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वेव विश्लेषण

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Weather Update : . सूरज की गर्मी से जल रहा हिंदुस्तान, अभी और सताएगी गर्मी

पेड़ों की कमी कहें या फिर पर्यावरण में परिवर्तन। सूरज की भीषण गर्मी से हिंदुस्तान का जर्रा जर्रा तप रहा है। फिर चाहे वह राजस्थान का थार हो या फिर गोवा का तट। जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड की पहाड़ियां हों या फिर मध्यप्रदेश का मैदान। तपीश में सब झुलस रहे हैं। सबसे ज्यादा आग राजस्थान और मध्यप्रदेश में लगी हुई है।

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पेड़ों की कमी कहें या फिर पर्यावरण में परिवर्तन। सूरज की भीषण गर्मी से हिंदुस्तान का जर्रा जर्रा तप रहा है। फिर चाहे वह राजस्थान का थार हो या फिर गोवा का तट। जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड की पहाड़ियां हों या फिर मध्यप्रदेश का मैदान। तपीश वेव विश्लेषण में सब झुलस रहे हैं। सबसे ज्यादा आग राजस्थान और मध्यप्रदेश में लगी हुई है। गर्मी यहां अपना चरम पार कर रही है। भारत मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़ों का डाउन टू अर्थ ने विश्लेषण किया है। इस साल शुरुआती हीट वेव यानी भीषण गर्मी 11 मार्च को शुरू हुई थी। इसने 15 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को प्रभावित किया है। राजस्थान और मध्य प्रदेश सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। इस दौरान इन राज्यों में हीट वेव के 25 दिन (भीषण गर्मी की लहर / लू) सबसे बुरे रहे।

भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक हीट वेव तब होता है, जब किसी जगह का तापमान मैदानी इलाकों में 40 डिग्री सेल्सियस तटीय क्षेत्रों में 37 डिग्री सेल्सियस और पहाड़ी क्षेत्रों में 30 डिग्री सेल्सियस को पार कर जाता है। किसी ख़ास दिन किसी एक जगह पर उस क्षेत्र के सामान्य तापमान से 4.5 से 6.4 डिग्री सेल्सियस अधिक तापमान दर्ज होता है तो मौसम विभाग उसे हीट वेव कहती है। यह तापमान सामान्य से 6.4 डिग्री सेल्सियस अधिक है, तो इसे 'गंभीर' हीट वेव घोषित करता है।

भारतीय मौसम विभाग हीट वेव घोषित करने के लिए एक अन्य मानदंड का भी उपयोग करता है। यह पूर्ण रूप से दर्ज तापमान पर आधारित होता है। किसी भी क्षेत्र में अगर तापमान 45 डिग्री सेल्सियस को पार कर जाता है। तो वहां हीट वेव घोषित किया जाता है और जब यह 47 डिग्री को पार करता है, तो 'गंभीर' हीट वेव की घोषणा की जाती है।

राजस्थान और मध्य प्रदेश के बाद, हिमाचल प्रदेश जैसा पर्वतीय राज्य इस वर्ष हीट वेव से सबसे अधिक प्रभावित हुआ है। यहां हीट वेव और गंभीर हीट वेव के 21 दिन दर्ज किए गए। मौसम एजेंसी ने आधिकारिक तौर पर ओडिशा के लिए केवल एक हीट वेव दिवस घोषित किया है। इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट चेंज स्टडीज के डी शिवानंद पाई का कहना है कि मार्च में राजस्थान के पश्चिमी हिस्सों में एंटी-साइक्लोन और बारिश वाले पश्चिमी विक्षोभ की अनुपस्थिति शुरुआती हीटवेव के कारण रहे। वायुमंडल में उच्च दबाव प्रणाली के आसपास तापमान बढाने वाली हवाओं के होने से, एंटी-साइक्लोन गर्म और शुष्क मौसम का कारण बनते हैं।

राजस्थान 25
मध्य प्रदेश 25
हिमाचल प्रदेश 21
गुजरात 19
जम्मू और कश्मीर 16
हरियाणा 15
दिल्ली एनसीआर 15
उत्तर प्रदेश 11
झारखंड 11
पंजाब 7
महाराष्ट्र 6
उत्तराखंड 4
बिहार 2
गोवा 2
ओडिशा 1

. तो इसलिए बढ़ा हीटवेब

मैरीलैंड यूनिवर्सिटी के एक क्लाइमेट साइंटिस्ट रघु मुर्तुगुड्डे बताते हैं कि पूर्वी और मध्य प्रशांत महासागर में ला नीना से जुड़ा एक नार्थ-साउथ प्रेशर पैटर्न, जो भारत में सर्दियों के दौरान होता है, उम्मीद से अधिक समय तक बना रहा। इसने तेजी से गर्म हो रहे आर्कटिक क्षेत्र से आने वाली गर्म लहरों के साथ मिल कर हीट वेव का निर्माण किया। पूर्वी और मध्य प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह का तापमान ला नीना के दौरान औसत से अधिक ठंडा हो जाता है। यह हवा के दबाव में परिवर्तन के माध्यम से समुद्र की सतह पर बहने वाली व्यापारिक हवाओं को प्रभावित करता है। ये व्यापारिक हवाएं इस मौसम की गड़बड़ी को अपने साथ ढो कर ले जाती है और दुनिया के बड़े हिस्से को प्रभावित करती हैं। भारत में, यह घटना ज्यादातर नम सर्दियों से जुड़ी है। इसलिए, भारत में वसंत और गर्मी के दौरान ला नीना का वर्तमान प्रभाव पूरी तरह से अप्रत्याशित है। मुर्तुगुड्डे कहते हैं कि हीट वेव जून में मानसून के शुरू होने तक जारी रह सकती हैं।

छठी मूल्यांकन रिपोर्ट की पहली किस्त में आईपीसीसी ने जोर देकर कहा कि 1850-1900 के पूर्व-औद्योगिक अवधि की तुलना में, पृथ्वी की वैश्विक सतह का तापमान 1.09 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म हो गया है। मानव हस्तक्षेप इस स्थिति वेव विश्लेषण का मुख्य कारण है। जलवायु मॉडल और विश्लेषण में सुधार ने वैज्ञानिकों को वर्षा,तापमान और अन्य कारकों के रिकॉर्ड देखकर जलवायु परिवर्तन पर मानव प्रभाव की पहचान करने में सक्षम बनाया है। हर अतिरिक्त 0.5 डिग्री सेल्सियस अत्यधिक वर्षा और सूखे के साथ-साथ गर्म मौसम को बढ़ाएगी। कार्बन उत्सर्जन अधिक रहता है तो भारत में हीट वेव्स के 2036-2065 तक 25 गुना अधिक समय तक रहने की संभावना है। यह सदी के अंत तक वैश्विक तापमान में 4 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि करेगा।

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जैसा कि अपेक्षित था, USDJPY ने लहर c के लिए सोमवार की रैली की) जो लगभग 50% - 61,8% Fibo को रोक सकती है। रिट्रेसमेंट और 113.0 - 113.35 प्रतिरोध क्षेत्र के बीच। सोमवार की रैलियां आमतौर पर नकली चाल होती हैं, इसलिए हमें आश्चर्य नहीं होगा अगर हम आने वाले दिनों में एक तेज मंदी का उलटफेर देखते हैं, खासकर अगर हम अमेरिकी शेयर बाजार में बिकवाली जारी रखते हैं।

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कुकीज अवधिविवरण
कुकीलॉइन्फो-चेकबॉक्स-एनालिटिक्स11 महीनेइस कुकी को GDPR कुकी सहमति प्लगइन द्वारा सेट किया गया है। कुकी का उपयोग "Analytics" श्रेणी में कुकीज़ के लिए उपयोगकर्ता की सहमति को संग्रहीत करने के लिए किया जाता है।
कुकीलॉइन्फो-चेकबॉक्स-कार्यात्मक11 महीनेकुकी को GDPR कुकी सहमति द्वारा "कार्यात्मक" श्रेणी में कुकीज़ के लिए उपयोगकर्ता की सहमति दर्ज करने के लिए निर्धारित किया गया है।
cookielawinfo-चेकबॉक्स-आवश्यक11 महीनेयह कुकी GDPR कुकी सहमति प्लगइन द्वारा सेट की गई है। कुकीज़ का उपयोग कुकीज़ के लिए उपयोगकर्ता की सहमति के लिए "आवश्यक" श्रेणी में किया जाता है।
कुकीलॉइन्फो-चेकबॉक्स-अन्य11 महीनेइस कुकी को GDPR कुकी सहमति प्लगइन द्वारा सेट किया गया है। कुकी का उपयोग कुकीज़ के लिए उपयोगकर्ता की सहमति के लिए श्रेणी "अन्य" में किया जाता है।
कुकइलाविनो-चेकबॉक्स-प्रदर्शन11 महीनेइस कुकी को GDPR कुकी सहमति प्लगइन द्वारा सेट किया गया है। कुकी का उपयोग "प्रदर्शन" श्रेणी में कुकीज़ के लिए उपयोगकर्ता की सहमति को संग्रहीत करने के लिए किया जाता है।
देखा गया_कोकी_पुलिस11 महीनेकुकी को GDPR कुकी सहमति प्लगइन द्वारा सेट किया गया है और इसका उपयोग स्टोर करने के लिए किया जाता है कि उपयोगकर्ता ने कुकीज़ के उपयोग के लिए सहमति दी है या नहीं। यह किसी भी व्यक्तिगत डेटा को संग्रहीत नहीं करता है।

फ़ंक्शनल कुकीज कुछ फ़ंक्शनलिटीज़ को परफॉर्म करने में मदद करती हैं, जैसे सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर वेबसाइट का कंटेंट शेयर करना, फीडबैक इकट्ठा करना और थर्ड-पार्टी फीचर्स।

प्रदर्शन कुकीज़ का उपयोग वेबसाइट के प्रमुख प्रदर्शन सूचकांक को समझने और उनका विश्लेषण करने के लिए किया जाता है जो आगंतुकों के लिए बेहतर उपयोगकर्ता अनुभव प्रदान करने में मदद करता है।

विश्लेषणात्मक कुकीज़ का उपयोग यह समझने के लिए किया जाता है कि आगंतुक वेबसाइट के साथ कैसे बातचीत करते हैं। ये कुकीज़ मेट्रिक्स पर आगंतुकों की संख्या, बाउंस दर, ट्रैफ़िक स्रोत आदि के बारे में जानकारी प्रदान करने में मदद करती हैं।

विज्ञापन कुकीज़ का उपयोग प्रासंगिक विज्ञापनों और विपणन अभियानों के साथ आगंतुकों को प्रदान करने के लिए किया जाता है। ये कुकीज़ वेबसाइटों पर आगंतुकों को ट्रैक करती हैं और अनुकूलित विज्ञापन प्रदान करने के लिए जानकारी एकत्र करती हैं।

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Weather Update : . सूरज की गर्मी से जल रहा हिंदुस्तान, अभी और सताएगी गर्मी

पेड़ों की कमी कहें या फिर पर्यावरण में परिवर्तन। सूरज की भीषण गर्मी से हिंदुस्तान का जर्रा जर्रा तप रहा है। फिर चाहे वह राजस्थान का थार हो या फिर गोवा का तट। जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड की पहाड़ियां हों या फिर मध्यप्रदेश का मैदान। तपीश में सब झुलस रहे हैं। सबसे ज्यादा आग राजस्थान और मध्यप्रदेश में लगी हुई है।

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पेड़ों की कमी कहें या फिर पर्यावरण में परिवर्तन। सूरज की भीषण गर्मी से हिंदुस्तान का जर्रा जर्रा तप रहा है। फिर चाहे वह राजस्थान का थार हो या फिर गोवा का तट। जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड की पहाड़ियां हों या फिर मध्यप्रदेश का मैदान। तपीश में सब झुलस रहे हैं। सबसे ज्यादा आग राजस्थान और मध्यप्रदेश में लगी हुई है। गर्मी यहां अपना चरम पार कर रही है। भारत मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़ों का डाउन टू अर्थ ने विश्लेषण किया है। इस साल शुरुआती हीट वेव यानी भीषण गर्मी 11 मार्च को शुरू हुई थी। इसने 15 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को प्रभावित किया है। राजस्थान और मध्य प्रदेश सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। इस दौरान इन राज्यों में हीट वेव के 25 दिन (भीषण गर्मी की लहर / लू) सबसे बुरे रहे।

भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक हीट वेव तब होता है, जब किसी जगह का तापमान मैदानी इलाकों में 40 डिग्री सेल्सियस तटीय क्षेत्रों में 37 डिग्री सेल्सियस और पहाड़ी क्षेत्रों में 30 डिग्री सेल्सियस को पार कर जाता है। किसी ख़ास दिन किसी एक जगह पर उस क्षेत्र के सामान्य तापमान से 4.5 से 6.4 डिग्री सेल्सियस अधिक तापमान दर्ज होता है तो मौसम विभाग उसे हीट वेव कहती है। यह तापमान सामान्य से 6.4 डिग्री सेल्सियस अधिक है, तो इसे 'गंभीर' हीट वेव घोषित करता है।

भारतीय मौसम विभाग हीट वेव घोषित करने के लिए एक अन्य मानदंड का भी उपयोग करता है। यह पूर्ण रूप से दर्ज तापमान पर आधारित होता है। किसी भी क्षेत्र में अगर तापमान 45 डिग्री सेल्सियस को पार कर जाता है। तो वहां हीट वेव घोषित किया जाता है और जब यह 47 डिग्री को पार करता है, तो 'गंभीर' हीट वेव की घोषणा की जाती है।

राजस्थान और मध्य प्रदेश के बाद, हिमाचल प्रदेश जैसा पर्वतीय राज्य इस वर्ष हीट वेव से सबसे अधिक प्रभावित हुआ है। यहां हीट वेव और गंभीर हीट वेव के 21 दिन दर्ज किए गए। मौसम एजेंसी ने आधिकारिक तौर पर ओडिशा के लिए केवल एक हीट वेव दिवस घोषित किया है। इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट चेंज स्टडीज के डी शिवानंद पाई का कहना है कि मार्च में राजस्थान के पश्चिमी हिस्सों में एंटी-साइक्लोन और बारिश वाले पश्चिमी विक्षोभ की अनुपस्थिति शुरुआती हीटवेव के कारण रहे। वायुमंडल में उच्च दबाव प्रणाली के आसपास तापमान बढाने वाली हवाओं के होने से, एंटी-साइक्लोन गर्म और शुष्क मौसम का कारण बनते हैं।

राजस्थान 25
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जम्मू और कश्मीर 16
हरियाणा 15
दिल्ली एनसीआर 15
उत्तर प्रदेश 11
झारखंड 11
पंजाब 7
महाराष्ट्र 6
उत्तराखंड 4
बिहार 2
गोवा 2
ओडिशा 1

. तो इसलिए बढ़ा हीटवेब

मैरीलैंड यूनिवर्सिटी के एक क्लाइमेट साइंटिस्ट रघु मुर्तुगुड्डे बताते हैं कि पूर्वी और मध्य प्रशांत महासागर में ला नीना से जुड़ा एक नार्थ-साउथ प्रेशर पैटर्न, जो भारत में सर्दियों के दौरान होता है, उम्मीद से अधिक समय तक बना रहा। इसने तेजी से गर्म हो रहे आर्कटिक क्षेत्र से आने वाली गर्म लहरों के साथ मिल कर हीट वेव का निर्माण किया। पूर्वी और मध्य प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह का तापमान ला नीना के दौरान औसत से अधिक ठंडा हो जाता है। यह हवा के दबाव में परिवर्तन के माध्यम से समुद्र की सतह पर बहने वाली व्यापारिक हवाओं को प्रभावित करता है। ये व्यापारिक हवाएं इस मौसम की गड़बड़ी को अपने साथ ढो कर ले जाती है और दुनिया के बड़े हिस्से को प्रभावित करती हैं। भारत में, यह घटना ज्यादातर नम सर्दियों से जुड़ी है। इसलिए, भारत में वसंत और गर्मी के दौरान ला नीना का वर्तमान प्रभाव पूरी तरह से अप्रत्याशित है। मुर्तुगुड्डे कहते हैं कि हीट वेव जून में मानसून के शुरू होने तक जारी रह सकती हैं।

छठी मूल्यांकन रिपोर्ट की पहली किस्त में आईपीसीसी ने जोर देकर कहा कि 1850-1900 के पूर्व-औद्योगिक अवधि की तुलना में, पृथ्वी की वैश्विक सतह का तापमान 1.09 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म हो गया है। मानव हस्तक्षेप इस स्थिति का मुख्य कारण है। जलवायु मॉडल और विश्लेषण में सुधार ने वैज्ञानिकों को वर्षा,तापमान और अन्य कारकों के रिकॉर्ड देखकर जलवायु परिवर्तन पर मानव प्रभाव की पहचान करने में सक्षम बनाया है। हर अतिरिक्त 0.5 डिग्री सेल्सियस अत्यधिक वर्षा और सूखे के साथ-साथ गर्म मौसम को बढ़ाएगी। कार्बन उत्सर्जन अधिक रहता है तो भारत में हीट वेव्स के 2036-2065 तक 25 गुना अधिक समय तक रहने की संभावना है। यह सदी के अंत तक वैश्विक तापमान में 4 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि करेगा।

विश्व सिनेमा पर अद्भुत किताब

किताब में शामिल समीक्षाएं असल में भारत में दिखाए जाने वाले अंतरराष्ट्रीय फिल्मोत्सवों पर केंद्रित हैं.

किताब समीक्षा

संध्या द्विवेदी/मंजीत ठाकुर

  • 09 फरवरी 2018,
  • (अपडेटेड 09 फरवरी 2018, 10:50 PM IST)

किताब लेखक का सिनेमा के लेखक कुंवर नारायण हैं. संपादक गीता चतुर्वेदी हैं. वाणी प्रकाशन से प्रकाशित इस किताब की कीमत 495 रु. है.

कवि कुंवर नारायण के सिनेमा पर लेखों का संग्रह है किताब लेखक का सिनेमा. दो खंडों में बंटी इस किताब के पहले हिस्से में 26 और दूसरे में 8 यानी कुल जमा 34 लेख हैं. यह कहना अतिशयोक्ति न होगा कि ये मात्र लेख नहीं बल्कि विश्व सिनेमा पर लिखे, 34 किताबों के सार हैं.

ये लेख छायानट, सारिका, दिनमान, धर्मयुग, फेमिना, नवभारत टाइम्स, जनसत्ता और स्वतंत्र भारत सरीखे पत्र-पत्रिकाओं में 1976 से लेकर 2008 तक लिखे दुर्लभ लेख हैं. गीत चतुर्वेदी ने बड़े श्रम से इसे संपादित किया है. यह बात भी काबिलेगौर है कि छायानट को छोड़कर बाकी सभी पत्रिकाएं अब बंद हो चुकी हैं.

किताब में शामिल समीक्षाएं असल में भारत में दिखाए जाने वाले अंतरराष्ट्रीय फिल्मोत्सवों पर केंद्रित हैं. विशेष रूप से शुरुआती दौर में सिनेमा समीक्षक और दूसरी विधाओं के लेखक रहे महान फिल्मकारों की कृतियों के बारे में बारीक विश्लेषण देखने ही नहीं बल्कि इस दृश्य विधा को पढऩे के लिए भी आमंत्रित करता है. इन समीक्षाओं में लेखकीय दृष्टिकोण प्रमुख है.

इसका औचित्य सिनेमा के उस आंदोलन से जुड़ा है, जिसमें न्यू वेव को साहित्य से जोड़ा गया. इस तरह से ये समीक्षाएं फिल्म और साहित्य के अंतर्संबंधों को भी करीने से अंडरलाइन करती हैं और हमें उन्हें महसूस करने का न्यौता देती हैं. कुंवर नारायण के इस गंभीर अध्ययन में विश्व सिनेमा के गोदार, तारकोवस्की, फेलिनी से लेकर मणि कौल और कुमार शाहनी तक शामिल हैं.

एक तरह से पूरा सिनेमा संसार. उनकी यह विश्लेषण यात्रा साहित्य और सिनेमा पर दिए जाने वाले वक्तव्यों के लिए बनाए नोट्स से लेकर सत्यजित रे के साहित्य और सिनेमा तक जाती है. आखिर में एक परिशिष्ट के रूप में किताब में उल्लिखित प्रमुख फिल्मकारों की सूची भी है. इसमें उन नामों का रोमन लिपि के साथ हिंदी में सही उच्चारण तो है ही, साथ ही साथ संक्षेप में उनके और उनकी फिल्मों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी भी है, जो एक संदर्भग्रंथ की तरह काम करती है.

कुंवर नारायण इन लेखों में फिल्मों का मात्र विश्लेषण ही नहीं करते, वे संबंधित फिल्मकारों के व्यक्तित्व, कुछ उनके जीवन की सूचनाएं और तत्कालीन सामाजिक-सांस्कृतिक परिस्थितियों के बारे में भी बात करते हैं. इस तरह से फिल्मों का विश्लेषण अपनी सीमा को पार कर एक तरह से मानव संस्कृति और सभ्यता का दस्तावेज बन जाता है. कुंवर नारायण हर फिल्म से खुश भी नहीं हुए हैं. ''अति ही अति", ''हिंदी फिल्मों की दुर्गति" जैसे अध्याय हिंदी फिल्मों के प्रति उनकी चिंता खुलकर सामने आती है.

यह किताब सिनेमा प्रेमियों और शोधार्थियों के लिए तो है ही, उन कुछ चुनिंदा भारतीय फिल्मकारों के लिए भी अहम है, जो सिनेमा को सिनेमा के ही रूप में सोचते, देखते और बनाते हैं. यह किताब एक अमूल्य दस्तावेजी धरोहर है. लेकिन सवाल यह है कि हिंदी सिनेमा रचने वाले निर्देशक क्या हिंदी में लिखा हुआ पढ़ते भी हैं? बहुत कम.

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