मुफ़्त विदेशी मुद्रा रणनीति

एक सीमा आदेश क्या है?

एक सीमा आदेश क्या है?
अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापार महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने डाउन टू अर्थ से कहा कि 2017 में एक अधिसूचना के माध्यम से सरकार ने यह अनिवार्य कर दिया था कि सरकार के पोर्टल पर 6 प्रकार की दालों, मसूर, चना, तूर, उड़द, मूंग और काबली चना की स्टॉक सीमा अपलोड की जाएगी, जिसका व्यापारियों द्वारा विधिवत पालन किया जा रहा है।

नागपुर 5जी सेवा पाने वाले देश के पहले आठ शहरों में से एक रहा।

सामान्य प्रश्न

जी, नहीं। किसी स्टॉक को जमाखोरी के रूप में परिभाषित करने के लिए, राज्य सरकार को आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत स्टॉक सीमा आदेश जारी करने होते हैं। आदेश में कवर की गई किसी वस्तु की कोई मात्रा, यदि उस आदेश के उल्लंघन में पायी जाती है तो उसे जमाखोरी के रूप में परिभाषित किया जाता है। यदि कोई स्टॉक सीमा नहीं लगाई हों, तो उस वस्तु में जमाखोरी का कोई प्रश्न नहीं उठता।

  1. क्या आवश्यक वस्तुओं के संचालन, वितरण और व्यापार में किसी प्रकार के अंतर-राज्यीय प्रतिबंध हैं?

जी, नहीं। संघ सरकार के दिनांक 15.02.2002 के आदेश के अनुसार, आवश्यक वस्तु अधिनियम में प्रदान किए गए अधिकारों के तहत आवश्यक वस्तुओं के व्यापार पर सभी प्रकार के प्रतिबंध हटा दिए गए हैं। यदि कोई अन्य अधिनियम में किसी प्रतिबंध का उपबंध है, तो मामले को संबंधित अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार निपटाया जाता है।

एक सीमा आदेश क्या है?

दलहन पर भंडारण की सीमा एक सीमा आदेश क्या है? से लग सकता है किसानों की आय को बड़ा झटका

वर्ष 2015 के बाद दूसरी बार दलहनों की भंडारण सीमा सरकार ने तय की है। कीमतों को स्थिर रखने वाले इस आदेश से बीते वर्ष प्याज किसानों की तरह दलहन किसानों को भी घाटा उठाना पड़ सकता है।

By Vivek Mishra

On: Wednesday 07 July 2021

देश में दशकों से तुअर (अरहर) और उड़द पैदा करने वाले किसान उपज और कीमतों को लेकर हतोत्साहित हैं। वहीं, आवश्यक वस्तु से जुड़े कानूनों में फेरबदल और सुप्रीम कोर्ट की रोक के बाद केंद्र सरकार अब आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 के प्रावधानों से अलग जाकर तत्काल प्रभाव वाले आदेश जारी कर रही है। सरकार का अभी ताजा आदेश दलहन की स्टॉक सीमा को लेकर है जिसका विरोध जारी है। जानकारों के मुताबिक खाद्यान्न महंगाई से अब तक बची हुई तुअर और उड़द की दाल पर इस तरह की सीमा से दलहन किसानों को बड़ा झटका लग सकता है।

सरकार ने इस आदेश को विशिष्ट खाद्य पदार्थों पर लाइसेंसी अपेक्षाएं, स्टॉक सीमाएं और संचलन प्रतिबंध हटाना (संशोधन) आदेश, 2021 नाम दिया है।

वर्ष 2015 दालों की ऊंची कीमतों और अंतरराष्ट्रीय स्तर की जमाखोरी के मामले में जाना जाता है। इसी वर्ष सरकार ने पहली बार दलहन की स्टॉक सीमा तय की थी। 2015, सितंबर में तुअर की कीमत 176 रुपए और उड़द की कीमत 190 रुपए तक पहुंची। 18 अक्तूबर, 2015 को आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के प्रावधानों से अलग स्टॉक सीमा तय की गई थी।

असम-मेघालय सीमा पर तनाव बरकरार, न्यायिक जांच का आदेश

सत्य हिंदी ऐप डाउनलोड करें

मेघालय में असम नंबर वाले कई वाहनों में बुधवार को आग लगा दी गई। मेघालय-असम सीमा पर बुधवार को भी तनाव कायम है। मंगलवार की घटना को लेकर असम के सीएम ने न्यायिक जांच का आदेश दिया है। दोनों राज्यों के बॉर्डर पर मंगलवार को एक गांव में असम पुलिस की फायरिंग के दौरान मेघालय के 6 लोग मारे गए थे। घटना में असम का एक वन रक्षक भी मारा गया था।

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने न्यायिक जांच की घोषणा की है। सरमा ने कहा कि मामले को सीबीआई को सौंप दिया गया है। एसपी का तबादला कर दिया गया है और स्थानीय पुलिस और वन अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है। मेघालय के पूर्व सीएम मुकुल संगमा ने इस घटना को नरसंहार बताया है।

वाहनों पर रोक

न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक किसी भी अप्रिय स्थिति से बचने के लिए, असम पुलिस ने सीमा पर विभिन्न क्षेत्रों में बैरिकेड्स लगा दिए हैं। मेघालय नंबर वाली गाड़ियों को छोड़कर बाकी वाहनों यानी असम के एक सीमा आदेश क्या है? नंबर वाली गाड़ियों को मेघालय में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जा रही है। झड़प के बाद, असम सरकार ने भी गोलीबारी की घटना में मारे गए लोगों के परिजनों को 5-5 लाख रुपये देने की घोषणा की।

खबर है कि सिलचर और कुछ अन्य शहरों में असम नंबर वाले वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया। मीडिया रपटों में अभी तक सिलचर में हुई घटना की ही पुष्टि की गई है। काफी लोग होटलों में फंसे हुए हैं। उन्हें डर है कि बाहर निकलने पर असम का निवासी होने के कारण उन पर हमले हो सकते हैं।

इस बीच, मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा और उपमुख्यमंत्री प्रेस्टोन टाइंगसोंग अन्य मंत्रियों के साथ मुकरोह गांव जाएंगे, जहां मंगलवार एक सीमा आदेश क्या है? को घटना हुई है। वे मारे गए नागरिकों के परिवारों से मिलेंगे।

क्यों हुई घटना

इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि मंगलवार की घटना लकड़ी की तस्करी को लेकर हुई है। असम वन विभाग की टीम ने मंगलवार सुबह करीब 3 बजे पश्चिम कार्बी आंगलोंग जिले के मोइकरांग में मेघालय सीमा पर ट्रक को रोका। ट्रक ने भागने की कोशिश की। उसका पीछा किया गया। असम के वन रक्षकों ने फिर वाहन पर गोलियां चलाईं और एक टायर पंचर कर दिया। तीन लोगों - ट्रक ड्राइवर, हेल्पर और एक अन्य व्यक्ति को पकड़ लिया गया और वन रक्षक उन्हें जिरीकाइंडिंग लाये। वन रक्षकों ने घटना की जानकारी जिरीकिंडिंग पुलिस थाने को दी और अतिरिक्त बल की मांग की।

पीटीआई ने एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के हवाले से बताया कि भारी संख्या में मेघालय के लोग हथियारों से लैस होकर सुबह करीब 5 बजे मौके पर जमा हो गए। मौके पर पहुंचकर पुलिस टीम को आत्मरक्षा में फायरिंग करनी पड़ी, जिससे वन रक्षक समेत छह लोगों की मौत हो गयी। मृतक वन रक्षक की पहचान बिद्या सिंह लेहटे के रूप में हुई है, जबकि एक अन्य वन रक्षक अभिमन्यु इस घटना में घायल हो गया।

गृह मंत्रालय ने जारी किया नया आदेश, सीमावर्ती राज्यों में बीएसएफ को मिला 50 किमी तक कार्रवाई का अधिकार

दस राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों में लागू होगी नई व्यवस्था

आतंकवाद और सीमा पार अपराधों के खिलाफ जीरो टालरेंस (शून्य सहनशीलता) एक सीमा आदेश क्या है? की नीति बनाए रखने के उद्देश्य से केंद्र ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) को अंतरराष्ट्रीय सीमा से 50 किमी भीतर तक तलाशी करने संदिग्धों को गिरफ्तार करने और जब्ती करने का अधिकार दिया है।

नई दिल्ली, एएनआइ। आतंकवाद और सीमा पार अपराधों के खिलाफ जीरो टालरेंस (शून्य सहनशीलता) की नीति बनाए रखने के उद्देश्य से, केंद्र ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) को अंतरराष्ट्रीय सीमा से 50 किमी भीतर तक तलाशी करने, संदिग्धों को गिरफ्तार करने और जब्ती करने का अधिकार दिया है। यह व्यवस्था भारत-पाकिस्तान और भारत-बांग्लादेश सीमा के साथ अंतरराष्ट्रीय सीमा पर लागू होगी। गृह मंत्रालय द्वारा इस सप्ताह की शुरुआत में जारी एक नए आदेश से बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र का विस्तार किया गया है। इससे बीएसएफ के अधिकारियों को 10 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों में राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ होने वाली अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए कार्रवाई करने की अनुमति मिल गई है।

खाद्य तेलों की भंडारण सीमा के आदेश से थोक विक्रेताओं को मिली छूट

मंत्रालय ने कहा कि इस कदम से थोक विक्रेताओं एवं शॉपिंग श्रृंखला खुदरा विक्रेताओं को खाद्य तेलों की अधिक किस्में एवं ब्रांड रखने की छूट मिल जाएगी। फिलहाल भंडारण की एक सीमा होने से उनके पास खाद्य तेलों का सीमित स्टॉक ही रहता था।

सरकार ने खाद्य तेलों एवं तिलहन की कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए पिछले साल आठ अक्टूबर को खुदरा विक्रेताओं, थोक विक्रेताओं एवं थोक उपभोक्ताओं पर भंडारण सीमा लगा दी थी। इसमें भंडारण सीमा तय करने का अधिकार राज्यों को दिया गया था।

उसके बाद केंद्र ने तय की गई समान भंडारण सीमा का प्रावधान करते हुए पाबंदी का आदेश 30 जून तक के लिए बढ़ा दिया। बाद में इसे 31 दिसंबर, 2022 तक के लिए बढ़ा दिया गया था।

खाद्य मंत्रालय ने कहा कि देश में खाद्य तेलों एवं तिलहनों की मौजूदा कीमतों का अध्ययन करने के बाद भंडारण सीमा की समीक्षा की गई। कीमतों में अंतरराष्ट्रीय एवं घरेलू स्तर पर लगातार आ रही नरमी को देखते हुए भंडारण सीमा हटाने का फैसला किया गया है।

रेटिंग: 4.72
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 517
उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा| अपेक्षित स्थानों को रेखांकित कर दिया गया है *