाइजी कंपनी में क्या क्या क्वालिटीज होनी चाहिए। आज का दौर सेवा प्रधान दौर है , मार्किट भी सेवा प्रधान (सर्विस डिपेंडेंट मार्किट ) रह गयी है। कम्पनियो की भीड़ में वो ही टिक पाते है जो अच्छी सर्विस देते है। इस भीड़ में बहुत सी कंपनिया ऐसी है जो केवल प्रोडक्ट को सेल करना जानती है उन्हें पार्टी की मुश्किलो से कोई लेना देना नही होता।

इसीलिए किसी भी कंपनी से जुड़ने से पहले पूरी तरह तस्सली कर लीजिये कि प्रोडक्ट्स की शॉर्टेज या प्रमोशनल इनपुट वाली कोई प्रॉब्लम तो नही है। आप शुरू करे और बाद में पता लगे कि प्रोडक्ट तो आपको समय से मिल नही पा रहा है। कंपनी की तरफ से कोई फॉलो-अप नही मिल पा रहा है। बहुत सारी चीज़े है जिनके बारे में आपको पहली ही सोच-विचार कर लेना चाहिए। केवल सेल या मार्किट का अनुभव ही काफी नही होता कोई भी काम शुरू करने के लिए इसके आलावा और भी बहुत सी चीज़े होती है। आये जानते है कुछ ऐसे ही फैक्टर्स जो आपकी सफलता और असफलता में अंतर पैदा कर सकते है :

गलत कंपनी को सेलेक्ट करना :

सबसे बड़ा जो फैक्टर है वो है आपका कंपनी सिलेक्शन। कंपनी से अपनी टर्म एंड कंडीशंस पहले ही तय कर ले। उनसे पूरा भरोसा ले ले कि प्रोडक्ट सप्लाई अच्छी तरह भी मिल पायेगी या नही। पहले आर्डर में ही आपको संकेत मिल जायेगे कि प्रोडक्ट सप्लाई अच्छी है क्या नही। यह जानने का एक उपाय में आपको बताता हूँ। कंपनी को फाइनल करके जब आप आर्डर देने जा रहे होते है तो पहले जिन भी प्रोडक्ट्स को आप कुछ समय बाद भी प्रमोट करना चाहते है उनका भी आर्डर पहले आर्डर में ही दीजिये। जो पप्रोडक्ट्स अभी आपको चाहिए उनको आप अच्छी क्वांटिटी में मंगवा सकते है बाकि प्रोडक्ट्स को एक या दो बॉक्स या 10 पीसेज वगैरह मंगवाए ताकि आप पर ज्यादा आर्थिक बोझ भी न पड़े। आपका सबसे बड़ा फायदा है इससे आपको पता चल जायेगा कि जो प्रोडक्ट्स उन्होंने प्रोडक्ट लिस्ट में दिए है वो सब वो बनाते भी है या नही। अगर आप 15 प्रोडक्ट्स का आर्डर देते है और कंपनी में 12 या इससे ज्यादा आपको पहले आर्डर में मिल जाते है तो अधिकतर मामलो में कंपनी के पास लगभग प्रोडक्ट्स होंगे। अगर आपको 10 या कम प्रोडक्ट्स मिलते है तो स्थिति कुछ अच्छी नही है। ध्यान रहे कि जो पहली कंपनी आप फाइनल करते है आपका नाम उससे ही मार्किट में जाना जाता है। बाद में तो चाहे कितनी कंपनिया आप ले लो , आपको लोग आपकी पहली कंपनी से ही जानेंगे।

गलत प्रोडक्ट्स का चुनाव :

आप अनुमान लगाते है कि आपका डॉक्टर इस प्रोडक्ट्स को लिख सकता है क्योकि वो दूसरी कंपनी के लिए इस प्रोडक्ट को ज्यादा लिखता है। हो सकता है आपके लिए वो इस प्रोडक्ट को न लिख पाये। आपके लिए वो कोई ओर यूनिक प्रोडक्ट लिख दे। आपके लिए आपका प्रोडक्ट्स सिलेक्शन बहुत जरूरी है आपको पता होना चाहिए कि आप किस प्रोडक्ट को डॉक्टर से प्रिस्क्राइब करा सकते है। उसके बाद ही मार्किट में काम शुरू करिये। कही ऐसा न हो कि आपको दोहरी इन्वेस्टमेंट करनी पड़ जाये। हो सके तो सबसे लेटेस्ट मॉलिक्यूल से शुरू करने की कोशिश करे ताकि कम कॉम्पिटिशन का सामना करना पड़े। वैसे प्रोडक्ट्स के बारे में आप मुझ से ज्यादा बेहतर जानते होंगे।

ज्यादातर काम इसलिए भी सफल नही हो पाते कि वो दुसरो के भरोसे शुरू किये जाते है। काम अकेले शुरू किया हो या पार्टनरशिप में। दोनों ही स्थिति में दुसरो पर निर्भरता काम होने से पहले ही उसकी असफलता की निशानी है। यह मैंने आज से कुछ साल पहले खुद के अनुभव से सीखा था। हम तीन दोस्तों ने मिलकर एक pcd कंपनी को लेकर काम करना शुरू किया। एक दोस्त मेडिकल रिप्रेजेन्टेटिव था , एक फार्मा प्रोडक्शन में और एक मै फ्रंचिसी मार्केटिंग देखता था। सभी को अपने अपने काम का अच्छा ज्ञान था। काम शुरू हुआ और शुरू होने के 3 महीनो के अंदर ही बंद भी हो गया। कारण साफ़ था हम दिनों एक पर्सन पर निर्भर थे यानि जो दोस्त मेडिकल रिप्रेजेन्टेटिव था। हमे अपने कामो का अनुभव था मगर हम एक टीम में उसको परिवर्तित नही कर पाये। और विफल हो गए। कभी भी अगर काम शुरू किया जाता है तो उसे अपने भरोसे शुरू करे न कि दुसरो के भरोसे। पार्टनरशिप में सभी को एक टीम की तरह पूरी टीम के फायदे के लिए काम करना चाहिए।

सिकियॉरिटी ट्रांजक्शन टैक्स क्या हैSecurity मार्किट आर्डर Transaction Tax in Stock Market

सरकार द्वारा यह टैक्स किसी, Stock Exchange पर Security Transaction पर लिया जाता है! जिसमें शेयर की Security भी शामिल होती है!

सबसे खास बात यह है कि यह सिर्फ बेचने में ही लगता है! यह खरीदने पर नहीं लगाया जाता है! Intraday Trading के आर्डर बेचने पर यह 0.025% प्रतिशत लगता है!

उदाहरण के तौर पर – आपने 500 शेयर दिन खत्म होने से पहले ही 160 के दाम में बेच दिये! तो यहाँ पर STT होगा = 500×160= 85000 तो यहाँ पर आपको 85000 का 0.025% charges देना होगा यानि 21.25 रूपये!

अगर दूसरे दिन आप 180 में बेच देते हैं तो यहाँ पर STT होगा 500×180= 90000 का 0.025% यानि 22.5 रूपये! इस तरह से यह आपको प्रति ऑर्डर पर चार्ज लगेगा!

स्टॉक मार्केट में एक्सचेंज चार्जेज क्या हैं – Exchange Transaction Charges in Stock Market

आपको यह चार्ज NSE Stock Exchange और BSE Stock Exchange द्वारा लगाया जाता है! NSE द्वारा यह चार्ज Intraday या Delivery पर यह transaction का 0.00325% लगाया जाता है!

BSE द्वारा यह चार्ज Intraday या Delivery पर यह transaction का 0.003% लगाया जाता है! Futures पर यह चार्ज 0.0019% और Options पर यह 0.05% लगाया जाता है!

आइये अब जान लेते हैं मुख्यतः कितने Types के Stock Market Charges स्टॉक मार्किट मैं लगाए जाते हैं

जीएसटी चार्जेज – GST Charge

यह तो आप जानते ही होंगे GST का मतलब, Goods and Services Tax पर लगने वाला चार्ज होता है! यह भारत की सरकार ने शेयर मार्केट में 2017 में पूरी तरह से लागू किया था! शेयर के खरीदने या बेचने पर यह कुल transaction चार्ज का 18% लगता है!

निष्कर्षConclusion

आज के इस ब्लॉग में हमने Stock Market Charges kya hote hai ब्रोकरेज चार्जेज क्या होते हैं! स्टॉक मार्केट में चार्जेज कितने प्रकार के होते हैं Types of Stock Market Charges in Hindi एवं महत्वपूर्ण जानकरियां देने की कोशिश की! इसमें हमने कुछ Hidden Charges यानि छुपे हुए चार्जेज के बारे में बताया!

स्टॉक मार्किट यह ध्यान रखने वाली बात है क्योंकि हमारा निवेश में लगी हुई पूंजी हमारी मेहनत की होती है। जिसको हमें ही संभालना है और सही निवेश पर लगाना है जिससे हम एक सफल निवेशक बन सकें!

हम आशा करते हैं आपको बहुत कुछ जानने को मिला! इस पोस्ट से संबधित कोई विचार और सुझाव हो तो कृपया निचे comment करके जरूर अवगत कराये! और यदि पोस्ट अच्छी लगे तो इस पोस्ट को अपने दोस्तों में अवश्य शेयर कीजिये!

शेयर बाजार क्या है

शेयर बाजार में काम के घंटों में ब्रोकर अपने ग्राहकों के लिए उनके द्वारा दिए गए आर्डर टर्मिनल में डाल देते हैं. इसके बदले में ब्रोकर को ब्रोकरेज या दलाली मिलती है। शेयर बाजार के बारे में अधिक जानकारी ओर अन्य पहलुओं को जानने के लिये Share Market information in Hindi विस्तार से पढ़ें।

हम कह सकते हैं कि मुख्यतः शेयर बाजार की तीन कड़ियाँ हैं स्टॉक एक्सचेंज, ब्रोकर और निवेशक. ब्रोकर स्टॉक एक्सचेंज के सदस्य होते है और केवल वे ही उस स्टॉक एक्सचेंज में ट्रेडिंग कर सकते हैं. ग्राहक सीधे जाकर शेयर खरीद या बेच नहीं सकते उन्हें केवल ब्रोकर के जरिए ही जाना पड़ता है. ऐसा नहीं है कि शेयर बाजार में निवेश करने के लिये कोई मोटी राशि कि जरुरत है, यहां पढिये शेयर बाजार में कम से कम कितने पैसे लगा सकते हैं।

शेयर बाजार क्या है – भारत के प्रमुख स्टॉक एक्स्चेंज

देश में मुख्यतः BSE यानी मुंबई स्टॉक एक्सचेंज और NSE यानी नेशनल स्टॉक एक्सचेंज हैं जिन पर शेयरों का कारोबार होता है. BSE और NSE दुनिया के बड़े स्टॉक एक्सचेंज हैं. अधिकतर कंपनियां जिनके शेयर मार्केट में ट्रेड होते हैं इन दोनों स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड है मगर यह भी हो सकता है कि कोई कंपनी इन दोनों में से किसी एक ही एक्सचेंज पर लिस्टेड हों.

देश के मुख्यता सभी बड़े बैंक या उनकी सबसिडी कंपनियां और अन्य बड़ी वित्तीय कंपनियां इन एक्सचेंजों में ब्रोकर के तौर पर काम करती हैं. ग्राहक इन ब्रोकर कम्पनियों के पास जाकर अपने डीमैट अकाउंट की जानकारी देकर अपना खाता ब्रोकर के पास खुलवा सकता है. इस प्रकार ग्राहक का डीमैट एकाउंट ब्रोकर के अकाउंट से जुड़ जाता है और खरीदी अथवा बेची गई शेयर्स ग्राहक के डीमैट अकाउंट से ट्रांसफर हो जाती हैं. इसी प्रकार ग्राहक अपना बैंक खाता भी ब्रोकर के खाते के साथ जोड़ सकता है जिससे खरीदे अथवा बेचे गए शेयरों की धनराशि ग्राहक के खाते में ट्रांसफर की जाती है.

डीमैट अकाउंट से जुड़ता है ट्रेडिंग अकाउंट

ग्राहक द्वारा खरीदे गए शेयर इलेक्ट्रॉनिक रूप में उसके डीमैट एकाउंट में पड़े रहते हैं जब भी कोई कंपनी डिविडेंड की घोषणा करती है तो डीमैट अकाउंट से जुड़े बैंक खाते में डिविडेंड की राशि पहुंच जाती है. इसी प्रकार यदि कंपनी बोनस शेयरों की घोषणा करती है तो बोनस शेयर भी शेयरहोल्डर के डीमैट अकाउंट में पहुंच जाते हैं. ग्राहक जब शेयर बेचता है तो उसी डीमैट अकाउंट से वह शेयर ट्रान्सफर हो जाता है.

शेयरों में कारोबार करने के लिए एक निवेशक के पास डीमैट अकाउंट, ब्रोकर के पास ट्रेडिंग अकाउंट और उससे जुडा एक बैंक खाता होना जरूरी है. कई बैंक इसके लिए थ्री इन वन खाता खोलने की सुविधा भी देते हैं. अधिकतर ब्रोकर हाउस आपको ऑनलाइन शेयर ट्रेडिंग की सुविधा भी प्रदान करते हैं इसके अलावा आप फोन करके भी अपने ऑर्डर दे सकते है.

यदि आप मार्किट आर्डर भी शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं तो शेयर बाजार क्या है और शेयर बाजार कैसे काम करता है यह आपके लिए समझना बहुत आवश्यक है.

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