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अस्थिरता के दो प्रकार हैं

अस्थिरता के दो प्रकार हैं
भौगोलिक विविधीकरण: कोई भी अर्थव्यवस्था लगातार विकासशील नहीं रहती। विश्व स्तर पर अधिकांश देशों का अपना आर्थिक चक्र होता है। इसलिए दुनिया भर के विभिन्न देशों या उत्पादों में निवेश करके आप पोर्टफोलियो में भौगोलिक विविधीकरण ला सकते हैं।

भारतीय शेयर मार्केट में अस्थिरता कारण और भविष्य

बाजार की अस्थिरता से बचा सकता है विविधीकरण

रूस-यूक्रेन युद्ध, दुनिया में बढ़ती मुद्रास्फीति और श्रीलंका में सामाजिक अशांति और सरकार का पतन-ये सब घटनाएं अभी डराने अस्थिरता के दो प्रकार हैं वालीं और अस्थिरता लाने वाली प्रतीत हो रही हैं-कई देशों की अर्थ व्यवस्थाएं चरमराने लगीं हैं। शेयर बाजार भी नीचे की ओर हैं और इनमें निवेश का विरोध करने वालों को भी मौका मिल गया है। शेयर बाजार की अस्थिरता से बचाव का एक सशक्त माध्यम है-विविधीकरण। यह कई प्रकार से प्राप्त किया जा सकता है-अलग तरह के विकल्पों के चयन से, विभिन्न कंपनियों के शेयरों में पैसा लगाकर, अलग सेक्टर्स की कंपनियों में निवेश करके और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निवेश के माध्यम से।

लेखक : करुणेश देव

विश्व स्तर पर निवेश क्यों करें: भविष्य की अनिश्चितता के कारण विशेषज्ञ यह सलाह देते हैं कि सारा धन किसी एक निवेश में न लगाएं-इसी को आगे बढ़ाते हुए अब नया तथ्य उभरा है कि सारी पूंजी किसी एक देश में लगाना भी समझदारी नहीं है।

राजनीतिक अस्थिरता

उत्तराखंड में सियासी खींचतान के कारण बनी राजनीतिक अस्थिरता इस अल्पायु राज्य की सेहत के लिए अच्छी नहीं कही जा सकती। जिस प्रकार से प्रदेश में सियासी अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है, वह इस छोटे से राज्य को विकास की मुख्यधारा से दूर ले जाता नजर आ रहा है।

उत्तराखंड में सियासी खींचतान के कारण बनी राजनीतिक अस्थिरता इस अल्पायु राज्य की सेहत के लिए अच्छी नहीं कही जा सकती। जिस प्रकार से प्रदेश में सियासी अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है, वह इस छोटे से राज्य को विकास की मुख्यधारा से दूर ले जाता नजर आ रहा है। प्रदेश में बढ़ते संवैधानिक संकट का हवाला देते हुए फौरी तौर पर विधानसभा को निलंबित कर राष्ट्रपति शासन लागू किया गया है। राहत की बात यह है कि विधानसभा भंग नहीं हुई है, इसका अर्थ यह है कि अभी भी नई सरकार के गठन की संभावनाएं बरकरार हैं। लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनता द्वारा चुनी गई सरकार सबसे बेहतर मानी जाती है। माना जाता है कि ऐसी सरकार जनता और प्रदेश के विकास के लिए बेहतर कार्य करती है। यह बात दीगर है कि वर्तमान राजनीति में यह परंपरा अब लीक से हटती जा रही है। प्रदेश में मुख्यत: दो ही पार्टियों की सरकार रही है। राज्य गठन के बाद भाजपा की अंतरिम सरकार रही तो पहले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस सत्ता में आई। इसके बाद होने वाले हर चुनावों में एक बार कांग्रेस तो एक बार भाजपा ने सत्ता संभाली है। वर्ष 2012 में जनता ने दोनों में से किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं दिया। नतीजतन निर्दलीय, उक्रांद व बसपा के सहयोग से कांग्रेस ने सरकार गठित की। ऐसे में मंत्रिमंडल में सहयोगियों को जगह देना लाजिमी था। मंत्रिमंडल में जगह न मिलने से कांग्रेस के भीतर लंबे समय से दायित्व की बाट जो रहे नेताओं ने तभी बगावती तेवर दिखाने शुरू कर दिए थे। विजय बहुगुणा का मुख्यमंत्री पद से हटना भी आपसी खींचतान का ही नतीजा रहा। हरीश रावत सरकार पर वन मैन शो का आरोप लगा और सदन के भीतर ही बगावत हो गई। अब बदले हुए हालात में फिलहाल विधानसभा निलंबित है। जाहिर है कि इसका एकमात्र कारण दोनो दलों के नेताओं की राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं है। हालांकि, अभी भी कांग्रेस स्वयं के बहुमत में होने का दावा कर रही है। इसके लिए राजभवन में विधायकों की परेड तक करवाई जा चुकी है। भारतीय जनता पार्टी के नेता अब सरकार बनाने के सुर अलापने लगे हैं। बागी विधायक अभी अपनी सदस्यता बचाने के लिए कोर्ट की शरण में जाने की तैयारी कर रहे हैं। सदस्यता बचने पर वे भाजपा को बाहर से समर्थन दे सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। यानी, अभी प्रदेश की राजनीति में आया यह भूचाल पूरी तरह शांत नहीं हुआ है। जनता की नजरें भी पूरे घटनाक्रम पर टिकी हुई हैं। नुक्कड़-मोहल्लों में होने वाली चर्चाओं का केंद्र अस्थिरता के दो प्रकार हैं मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम है। प्रदेश की दशा और दिशा तय करने में इन्हीं की मुख्य भूमिका रहेगी। उम्मीद की जानी चाहिए कि इस पर जनता इन तमाम बातों को ध्यान में रखते हुए अपना फैसला सुनाएगी।

भविष्य में क्या उम्मीद करें

इस तरह की अस्थिरता और मुद्रास्फीति अगले कुछ हफ्तों में बने रहने की संभावना है। अस्थिरता के दो प्रकार हैं आने वाले हफ्तों में भी सुधार की उम्मीद बहुत कम है। ऐसा अर्थशास्त्री दिलीप भट्ट का मानना है। उनका कहना है कि यह ट्रेंड अगले दो से तीन तिमाहियों तक जारी रहने की संभावना है।

अर्थशास्त्री अमनीश अग्रवाल के अनुसार, भारतीय आईटी कंपनियां भविष्य में भी मजबूती से प्रदर्शन करती रहेंगी। उनका सुझाव स्टॉक में निवेश के लिए मिडकैप से लार्ज स्केल आईटी कंपनियों को लक्षित करने का है। क्योंकि, यह स्टॉक मार्केट में आने वाले हफ्तों में निवेश करने लायक एक क्षेत्र है। अमनीश अग्रवाल की सलाह है की उन संस्थाओं में निवेश करने की सोचें जिनके स्टॉक पहले से ही महत्वपूर्ण सुधार के दौर से गुजर रहे हैं।

अस्वीकरण: यह लेख केवल सामान्य वित्तीय उद्देश्यों के लिए है। आपको इसे किसी भी कानूनी या कर निर्धारण या निवेश या बीमा सलाह के रूप में नहीं लेना चाहिए। वित्तीय निर्णय लेने की स्थिति में आपको अलग से स्वतंत्र सलाह लेनी चाहिए।

मार्केट में इस अस्थिरता का कारण क्या है?

भारतीय स्टॉक मार्केट वैश्विक कारकों से प्रभावित हुआ है। सबसे बड़ा कारण 2020 में आई कोविड महामारी थी। यह महामारी न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में, स्टॉक मार्केट में अस्थिरता लाने में महत्वपूर्ण रही है। हालांकि महामारी अब काफी हद तक कम हो गई है, लेकिन इसका प्रभाव अभी भी बना हुआ है। यह वास्तव में अर्थव्यवस्था के लिए महामारी के प्रभाव के चंगुल से बाहर आने का समय है।

पिछले कुछ वर्षों में तेल की बढ़ती कीमतों ने भी भारतीय स्टॉक मार्केट की बढ़ती अस्थिरता में योगदान दिया है। भारत अभी भी अपनी विशाल ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए कच्चे तेल के आयात पर निर्भर है। इस प्रकार, तेल की ऊंची कीमतें भारतीय अर्थव्यवस्था और स्टॉक मार्केट के लिए हानिकारक हैं।

भारतीय अर्थव्यवस्था पर महंगाई का कहर जारी है। इसलिए, लोगों के खरीदने की क्षमता में काफी गिरावट आई है। स्वाभाविक रूप से, इसका भारतीय स्टॉक मार्केट पर सीधा नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

बाजार की अस्थिरता से बचा सकता है विविधीकरण

रूस-यूक्रेन युद्ध, दुनिया में बढ़ती मुद्रास्फीति और श्रीलंका में सामाजिक अशांति और सरकार का पतन-ये सब घटनाएं अभी डराने वालीं और अस्थिरता लाने अस्थिरता के दो प्रकार हैं वाली प्रतीत हो रही हैं-कई देशों की अर्थ व्यवस्थाएं चरमराने लगीं हैं। शेयर बाजार भी नीचे की ओर हैं और इनमें निवेश का विरोध करने वालों को भी मौका मिल गया है। शेयर बाजार की अस्थिरता से बचाव का एक सशक्त माध्यम है-विविधीकरण। यह कई प्रकार से प्राप्त किया जा सकता है-अलग तरह के विकल्पों के चयन से, विभिन्न कंपनियों के शेयरों में पैसा लगाकर, अलग सेक्टर्स की कंपनियों में निवेश करके और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निवेश के माध्यम से।

लेखक : करुणेश देव

विश्व अस्थिरता के दो प्रकार हैं स्तर पर निवेश क्यों करें: भविष्य की अनिश्चितता के कारण विशेषज्ञ यह सलाह देते हैं कि सारा धन किसी एक निवेश में न लगाएं-इसी को आगे बढ़ाते अस्थिरता के दो प्रकार हैं हुए अब नया तथ्य उभरा है कि सारी पूंजी किसी एक देश में लगाना भी समझदारी नहीं है।

अशांति का मुख्य कारण है अस्थिर मन: साध्वी

मनुष्य समाज अंदर व्याप्त अशांति का मुख्य कारण अस्थिर मन है। संसार में हमेशा दो प्रकार की प्रवृत्तियां वाले व्यक्ति रहते हैं। एक सांसारिक दृष्टिकोण वाले दूसरे अध्यात्मवादी। मन दोनों के पास है, पर दोनों की प्रवृति में जमीन आसमान का अंतर होता है। अध्यात्मवादी के पास एक विधि होती है, जिसे आत्मज्ञान कहते है, वे इस विधि के जरिए अपने अस्थिर मन को स्थिर कर लेता है।

जैसे महाभारत में अर्जुन का मन अस्थिर था। प्रभु श्री कृष्ण ने अर्जुन को यही विधि प्रदान की थी। दूसरी तरफ सांसारिक मनुष्य के पास सिवाए अपनी इच्छाओं कामनाएं के अलावा कुछ नहीं होता है, जिससे उसकी भटकना निरंतर बनी रहती है। साध्वी ने कहा कि जैसे शीशे में धूल जम जाए तो उसमें चेहरा देखना मुश्किल होता है। इसी प्रकार हमारे मन पर अज्ञान पाप की धूल के कारण हमारा मन अस्थिर हो गया है। जरूरत है अर्जुन की तरह आत्मज्ञान की, जिससे इस धूल को साफ किया जा सके। भक्तों ने कार्यक्रम के समापन पर प्रसाद भी ग्रहण किया।

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