निजी निवेश

निजी इक्विटी बनाते समय, निवेशक निजी कंपनियों में निवेश करने के लिए पूंजी जुटाएंगे - या तो विलय और अधिग्रहण की सुविधा के लिए, कंपनी की बैलेंस शीट को स्थिर करने, नई कार्यशील पूंजी जुटाने, या नई परियोजनाओं या विकास को बढ़ावा देने के लिए - और उस पूंजी को अक्सर मान्यता प्राप्त द्वारा योगदान दिया जाता है या संस्थागत निवेशक।
निजी इक्विटी
निजी इक्विटी वह निधि है जिसका उपयोग संस्थागत और खुदरा निवेशक सार्वजनिक कंपनियों के अधिग्रहण या निजी कंपनियों में निवेश करने के लिए करते हैं। सरल शब्दों में, निजी इक्विटी न्यायसंगत हैराजधानी या स्वामित्व के शेयर जो सार्वजनिक रूप से कारोबार या स्टॉक के विपरीत सूचीबद्ध नहीं हैं। इन निधियों का उपयोग आम तौर पर अधिग्रहण, व्यवसाय के विस्तार, या फर्म की मजबूती में किया जाता हैबैलेंस शीट.
एक बार निधि समाप्त हो जाने के बाद, निजीइक्विटी फंड पूंजी वित्त पोषण का दूसरा दौर जुटा सकता है, या इसमें एक ही समय में कई फंड चल सकते हैं। पीई फर्म उद्यम पूंजी फर्मों के समान नहीं हैं क्योंकि वे नहीं हैंनिवेश सार्वजनिक फर्मों में, लेकिन वे पूरी तरह से निजी फर्मों में निवेश करते हैं, भले ही वे पहले से ही स्थापित और विश्व स्तर पर ज्ञात हों। इसके अलावा, पीई फर्म अपने निवेश को ऋण के साथ वित्तपोषित कर सकती हैं और लीवरेज्ड बायआउट में भाग ले सकती हैं।
पीएमइंडिया
भारत और अमेरिकी सरकार ने आज टोक्यो , जापान में एक निवेश प्रोत्साहन समझौते (आईआईए ) पर हस्ताक्षर किए। आईआईए पर भारत के विदेश सचिव श्री विनय क्वात्रा और यू. एस. इंटरनेशनल डेवलपमेंट फाइनेंस कॉर्पोरेशन (डीएफसी) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री स्कॉट नैथन निजी निवेश ने हस्ताक्षर किए।
यह निवेश प्रोत्साहन समझौता (आईआईए) वर्ष 1997 में भारत सरकार और संयुक्त राज्य अमेरिका की सरकार के बीच हस्ताक्षरित निवेश प्रोत्साहन समझौते का स्थान लेगा। पूर्व में , 1997 में निवेश प्रोत्साहन समझौता (आईआईए) पर हस्ताक्षर किए जाने के बाद से महत्वपूर्ण प्रगति हुई हैं जिसमें डीएफसी नाम की एक नई एजेंसी का गठन भी शामिल है। डीएफसी संयुक्त राज्य अमेरिका की सरकार की एक विकास वित्त एजेंसी है और इसका गठन संयुक्त राज्य अमेरिका के हालिया कानून , बिल्ड एक्ट 2018 , के अधिनियमन के बाद पूर्ववर्ती विदेशी निजी निवेश निगम (ओपीआईसी) की उत्तराधिकारी एजेंसी के रूप में हुआ है। ऋण , इक्विटी निवेश , निवेश गारंटी , निवेश बीमा या पुनर्बीमा , संभावित परियोजनाओं एवं अनुदानों के लिए व्यवहार्यता अध्ययन जैसे डीएफसी द्वारा प्रस्तावित अतिरिक्त निवेश सहायता कार्यक्रमों के साथ तालमेल बनाए रखने के लिए इस निवेश प्रोत्साहन समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
निजी निवेश
कमजोर वैश्विक अर्थव्यवस्था, निजी निवेश में कमी अगले वर्ष की मुख्य चुनौतियां होंगी: अरुण जेटली
नई दिल्ली। वैश्विक अर्थव्यवस्था की सुस्ती तथा निजी क्षेत्र को लेकर वित्त मंत्री अरुण जेटली का मानना है कि इनमे निवेश में कमी नए साल की मुख्य चुनौतियां होंगी। वित्त मंत्री ने कहा की वर्ष समाप्त हो रहा है। अर्थव्यवस्था को चलाने वाले मौजूदा इंजन ही आगे भी कायम रहेंगे। इसके अलावा अर्थव्यवस्था को नीचे ले जाने वाले तीन पक्ष वैश्विक अर्थव्यवस्था, निजी क्षेत्र के निवेश में कमी और कृषि हैं।
सरकार के बाजार उधारी कार्यक्रम से निजी निवेश प्रभावित नहीं होगा: सचिव आर्थिक मामले
TV9 Bharatvarsh | Edited By: सौरभ शर्मा
Updated on: Feb 05, 2022 | 12:07 AM
आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने कहा है कि सरकार अगले वित्त वर्ष में बाजार से उधारी (government borrowing) जुटाने का कार्यक्रम गैर-बाधाकारी ढंग से चलाएगी और इससे निजी निवेश (private investment) पर कोई प्रतिकूल असर नहीं होगा. सेठ ने पीटीआई-भाषा निजी निवेश से बातचीत में कहा कि सरकार को वित्त वर्ष 2022-23 निजी निवेश में 6.6 लाख करोड़ रुपये की शुद्ध उधारी जुटानी है और सरकार इस आंकड़े पर टिकी रहेगी. उन्होंने कहा, ‘उधारी कार्यक्रम को गैर-बाधाकारी ढंग से अंजाम दिया जाएगा और इससे निजी क्षेत्र प्रभावित नहीं होगा.’’उन्होंने कहा कि छोटी बचत योजनाओं (small savings scheme) से होने वाले संग्रह के अपेक्षा से अधिक रहने की स्थिति में बाजार उधारी में कटौती भी की जा सकती है.
सरकार की 2022-23 में कुल 11.6 लाख करोड़ रुपये जुटाने की योजना
सेठ ने कहा, ‘इस साल हमें छह लाख करोड़ रुपये जुटाने की उम्मीद है. अगले साल यह आंकड़ा 4.25 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है. लेकिन अगर छोटी बचत योजनाएं मौजूदा वर्ष की ही तरह आकर्षक बनी रहती हैं तो उनसे होने वाला संग्रह भी 2021-22 के स्तर पर रहेगा और तब बाजार से जुटाई जाने वाली उधारी भी कम हो जाएगी.’ सरकार की वित्त वर्ष 2022-23 में बाजार से कुल 11.6 लाख करोड़ रुपये जुटाने की योजना है. कोविड-19 महामारी की मार झेल रही अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए सरकार अपने खर्चों में बढ़ोतरी करने वाली है. उन्होंने कहा कि सरकार राजकोषीय मजबूती की राह पर बढ़ने के लिए प्रतिबद्ध है और बजट में राजकोषीय घाटे को घटाकर 6.4 फीसदी पर लाने का प्रस्ताव रखा गया है. वर्ष 2021-22 में राजकोषीय घाटे के 6.9 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है. सेठ ने खुदरा मुद्रास्फीति के बारे में कहा कि सरकार को इसके अगले वित्त वर्ष में दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार फीसदी रहने का अनुमान है.
सार्वजनिक निवेश बढ़ने से मांग बढ़ेगी, रोजगार पैदा होगा : आर्थिक मामलों के सचिव
आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने बुधवार को कहा कि अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए सार्वजनिक निवेश बढ़ाने की बजट घोषणा से सीमेंट, इस्पात और पूंजीगत उत्पादों की मांग पैदा होगी और नए रोजगार के अवसरों का भी सृजन होगा।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को पेश बजट में सार्वजनिक व्यय में 35.4 प्रतिशत वृद्धि का ऐलान करते हुए इसके 7.5 लाख करोड़ रुपये रहने की घोषणा की जो जीडीपी का 2.9 प्रतिशत होगा।
सेठ ने प्रत्यक्ष समर्थन उपायों का सिर्फ सीमित गुणक प्रभाव ही रहने का अनुमान जताते हुए कहा कि अर्थव्यवस्था को सतत रूप से मजबूती देने के लिए मध्यम से लेकर दीर्घावधि का प्रभाव डालने वाले कदमों की जरूरत है।