घोटाले के दलालों से बचना

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Uttarakhand: उत्तराखंड विधानसभा भर्ती से जुड़ी लिस्ट सोशल मीडिया पर वायरल, जानें- किनके नाम हैं शामिल?
By: पंकज राणा | Updated at : 31 Aug 2022 08:50 PM (IST)
Uttarakhand Vidhansabha Bharti Ghotala: उत्तराखंड में इन दिनों भर्ती घोटालों को लेकर राजनीति गरमा रही है. सबसे बड़ी बात यह है कि विधानसभा में बैक डोर से 72 नियुक्तियों के मामले ने बड़ा तूल पकड़ लिया है. विधानसभा में बैक डोर से हुई 72 नियुक्तियों में लगातार रोज कुछ ना कुछ खुलासे होते जा रहे हैं. अब ऐसे में विधानसभा में हुई नियुक्तियों को लेकर जहां कांग्रेस और बीजेपी आमने-सामने हो गई है वहीं सोशल मीडिया पर दो लिस्ट ऐसी सामने आई हैं. इसमें तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष और वर्तमान में वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के समय 72 नियुक्तियों में 29 लोगों की लिस्ट आई है.
इस लिस्ट में मंत्री विधायक प्रदेश अध्यक्ष पूर्व प्रदेश अध्यक्ष खुद तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष और वर्तमान वित्त मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के निजी सचिव पीआरओ और कई उत्तराखंड से बाहर के लोगों की सूची सामने आई है. दूसरी 29 लोगों की वह सूची वायरल हो रही है. जिसमें राज्य गठन यानी साल 2000 से लेकर अब तक विधानसभा में हुई नियुक्तियों में मंत्री विधायकों पूर्व मुख्यमंत्री प्रदेश अध्यक्ष पूर्व प्रदेश अध्यक्ष बीजेपी कांग्रेस यूकेडी के नेताओं विधायकों के रिश्तेदारों की भर्ती घोटाले के दलालों से बचना के लिस्ट सामने आई है.
नेताप्रतिपक्ष ने कहा: मध्यप्रदेश में हुआ है गेंहू खरीदी घोटाला, सीबीआई जांच की मांग
भोपाल। नेता घोटाले के दलालों से बचना प्रतिपक्ष श्री अजय सिंह ने कहा है कि किसानों का घोटाले के दलालों से बचना भाजपा सरकार से उठता विश्वास और पिछले वर्ष गेहूं खरीदी में हुए भारी घोटाले के कारण इस वर्ष सरकार को घोटाले के दलालों से बचना घोटाले के दलालों से बचना शर्मनाक स्थिति का सामना करना पड़ा कि अनुमान से 61 लाख टन गेहूं खरीदी पिछले वर्ष से कम हुई है। नेता प्रतिपक्ष ने गेहूं खरीदी कम होने और पिछले वर्ष अधिक होने की सीबीआई जांच कराने की मांग की है, ताकि शिवराज सरकार का किसान विरोधी चेहरा सामने आ सके।
नेता प्रतिपक्ष श्री सिंह ने कहा कि पिछले वर्ष गेहूं खरीदी में व्यापक पैमाने पर धांधली हुई थी। सार्वजनिक वितरण प्रणाली और बाहर का गेहूं भाजपाई बिचैलियों के जरिए समर्थन मूल्य पर मंडियों में बेंचा गया। इस फर्जी खरीदी का सेहरा बांध कर करोड़ों रूपये विज्ञापन पर खर्च कर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान ने अपना शर्मनाक चेहरा दिखाया है।
करोड़ों के घोटाले में बुरे फंसे पुलिस अफसर
- News18India
- Last Updated : June 05, 2009, 14:23 IST
जींद। पैसों के लालच में गलत काम करने के कई किस्से आपने सुने होंगे, लेकिन ये कहानी है पुलिस के पांच बड़े अफसरों की जो रिश्वत के काले धन के लालच में अपराधी बन बैठे। कल तक जो लाल बत्ती की गाड़ी में बैठ कर चलते थे, आज जेल की कालकोठरी में जाने से बचने के रास्ते तलाश रहे हैं।
दरअसल हरियाणा के जींद में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन का ऐसा मामला सामने आया जिसमें जिस भी अधिकारी को जांच दी गई, उसकी दिलचस्पी केस खोलने में कम, उसे दबाने घोटाले के दलालों से बचना में ज्यादा हो गई। करीब दो साल से ये गोरखधंधा चल रहा था। मामले की शिकायत आईजी तक पहुंची। उन्होंने जींद के पुलिस कप्तान को मामले की जांच का निर्देश दिया। इसी के साथ शुरू हो गया एक ऐसा खेल, जिसमें पुलिस अधिकारियों ने लाखों रुपये अवैध तरीके से कमाए।
चिदंबरम ने एयरसेल-मैक्सिस घोटाले की जांच करने वाले ईडी अधिकारी के खिलाफ बेनामी के माध्यम से एक साजिशी याचिका दायर की!
सुप्रीम कोर्ट के 2 जी बेंच के सप्ताहों घोटाले के दलालों से बचना बाद, एयरसेल-मैक्सिस घोटाले को छह महीनों में खत्म करने के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को कठोर निर्देश दिए गए [1], पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम अपनी चाल पर हैं। शायद यह देखकर कि सावधानी से निर्मित कवच नष्ट हो रहे हैं, चिदंबरम जांच अधिकारियों को बदनाम करने के लिए बेनामी बेवकूफ याचिकाओं के साथ बाहर आ गए हैं।
चिदंबरम ने एक कुख्यात फिक्सर उपेंद्र राय की सेवाओं का इस्तेमाल किया है, जो एक पूर्व पत्रकार हैं, जिन्होंने सहारा और तेहेल्का के साथ काम किया है ताकि ईडी के जांच अधिकारी राजेश्वर सिंह के खिलाफ एक गंभीर शिकायत दर्ज की जा सके।
1200 करोड़ रुपये के साथ, किसे सरकारी नोकरी की जरूरत?
इस बार, एक सप्ताह बाद, 23 मार्च को न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने सीबीआई और ईडी को छह महीने के भीतर एयरसेल-मैक्सिस घोटाले के खिलाफ जांच पूरी करने का आदेश दिया, अचानक अपेंद्र राय ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की घोटाले के दलालों से बचना कि राजेश्वर सिंह एक भ्रष्ट अधिकारी हैं और आरोप लगाते हुए कहा कि वह और उनके परिवार के पास 1200 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति है! यह 2011 में उपेंद्र राय और गिरोह द्वारा दायर की गई एक समान घोटाले के दलालों से बचना शिकायत के कट और पेस्ट की तरह दिखाई दिया और शीर्ष अदालत ने निंदा की। आशा है कि इस बार सर्वोच्च न्यायालय इस निराशाजनक याचिका का गंभीर ध्यान रखेगा घोटाले के दलालों से बचना और एजेंसियां इस बेनामी याचिकाकर्ता के बारे में गंभीर कदम लेंगी।
1982 में पैदा होने का दावा करने वाले उपेंद्र राय सहारा समूह और तहलका पत्रिका में संपादक थे। हालांकि वह किसी भी मान्यता प्राप्त मीडिया संगठन का हिस्सा नहीं है, फिर भी वह सभी प्रमुख सरकारी कार्यालयों में प्रवेश करने के लिए अपने प्रेस सूचना ब्यूरो (पीआईबी) मान्यता कार्ड दिखा रहे हैं। वह सभी हवाई अड्डों में नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (बीसीएएस) द्वारा जारी अत्यधिक संवेदनशील हवाईअड्डा प्रवेश पास (एईपी) भी दिखा रहा है। खुफिया एजेंसियों ने पाया है कि वह इस संवेदनशील हवाईअड्डा प्रवेश कार्ड को प्राप्त करने के लिए चार्टर फ्लाइट कंपनी निदेशक बनने का दावा कर रहे हैं। यह एक रहस्य है कि उन्होंने केवल एक पत्रकार होते हुए पीआईबी कार्ड कैसे प्राप्त किया! यह दिखाता है कि उपेंद्र राय कैसे सिस्टम में बैठे भ्रष्ट लोगों से आपराधिक रिश्तों का आनंद ले रहे हैं।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि में घोटाले की जवाबदेही किस पर?
राजकुमार प्रजापति | Updated on: 22 Sep 2020 6:54 AM GMT
किसानों के जीवन पर इन विधेयकों का क्या प्रभाव पड़ेगा, यह तो आने वाला समय ही बताएगा
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