बाजार तरलता क्या है

घरेलू पक्ष में, प्रवाह धीमा हो गया है, क्योंकि खुदरा निवेशक तालिका में से कुछ पैसे निकाल रहे हैं। उसी समय ऐसे निवेशक बाजार तरलता क्या है हैं जिन्हें महामारी के कारण आकस्मिकताओं के लिए नकदी की आवश्यकता होती है और इसलिए वे बेच रहे हैं।इसलिए, घरेलू म्यूचुअल फंड निश्चित रूप से कम खुदरा प्रवाह देख रहे हैं, जो उन्हें विवश कर सकता बाजार तरलता क्या है है। हालांकि, आधार पिछले दो और डेढ़ वर्षों में बहुत अधिक तरलता प्रदान करता है।
एसएलआर क्या है? एसएलआर रेट | What is SLR rate in Hindi
भारतीय अर्थव्यवस्था और बाजार में तरलता (liquidity) की मात्रा नियंत्रित करने में रिजर्व बैंक जिन उपायों या उपकरणों का सहारा लेता है उनमें एसएलआर एक महत्वपूर्ण उपकरण है। इस लेख में हम जानेंगे कि एसएलआर क्या है? यह कैसे निर्धारित होता है? और रिजर्व बैंक इसका प्रयोग किस उद्देश्य के लिए और किस प्रकार करता है। और यह भी कि एसएलआर और सीआरआर में क्या अंतर होता है?
SLR का बाजार तरलता क्या है फुल फॉर्म होता है—Statutory liquidity ratio, जिसका मतलब यानी हिन्दी में अर्थ होता है— वैधानिक तरलता अनुपात। यह बैंकों के पास उपलब्ध जमाओं का वह हिस्सा होता है, जोकि उन्हें अपनी जमाओं पर लोन जारी करने के पहले अपने पास रख लेना अनिवार्य होता है। यह नकदी (cash), स्वर्ण भंडार (gold reserves), सरकारी प्रतिभूतियों (government approved securities) वगैरह किसी भी रूप में हो सकता है।
अधिकतम 40 प्रतिशत तक रख सकता है रिजर्व बैंक
भारत में एसएलआर की अधिकतम सीमा 40 प्रतिशत तक रह चुकी है। उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक को बैंकों के लिए एसएलआर की सीमा बाजार तरलता क्या है 40 प्रतिशत तक करने का अधिकार भी है। और न्यूनतम 0 प्रतिशत बाजार तरलता क्या है बाजार तरलता क्या है तक भी एसएलआर घोषित किया जा सकता है।
अंतिम रूप से यह रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया पर निर्भर करता है कि वह अर्थव्यवस्था व बाजार की स्थितियों के मुताबिक इसे 0 से लेकर 40 प्रतिशत के बीच में किस सीमा तक रखना चाहता है। हालांकि, अच्छी बात यह है कि ज्यादातर कॉमर्शियल बैंक अपना SLR रिजर्व बैंक की ओर से तय किए गए अनुपात से अधिक ही रखते हैं।
उदाहरण के लिए अक्टूबर 2018 में रिजर्व बैंक की ओर से एसएलआर का तय प्रतिशत 19.5 प्रतिशत था, जबकि कॉमर्शियल बैंकों की ओर से जो एसएलआर बनाकर रखा गया था, वह 26 प्रतिशत से भी ज्यादा था।
बैंकों को रोजाना सुनिश्चित करना होता है एसएलआर
रिजर्व बैंक के प्रावधानों के मुताबिक, हर कॉमर्शियल बैंक को अपने रोजाना का कारोबार बंद होने के बाद अपनी शुद्ध मांग जमाओं (Net Demand). और सामयिक उत्तरदायिता (Time Liabilities) का एक निश्चित हिस्सा तरल परिसंपत्तियों (liquid assets) के रूप में सुरक्षित कर लेना अनिवार्य होता है। यह तरल परिसंपत्तियां cash, gold और unencumbered approved securities के रूप में हो सकती हैं।
तो, बैंक की कुल demand and time liabilities के प्रति इन सुरक्षित रखे जाने वाले liquid assets का जो भी अनुपात होता है, उसे Statutory Liquidity Ratio (SLR) या वैधानिक तरलता अनुपात कहते हैं।
- Net Demand Liabilities क्या होती हैं?: ऐसे बैंक खाते, जिनसे लोग बाजार तरलता क्या है कभी भी अपना पैसा निकाल सकते हैं। जैसे कि बचत खाते (savings accounts) और चालू खाते (current account)।
- Time Liabilities क्या होती हैं? – ऐसे बैंक खाते, जिनसे आप तुरंत पैसा नहीं निकाल सकते। बल्कि आपको कुछ समय तक इंतजार करना होता है जैसे कि सावधि जमा खाते Fixed deposit accounts। इस प्रकार की देयताएं .liabilities. भी, जिनको कि maturity period पूरा होने के कारण अगले 1 महीने की अवधि के बाजार तरलता क्या है भीतर भुगतान करना होता है उनको भी time liabilities के अंतर्गत गिना जाता है।
आर्थिक तरलता के अभाव में परेशान कपड़ा व्यापारी
सूरत
सूरत के कपड़़ा व्यापारियों के लिए अभी तक तो कमजोर व्यापार चिंता का कारण बना था, लेकिन अब समय पर पेमेन्ट नहीं आने के कारण व्यापारियों की परेशानी बाजार तरलता क्या है बाजार तरलता क्या है बढ़ गई है। पांच-छह महीने पहले बेचे माल के रुपए अभी तक मिले। दूसरी ओर पेमेन्ट मांगने पर व्यापारी दूसरे व्यापारी से माल खरीदने लगते हैं।
कपड़ा बाजार के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जीएसटी लागू होने के बाद सूरत का व्यापार
25 प्रतिशत कम हो गया है। ऐसे में व्यापारी अपना व्यापार और बढ़ाने के लिए प्रयास कर रहे हैं लेकिन उनके सामने समय पर पेमेन्ट नहीं मिलने की समस्या गंभीर होते जा रही है। अन्य राज्यों के व्यापारी कई कारणों से बाजार तरलता क्या है समय पर पेमेन्ट नहीं कर रहे हैं। सूरत के व्यापारी उनसे पेमेन्ट मांगते हैं तो केरल के व्यापारी बाढ़ का कारण बताकर पेमेन्ट में असमर्थता बताते हैं। वैसे ही अन्य राज्यों के व्यापारी रिटेल में खरीद नहीं होने का और कुछ व्यापारी तो बिक्री नहीं होने से माल ही वापिस भेज दे रहे हैं। सूरत के व्यापारियों के करोड़ो रुपए का पेमेन्ट अन्य मंडियों में फंस गया है। बताया जा रहा है कि उत्तर भारत के व्यापारियों ने ठंडी के कपड़ो की खरीद के लिए सूरत के व्यापारियों का पेमेन्ट रोककर गर्म कपड़ों में निवेश कर दिया है। इसलिए यहां के व्यापारियों का पेमेन्ट फंस गया है। व्यापारियों का कहना है कि एक तो पहले से ही व्यापार कमजोर हैं ऐसे में यदि दूसरे राज्य के व्यापारी से जबरदस्ती पेमेन्ट के लिए कहो बाजार तरलता क्या है तो बिना पेमेन्ट किए दूसरे व्यापारी से माल खरीदने लगते हैं। कपड़ा व्यापारी अशोक लीलवाणी ने बताया कि जिन व्यापारियों के पेमेन्ट 30 दिन में आते थे अब की वह 120 दिन में भी पेमेन्ट नहीं कर पा रहे। वह रिटेल में खरीद नहीं होने का कारण बताते हैं। अन्य एक व्यापारी अशोक अडवाणी ने बताया कि कपड़ा व्यापार में धारा धोरण ही नहीं बचा। अन्य राज्यों के व्यापारी 60 दिन के स्थान पर तार महीने तक पेमेन्ट नहीं कर रहे। सूरत के व्यापारियों की हालत पतली होते जा रही है।
‘तरलता के प्रवाह को जारी रखने के लिए इक्विटी कैपिटल मार्केट को बढ़ावा देना’
‘तरलता के प्रवाह को जारी रखने के लिए इक्विटी कैपिटल मार्केट को बढ़ावा देना’:
Sunil Khaitan, भारत सिर, ग्लोबल कैपिटल मार्केट्स के साथ एक बातचीत में कारकों भारतीय इक्विटी पूंजी बाजार, पूंजी का नया पूल कि कर रहे हैं में धन उगाहने सौदों में से एक भीड़ ड्राइविंग के बारे में बात की थी निवेश तरलता की बढ़ती प्रवाह के साथ भारत में और क्यों REIT ने वाणिज्यिक अचल संपत्ति बाजार को बाधित करने वाले घर से काम की बातचीत के बावजूद निवेशकों से लगभग एक बिलियन डॉलर आकर्षित किया है।
निवेशकों को अरबों के इक्विटी सौदों में डालने के लिए इतनी तेजी क्या है जो हमने हाल के हफ्तों में देखी है? क्या यह तेजी केवल बड़ी कैप कंपनियों तक सीमित है या निवेशक भी मिडकैप शेयरों में निवेश करने के लिए खुले हैं?
बाजार तरलता क्या है
Q. Which of the following statements correctly describes the economic situation ‘Liquidity Trap’, which was recently in the news-
Q. निम्नलिखित कथनों में से कौन सा हाल में चर्चित रहे आर्थिक स्थिति 'तरलता जाल' का वर्णन सही ढंग से करता है?
बाजार तरलता क्या है
ब्याज दर और बाजार सूचकांकों के बीच उतार-चढ़ाव की लड़ाई
चेन्नई, 3 दिसंबर (आईएएनएस)। ब्याज दरों और शेयर बाजार के सूचकांकों के बीच क्या कोई उतार-चढ़ाव की लड़ाई है? एक ऊपर जाता है तो दूसरा नीचे आ जाता है।
चेन्नई, 3 दिसंबर (आईएएनएस)। ब्याज दरों और शेयर बाजार के सूचकांकों के बीच क्या कोई उतार-चढ़ाव की लड़ाई है? एक ऊपर जाता है तो दूसरा नीचे आ जाता है।
मजे की बात है, इस बार चारों ओर एक पहेली है। जब ब्याज दरें बढ़ रही हैं और आगे भी बढ़ना तय है, तो शेयर बाजार के सूचकांक नई ऊंचाई छू रहे हैं।