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लिक्विडिटी रेशियो क्‍या है?

लिक्विडिटी रेशियो क्‍या है?
इस मामले से जुड़े एक बैंकर ने बताया कि हमें उम्मीद है कि जून तिमाही से क्रेडिट ग्रोथ में तेजी आएगी. ऐसे में रिजर्व बैंक से कैश रिजर्व रेशियो को नहीं बढ़ाने की अपील की गई है. रिपोर्ट के मुताबिक, रिजर्व बैंक के पास सीआरआर बैलेंस 8.17 लाख करोड़ रुपए का है. इसमें सरप्लस लिक्विडिटी 3.5 लाख करोड़ रुपए की है. पूर्व में 4 मई को सीआरआर को 4 फीसदी से बढ़ाकर 4.5 फीसदी कर दिया गया था. अप्रैल के अंत में बैंकों का लोन बुक 11.1 फीसदी बढ़ा.

RBI MPC Meeting: बैंक नहीं चाहते हैं फिर से लगे 90 हजार करोड़ का झटका, रिजर्व बैंक से CRR नहीं बढ़ाने की अपील

क्या होता है रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेट, सीआरआर और एसएलआर?

जैसा कि आप जानते हैं कि लिक्विडिटी रेशियो क्‍या है? बैंकों को अपने रोज के काम लिए अक्सर बड़ी रकम की जरूरत होती लिक्विडिटी रेशियो क्‍या है? लिक्विडिटी रेशियो क्‍या है? है। अक्सर यह होता है कि इसकी मियाद एक दिन से ज्यादा नहीं लिक्विडिटी रेशियो क्‍या है? होती। तब बैंक केंद्रीय बैंक (भारत में रिजर्व बैंक) से रात भर के लिए (ओवरनाइट) कर्ज लेने का विकल्प अपनाते हैं। इस कर्ज पर रिजर्व बैंक को उन्हें जो ब्याज देना पड़ता है, उसे ही रेपो रेट कहते हैं।

रेपो रेट कम होने से बैंकों के लिए रिजर्व बैंक से कर्ज लेना सस्ता हो जाता है और तब ही बैंक ब्याज दरों में भी कमी करते हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा रकम कर्ज के तौर पर दी जा सके। अब अगर रेपो दर में बढ़ोतरी का सीधा मतलब यह होता है कि बैंकों के लिए रिजर्व बैंक से कर्ज लेना महंगा हो जाएगा। ऐसे में जाहिर है कि बैंक दूसरों को कर्ज देने के लिए जो ब्याज दर तय करते हैं, वह भी उन्हें बढ़ाना होगा।

रिवर्स रेपो दर

रिवर्स रेपो रेट ऊपर बताए गए रेपो रेट से उल्टा होता है। बैंकों के पास दिन भर के कामकाज के बाद बहुत बार एक बड़ी रकम शेष बच जाती है। बैंक वह रकम अपने पास रखने के बजाय रिजर्व बैंक में रख सकते हैं, जिस पर उन्हें रिजर्व बैंक लिक्विडिटी रेशियो क्‍या है? से ब्याज भी मिलता है। जिस दर पर यह ब्याज मिलता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं।

वैसे कई बार रिजर्व बैंक को लगता है कि बाजार में बहुत ज्यादा नकदी हो गई है तब वह रिवर्स रेपो रेट में बढ़ोतरी कर देता है। इससे होता यह है कि बैंक ज्यादा ब्याज कमाने के लिए अपना पैसा रिजर्व बैंक के पास रखने लगते हैं।

कैश रिजर्व रेशियो (सीआरआर)

सभी बैंकों के लिए जरूरी होता है कि वह अपने कुल कैश रिजर्व का एक निश्चित हिस्सा रिजर्व बैंक के पास जमा रखें। इसे नकद आरक्षी अनुपात यानी कि कैश रिजर्व रेशियो (सीआरआर) कहते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है कि अगर किसी भी मौके पर एक साथ बहुत बड़ी संख्या में जमाकर्ता अपना पैसा निकालने आ जाएं तो बैंक डिफॉल्ट न कर सके।

आरबीआई जब ब्याज दरों में बदलाव किए बिना बाजार से लिक्विडिटी कम करना चाहता है, तो वह सीआरआर बढ़ा देता है। इससे बैंकों के पास बाजार में कर्ज देने के लिए कम रकम बचती है। वहीं सीआरआर को घटाने से बाजार में नकदी की सप्लाई बढ़ जाती है।

RBI: 40 महीने में पहली बार बैंकिंग सिस्टम में हुई नगदी की कमी! आरबीआई को उठाना पड़ा ये कदम

By: ABP Live | Updated at : 21 Sep 2022 01:12 PM (IST)

Edited By: manishkumar

Indian Banking System: महंगाई (Inflation) पर नकेल कसने के लिए आरबीआई ( RBI) द्वारा लिए गए लिक्विडिटी रेशियो क्‍या है? कड़े नीतिगत फैसलों ( Policy Decision) के बाद 40 महीनों में पहली बार भारतीय बैंकिंग सिस्टम ( Indian Banking System) में नगदी की कमी हो गई है. इस हालात के बाद आरबीआई को बैंकिंग सिस्टम में 2.73 अरब डॉलर यानि 21800 करोड़ रुपये मंगलवार 20 सितंबर, 2022 को डालने पड़े हैं. मई 2019 के बाद ये पहला मौका है जब बैंकिंग सिस्टम में नगदी की कमी हुई है.

दरअसल 4 मई 2022 को आरबीआई ने महंगाई पर लगाम लगाने के लिए मॉनिटरी पॉलिसी की बैठक में कैश रिजर्व रेशियो (Cash Reserve Ratio) बढ़ाने का फैसला किया था. बैंकिंग सिस्टम में मौजूद अतिरिक्त नगदी को कम करने के मकसद से आरबीआई कैश रिजर्व रेशियो यानि लिक्विडिटी रेशियो क्‍या है? सीआरआर (CRR) में 50 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी कर इसे 4 फीसदी से बढ़ाकर 4.50 फीसदी कर दिया. सीआरआर में बढ़ोतरी का फैसला 21 मई, 2022 से लागू हुआ था. इससे बैंकिंग सिस्टम में मौजूद 90,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त नगदी में कमी आ गई.

ब्याज़ दरों कोई लिक्विडिटी रेशियो क्‍या है? बदलाव नहीं

बैंक दरों में कटौती का काफ़ी दिनों से इंतरज़ार था

बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने मंगलवार को मुद्रा नीति की घोषणा की है जिसमें मुख्य ब्याज़ दर में कोई बदलाव नहीं किया गया है. इसे 7.75 फ़ीसदी पर ही रखा गया है.

दूसरी ओर भारतीय रिज़र्व बैंक ने स्टैचुअरी लिक्विडिटी रेशियो मे 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर इसे 21.50 पर कर दिया है.

सीआरआर में बदलाव नहीं

इसी तरह देश की केंद्रीय बैंक ने कैश रिजर्व रेशियो (सीआरआर) यानी जमा-नक़द अनुपात में भी कोई बदलाव नहीं किया है.

वाणिज्यिक बैंक जो पैसे रिजर्व बैंक के पास जमा रखते हैं और जितना नक़द उनके पास कर्ज़ देने के लिए होता है, उस अनुपात को सीआरआर कहते हैं.

बैंक के गवर्नर ने सरकार की ओर से किसी तरह के दवाब से इंकार करते हुए कहा कि उन्हें काम करने की पूरी छूट दी गई है.

राजन ने कहा कि फ़िलहाल थोड़ी सावधानी बरतने की ज़रूरत है.

यथास्थिति के संकेत

आरबीआई के गवर्नर राजन ने कहा कि बीते साल सेवा क्षेत्र में कामकाज अच्छा रहने और खपत बढ़ने की वजह से सकल घरेलू उत्पाद पर उतना असर नहीं पड़ा, जितना पड़ सकता था.

रिज़र्व बैंक के गवर्नर ने फ़िलहाल यथास्थिति बनाए रखने के संकेत दिए हैं.

उन्होंने यह संकेत भी दिया कि ब्याज़ दरों में कोई बदलाव करने पर विचार नए आंकड़ों के मिलने के बाद ही किया जा सकता है.

राजन की घोषणा के तुरंत बाद शेयर बाज़ार की स्थिति सुधरी और सेंसेक्स एक बार फिर ऊपर उठने लगा.

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ETF नाम तो सुना ही होगा! आखिर क्‍या बला है जिस पर निवेशक लट्टू हुए जा रहे, एक बेहतर ईटीएफ का चुनाव कैसे करें?

भारत में कुल एयूएम में ETF की हिस्‍सेदारी 10 फीसदी से ज्‍यादा पहुंच गई है.

भारत में कुल एयूएम में ETF की हिस्‍सेदारी 10 फीसदी से ज्‍यादा पहुंच गई है.

एक्‍सचेंज ट्रेडेड फंड यानी ईटीएफ में निवेश आजकल काफी लोकप्रिय हो रहा है. इसमें किसी स्‍टॉक की तुलना में काफी कम जोखिम रहता है और एक्‍सपेंस रेशियो कम होने की वजह से यह किफायती निवेश विकल्‍प बन जाता है. एक सही ETF का चुनाव करना भी कई मायनों में समझदारी का काम है.

  • News18Hindi
  • Last Updated : May 06, 2022, 15:05 IST

नई दिल्‍ली. शेयर बाजार और म्‍यूचुअल फंड में निवेश करने वालों ने अक्‍सर ETF यानी एक्‍सचेंज ट्रेडेड फंड के बारे में सुना होगा. आजकल यह काफी लोकप्रिय हो रहा है और म्‍यूचुअल फंड कंपनियां भी लगातार नए-नए ETF बाजार में लांच कर रही हैं. ऐसे में सवाल उठता है लिक्विडिटी रेशियो क्‍या है? कि आखिर ETF है क्‍या और यह कैसे काम करता है.

जैसा कि नाम से ही जाहिर होता है ETF किसी एक्‍सचेंज के साथ ट्रेडिंग करने की सुविधा देता है. वैसे तो यह एक तरह का म्‍यूचुअल फंड ही है, जिसमें कई तरह के डेट विकल्‍पों और बांड का बंच होता है. लेकिन म्‍यूचुअल फंड और ETF में बेसिक अंतर ये है कि इसे सिर्फ स्‍टॉक एक्‍सचेंज से ही खरीदा या बेचा जा सकता है. एक निवेशक के रूप में जैसे आप एक्‍सचेंज पर कारोबार के दौरान शेयरों की खरीद-फरोख्‍त करते हैं, उसी तरह ETF में भी कारोबारी घंटों के दौरान ही ट्रेडिंग हो सकती है.

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