म्यूचुअल फंड में निवेश अच्छा है या बुरा?

बैलेंस्ड एडवांटेज फंड (Balanced Advantage Fund) की हर तरफ हो रही चर्चा, निवेश से पहले इन बातों का रखें ध्यान
Mutual Fund Latest Update: बैलेंस्ड एडवांटेज फंड या डायनामिक एसेट एलोकेसन फंड (Dynamic Asset Allocation Or Balanced Advantage Fund) काफी समय से निवेशकों के लिए पसंदीदा फंड रहा है. अगस्त में लॉन्च हुए एसबीआई बैलेंस्ड एडवांटेज म्यूचुअल फंड में निवेश अच्छा है या बुरा? फंड (SBI Balanced Advantage Fund) के NFO में रिकॉर्ड निवेश के बाद से बैलेंस्ड फंड की ओर निवेशकों का रुझान तेजी से बढ़ा है. SBI Balanced Advantage Fund के NFO में उस दौरान 14,551 करोड़ रुपये का निवेश हुआ था. एसबीआई की यह स्कीम एक हाइब्रिड स्कीम थी और इसमें निवेश किया गया पैसा डेट और इक्विटी दोनों में ही लगाया जाता है. बता दें कि बैलेंस्ड एडवांटेज फंड्स में काफी कम जोखिम होता है.
लगातार निवेश में हो रही है बढ़ोतरी
AMFI की रिपोर्ट के मुताबिक बैलेंस्ड एडवांटेज फंड कैटेगरी में कुल 24 स्कीम चल रही हैं और मौजूदा समय में फोलियो की संख्या 34 लाख के आस-पास है. इसके अलावा इस कैटेगरी का कुल म्यूचुअल फंड में निवेश अच्छा है या बुरा? एसेट अंडर मैनेजमेंट यानी AUM करीब 1.41 लाख करोड़ है. बता दें कि जनवरी 2021 के बाद से बैलेंस्ड एडवांटेज फंड में हर महीने निवेश में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिली है और यही वजह है कि कैलेंडर वर्ष 2021 में 12,949 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश इस कैटेगरी में आया है. जैसा कि आप नाम में ही देख रहे हैं कि यह इक्विटी और डेट का एक मिश्रण है. इस फंड्स में निवेश गतिशील होता है.
मार्केट के उतार-चढ़ाव के आधार पर करते हैं निवेश
फंड मैनेजर बैलेंस्ड एडवांटेज फंड में निवेश की गई रकम का इस्तेमाल इक्विटी में 70 से 80 फीसदी तक निवेश करते हैं. वहीं दूसरी ओर डेट में भी यह आंकड़ा 70 से 80 फीसदी तक जा सकता है. यही वजह है कि बैलेंस्ड एडवांटेज फंड निवेश के लिए दूसरे फंड के मुकाबले काफी आकर्षक है. बता दें कि शेयर बाजार में होने वाले उठापटक को देखते हुए फंड मैनेजर इक्विटी या फिर डेट में निवेश करते हैं. इस फंड को एक साल के अंदर भुनाने पर 15 फीसदी का कैपिटल गेन्स टैक्स देना पड़ता है. 1 लाख रुपये से ज्यादा के कैपिटल गेन्स पर 10 फीसदी टैक्स लगेगा. बता दें कि मार्केट में म्यूचुअल फंड हाउस की ओर से काफी स्कीम उपलब्ध हैं. निवेशकों को इनके बीच सही स्कीम का चुनाव करने के लिए काफी दुविधा रहती है. अलग-अलग कैटेगरी में एसेट मैनेजमेंट कंपनियों के ढेर सारे फंड्स की मौजूदगी से निवेशक के लिए फैसला लेना काफी मुश्किल हो जाता है.
जानकारों का कहना है कि अगर आप नए निवेशक हैं तो आपके लिए बैलेंस्ड एडवांटेज फंड एक अच्छी शुरुआत हो सकती है. दरअसल, इसमें निवेश से आप शेयर बाजार के जोखिम से बच सकते हैं. हालांकि इस कैटेगरी के फंड में निवेश करने से पहले निवेशकों को अपने वित्तीय सलाहकार की सलाह जरूर ले लेनी चाहिए. बता दें कि म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) में निवेश के जरिए लॉन्ग टर्म में अच्छा पैसा बनाया जा सकता है. मार्केट के जानकार म्यूचुअल फंड में एसआईपी (SIP) के जरिए निवेश की सलाह देते हैं. उनका कहना है कि एसआईपी के जरिए म्यूचुअल फंड में निवेश करके लंबी अवधि में अच्छा खासा फंड इकट्ठा किया जा सकता है.
Investment in Mutual Funds : म्यूचुअल फंड्स में निवेश कर रहे हैं? जानें सही फंड चुनने का तरीका
किसी म्यूचुअल फंड को सेलेक्ट करते समय आपके वित्तीय लक्ष्य मायने रखते हैं। इसलिए, सबसे पहले अपने वित्तीय लक्ष्यों की पहचान करें। आपके वित्तीय लक्ष्य या तो शॉर्ट टर्म, मीडियम टर्म या लांग-टर्म हो सकते हैं।
म्यूचुअल फंड्स आपकी मेहनत से की हुई कमाई को बढ़ाने का बहुत ही शानदार तरीका है। मार्केट में बहुत सी म्यूचुअल फंड स्कीम उपलब्ध हैं। आपके म्यूचुअल फंड निवेश में से सबसे अच्छा रिटर्न पाने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि सही प्रोडक्ट को चुना जाए। प्रत्येक म्यूचुअल फंड स्कीम को निवेशकों के अलग-अलग वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए तय किया जाता है। इस लेख में, हम उन कुछ बातों पर विचार करेंगे जिससे सही म्यूचुअल फंड को चुनने में आपको मदद मिल सकती है।
निवेश करने से पहले अपने लक्ष्यों पर विचार करें
किसी म्यूचुअल फंड को सेलेक्ट करते समय आपके वित्तीय लक्ष्य मायने रखते हैं। इसलिए, सबसे पहले अपने वित्तीय लक्ष्यों की पहचान करें। आपके वित्तीय लक्ष्य या तो शॉर्ट टर्म, मीडियम टर्म या लांग-टर्म हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, यदि आप होम लोन की डाउन पेमेंट के लिए या फिर किसी दूसरे लांग-टर्म वित्तीय लक्ष्यों के लिए फंड इकठ्ठा करना चाहते हैं, तो आप ईक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं। शॉर्ट टर्म वित्तीय लक्ष्यों के लिए, आप लिक्विड फंड या अल्ट्रा- शॉर्ट-टर्म फंड को चुन सकते हैं। मीडियम-टर्म लक्ष्यों के लिए, जैसे एक से तीन वर्ष के निवेश टाइमलाइन के लिए, आप जोखिम का गहन आकलन करने के बाद, शॉर्ट टर्म डेट फंड्स को चुन सकते हैं। इसलिए, म्यूचुअल फंड को चुनते समय अपने वित्तीय लक्ष्यों और टाइमलाइन पर विचार करें। अलग-अलग लक्ष्यों के लिए, विभिन्न अंडरलाईंग एस्सेट क्लासेज़ (जैसे ईक्विटी, डेट, गोल्ड आदि) और एक ही एस्टेट क्लाज में प्रोडक्ट्स में एक से अधिक टाइप के म्यूचल फंड में निवेश करके आप अपने पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाई कर सकते हैं। म्यूचल फंड को चुनते समय, टाइम हॉराइजन पर भी विचार करें। हॉराइज़न, वह अवधि है जिसके लिए आप म्यूचल फंड में अपना निवेश बनाए रखना चाहते हैं।
जोखिम उठाने की अपनी क्षमता का आकलन करें
म्यूचुअल फंड को चुनते समय, अपने आप से अपनी जोखिम को सहन करने की अपनी क्षमता के बारे में पूछें। जोखिम उठाने की अपनी क्षमता की पहचान करने से आपको अपनी पसंद को स्ट्रीमलाइन करने में मदद मिलेगी। क्योंकि अलग-अलग प्रकार की ज़रूरतों के अनुसार भिन्न-भिन्न प्रकार के फंड्स हैं, और उन सभी में निम्न से उच्च जोखिम शामिल हैं। उदाहरण के लिए, लिक्विड फंड्स के साथ कम जोखिम जुड़े रहते हैं। जोखिम और रिटर्न एक दूसरे से सीधे तौर पर प्रोपोर्शनल होते हैं। इसलिए, निम्न जोखिम का अर्थ है, कम रिटर्न होता है, और इसके उलट भी सच होता है।
म्यूचुअल फंड का परफार्मेंस
आप चुने गए म्यूचल फंड का आकलन इसके पिछले परफार्मेंस के आधार पर कर सकते हैं। आपके लिए इस काम को आसान बनाने के लिए, विभिन्न रेटिंग एजेन्सियां जैसे CRISIL, ICRA आदि द्वारा म्यूचल फंड्स की रेटिंग की जाती है। आपको हमेशा टॉप रेटिंग वाले म्यूचल फंड को ही चुनना चाहिए। लेकिन, रेटिंग के अलावा, दूसरे महत्वपूर्ण फैक्टर्स की भी जांच कर लें जैसे फंड हाउस की रेपुटेशन, अंडरलाईंग एस्सेट्स, खर्चे का अनुपात आदि। साथ ही, यह बात भी ध्यान में रखें कि भावी रिटर्न के लिए पिछला परफार्मेंस कोई गारंटी नहीं होता है।
खर्च का अनुपात
खर्च का अनुपात वह राशि है जिसे फंड हाउस द्वारा किसी भी म्यूचुअल फंड स्कीम को मैनेज करने के की गई विभिन्न लागतों को निवेशकों से चार्ज किया जाता है। आमतौर पर यह, रिटर्न का प्रतिशत होता है। इसलिए, किसी फंड को चुनते समय, आपके लिए उस वैरिएंट को चुनना बेहतर होगा जिसमें कम खर्च को चार्ज किया जाता है, ताकि आप निवेश लाभ को अधिक से अधिक कर सकें।
टैक्स इम्प्लिकेशन
निवेश रिटर्न की गणना हमेशा टैक्स लाएबिलिटी के संदर्भ में की जानी चाहिए। टैक्स रेट, म्यूचल फंड की श्रेणी और निवेश अवधि पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए, किसी ईक्विटी म्यूचल फंड में एक वर्ष से अधिक के लिए किए गए निवेश को लांग-टर्म माना जाता है। ईक्विटी म्यूचल फंड में शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन्स (एसटीसीजी) पर 15% की दर से टैक्स लगाया जाता है। लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स (एलटीसीजी) के लिए किसी एक वित्तीय वर्ष में 1 लाख रुपए की राशि की छूट दी जाती है और 1 लाख रूपये से अधिक के रिटर्न के लिए 10% की दर से टैक्स लगाया जाता है। डेट फंड्स के लिए, एसटीसीजी के लिए टैक्स रेट निवेशक पर लागू होने वाले स्लैब रेट से लगाया जाता है और इन्डेक्सेशन लाभ के साथ एलटीसीजी पर 20% की दर से कर लगाया जाता है।
निष्कर्ष
म्यूचुअल फंड में सफलतापूर्वक निवेश की कुंजी ऑप्टिमल म्यूचुअल फंड में निवेश अच्छा है या बुरा? डायवर्सिफिकेशन और स्टेग्गर्ड निवेश करने से जुड़ी है ताकि निवेश से जुड़े जोखिम को प्रभावी रूप से मैनेज किया जा सके और वांछित रिटर्न प्राप्त किए जा सकें। किसी सिंगल एस्सेट क्लास में इसलिए निवेश न करें क्योंकि इसका परफार्मेंस अच्छा है। आपको अपने निवेश को डायवर्सीफाई करना चाहिए ताकि इससे आपको अपने शॉर्ट टर्म से लांग टर्म वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद मिल सके।
(इस लेख के लेखक, BankBazaar.com के CEO आदिल शेट्टी हैं)
(डिस्क्लेमर: यह जानकारी एक्सपर्ट की रिपोर्ट के आधार पर दी जा रही है। बाजार जोखिमों के अधीन होते हैं, इसलिए निवेश के पहले अपने स्तर पर सलाह लें।) ( ये लेख सिर्फ जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसको निवेश से जुड़ी, वित्तीय या दूसरी सलाह न माना जाए)
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Long Term Investment: लॉन्ग टर्म निवेश के लिए क्या हो सकते हैं बेहतर विकल्प, आसान बिंदुओं में समझें
किसी फंड हाउस में हर फंड मैनेजर अपने उत्पाद के मैंडेट के मुताबिक निवेश का तरीका अपनाता है. इसी तरह देखें तो हम आमतौर पर वित्तीय, औद्योगिक और कंज्यूमर डिस्क्रेशनेरी (जिसका नेतृत्व ऑटो करता है) सेगमेंट के लिए सकारात्मक नजरिया रखते हैं.
श्रीनिवास राव रावुरी, CIO, PGIM इंडिया म्यूचुअल फंड
"यह सबसे अच्छा समय था, यह सबसे बुरा समय था" -
चार्ल्स डिकेंस के अ टेल ऑफ टू सिटीज की यह शुरुआती पंक्ति है और यह संभवत: बाजार के मौजूदा परिदृश्य को सटीक तरीके से बताती है. हमारे सामने तरक्की म्यूचुअल फंड में निवेश अच्छा है या बुरा? का लंबा रास्ता है, लेकिन वैश्विक सुस्ती, भू-राजनीतिक मसलों, ऊंची ब्याज दरों जैसे तमाम मसलों का शोर भी है. भारतीय बाजारों में करीब 18 महीने तक की तेजी के बाद पिछले एक साल में मिलाजुला रुख देखा गया.
बाजार उतार-चढ़ाव वाला रहा है, लेकिन इसके लिए यह कोई असामान्य बात नहीं है. एक एसेट क्लास के रूप में देखें तो इक्विटीज यानी शेयरों में ऊंचा जोखिम रहता है और इसलिए उतार-चढ़ाव तो इक्विटी निवेश का एक हिस्सा है. लेकिन इसमें एक अच्छी बात यह है कि जितनी लंबी अवधि तक निवेश बनाए रहें, उतार-चढ़ाव का तत्व सीमित होता जाता है. इसलिए दीर्घकालिक रूप में इक्विटी सर्वश्रेष्ठ एसेट क्लास हैं और लॉन्ग टर्म के लिए हम भारतीय बाजारों के लिए सकारात्मक बने हुए हैं.
यह सिर्फ इसकी वजह से नहीं है कि एक लंबे समय अवधि में उतार-चढ़ाव का असर सीमित हो जाता है, बल्कि इससे भी ज्यादा इस वजह से है कि भारतीय अर्थव्यवस्था और यहां के कॉरपोरेट में तरक्की की बेहतरीन संभावनाएं हैं, स्थायी-मजबूत सरकार और नीतियों का दौर है तथा वैश्विक मंच पर पहले से काफी बेहतर स्थिति (जीडीपी के % में निर्यात सात साल के ऊंचे स्तर पर) है. इसके अलावा, हम जबरदस्त टैक्स कलेक्शन, बचत दर में सुधार और भारतीय कंपनियों के बहीखातों में सुधार देख रहे हैं. इन सबकी वजह से निवेश और खर्च की दर भी सुधरती है और अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर भी.
करीब पांच साल के अंतराल के बाद क्षमता इस्तेमाल 75 फीसद तक पहुंच गई है, जिसकी वजह से हम मध्यम अवधि में पूंजीगत व्यय में सुधार की जमीन तैयार होते देख रहे हैं.
अब इस पर बहस की जा सकती है कि खासकर विकसित देशों में मंदी या सुस्ती का असर कम रहेगा या व्यापक रहेगा, या महंगाई टिकने वाला होगा या कुछ समय के लिए. लेकिन कमोडिटीज और एनर्जी की कीमतों (ऊर्जा आयात का हिस्सा जीडीपी के 4 फीसद तक होता है) में कमी आई है जो कुछ राहत की बात है. हम पूरे भरोसे से यह नहीं कह सकते कि मार्जिन का दबाव कम हुआ है, लेकिन यह जरूर कह सकते हैं कि अब चीजें सही दिशा में जा रही हैं, कम से कम कमोडिटी उपभोग के मामले में.
हालांकि, कई ऐसे जोखिम हैं जिनका हमें ध्यान रखना होगा. पहला, अनिश्चित भू-राजनीतिक परिदृश्य और सप्लाई चेन की निरंतरता के मसले लंबे समय तक बने रहने वाले हैं. दूसरा, अब करीब एक दशक के कम ब्याज दरों और आसान नकदी के माहौल से ऊंची ब्याज दरों और नकदी में सख्ती वाले माहौल की तरफ बढ़ा जा रहा है. पहले जोखिम की वजह से महंगाई न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए चिंता म्यूचुअल फंड में निवेश अच्छा है या बुरा? है और हमने यह देखा है कि केंद्रीय बैंक सख्त मौद्रिक नीतियों से इस पर अंकुश के लिए कोशिश में लगे हुए हैं.
भारत में हमें कुछ और समस्याओं के शुरुआती संकेत मिल रहे हैं- विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आ रही है, व्यापार घाटा ऊंचाई पर है और रुपए में काफी कमजोरी है. महंगाई लगातार ऊंचाई पर बनी हुई है और पिछले करीब तीन तिमाहियों से यह रिजर्व बैंक के 6% के सुविधाजनक स्तर से ऊपर है. कई दूसरे देशों के मुकाबले हमने बेहतर प्रदर्शन किया है और हमारी ग्रोथ रेट भी बहुत अच्छी है, लेकिन अर्थव्यवस्था की इस अलग राह या बेहतरीन प्रदर्शन से जरूरी नहीं कि बाजार एक-दूसरे से जुड़े नहीं हों, म्यूचुअल फंड में निवेश अच्छा है या बुरा? भले ही प्रदर्शन कितना ही बढ़िया हो. इसलिए इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि शॉर्ट टर्म में हमारे बाजार भी दूसरे बाजारों के साथ ही चलेंगे.
वैश्विक तरक्की में मौजूदा अनिश्चिचता के माहौल को देखते हुए बाजारों के लिए मौजूदा साल काफी चुनौतियों वाला हो सकता है. वैश्विक स्तर पर और भारत में ऊंची ब्याज दरों की वजह से शेयरों के वैल्युएशन में उस बढ़त पर जोखिम आ सकता है, जिसका हाल में भारतीय बाजारों को फायदा मिला है. इसके अलावा भारत के कई राज्यों में मानसून अनियमित रहने की वजह से खाद्य महंगाई भी ऊंचाई पर रहने की आशंका है.
किसी फंड हाउस में हर फंड मैनेजर अपने उत्पाद के मैंडेट के मुताबिक निवेश का तरीका अपनाता है. इसी तरह देखें तो हम आमतौर पर वित्तीय, औद्योगिक और कंज्यूमर डिस्क्रेशनेरी (जिसका नेतृत्व ऑटो करता है) सेगमेंट के लिए सकारात्मक नजरिया रखते हैं। वित्तीय सेगमेंट (खासकर बैंक) अब ऐसी स्थिति में हैं जहां कर्ज की मांग और उसकी उठाव बढ़ रही है।
SIP Tips: गिरते शेयर बाजार में निवेश का मौका, कैसा है एसआईपी में निवेश का ऑप्शन
SIP में निवेश करना अच्छा आईडिया, उस पर मार्केट के उतार चढ़ाव का असर उतना नहीं पड़ता.- Expert Advice
शेयर मार्केट (Share Market) अपने गिरावट के दौर से गुजर रहा है, निवेशक निराश हैं. लेकिन कई ऐसे नए निवेशक हैं, जो निवेश करना चाहते हैं. लेकिन गिरता बाजार उन्हें लगातार निराश कर रहा है. ऐसे में म्यूचुअल फंड अभी भी निवेशकों की पसंद बनी है.
गिरते हुए बाजार में भी आप अपने फाइनेंशियल गोल को पूरा कर सकते हैं, SIP यानि Systematic Investment Plan में निवेश करना सबसे अच्छा तरीका है. आइए जानते हैं कैसे?
SIP की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें कोई बहुत बड़ा फंड निवेश के लिए नहीं लगता, कम से कम 100 रुपये भी निवेश किए जा सकते हैं और एक बड़ा अमाउंट भी निवेश किया जा सकता है. फाइनेंशियल प्लानर अनमोल गुप्ता ने क्विंट हिंदी को बताया कि मार्केट में बहुत उतार चढ़ाव होता रहता है और हमेशा होता है, SIP में इसी लिए आपको निवेश करना चाहिए, क्योंकि उस पर मार्केट के उतार चढ़ाव का असर उतना नहीं पड़ता.
सेबी रजिस्टर्ड फाइनेंशियल प्लानर जितेंद्र सोलंकी ने क्विंट हिंदी को बताया कि, जिन्होंने SIP में निवेश किया हुआ है उन्हें आगे भी निवेश जारी रखना चाहिए, SIP को लेकर इस आधार पर बदलाव करने की ना सोचें कि मार्केट में लगातार उतार चढ़ाव हो रहे हैं.
देखिए एक उदाहरण से आपको बताते हैं, अगर आप 2000 रुपये की SIP शुरू करते हैं तो 60 महीने बाद इसकी मेच्यॉरिटी पर 12 फीसदी रिटर्न मिल सकता है और रिटर्न लगभग 1.5 लाख रुपये होगा. ऐसा बेसिक केलकुलेशन आप किसी भी निवेश करने वाली एप पर कर सकते हैं.
गिरावट के दौर में SIP शुरू करने का आइडिया कैसा?
क्विंटी हिंदी से बातचीत में जितेंद्र सोलंकी ने कहा कि, जब मार्केट गिर रहा है तब SIP में निवेश इसलिए फायदेमंद हो जाता है, क्योंकि इसी समय आप ज्यादा यूनिट जनरेट कर सकते हैं. SIP में आप किसी लार्ज कैप इंडेक्स फंड में निवेश से शुरुआत कर सकते हैं. फिर धीरे-धीरे मिड कैप में भी पैसा लगा कर अपने पोर्टफोलियो को बढ़ाया जा सकता है. अगर आप SIP करेंगे तो आप इनवेस्टमेंट की प्रक्रिया से जुड़े रहेंगे.
वो आगे कहते हैं कि देखिए मार्केट को प्रिडिक्ट करना आसान नहीं है कि वो गिर रहा है या बढ़ रहा है. अब केवल दिमाग में रखें कि आपको लॉन्ग टर्म इनवेस्टमेंट करना है, तब आपको इन मार्केट के उतार चढ़ाव का असर नहीं पड़ेगा. बल्कि आपको ये एक अवसर की तरह लगेगा.
Biz2Credit के को-फाउंडर और सीईओ रोहित अरोड़ा ने क्विंट हिंदी से बातचीत में कहा कि, इस समय SIP में पैसा लगाए लेकिन थोड़ा समझदारी से..आप 60-80 फीसदी SIP ऐसे फंड में डाले जो डेट फंड (Debt Fund) हो और बाकी 20-30 फीसदी पैसा ऐसे SIP फंड में डालें जो Equity फंड हो.
रोहित अरोड़ा का कहना है कि महंगाई, कच्चे तेल की कीमतों में उछाल और US फेड द्वारा रेट्स बढ़ने के कारण शेयर मार्केट पर दबाव रहेगा कम से कम 6 महीना और, जुलाई और अगस्त में मार्केट में और भी गिरावट देखने को मिल सकती है. इसलिए म्यूचुअल फंड में निवेश अच्छा है या बुरा? फिलहाल ऐसे SIP चुने जो Debt फंड हो.
कुछ एसआईपी जिनमें आप निवेश कर सकते हैं. HDFC बैलेंस्ड एडवांटेज फंड – डायरेक्ट प्लान– ग्रोथ, TATA बैलेंस्ड एडवांटेज फंड– डायरेक्ट प्लान– ग्रोथ, ICICI प्रूडेंशियल बैलेंस्ड एडवांटेज फंड – डायरेक्ट प्लान – ग्रोथ और एडलवाइस बैलेंस्ड एडवांटेज फंड – डायरेक्ट प्लान – ग्रोथ जैसे कुछ अन्य म्यूचुअल फंड में निवेश कर अच्छा रिटर्न हासिल किया जा सकता है.
Cryptocurrency Exchange ने क्रिप्टो डिपॉसिट और उसे निकाले जाने पर रोक लगाई
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