निवेश स्थल

G-20 की बैठक में विदेशी निवेश लाने पर होगा जोर, चीन से भी आगे निकलेगा भारत; यह है पीएम मोदी का मास्टर प्लान
जी-20 की निवेश स्थल बैठक में पीएम मोदी के भाषण में भारत में एफडीआइ लाने पर जोर होगा। पहली बार इस साल 100 अरब डॉलर से ज्यादा का एफडीआइ आने की संभावना है। बैठक में भारत को आकर्षक निवेश स्थल के तौर पर पेश करने पर जोर दिया जाएगा।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अगले हफ्ते दुनिया में आर्थिक दृष्टिकोण से सबसे सक्षम 19 देशों के मुखियाओं के समक्ष प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भारत को सबसे आकर्षक निवेश स्थल के तौर पर पेश करेंगे। बाली में 15-16 नवंबर को आर्थिक तौर पर 20 शीर्ष संपन्न देशों के मुखियाओं की बैठक में पीएम मोदी इस खास एजेंडे के साथ हिस्सा लेंगे।
जी-20 से आर्थिक फायदा लेना चाहता है भारत
दरअसल, यह एजेंडा सिर्फ बाली बैठक का ही नहीं होगा, बल्कि अगले वर्ष जी-20 संगठन का अगुवाई कर रहे निवेश स्थल भारत की मंशा है कि इस आयोजन का पूरा फायदा आर्थिक तौर पर उठाने की कोशिश हो। ऐसे में इस जी-20 के तत्वाधान में जितनी बैठकें भारत में होंगी, उसमें से अधिकांश में भारत को एक आकर्षक व बेहद संभावनाओं वाले निवेश स्थल के तौर पर मार्केटिंग की जाए।
भारत को अपनी क्षमता दिखाने का मिला है बेहतरीन मौका
भारत की इस रणनीति के बारे में अधिकारियों ने बताया है कि हाल के समय में जब विश्व बैंक व अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष जैसी एजेंसियां मान रही हैं कि वर्ष 2023 में भारत की आर्थिक विकास दर पहली बार चीन की विकास दर से काफी ज्यादा रहेंगी तो हमें आर्थिक तौर पर संपन्न देशों के बीच अपनी क्षमता दिखाने का इससे बेहतर मौका नहीं मिलेगा।
पीएम मोदी ने गिनाया भारत में निवेश के अवसर
दरअसल, पिछले कुछ समय से देखा जाए तो पीएम मोदी ने स्वयं ही कई आर्थिक मंचों से भारत में निवेश के अवसरों को गिना चुके हैं। साथ ही बाली बैठक में दुनिया के समक्ष मौजूदा आर्थिक चुनौतियों के मुद्दे पर भी कई स्तरों पर चर्चा होनी है और वैश्वि्क सप्लाई चेन का विकल्प भी एक बड़ा मुद्दा होगा। ऐसे में भारत का शीर्ष नेतृत्व आगे बढ़ कर भारत में अवसरों को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने रखेगा। दूसरे देशों के प्रमुखों के साथ पीएम मोदी की होने वाली द्विपक्षीय बैठकों में भी यह मुद्दा रहेगा।
वर्ष 2022-23 में 100 अरब डॉलर को पार करेगा विदेशी निवेश
यहां बताते चलें कि भारत की तरफ से यह कोशिश तब की जा रही है, जब वर्ष 2022-23 में पहली बार यहां आने वाला विदेशी निवेश सौ अरब डॉलर को पार करने की तरफ बढ़ रहा है। वर्ष 2021-22 में भारत में विदेशी कंपनियों ने कुल 83.6 लाख करोड़ निवेश स्थल रुपये का निवेश किया था। यह विदेशी निवेशकों के भारत में बढ़ते भरोसे का प्रतीक है।
भारत में हो सकता है 475 अरब डॉलर का विदेशी निवेश
हाल ही में सीआइआइ और ईएंडवाय की तरफ से जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में अगले पांच वर्षों में 475 अरब डॉलर का विदेशी निवेश हो सकता है। एप्पल जैसी कंपनी भारत को अपना प्रमुख निर्माण स्थल बनाने का ऐलान कर चुकी हैं। ऐसे में सरकार के भीतर यह सोच है कि वैश्विक मंचों से भारत में व्याप्त अवसरों को और बेहतर तरीके से बताने का यह सबसे बड़ा अवसर होगा।
निवेश स्थल
23 अक्टूबर (भाषा) जम्मू-कश्मीर में 10
जम्मू-कश्मीर प्रशासन के आधिकारिक प्रवक्ता ने रविवार को कहा, ‘‘आजादी के बाद से जम्मू और कश्मीर को केवल 14,000 करोड़ रुपये का निजी निवेश प्राप्त हुआ था। हालांकि नई औद्योगिक विकास योजना की शुरुआत और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा व्यक्तिगत रूचि लेने के बाद केंद्रशासित प्रदेश को लगभग एक वर्ष में 56,000 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं।’’
प्रवक्ता ने कहा कि बड़ी संख्या में देश-विदेश की निजी कंपनियां जम्मू-कश्मीर में निवेश कर रही हैं। रियल एस्टेट सम्मेलन के दौरान कई बिल्डरों ने भी यहां निवेश में गहरी दिलचस्पी दिखाई है।
G-20 की बैठक में विदेशी निवेश निवेश स्थल लाने पर होगा जोर, चीन से भी आगे निकलेगा भारत; यह है पीएम मोदी का मास्टर प्लान
जी-20 की बैठक में पीएम मोदी के भाषण में भारत में एफडीआइ लाने पर जोर होगा। पहली बार इस साल 100 अरब डॉलर से ज्यादा का एफडीआइ आने की संभावना है। बैठक में भारत को आकर्षक निवेश स्थल के तौर पर पेश करने पर जोर दिया जाएगा।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अगले हफ्ते दुनिया में आर्थिक दृष्टिकोण से सबसे सक्षम 19 देशों के मुखियाओं के समक्ष प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भारत को सबसे आकर्षक निवेश स्थल के तौर पर पेश करेंगे। बाली में 15-16 नवंबर को आर्थिक तौर पर 20 शीर्ष संपन्न देशों के मुखियाओं की बैठक में पीएम मोदी इस खास एजेंडे के साथ हिस्सा लेंगे।
जी-20 से आर्थिक फायदा लेना चाहता है भारत
दरअसल, यह एजेंडा सिर्फ बाली बैठक का ही नहीं होगा, बल्कि अगले वर्ष जी-20 संगठन का अगुवाई कर रहे भारत की मंशा है कि इस आयोजन का पूरा फायदा आर्थिक तौर पर उठाने की कोशिश हो। ऐसे में इस जी-20 के तत्वाधान में जितनी बैठकें भारत में होंगी, उसमें से अधिकांश में भारत को एक आकर्षक व बेहद संभावनाओं वाले निवेश स्थल के तौर पर मार्केटिंग की जाए।
भारत को अपनी क्षमता दिखाने का मिला है बेहतरीन मौका
भारत की इस रणनीति के बारे में अधिकारियों ने बताया है कि हाल के समय में जब विश्व बैंक व अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष जैसी एजेंसियां मान रही हैं कि वर्ष 2023 में भारत की आर्थिक विकास दर पहली बार चीन की विकास दर से काफी ज्यादा रहेंगी तो हमें आर्थिक तौर पर संपन्न देशों के बीच अपनी क्षमता दिखाने का इससे बेहतर मौका नहीं मिलेगा।
पीएम मोदी ने गिनाया भारत में निवेश के अवसर
दरअसल, पिछले कुछ समय से देखा जाए तो पीएम मोदी ने स्वयं ही कई आर्थिक मंचों से भारत में निवेश के अवसरों को गिना चुके हैं। साथ ही बाली बैठक में दुनिया के समक्ष मौजूदा आर्थिक चुनौतियों के मुद्दे पर भी कई स्तरों पर चर्चा होनी है और वैश्वि्क सप्लाई चेन का विकल्प भी एक बड़ा मुद्दा होगा। निवेश स्थल ऐसे में भारत का शीर्ष नेतृत्व आगे बढ़ कर भारत में अवसरों को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने रखेगा। दूसरे देशों के प्रमुखों के साथ पीएम मोदी की होने वाली द्विपक्षीय बैठकों में भी यह मुद्दा रहेगा।
वर्ष 2022-23 में 100 अरब डॉलर को पार करेगा विदेशी निवेश
यहां बताते चलें कि भारत की तरफ से यह कोशिश तब की जा रही है, जब वर्ष 2022-23 में पहली बार यहां आने वाला विदेशी निवेश सौ अरब डॉलर को पार करने निवेश स्थल की तरफ बढ़ रहा है। वर्ष 2021-22 में भारत में विदेशी कंपनियों ने कुल 83.6 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया था। यह विदेशी निवेशकों के भारत में बढ़ते भरोसे का प्रतीक है।
भारत में हो सकता है 475 अरब डॉलर का विदेशी निवेश
हाल ही में सीआइआइ और ईएंडवाय की तरफ से जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में अगले पांच वर्षों में 475 अरब डॉलर का विदेशी निवेश हो सकता है। एप्पल जैसी कंपनी भारत को अपना प्रमुख निर्माण स्थल बनाने का ऐलान कर चुकी हैं। ऐसे में सरकार के भीतर यह सोच है कि वैश्विक मंचों से भारत में व्याप्त अवसरों को और बेहतर तरीके से बताने का यह सबसे बड़ा अवसर होगा।
मेक इन इंडिया
भारतीय अर्थव्यवस्था देश में मजबूत विकास और व्यापार के समग्र दृष्टिकोण में सुधार और निवेश के संकेत के साथ आशावादी रुप से बढ़ रही है । सरकार के नये प्रयासों एवं पहलों की मदद से निर्माण क्षेत्र में काफी सुधार हुआ है । निर्माण को बढ़ावा देने एवं संवर्धन के लिए माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 25 सितम्बर 2014 को 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम की शुरुआत की जिससे भारत को महत्वपूर्ण निवेश एवं निर्माण, संरचना तथा अभिनव प्रयोगों के वैश्विक केंद्र के रुप में बदला जा सके।
'मेक इन इंडिया' मुख्यत: निर्माण क्षेत्र पर केंद्रित है लेकिन इसका उद्देश्य देश में उद्यमशीलता को बढ़ावा देना भी है। इसका दृष्टिकोण निवेश के निवेश स्थल लिए अनुकूल माहौल बनाना, आधुनिक और कुशल बुनियादी संरचना, विदेशी निवेश के लिए नये क्षेत्रों को खोलना और सरकार एवं उद्योग के बीच एक साझेदारी का निर्माण करना है।
'मेक इन इंडिया' पहल के संबंध में देश एवं विदेशों से सकारात्मक प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है। अभियान के शुरु होने के समय से इसकी वेबसाईट पर बारह हजार से अधिक सवाल इनवेस्ट इंडिया के निवेशक सुविधा प्रकोष्ठ द्वारा प्राप्त किया गया है। जापान, चीन, फ्रांस और दक्षिण कोरिया जैसे देशों नें विभिन्न औद्योगिक और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में भारत में निवेश करने हेतु अपना समर्थन दिखाया है। 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत निम्नलिखित पचीस क्षेत्रों - बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडो में खुलती है की पहचान की गई है:
सरकार ने भारत में व्यवसाय करने की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए कई कदम उठाये हैं। कई नियमों एवं प्रक्रियाओं को सरल बनाया गया है एवं कई वस्तुओं को लाइसेंस की जरुरतों से हटाया गया है।
सरकार का लक्ष्य देश में संस्थाओं के साथ-साथ अपेक्षित सुविधाओं के विकास द्वारा व्यापार के लिए मजबूत बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराना है। सरकार निवेश स्थल व्यापार संस्थाओं के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी उपलब्ध कराने के लिए औद्योगिक गलियारों और स्मार्ट सिटी का विकास करना चाहती है। राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन - बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडो में खुलती है के माध्यम से कुशल मानव शक्ति प्रदान करने के प्रयास किये जा रहे हैं। पेटेंट एवं ट्रेडमार्क पंजीकरण प्रक्रिया के बेहतर प्रबंधन के माध्यम से अभिनव प्रयोगों को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
कुछ प्रमुख क्षेत्रों को अब प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए खोल दिया गया है। रक्षा क्षेत्र में नीति को उदार बनाया गया है और एफडीआई की सीमा को 26% से 49% तक बढ़ाया गया है। अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के लिए रक्षा क्षेत्र में 100% एफडीआई को अनुमति दी गई है। रेल बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निर्माण, संचालन और रखरखाव में स्वचालित मार्ग के तहत 100% एफडीआई की अनुमति दी गई है। बीमा और चिकित्सा उपकरणों के लिए उदारीकरण मानदंडों को भी मंजूरी दी गई है।
29 दिसंबर 2014 को आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में विभिन्न हितधारकों के साथ विस्तृत चर्चा के बाद उद्योग से संबंधित मंत्रालय प्रत्येक क्षेत्र के विशिष्ट लक्ष्यों पर काम कर रहे हैं। इस पहल के तहत प्रत्येक मंत्रालय ने अगले एक एवं तीन साल के लिए कार्यवाही योजना की पहचान की है।
कार्यक्रम 'मेक इन इंडिया' निवेशकों और उनकी उम्मीदों से संबंधित भारत में एक व्यवहारगत बदलाव का प्रतिनिधित्व करता है। 'इनवेस्ट इंडिया' में एक निवेशक सुविधा प्रकोष्ठ का गठन किया गया है। नये निवेशकों को सहायता प्रदान करने के लिए एक अनुभवी दल भी निवेशक सुविधा प्रकोष्ठ में उपलब्ध है।
निर्माण को बढ़ावा देने के लिए लक्ष्य
- मध्यम अवधि में निर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर में प्रति वर्ष 12-14% वृद्धि करने का उद्देश्य
- 2022 तक देश के सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण की हिस्सेदारी में 16% से 25% की वृद्धि
- विनिर्माण क्षेत्र में वर्ष 2022 तक 100 मिलियन अतिरिक्त रोजगार के अवसर पैदा करना
- समावेशी विकास के लिए ग्रामीण प्रवासियों और शहरी निवेश स्थल गरीबों के बीच उचित कौशल का निर्माण
- घरेलू मूल्य संवर्धन और निर्माण में तकनीकी गहराई में वृद्धि
- भारतीय विनिर्माण क्षेत्र की वैश्विक प्रतिस्पर्धा बढ़ाना
- विशेष रूप से पर्यावरण के संबंध में विकास की स्थिरता सुनिश्चित करना
- भारत ने अपनी उपस्थिति दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रूप दर्ज करायी है
- 2020 तक इसे दुनिया की शीर्ष तीन विकास अर्थव्यवस्थाओं और शीर्ष तीन निर्माण स्थलों में गिने जाने की उम्मीद है
- अगले 2-3 दशकों के लिए अनुकूल जनसांख्यिकीय लाभांश। गुणवत्तापूर्ण कर्मचारियों की निरंतर उपलब्धता।
- जनशक्ति की लागत अन्य देशों की तुलना में अपेक्षाकृत कम है
- विश्वसनीयता और व्यावसायिकता निवेश स्थल के साथ संचालित जिम्मेदार व्यावसायिक घराने
- घरेलू बाजार में मजबूत उपभोक्तावाद
- शीर्ष वैज्ञानिक और तकनीकी संस्थानों द्वारा समर्थित मजबूत तकनीकी और इंजीनियरिंग क्षमतायें
- विदेशी निवेशकों के लिए खुले अच्छी तरह विनियमित और स्थिर वित्तीय बाजार
भारत में परेशानी मुक्त व्यापार
'मेक इन इंडिया' इंडिया' एक क्रांतिकारी विचार है जिसने निवेश एवं नवाचार को बढ़ावा देने, बौद्धिक संपदा की रक्षा करने और देश में विश्व स्तरीय विनिर्माण बुनियादी ढांचे का निर्माण करने के लिए प्रमुख नई पहलों की शुरूआत की है। इस पहल नें भारत में कारोबार करने की पूरी प्रक्रिया को आसान बना दिया है। नयी डी-लाइसेंसिंग और ढील के उपायों से जटिलता को निवेश स्थल कम करने और समग्र प्रक्रिया में गति और पारदर्शिता काफी बढ़ी हैं।
अब जब व्यापार करने की बात आती है तो भारत काफी कुछ प्रदान करता है। अब यह ऐसे सभी निवेशकों के लिए आसान और पारदर्शी प्रणाली प्रदान करता है जो स्थिर अर्थव्यवस्था और आकर्षक व्यवसाय के अवसरों की तलाश कर रहे हैं। भारत में निवेश करने के लिए यह सही समय है जब यह देश सभी को विकास और समृद्धि के मामले में बहुत कुछ प्रदान कर रहा है।
इन 8 धार्मिक स्थलों को चमकाएगी यूपी सरकार, बढ़ेंगे पर्यटक
उत्तर प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए हाल ही में लागू की गई नई पर्यटन नीति के तहत प्रदेश के धार्मिक और आध्यात्मिक स्थलों को भी विकसित किया जाएगा. इस परियोजना का मकसद प्रदेश में देश और विदेश के सैलानियों को आकर्षित करना है. इससे ना सिर्फ राज्य में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा बल्कि निवेश और रोजगार के अवसर भी उत्पन्न होंगे.
शिल्पी सेन
- लखनऊ,
- 22 नवंबर 2022,
- (अपडेटेड 22 नवंबर 2022, 6:23 PM IST)
उत्तर प्रदेश में नई पर्यटन नीति के तहत राज्य के आठ मशहूर धार्मिक स्थलों को नए सिरे से विकसित किया जाएगा. दरअसल उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में पर्यटन नीति 2022 को मंजूरी दी है. इसके तहत राज्य के बाकी टूरिस्ट प्लेसेस के साथ ही आठ धार्मिक और आध्यात्मिक टूरिज्म सर्किट को भी विकसित किया जाना है.
इसके तहत रामायण, महाभारत, शक्तिपीठ, कृष्ण, बुद्ध, जैन और सूफ़ी सर्किट से प्रदेश में धार्मिक पर्यटन को नया रूप देने की तैयारी है. सरकार का कहना है कि रामायण और महाभारत सर्किट जैसे धार्मिक पर्यटन स्थलों को एक परिपथ के तौर पर विकसित करने से आध्यात्मिक पर्यटन को ना सिर्फ देश बल्कि दुनियाभर में लोकप्रियता हासिल होगी.
पर्यटन को बढ़ावा देने की कोशिश
सैलानियों को आकर्षित करने के लिए इन स्थलों में नए सिरे से विकास कार्य किया जाएगा. इन धार्मिक और आध्यात्मिक जगहों पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु और सैलानी आते हैं. इन जगहों के विकास के बाद यहां पर्यटकों की संख्या में भी इजाफा होगा. इतना ही नहीं इन जगहों की यात्रा के दौरान लोगों को विश्वस्तरीय सुविधाएं मिलेंगी.
इन स्थलों को दिया जाएगा नया रूप
जानकारी के मुताबिक, रामायण सर्किट में सीता और राम से जुड़े स्थलों को शामिल किया जाएगा. इसमें अयोध्या, बिठूर, चित्रकूट और अन्य स्थल भी होंगे. महाभारत सर्किट में हस्तिनापुर, कांपिल्य, गोंडा, लाक्षागृह जैसे स्थल शामिल होंगे. कृष्ण सर्किट में मथुरा, वृंदावन, गोकुल, बरसाना, नंदगांव और कृष्ण से जुड़े अन्य स्थल, शक्तिपीठ सर्किट में विंध्यवासिनी देवी, अष्टभुजा, देवीपाटन, नैमिशारण्य, ललिता देवी, सहारनपुर में शाकंभरी देवी और अन्य स्थलों को शामिल किया जाएगा. बुद्ध सर्किट में कपिलवस्तु, कुशीनगर, श्रावस्ती, सारनाथ, कौशाम्बी समेत कुछ निवेश स्थल स्थल शामिल होंगे.
इसके अलावा जैन सर्किट में देवगढ़, हस्तिनापुर, दिगम्बर जैन मंदिर रामनगर और सूफ़ी सर्किट में कबीर की जन्मस्थली वाराणसी, निर्वाण स्थली, बस्ती ज़िले का मगहर, संत कबीरनगर के स्थल होंगे. वहीं, गोरखपुर, आगरा के बटेसर जैसे स्थलों को आध्यात्मिक सर्किट में शामिल किया जाएगा. ‘नयी पर्यटन नीति’ के तहत इन स्थानों पर हेरिटेज होटल (heritage hotel),रिसॉर्ट (resort), थीम बाज़ार, टूरिस्ट इन्फ़र्मेशन सेंटर, वेलनेस सेंटर, ऑल सीज़न कॉटिज और दूसरी सुविधाओं का विकास किया जाएगा.इन सभी धार्मिक स्थलों को टूरिज्स डेस्टिनेशन के रूप में विकसित किया जाएगा.
उत्तर प्रदेश में इन धार्मिक स्थलों को विकसित करने के पीछे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दूरदर्शिता है. यहां व्यवसाय और रोज़गार की अपार संभावनाओं को देखते हुए मुख्यमंत्री की तरफ से इस परियोजना को मंजूरी दी है. इस पर्यटन नीति के तहत अयोध्या की चौदह कोसी परिक्रमा और बरसाने की होली जैसे हर एक छोटे-बड़े आयोजन की जानकारी पर्यटकों को उपलब्ध कराई जाएगी.