शेयरों की खरीद

शेयर मार्केट में शेयर के अलाावा आप क्या खरीद और बेच सकते हैं
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। शेयर मार्केट में कई फाइनैंशियल इंस्ट्रूमेंट खरीदे और बेचे जाते हैं जैसे शेयर/स्टॉक, डेरिवेटिव्स, बॉण्ड और म्युचुअल फंड। चेक भी एक फाइनैंशियल इंस्ट्रूमेंट है पर इसकी खरीद-बिक्री शेयर बाजार में नहीं होती है। अलग-अलग बजट, अलग-अलग उम्र और जोखिम लेने की क्षमता और निवेश की अवधि के अनुसार सभी के लिए फाइनैंशियल इंस्ट्रूमेंट उपलब्ध हैं।
यदि आप खुद जानकारी रखते हैं या जानकार बनने के इच्छुक हैं और आपके पास शेयर बाजार का ध्यान रखने के लिए पर्याप्त समय है तो शेयर/स्टॉक में पैसे लगा सकते हैं। यदि किसी अन्य रोजगार में हैं तो आपके लिए म्युचुअल फंड बेहतर होगा जो जानकार और अनुभवी लोगों के माध्यम से निवेश करने का अधिक सुरक्षित जरिया है। इसी तरह बॉण्ड एक सुनिश्चित दर से आमदनी का जरिया है। लेकिन इन सबसे अधिक आमदनी के लिए आज कल डेरिवेटिव्स का चलन बढ़ रहा है। हालांकि इसमें जोखिम भी ज़्यादा है।
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शेयर /स्टॉक
किसी भी शेयर में पूरे दिन उतार-चढ़ाव लगा रहता है। और यह सिलसिला कभी रुकता नहीं है। लोग अपने आर्थिक लक्ष्य और जोखिम लेने की क्षमता के अनुसार एक दिन से लेकर सालों-साल के लिए शेयर खरीद सकते हैं। उसके दाम में लगातार हो रहे अंतर का लाभ उठा कर मुनाफा कमा सकते हैं। शेयर मार्केट की भाषा में ब्लूचिप स्टॉक खरीद कर लोग आने वाली पीढ़ियों के लिए रख देते हैं जो अक्सर बहुत अच्छा निवेश साबित होता है।
म्युचुअल फंड
म्युचुअल फंड मोटे तौर पर इसके बहुत से हिस्सेदारों की पूंजी मिला कर अच्छी कंपनी के शेयर में लगाई जाती है। लेकिन किस कंपनी में और कितनी अवधि के लिए पैसा लगेगा यह निर्णय आपकी ओर से म्युचुअल फंड के जानकार लेते हैं। मुमकिन है इसमें रिटर्न कुछ कम मिले पर नुकसान भी बहुत कम होने का भरोसा रहता है।
बॉण्ड में पैसा लगाने से मुनाफा कम हो सकता है पर निर्धारित तिथि पर एक सुनिश्चित दर से आमदनी का भरोसा जरूर रहता है। हालांकि ब्याज दर घट-बढ़ सकती है पर स्टॉक मार्केट में बॉण्ड जारी करने की तिथि में घोषित ब्याज दर से कम नहीं होगी। अब इतनी सुरक्षा होगी तो मुनाफा कम होना लाजिमी है।
डेरिवेटिव्स
डेरिवेटिव्स आसान शब्द में बयाना देकर पूरा माल उठा लेने का खेल है जो अनजान लोगों के लिए बहुत खतरनाक है। डेरिवेटिवस के तहत किसी स्टॉक के ‘फ्यूचर’ और ‘ऑप्शन’ आते हैं। इसमें एक तय समय पर या उससे पहले खरीदने या फिर बेचने की जिम्मेदारी होती है। इसके तहत आपको किसी शेयर मसलन टीसीएस के 150 शेयरों का एक पूरा लॉट (फ्यूचर या ऑप्शन) लेना होता है जिसके लिए बयाना के तौर पर केवल 1 लाख रु. या ऑप्शन में तो उससे बहुत कम देने होंगे जबकि टीसीएस के 150 शेयरों का बाजार भाव फिलहाल लगभग 4.5 लाख रु. का होगा। लेकिन यह फ्यूचर तय समय पर या पहले बेचना (या खरीदना) होगा चाहे नफा हो या नुकसान।
इसी तरह आप्शन में भी बहुत कम रकम देकर पूरे 150 शेयर का लाभ ले सकते हैं पर नुकसान भी बहुत अधिक होगा। इसलिए डेरिवेटिवस में पड़ने से पहले जोखिम की थाह लें और फिर कदम बढ़ायें। एक बार इरादा पक्का कर लिया तो बेहतर होगा शुरुआत करेंसी डेरिवेटिव्स से करें। इसमें भारतीय रुपये के साथ अमेरिकी डालर, यूरो, पाउंड और जापानी येन की जोड़ी ट्रेड की जाती है। खरीदने और बेचने की लागत बहुत कम होती है इसलिए आजमाने में ज्यादा नुकसान का खतरा नहीं है। हमेशा ध्यान रखें कि शेयर बाजार में सुरक्षित रहना आमदनी सुनिश्चित करना है।
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रिसर्च फर्म सीएनआई रिसर्च (CNI Research) के सीएमडी किशोर ओस्तवाल (Kishor Ostwal) का मानना है कि अभी आई गिरावट ने स्टॉक मार्केट में इन्वेस्टमेंट का बढ़िया अवसर दिया है. ओस्तवाल ने ये दावा भी किया कि इंटेरेस्ट रेट बढ़ने के बाद भी अब बाजार ऊपर चढ़ेगा.
सुभाष कुमार सुमन
- नई दिल्ली,
- 15 जून 2022,
- (अपडेटेड 16 जून 2022, 8:59 AM IST)
- इस साल करीब 2000 अंक टूट चुका है निफ्टी
- अक्टूबर के बाद बिकवाली की चपेट में बाजार
दुनिया भर के शेयर बाजार (Share Market) अभी बिकवाली की चपेट में हैं. भारतीय शेयर बाजार (Indian Share Market) भी इससे अछूते नहीं हैं. विदेशी निवेशकों (FPI) की भारी बिकवाली, बढ़ती महंगाई, मंदी की आशंका आदि जैसे फैक्टर्स बाजार को संभलने का कोई मौका नहीं दे रहे हैं. बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) और एनएसई निफ्टी (NSE Nifty) दोनों आज भी प्रेशर में कारोबार कर रहे हैं. पिछले पांच दिन में निफ्टी करीब 4 फीसदी टूटा है. इस साल अब तक निफ्टी करीब 2000 अंक यानी 11 फीसदी के नुकसान में है. लगातार आई गिरावट के चलते कई इन्वेस्टर्स घबराकर अपनी होल्डिंग्स बेच रहे हैं. हालांकि कई एक्सपर्ट बाजार में आए इस डिप को क्वालिटी स्टॉक्स खरीदने का बढ़िया मौका मान रहे हैं. उनका मानना है कि यह समय होल्ड करने और नया खरीदने का है.
रिसर्च फर्म सीएनआई रिसर्च (CNI Research) के सीएमडी किशोर ओस्तवाल (Kishor Ostwal) का मानना है कि अभी आई गिरावट ने स्टॉक मार्केट में इन्वेस्टमेंट का बढ़िया अवसर दिया है. ओस्तवाल ने ये दावा भी किया कि इंटेरेस्ट रेट बढ़ने के बाद भी अब बाजार ऊपर चढ़ेगा. उन्होंने कहा कि अभी कई ऐसे सेक्टर हैं, जिनके स्टॉक्स खरीदने से आने वाले समय में बढ़िया रिटर्न मिल सकता है. उन्होंने कहा कि चीनी और गेहूं से जुड़े स्टॉक्स को खरीदना फायदे का सौदा है. उन्होंने पांच ऐसे शेयरों के बारे में भी बताया, जिनमें अभी इन्वेस्ट करना सही साबित हो सकता है.
टाइटन (Titan): टाटा समूह की इस कंपनी का शेयर आज के कारोबार में मामूली मजूबती में रहा है. हालांकि यह पिछले पांच दिन, एक महीने, छह महीने और इस साल अब तक के हिसाब से गिरा हुआ है. पिछले छह महीने में यह स्टॉक करीब 10 फीसदी गिरा है. इस साल जनवरी से अब तक इसके भाव में 16 फीसदी से ज्यादा गिरावट आई है. इसका 52-वीक हाई 2,768 रुपये है, जबकि अभी यह 2,100 रुपये के आस-पास ट्रेड कर रहा है. इस तरह यह स्टॉक 'Buy The Dip' की लिस्ट में पसंदीदा बन जाता है.
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एशियन पेंट्स (Asian Paints): इस ब्लूचिप स्टॉक का भाव अभी ऑल टाइम हाई से करीब 1000 रुपये नीचे आया हुआ है. कभी यह स्टॉक 3,590 रुपये के हाई तक गया था, लेकिन अभी 2,650 रुपये के आस-पास ट्रेड कर रहा है. इस साल अब तक इसका भाव 22 फीसदी से ज्यादा गिरा है, जबकि बीते छह महीने में इसमें 19.50 फीसदी की गिरावट आई है. पिछले एक महीने में ही इस स्टॉक में 11 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई है.
इंफोसिस (Infosys): भारत की दूसरी सबसे बड़ी आईटी कंपनी इंफोसिस लिमिटेड इन्वेस्टर्स की पसंदीदा रही है. आज भी इस आईटी कंपनी का स्टॉक करीब 1.50 फीसदी तक की गिरावट में है और 1,420 रुपये के आस-पास है. एक समय इस स्टॉक का भाव 1,953.90 रुपये के हाई तक पहुंचा था. इस साल जनवरी से अब तक इंफोसिस का शेयर 25 फीसदी से ज्यादा गिरा है. इसी तरह बीते छह महीने में इसमें करीब 18 फीसदी की गिरावट आई है.
रेणुका शूगर (Renuka Sugar): ग्लोबल फूड क्राइसिस के मौजूद दौर में गेहूं के बाद सबसे ज्यादा भाव चीनी के ही बढ़े हैं. इसी कारण भारत सरकार ने गेहूं के बाद चीनी के एक्सपोर्ट पर भी पाबंदियां लगा दी हैं. सरकार चाहती है कि घरेलू बाजार में चीनी की पर्याप्त उपलब्धता बनी रहे और कीमतें अधिक न बढ़ें. इसके अलावा इथेनॉल पर सरकार के फोकस से भी चीनी कंपनियों के स्टॉक आने वाले समय के लिए बेहतर संभावनाएं दिखा रहे हैं. आज इस स्टॉक का भाव करीब एक फीसदी मजबूती शेयरों की खरीद के साथ 50 रुपये के आस-पास है. यह भी अपने पीक से करीब 23 फीसदी नीचे है.
सेल (Sail): स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड की गिनती नवरत्नों में होती है. बदली भू-राजनीतिक परिस्थितियों ने भी मेटल खासकर स्टील स्टॉक्स की अहमियत बढ़ा दी है. सरकार ने घरेलू बाजार में कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए एक्सपोर्ट पर शुल्क बढ़ाया है. आज के कारोबार में इसका भाव भी करीब एक फीसदी गिरा हुआ है. दूसरी ओर ऑल टाइम हाई से इसकी कीमत 50 फीसदी से ज्यादा टूटी हुई है. कभी 145.90 रुपये तक पहुंचा यह स्टॉक अभी 70 रुपये के आस-पास ट्रेड कर रहा है.
(Disclaimer: शेयर बाजार में पैसे लगाने पर कई तरह के रिस्क होते हैं. स्टॉक मार्केट में पैसे लगाने से पहले आप खुद से रिसर्च जरूर करें या अपने पर्सनल फाइनेंस एडवाइजर की सलाह लें.)
आज ये 6 शेयर आपको कर सकते हैं मालामाल, विशेषज्ञों ने कहा लगा लीजिए इन पर दांव
आज के इंट्राडे में शेयर बाजार के विशेषज्ञ आईआईएफएल सिक्योरिटीज के अनुज गुप्ता, आनंद राठी के मेहुल कोठारी और प्रभुदास लीलाधर की वैशाली पारेख ने आज खरीदने के लिए 6 शेयरों की सिफारिश की है।
Day trading guide for Thursday:शेयरों की खरीद भारतीय शेयर बाजार ने मंगलवार को शानदार वापसी की और दिन को भारी बढ़त के साथ बंद हुआ। निफ्टी 50 इंडेक्स 446 अंक बढ़कर 17,759 पर, बीएसई सेंसेक्स 1564 अंक बढ़कर 59,537 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी बैंक इंडेक्स 1260 अंक बढ़कर 39,536 के स्तर पर बंद हुआ। आज के इंट्राडे में शेयर बाजार के विशेषज्ञ आईआईएफएल सिक्योरिटीज के अनुज गुप्ता, आनंद राठी के मेहुल कोठारी और प्रभुदास लीलाधर की वैशाली पारेख ने आज खरीदने के लिए 6 शेयरों की सिफारिश की है।
शेयर बाजार के लिए डे ट्रेडिंग गाइड
निफ्टी 50 इंडेक्स पर एचडीएफसी सिक्योरिटीज के तकनीकी अनुसंधान विश्लेषक, नागराज शेट्टी ने कहा, "निफ्टी ने हाल के डाउन ट्रेंड को तेजी से उलट दिया है। अब 16,900 के रेजिस्टेंट के साथ धमाकेदार अपसाइड ब्रेकआउट देखने को मिल सकता है। इस सप्ताह के अंत तक या अगले सप्ताह तक निफ्टी 17,900 के स्तर से ऊपर जाने के बाद अगले कुछ हफ्तों में 18,300 से 18,400 के अगले ऊपर के लक्ष्य की ओर खींच सकता है। एनएसई निफ्टी के लिए तत्काल समर्थन 17,600 के स्तर पर रखा गया है।"
डे ट्रेडिंग स्टॉक
- अशोक लीलैंड: सीएमपी पर खरीदें, लक्ष्य ₹165, स्टॉप लॉस ₹143
- एक्सिस बैंक: सीएमपी पर खरीदें, लक्ष्य ₹780, स्टॉप लॉस ₹710
- आईआरसीटीसी: ₹710 पर खरीदें, ₹730 का लक्ष्य रखें, स्टॉप लॉस ₹700
- रेमंड: ₹961 पर खरीदें, ₹985 का लक्ष्य, स्टॉप लॉस ₹950
- टीटीके प्रेस्टीज: ₹961 पर खरीदें, ₹1200 का लक्ष्य, स्टॉप लॉस ₹890।
डिस्क्लेमर: ऊपर दिए गए विचार और सिफारिशें व्यक्तिगत विश्लेषकों या ब्रोकिंग कंपनियों के हैं, न कि लाइव हिन्दुस्तान के।
शेयर बाजार निवेशकों के लिए जरूरी खबर: क्लाइंट के फंड सेटलमेंट का बदला तरीका, शेयर ट्रेडिंग पड़ेगा महंगा!
शेयर बाजार में ट्रेडिंग या शेयरों की खरीद-बिक्री करते हैं तो ये खबर आपके काम की है। आज यानी 7 अक्टूबर 2022 से स्टॉक ट्रेडिंग देखने वाले ब्रोकरेज हाउसेज़ और ब्रोकर्स के लिए नया नियम लागू हो रहा है।
Stock Market Trading: शेयर बाजार में ट्रेडिंग या शेयरों की खरीद-बिक्री करते हैं तो ये खबर आपके काम की है। आज यानी 7 अक्टूबर 2022 से स्टॉक ट्रेडिंग देखने वाले ब्रोकरेज हाउसेज़ और ब्रोकर्स के लिए नया नियम लागू हो रहा है। दरअसल, SEBI ने क्लाइंट फंड के सेटलमेंट का तरीका बदल दिया है और इसको लेकर एक गाइडलाइंस भी जारी की गई है। नए नियम के तहतब्रोकर्स को क्लाइंट के रनिंग अकाउंट में बचा शेयरों की खरीद हुआ जो भी फंड होगा वो क्लाइंट के बैंक अकाउंट में वापस भेजना होगा। ऐसे में Zerodha के फाउंडर नितिन कामत का मानना है कि नए सिस्टम लागू होने के बाद ब्रोकरेज चार्जेज में इजाफा हो सकता है।
नितिन कामत ने किया ट्वीट
नितिन कामत ने इस नए नियम को लेकर करीबन 8 ट्वीट के जरिए अपनी बातें रखीं। वे लिखते हैं कि इस 7 अक्टूबर से महीने के प्रत्येक पहले शुक्रवार को सभी ब्रोकरेजों को नई खाता निपटान (AS) प्रक्रिया के हिस्से के रूप में अनयूज्ड फंड को ग्राहक के बैंक खाते में वापस भेजना होगा। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि ये राशि करीब 25,000 करोड़ रुपये के आसपास हो सकती है।
एक और ट्वीट में वे कहते हैं कि अगर आपके ज़ेरोधा अकाउंट की शेष राशि कम हो जाती है या आपको इस शनिवार को अपने बैंक में फंड मिलता है, तो आप जानते हैं समझ गए होंगे कि क्या वजह है? अब तक, AS एक चौथाई में फैला हुआ था। कामत कहते हैं कि मुझे ऐसा लग रहा है यह जांचने का एक और तरीका है कि ब्रोकरेज किसी भी तरह से ग्राहक पूंजी का दुरुपयोग तो नहीं कर रहे हैं।
भारत में पहली बार ऐसा रेग्युलेशन
नितिन कामत एक और ट्वीट में कहा कि ऐसा रेग्युलेशन भारत में पहली बार हो रहा है। ज्यादातर देशों में ब्रोकरेज, बैंकों की तरह ही अनयूज्ड फंड को हमेशा के लिए अपने पास रख सकते हैं और उनका उपयोग कार्यशील पूंजी की आवश्यकताओं के लिए भी कर सकते हैं। लेकिन भारत में केवल कस्टमर के ट्रेडिंग या रेग्युलेटरी चार्ज के लिए ही इन फंड का इस्तेमाल किया जा सकता है।
कामत के मुताबिक, सभी नियामक परिवर्तनों के कारण अगले कुछ सालों में ब्रोकरेज रेट्स में बढ़ोतरी हो सकती है। हालांकि ये बदलाव ग्राहक सुरक्षा के लिहाज से अच्छे हैं, लेकिन इनसे ब्रोकिंग उद्योग के लिए कार्यशील पूंजी की जरूरतें बढ़ेंगी।
समझें नया नियम
बता दें कि नए नियम के मुताबिक, अब क्लाइंट की पसंद के हिसाब से अकाउंट सेटलमेंट होगा और यह सेटलमेंट या तो हर महीने या फिर हर तिमाही के पहले शुक्रवार को करना होगा। इसका मतलब है कि ब्रोकर्स के पास क्लाइंट्स का जो भी फंड बच जाएगा, उसे क्लाइंट के अकाउंट में ट्रांसफर करना पड़ेगा।
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शेयर बाजार में ट्रेडिंग या शेयरों की खरीद-बिक्री करते हैं तो ये खबर आपके काम की है। आज यानी 7 अक्टूबर 2022 से स्टॉक ट्रेडिंग देखने वाले ब्रोकरेज हाउसेज़ और ब्रोकर्स के लिए नया नियम लागू हो रहा है।
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नितिन कामत ने किया ट्वीट
नितिन कामत ने इस नए नियम को लेकर करीबन 8 ट्वीट के जरिए अपनी बातें रखीं। वे लिखते हैं कि इस 7 अक्टूबर से महीने के प्रत्येक पहले शुक्रवार को सभी ब्रोकरेजों को नई खाता निपटान (AS) प्रक्रिया के हिस्से के रूप में अनयूज्ड फंड को ग्राहक के बैंक खाते में वापस भेजना होगा। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि ये राशि करीब 25,000 करोड़ रुपये के आसपास हो सकती है।
एक और ट्वीट में वे कहते हैं कि अगर आपके ज़ेरोधा अकाउंट की शेष राशि कम हो जाती है या आपको इस शनिवार को अपने बैंक में फंड मिलता है, तो आप जानते हैं समझ गए होंगे कि क्या वजह है? अब तक, AS एक चौथाई में फैला हुआ था। कामत कहते हैं कि मुझे ऐसा लग रहा है यह जांचने का एक और तरीका है कि ब्रोकरेज किसी भी तरह से ग्राहक पूंजी का दुरुपयोग तो नहीं कर रहे हैं।
भारत में पहली बार ऐसा रेग्युलेशन
नितिन कामत एक और ट्वीट में कहा कि ऐसा रेग्युलेशन भारत में पहली बार हो रहा है। ज्यादातर देशों में ब्रोकरेज, बैंकों की तरह ही अनयूज्ड फंड को हमेशा के लिए अपने पास रख सकते हैं और उनका उपयोग कार्यशील पूंजी की आवश्यकताओं के लिए भी कर सकते हैं। लेकिन भारत में केवल कस्टमर के ट्रेडिंग या रेग्युलेटरी चार्ज के लिए ही इन फंड का इस्तेमाल किया जा सकता है।
कामत के मुताबिक, सभी नियामक परिवर्तनों के कारण अगले कुछ सालों में ब्रोकरेज रेट्स में बढ़ोतरी हो सकती है। हालांकि ये बदलाव ग्राहक सुरक्षा के लिहाज से अच्छे हैं, लेकिन इनसे ब्रोकिंग उद्योग के लिए कार्यशील पूंजी की जरूरतें बढ़ेंगी।
समझें नया नियम शेयरों की खरीद
बता दें कि नए नियम के मुताबिक, अब क्लाइंट की पसंद के हिसाब से अकाउंट सेटलमेंट होगा और यह सेटलमेंट या तो हर महीने या फिर हर तिमाही के पहले शुक्रवार को करना होगा। इसका मतलब है कि ब्रोकर्स के पास क्लाइंट्स का जो भी फंड बच जाएगा, उसे क्लाइंट के अकाउंट में ट्रांसफर करना पड़ेगा।