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पेनांट पैटर्न क्या है?

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Army Uniform: अब मार्केट में नहीं बेची जा सकेगी सेना की वर्दी, यूनिफॉर्म को पेटेंट कराने की तैयारी में आर्मी

Combat Uniform: भारतीय सेना की वर्दी का गलत इस्तेमाल न हो इसके लिए आर्मी कुछ कदम उठाने जा रही है. इसके लिए सेना वर्दी का पेटेंट प्राप्त करने की तैयारी कर रही है. अब खुले में वर्दी नहीं बिक पाएगी.

By: नीरज राजपूत , एबीपी न्यूज़ | Updated at : 13 Jul 2022 07:38 PM (IST)

सेना की वर्दी का गलत इस्तेमाल के लिए उठाए कदम

Indian Army: सैनिकों (Soldiers) की नई कॉम्बेट यूनिफॉर्म (Combat Uniform) के दुरूपयोग (Misuse) को रोकने के लिए भारतीय सेना (Indian Army) पेटेंट प्राप्त करने की तैयारी कर रही है. इस बावत भारतीय सेना ने नई डिजीटल कैमोफ्लाज यूनिफॉर्म के पैटर्न और डिजाइन पर अधिकार के लिए कंट्रोलर जनरल ऑफ पेटेंट्स, डिजाइन एंड ट्रैड मार्क्स के ऑफिस में एप्लाई भी कर दिया है. आपको बता दें कि पठानकोट एयर बेस (Pathankot Airbase) पर हुए हमले से लेकर कश्मीर तक में आतंकी सैनिकों की यूनिफॉर्म पहनकर ही हमला करते हैं. इसीलिए सेना नई कॉम्बेट ड्रेस के आईपीआर अधिकार (IPR Right) लेना चाहती है.

सेना की वर्दी का न हो गलत इस्तेमाल

जानकारी के मुताबिक, सेना मुख्यालय पूरी 11 लाख वाली थलसेना के लिए वर्ष 2025 के मध्य तक नई कॉम्बेट यूनिफॉर्म मुहैया कराने का प्लान तैयार कर रही है, क्योंकि नई वर्दी बेहद ही हल्की होने के साथ साथ बेहद मजबूत है और डिजिटल पैटर्न से तैयार की गई है. इसलिए भारतीय सेना इसके दुरूपयोग को रोकना चाहती है. इस नई यूनिफॉर्म को लेकर भारतीय सेना के सामने दो बड़ी चुनौतियां हैं. पहली ही सुरक्षा से जुड़ी. सेना नहीं चाहती है कि सैनिकों के अलावा कोई अनिधकृत व्यक्ति इसे नहीं पहन पाए. दूसरा ये कि सेना में कार्यरत सैनिक कोई दूसरे पैटर्न वाली कॉम्बेट यूनिफॉर्म न पहन सके. यही वजह है कि सेना नहीं चाहती है कि ये नई वर्दी गली-मुहल्लों में बेची जाए, क्योंकि कई बार आतंकी तक ओपन मार्केट से सेना की (पुरानी) वर्दी को खरीदकर पहन लेते हैं.

कानून के बारे में सेना करा रही अवगत

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सेना के मुताबिक, अप्रैल के महीने में नई कॉम्बेट यूनिफॉर्म के इंटेलैक्चुयल प्रोपट्री राईट्स (पेनांट पैटर्न क्या है? आईपीआर) यानि बौद्धिक संपदा अधिकार के लिए कंट्रोलर जनरल ऑफ पेटेंट्स के दफ्तर में आवेदन दे दिया गया था. अगले महीने तक सेना को पेटेंट मिलने की तैयारी है, लेकिन इससे पहले भारतीय सेना ने कैंटोन्मेंट और छावनी सहित ओपन मार्केट में सैन्य साजो सामान बेचने वाले दुकानदारों को नई यूनिफॉर्म और उससे जुड़े आईपीआर कानून से अवगत कराना शुरु कर दिया है.

दुकानदार के खिलाफ होगी कार्रवाई

बुधवार को भारतीय सेना (Indian Army) की मिलिट्री पुलिस (Military Police) ने दिल्ली पुलिस (Delhi Police) के जवानों के साथ मिलकर दिल्ली कैंट (Delhi Cant) में एक ड्राइव चलाकर वहां के दुकानदारों को नई यूनिफॉर्म (New Uniform) के बारे में जानकारी दी और किसी भी अनाधिकृत व्यक्ति को नई यूनिफॉर्म बेचने के खतरों के बारे में आगाह किया. अगर कोई दुकानदार (Shopkeeper) ऐसा करता पाया गया तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है.

Published at : 13 Jul 2022 08:21 PM (IST) Tags: Indian Army Army uniform Combat Uniform Uniform Misuse Unauthorised Sell हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: News in Hindi

13 साल तक चली लड़ाई के बाद अमेरिका ने माना सिर्फ भारत की है हल्‍दी…जानिए पूरी कहानी

यूएस पेटेंट एंड ट्रेडमार्क ऑफिस (PTO) ने 1994 में मिसीसिपी यूनिवर्सिटी के दो रिसर्चर्स सुमन दास और हरिहर कोहली को हल्दी के एंटीसेप्टिक गुणों के लिए पेटेंट दे दिया था. इस पर भारत में खूब बवाल मचा था.

13 साल तक चली लड़ाई के बाद अमेरिका ने माना सिर्फ भारत की है हल्‍दी. जानिए पूरी कहानी

ऋचा बाजपेई | Edited By: अंकित त्यागी

Updated on: Jun 22, 2021 | 6:15 PM

हल्‍दी वो मसाला जो हर भारतीय किचन में मिलेगा. यह सिर्फ एक मसाला ही नहीं है बल्कि एक कारगर औषधि भी है. स्‍वाद में कड़वी मगर हल्‍दी का प्रयोग सब्‍जी को रंग देने के लिए किया जाता है. वहीं इसकी जड़ का प्रयोग कई दवाईयों को बनाने में किया जाता है. हल्‍दी खून साफ करने के काम आती है और जख्‍म को भी भरती है. साथ ही पुराने समय में इसका प्रयोग तेज बुखार को कम करने में किया जाता है. क्‍या आप जानते हैं कि इसे लेकर एक बार भारत और अमेरिका आमने-सामने थे. दरअसल अमेरिका ने यह मानने से इनकार कर दिया था कि हल्‍दी भारतीय है.

क्‍या था पूरा मामला

यूएस पेटेंट एंड ट्रेडमार्क ऑफिस (PTO) ने 1994 में मिसीसिपी यूनिवर्सिटी के दो रिसर्चर्स सुमन दास और हरिहर कोहली को हल्दी के एंटीसेप्टिक गुणों के लिए पेटेंट दे दिया था. इस पर भारत में खूब बवाल मचा था. भारत की काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (CSIR) ने केस मुकदमा लड़ा था. भारत ने दावा किया था कि हल्दी के एंटीसेप्टिक गुण भारत के पारंपरिक ज्ञान में आते हैं और इनका जिक्र तो भारत के आयुर्वेदिक ग्रंथों में भी है. इसके बाद पीटीओ ने अगस्‍त 1997 में दोनों रिसर्चर्स का पेटेंट रद्द किया.

सीएसआईआर ने अमेरिका के दावे को मानने से इनकार कर दिया था. सीएसआईआर ने कहा था कि हल्‍दी पिछली कई सदियों से भारत में लोगों के घावों को ठीक करने के लिए प्रयोग की जा रही है. सीएसआईआर ने उस समय एक अमेरिकी वकील को केस लड़ने के लिए हायर किया था. केस पर 15,000 डॉलर खर्च किए गए थे. सीएसआईआर ने कई डॉक्‍यूमेंट्स पेश किए थे जो कई साइंस जर्नल और किताबों में छपे थे.

भारत के आयुर्वेद का हिस्‍सा

इन सभी डॉक्‍यूमेंट्स में हल्‍दी को पेनांट पैटर्न क्या है? भारतीय औषधि का अंग बताते हुए इसे आयुर्वेद का हिस्‍सा करार दिया गया था. भारतीय वैज्ञानिकों की तरफ से कहा गया था कि पहली बार पेनांट पैटर्न क्या है? अमेरिका में इस तरह की बातें हो रही हैं जिसमें एक विकासशील देश से उसकी पारंपरिक औषधि का छीनने की कोशिशें की जा रही हैं. अमेरिका इससे पहले भी कई भारतीय उत्‍पादों पर अपना हक जता चुका था.

पारंपरिक ज्ञान को सहेजने की जरूरत

अमेरिका को मिली हार पर सीएसआईआर के तत्‍कालीन डायरेक्‍टर रघुनाथ मशालेकर ने कहा था कि इस केस की सफलता के दूरगामी परिणाम देखने को मिलेंगे खासतौर पर पारंपरिक ज्ञान की सुरक्षा की दिशा में. यह न सिर्फ भारत बल्कि थर्ड वर्ल्‍ड कंट्रीज के लिए भी फायदेमंद साबित होगा. उन्‍होंने यह भी कहा था कि केस से पारंप‍रिक ज्ञान को सहेज कर रखने की अहमियत के बारे में भी पता चलता है. पेंटेंट ऑफिस की तरफ से इसे मानने से इनकार कर दिया गया था. माशेलकर का कहना था कि हल्‍दी के लिए लड़ाई वित्‍तीय वजहों से नहीं लड़ी गई बल्कि देश के गौरव के लिए लड़ी गई थी.

पेनांट पैटर्न क्या है?

क्या आप जानते हैं विश्व बौद्धिक संपदा दिवस के बारे में, इसमें क्या-क्या शामिल होता है?

एक बेहतर भविष्य बनाने के लिए बौद्धिक संपदा अधिकार कल के युवाओं की मदद कर सकते हैं

By Dayanidhi

On: Tuesday 26 April 2022

क्या आप जानते हैं विश्व बौद्धिक संपदा दिवस के बारे में, इसमें क्या-क्या शामिल होता है?

फोटो: विश्व बौद्धिक संपदा संगठन

विश्व बौद्धिक संपदा दिवस हर साल 26 अप्रैल को मनाया जाता है। यह दिन बौद्धिक संपदा के महत्व और उद्देश्यों को उजागर करने के लिए मनाया जाता है। विश्व बौद्धिक संपदा दिवस नवाचार और रचनात्मकता को बढ़ावा देने में बौद्धिक संपदा अधिकारों तथा पेटेंट, ट्रेडमार्क, औद्योगिक डिजाइन, कॉपीराइट की भूमिका के बारे में जागरूकता फैलाने का दिन है।

विश्व बौद्धिक संपदा 2022 नए और बेहतर समाधान खोजने के लिए युवाओं की क्षमताओं को पहचानने की बात करती है जो एक स्थायी भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है।

दुनिया भर में युवा अपनी ऊर्जा और सरलता, जिज्ञासा और रचनात्मकता का उपयोग करके बेहतर भविष्य की दिशा में आगे बढ़ने के लिए नवाचार चुनौतियों की ओर बढ़ रहे हैं। नयापन, ऊर्जावान और रचनात्मक दिमाग उन परिवर्तनों को आगे बढ़ाने में मदद कर रहे हैं जिनकी हमें एक अधिक स्थायी भविष्य की ओर बढ़ने की आवश्यकता है। एक बेहतर भविष्य बनाने के लिए बौद्धिक संपदा अधिकार कैसे कल के युवाओं की सहायता कर सकते हैं।

बौद्धिक संपदा क्या है?

बौद्धिक संपदा (आईपी) दिमाग की रचनाओं से संबंधित है, जैसे आविष्कार, साहित्यिक और कलात्मक कार्य, डिजाइन और व्यापार में उपयोग किए जाने वाले प्रतीक, नाम और चित्र आदि।

विश्व बौद्धिक संपदा दिवस 2022 की थीम

इस वर्ष विश्व बौद्धिक संपदा दिवस 2022 की थीम बौद्धिक संपदा (आईपी) और बेहतर भविष्य के लिए नया बदलाव करने वाले युवाओं पर केंद्रित है। इसमें यह पता लगाना हैं कि कैसे ये नयापन, ऊर्जावान और रचनात्मक दिमाग सकारात्मक बदलाव ला रहे हैं।

विश्व बौद्धिक संपदा दिवस 2022 युवाओं के लिए यह पता लगाने का अवसर है कि कैसे बौद्धिक संपदा (आईपी) अधिकार उनके लक्ष्यों को हासिल करने में मदद कर सकते हैं, उनके विचारों को वास्तविकता में बदलने में सहायता कर सकते हैं, आय उत्पन्न कर सकते हैं, रोजगार पैदा कर सकते हैं और अपने आसपास की दुनिया पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं। बौद्धिक संपदा (आईपी) के ​​अधिकारों के साथ, युवाओं के पास अपनी महत्वाकांक्षाओं को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक कुछ प्रमुख उपकरणों तक पहुंच है।

विश्व बौद्धिक संपदा दिवस का इतिहास

विश्व बौद्धिक संपदा संगठन, संयुक्त राष्ट्र (यूएन) की 15 विशेष एजेंसियों में से एक है। भारत भी विश्व बौद्धिक संपदा संगठन का सदस्य है। विश्व बौद्धिक संपदा संगठन की स्थापना 14 जुलाई 1967 को हुई थी, इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्जरलैंड में है। 26 अप्रैल को उस दिन के रूप में चुना गया था, जिस दिन विश्व बौद्धिक संपदा संगठन की स्थापना कन्वेंशन 1970 में लागू हुई थी।

बौद्धिक संपदा के प्रकार क्या हैं?

कॉपीराइट एक कानूनी शब्द है जिसका उपयोग उन अधिकारों का वर्णन करने के लिए किया जाता है जो रचनाकारों को उनके साहित्यिक और कलात्मक कार्यों पर होते हैं। पुस्तकों, संगीत, पेंटिंग, मूर्तिकला और फिल्मों से लेकर कंप्यूटर प्रोग्राम, डेटाबेस, विज्ञापन, मानचित्र और तकनीकी ड्राइंग तक कॉपीराइट श्रेणी में शामिल कार्य हैं।

पेटेंट

एक पेटेंट एक आविष्कार के लिए दिया गया एक विशेष अधिकार है। आम तौर पर एक पेटेंट, पेटेंट मालिक को यह तय करने का अधिकार प्रदान करता है कि कैसे - या क्या - आविष्कार का उपयोग दूसरों द्वारा किया जा सकता है। इस अधिकार के बदले में, पेटेंट मालिक आविष्कार के बारे में तकनीकी जानकारी प्रकाशित पेटेंट दस्तावेज़ में सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराता है।

ट्रेडमार्क

एक ट्रेडमार्क एक संकेत है जो एक उद्यम की वस्तुओं या सेवाओं को अन्य उद्यमों से अलग करने में सक्षम है। ट्रेडमार्क प्राचीन काल से हैं जब कारीगर अपने उत्पादों पर अपने हस्ताक्षर या "चिह्न" लगाते थे।

औद्योगिक डिजाइन

एक औद्योगिक डिजाइन एक लेख के सजावटी या सौंदर्य पहलू का गठन करता है। एक डिजाइन में त्रि-आयामी विशेषताएं शामिल हो सकती हैं, जैसे किसी लेख का आकार या सतह, या दो-आयामी विशेषताएं, जैसे पैटर्न, रेखाएं या रंग।

भौगोलिक संकेत

भौगोलिक संकेत और उत्पत्ति के नाम ऐसे संकेत हैं जिनका उपयोग उन सामानों पर किया जाता है जिनकी एक विशिष्ट भौगोलिक उत्पत्ति होती है और जिनके पास गुण, प्रतिष्ठा या विशेषताएं होती हैं जो मूल रूप से उस स्थान के लिए जिम्मेदार होती हैं। आमतौर पर एक भौगोलिक संकेत में माल की उत्पत्ति के स्थान का नाम शामिल होता है।

व्यापार रहस्य

व्यापार रहस्य गोपनीय जानकारी पर आईपी अधिकार हैं जिन्हें बेचा या जिनका लाइसेंस प्राप्त किया जा सकता है। इस तरह की गुप्त जानकारी का अनधिकृत अधिग्रहण, उपयोग या प्रकटीकरण दूसरों द्वारा ईमानदार व्यावसायिक प्रथाओं के विपरीत एक अनुचित व्यवहार और व्यापार गुप्त सुरक्षा का उल्लंघन माना जाता है।

23 आईआईटी ने तीन वर्षो में 1535 पेटेंट दर्ज कराए, 69 बने उत्पाद

देश के 23 आईआईटी ने पिछले तीन वर्षो में 1535 पेटेंट दर्ज/पंजीकृत कराए हैं और इनमें से 69 पेटेंट को प्रक्रियाओं एवं उत्पादों में बदला गया है। यह रिपोर्ट संसदीय समिति ने सोमवार को राज्यसभा के सभापति को

23 आईआईटी ने तीन वर्षो में 1535 पेटेंट दर्ज कराए, 69 बने उत्पाद

देश के 23 भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) ने पिछले तीन वर्षो में 1535 पेटेंट दर्ज/पंजीकृत कराए हैं और इनमें से 69 पेटेंट को प्रक्रियाओं एवं उत्पादों में बदला गया है। शिक्षा, महिला, बाल, युवा एवं खेल संबंधी स्थायी समिति को उच्च शिक्षा विभाग से यह जानकारी मिली है। यह रिपोर्ट सोमवार को राज्यसभा के सभापति को सौंपी गई। संसदीय समिति की रिपोर्ट के अनुसार, उसे यह बताया गया है कि पिछले तीन वर्षो में 23 आईआईटी ने 1535 पेटेंट दर्ज/पंजीकृत कराए हैं।

इनमें से 69 पेटेंट को प्रक्रियाओं एवं उत्पादों में बदला गया जिसका देश को लाभ हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, इन पेटेंट का कुल वाणिज्यिक मूल्य 13.21 करोड़ रूपये है। उच्च शिक्षा विभाग ने कहा है कि आईआईटी राष्ट्रीय महत्व के संस्थान होते हैं और शोध एवं नवाचार के क्षेत्र में अगुआ होते हैं जिनका उद्योगों के साथ समाज को भी फायदा होता है। रिपोर्ट के अनुसार, पेटेंट सृजन में अग्रणी स्थान रखने वाले इन आईआईटी में बौद्धिक संपदा अधिकार प्रकोष्ठ (आईपीआर)/ प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, समर्पित आईपीआर नीति/ दिशानिर्देश आदि मौजूद हैं जो अनुसंधान प्रयोगशालाओं एवं उद्योगों के बीच सहभागितापूर्ण शोध को बढ़ावा देते हैं। इनके पास नये उद्यमियों के लिए स्टार्टअप नीति पेनांट पैटर्न क्या है? भी है।

अब बाजार में नहीं मिलेगी यूनिफॉर्म, सेना ने कराया पेटेंट. नहीं माने तो होगी कड़ी कार्रवाई

नई दिल्लीः भारतीय सेना ने बृहस्पतिवार को कहा कि उसने अपनी नए डिजाइन और छद्मावरण पैटर्न वाली वर्दी के बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) को पंजीकृत कराया है। रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि डिजाइन तथा छद्मावरण पैटर्न के विशेष बौद्धिक संपदा अधिकार अब पूरी तरह से भारतीय सेना के पास हैं। इसलिए किसी भी ऐसे विक्रेता द्वारा पेनांट पैटर्न क्या है? वर्दी का निर्माण करना, जो ऐसा करने के लिए अधिकृत नहीं है, उसे अवैध गतिविधि में संलिप्त माना जायेगा और कानूनी कार्रवाई का सामना करना होगा।

मंत्रालय ने कहा, ‘‘भारतीय सेना के प्रभुत्व को स्थापित करने के लिए नए छद्मावरण पैटर्न और बेहतर डिजाइन वाली वर्दी के पंजीकरण की प्रक्रिया कोलकाता के पेटेंट, डिजाइन एवं ट्रेडमार्क महानियंत्रक द्वारा पूरी कर ली गई है।'' पंजीकरण को पेटेंट कार्यालय के आधिकारिक जर्नल में 21 अक्टूबर को प्रकाशित किया गया है। भारतीय थल सेना के सैनिकों के लिए नई डिजिटल पैटर्न कॉम्बैट वर्दी का अनावरण 15 जनवरी को सेना दिवस पर किया गया था।

बयान में कहा गया है कि नई वर्दी पहले से बेहतरीन है और यह समकालीन तथा कार्यात्मक रूप से उम्दा डिजाइन वाली है। वर्दी के कपड़े को हल्का, मजबूत, जल्दी सूखने वाला और रख रखाव के लिए आसान बनाया गया है। महिलाओं की लड़ाकू वर्दी तैयार करते समय विशेष ध्यान रखा गया है। लिंग विशिष्ट समायोजन करने से नई वर्दी की विशिष्टता स्पष्ट होती है।

भारतीय सेना व्यवस्था के तहत डिजाइन के विशिष्ट अधिकारों को लागू कर सकती है और नियम का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ एक सक्षम अदालत के सामने नागरिक कार्रवाई के माध्यम से मुकदमे दायर कर सकती है। उल्लंघन के खिलाफ की जाने वाली कार्रवाई में अंतरिम एवं स्थाई निषेधाज्ञा के साथ-साथ जुर्माना भी शामिल है।

बयान में कहा गया, ‘‘नए पैटर्न की वर्दी उपलब्ध कराने की शुरूआती पेनांट पैटर्न क्या है? प्रक्रिया के हिस्से के रूप में कैंटीन स्टोर्स डिपार्टमेंट (सीएसडी) के माध्यम से कुल 50,000 सेट पहले ही खरीदे जा चुके हैं और इन्हें 15 सीएसडी डिपो (दिल्ली, लेह, बीडी बारी, श्रीनगर, उधमपुर, अंडमान और निकोबार, जबलपुर, मासीमपुर, नारंगी, दीमापुर, बागडोगरा, लखनऊ, अंबाला, मुंबई तथा खड़की) को वितरित कर दिया गया है।'' मंत्रालय ने कहा कि दिल्ली में राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान (निफ्ट) के प्रशिक्षकों के मार्गदर्शन में निर्दिष्ट डिजाइन के अनुसार नयी वर्दी की सिलाई में असैन्य तथा सैन्य सिलाई कारीगरों को प्रशिक्षित करने के लिए कार्यशालाएं आयोजित की जा रही हैं।

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